Intrinsic Value Meaning in Hindi | आंतरिक मूल्य कैलकुलेशन

“आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की इन्ट्रिंसिक वैल्यू क्या होती हैं, Intrinsic Value Meaning in Hindi और Intrinsic Value कैसे निकालते हैं।”

यदि आप भी स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आप निश्चित तौर पर इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value) से अवगत होंगे। आपको कई शेयर मार्केट एक्सपर्ट बताएंगे की आपको शेयर को उसकी Intrinsic Value से नीचे ही खरीदना चाहिए।

Intrinsic Value निकालने के लिए कई लोगों ने तो कोर्स और एप्प्स तक लॉन्च की हुई हैं। तो क्या वाकई में Intrinsic Value इतनी महत्वपूर्ण होती हैं। तो आज हम Intrinsic Value से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण सवालों पर चर्चा करेंगे, जिससे आप निश्चिततौर पर अपने स्टॉक मार्केट के ज्ञान को एक लेवल बढ़ा पाएंगे।

इसमें हम निम्न पॉइंट्स पर बात करेंगे –

  • इन्ट्रिंसिक वैल्यू क्या होती हैं (What Intrinsic Value in Hindi)
  • इन्ट्रिंसिक वैल्यू कैसे निकालते हैं (Intrinsic Value calculation)
  • मार्केट वैल्यू और Intrinsic Value में अंतर
  • क्या Intrinsic Value बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं?

तो दोस्तों, अपने सभी सवालों का जवाब जानने के लिए इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें।

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इन्ट्रिंसिक वैल्यू क्या होती हैं (What Intrinsic Value in Hindi)

Intrinsic Value किसी भी स्टॉक या कंपनी की वास्तविक वैल्यू या कीमत होती हैं। इस इन्ट्रिंसिक वैल्यू को कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस के द्वारा निकाला जाता हैं। इसके लिए सभी टेंजिबल और इनटेंजिबल फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता हैं। इस तरह इन्ट्रिंसिक वैल्यू किसी भी शेयर की वास्तविक वैल्यू (real value) होती हैं जो की करंट मार्केट प्राइस से अलग भी हो सकती हैं।

अगर ओर आसान भाषा में समझे तो सभी अवसरों और रिस्क को ध्यान में रखकर किसी स्टॉक की वो कीमत जो की एक निवेशक भुगतान करना चाहता हैं वो उसी इन्ट्रिंसिक वैल्यू होती हैं।

Intrinsic Value Meaning in Hindi

Intrinsic Value in Meaning Hindi

यदि इन्ट्रिंसिक वैल्यू के हिंदी मीनिंग की बात की जाए तो इसे हिंदी में “आंतरिक मूल्य” कहा जाता हैं। Intrinsic Value को अनेक नामों से जाना जाता हैं जैसे की True Value, वास्तविक कीमत या रियल वैल्यू। विश्व के महानतम निवेशक वारेन बफ़ेट, चार्ली मंगर और पीटर लिंच भी शेयर को इन्ट्रिंसिक वैल्यू देखकर ही खरीदने की सलाह देते हैं।

आसान भाषा में समझे तो इन्ट्रिंसिक वैल्यू वह अधिकतम मूल्य होता है जिस पर आप भविष्य में बिना किसी नुकसान के शेयर या संपत्ति खरीद सकते हैं।

इस प्रकार प्रत्येक स्टॉक की एक वास्तविक कीमत होती हैं जो की उसकी करंट मार्केट वैल्यू से अलग हो सकती हैं। लेकिन जितना इन्ट्रिंसिक वैल्यू सुनने में अच्छा लगता हैं उतना ही निकालने में कठिन होता हैं जिसकी हम आगे चर्चा करेंगे।

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इन्ट्रिंसिक वैल्यू Key Points (Intrinsic Value in Hindi)

Intrinsic Value से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स हैं –

  • किसी शेयर की Intrinsic Value उसकी करंट मार्केट प्राइस से कम या ज़्यादा हो सकती हैं।
  • इन्ट्रिंसिक वैल्यू स्टॉक की वास्तविक क़ीमत बताता हैं।
  • Intrinsic Value को कई अन्य नामों से जाना जाता हैं जैसे की True Value, वास्तविक कीमत या रियल वैल्यू।

Intrinsic Value Example in Hindi

चलिये, Intrinsic Value Meaning in Hindi को समझने के लिए हम एक आसान उदाहरण देखते हैं।

मान लेते हैं आप एक घर खरीदना चाहते हैं। आप इसे दस साल तक खरीदकर रखना चाहते हैं और फिर बेच देना चाहते हैं। तो लॉजिकली आप इस घर के लिए कितना भुगतान करना पसंद करेंगे?

मेरी राय में आप, अगले 10 वर्षों में घर से प्राप्त कुल किराया और दस वर्षों के बाद घर को बेचने से प्राप्त होने वाली राशि का अधिकतम भुगतान कर सकते हैं। इस प्रकार जो मूल्य आप भुगतान करने वाले हैं वो इस घर का आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) होगा।

Intrinsic Value का सही से पता लगाने के लिए, इसमें मुद्रास्फीति (inflation) और विभिन्न प्रकार की रिस्क को ध्यान में रखा जाता है।

कुल मिलाकर इन्ट्रिंसिक वैल्यू कोई शेयर सस्ता हैं या महंगा, पता करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। कोई शेयर सस्ता हैं या महंगा इसे जानने के लिए आप PE रेश्यो का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो की बहुत ही आसान और सरल तरीका हैं।

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आंतरिक मूल्य महत्वपूर्ण क्यों है?

एक स्टॉक का आंतरिक मूल्य तुलनात्मक विश्लेषण करने के लिए एक बहुत ही अच्छा टूल है। Intrinsic Value एक निवेशक को यह निर्धारित करने में मदद करता हैं कि क्या वह स्टॉक अपने करंट मार्केट वैल्यू पर निवेश के लायक है या नहीं।

यदि बाजार मूल्य स्टॉक के आंतरिक मूल्य से अधिक है, तो यह ख़रीदने के लिए अच्छा सौदा नहीं होता। दूसरी ओर, यदि स्टॉक का आंतरिक मूल्य उसके वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक है, तो निवेशक इसे एक अच्छा buying विकल्प मान सकते हैं।

इसलिए किसी स्टॉक को सही मूल्य पर ख़रीदने के लिए Intrinsic Value महत्वपूर्ण माना जाता हैं। शेयर की उचित मूल्य पर खरीदारी इसकी महत्वता दर्शाता हैं।

शेयर की इंट्रिन्सिक वैल्यू कैसे कैलकुलेट करें? (How To Calculate Intrinsic Value Of Share)

चलिए अब बात करते हैं की इन्ट्रिंसिक वैल्यू कैसे निकाली जाती हैं। Intrinsic Value को कई अलग-अलग तरीकों से निकाला जा सकता हैं।

इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने के इन सभी विकल्पों को हम एक-एक करके समझते हैं।

1. Discount Cash Flow Method से इन्ट्रिंसिक वैल्यू कैसे निकाले?

डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता हैं। इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने के इस तरीके को DCF मेथड भी कहा जाता हैं।

इस तरीके में कंपनी के सभी फ्यूचर कैश इनफ्लो को present value पर लाकर इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकाली जाती है।

डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड से शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने के लिए आप निम्न स्टेप्स फॉलो कर सकते हैं –

  • स्टेप -1 : जिस कंपनी के शेयर में आप इन्वेस्ट करना चाहते हैं उसके सभी फ्यूचर कैश फ्लो को कैलकुलेट कीजिये।
  • स्टेप -2 : जो आपने पहली स्टेप में फ्यूचर कैश फ्लो निकाला हैं उसकी वर्तमान वैल्यू (present value) निकालिए।
  • स्टेप -3 : इसके बाद जो प्रेजेंट वैल्यू आपने ईयर वाइज निकाली हैं उन सबको जोड़ दीजिये। इससे आपको उस स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू मिल जाएगी।

देखा जाए तो डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड के लिए कंपनी के फ्यूचर कैश फ्लो कैलकुलेट करना बहुत ही कठिन काम हैं। किसी भी बड़ी कंपनी के फ्यूचर कैश फ्लो कैलकुलेट करना आसान काम नहीं हैं। यदि आप ऐसा कर लेते हैं तो आप एक सटीक Intrinsic Value निकाल सकते हैं।

डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड से स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने का फार्मूला:

Intrinsic value = (CF1)/(1 + r)1 + (CF2)/(1 + r)2 + (CF3)/(1 + r)3 + … + (CFn)/(1 + r)n

यहाँ पर –

  • CF1 – पहले वर्ष का कैश फ्लो हैं। CF2 – यह दूसरे वर्ष का कैश फ्लो हैं और यह ऐसे ही आगे जारी रहेगा।
  • r = करंट मार्केट कंडीशन के अनुसार रेट ऑफ़ रिटर्न।
  • n = वर्षों की संख्या

डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड से इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने को आप इस वीडियो से अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

2. Financial Metric के आधार पर इन्ट्रिंसिक वैल्यू की कैलकुलेशन

यदि आपको डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड से शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालना कठिन लग रहा हैं तो आप किसी फाइनेंसियल मैट्रिक के आधार पर भी इन्ट्रिंसिक वैल्यू कर सकते हैं। यह इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने का अपेक्षाकृत एक आसान तरीका हैं।

फाइनेंसियल मैट्रिक जैसे की आप P/E रेश्यो से भी इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकाल सकते हैं। P/E रेश्यो की मदद से आप निम्न तरीकें से इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकाल सकते हैं।

Intrinsic value = Earnings per share (EPS) x (1 + r) x P/E ratio

यहां पर “r” कंपनी की अनुमानित ग्रोथ को दर्शाता हैं।

मान लेते हैं की एक कंपनी हैं ABC लिमिटेड। इसने पिछले एक वर्ष में ₹100 का Earning Per Share (EPS) कमाया हैं। मान लेते हैं की यह कंपनी अपनी अर्निंग को अगले पांच साल में 12.5% से ग्रो करने में कामयाब हो पाएगी।

साथ में हम यह भी मान लेते हैं कि कंपनी का शेयर वर्तमान में 40 के PE रेश्यो पर ट्रेड कर रहा हैं। अब इन सब डाटा को मिलाकर ABC लिमिटेड इस इन्ट्रिंसिक वैल्यू इस प्रकार होगी –

Intrinsic value = (₹100 per share) x (1 + 0.125) x 40 = ₹4500 per share

तो यहाँ पर इस कंपनी की इन्ट्रिंसिक वैल्यू ₹4500 प्रति शेयर निकलकर आएगी। अगर इस कंपनी की शेयर प्राइस वर्तमान में ₹4500 से ज्यादा चल रही होगी तो यह माना जाएगा की कंपनी का स्टॉक ओवरवैल्यूड हैं। जबकि स्टॉक प्राइस ₹4500 से कम होगा तो यह माना जाएगा की स्टॉक प्राइस अभी अंडरवैल्यूड हैं और इसे ख़रीदा जा सकता हैं।

अगर देखा जाए तो डिस्काउंट कैश फ्लो मेथड और फाइनेंसियल मैट्रिक के आधार पर इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालना थोड़ा कठिन काम हैं क्योंकि इसमें हमें कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ का अनुमान लगाना होता हैं।

3. Asset-based valuation के आधार पर इन्ट्रिंसिक वैल्यू की कैलकुलेशन

Intrinsic Value निकालने के ऊपर बताये गए दोनों तरीके थोड़े कॉम्प्लेक्स हैं। इसलिए आज के नए निवेशक एसेट के आधार पर Intrinsic Value निकालना अधिक पसंद करते हैं।

इस तरीके से इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालना अपेक्षाकृत आसान हैं। इस तरीके में कंपनी की सभी एसेट में से लायबिलिटीज निकालकर इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकाली जाती हैं।

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Intrinsic value = (Sum of a company’s assets, both tangible and intangible) – (Sum of a company’s liabilities)

इस तरीके से आंतरिक मूल्य निकालने का एक ड्रॉबैक हैं कि यह मेथड कंपनी की भविष्य की ग्रोथ को कंसीडर नहीं करता। इस वजह से जो इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकलकर आती हैं वो थोड़ी कम हो सकती हैं।

4. डिविडेंड डिस्काउंट मेथड से इन्ट्रिंसिक वैल्यू की कैलकुलेशन

हम डिविडेंड डिस्काउंट मेथड से भी स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू को कैलकुलेट कर सकते हैं। डिविडेंड डिस्काउंट मॉडल को DDM मेथड से भी जाना जाता हैं।

इस तरीके में कंपनी के अनुमानित डिविडेंड को डिस्काउंट करके आंतरिक मूल्य निकाला जाता हैं। इसमें निम्न फॉर्मूला से इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकाली जाती हैं –

Intrinsic Value = EDPS / (CCE -DGR)

यहाँ पर –

  • EDPS = Expected Dividend per Share
  • CCE = Cost of Capital Equity
  • DGR = Dividend Growth Rate

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Intrinsic value vs Market value in Hindi

कंपनी के शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू में अंतर आप निम्न टेबल से समझ सकते हैं –

पैरामीटरइन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value)मार्केट वैल्यू (Market Value)
परिभाषाइन्ट्रिंसिक वैल्यू किसी कंपनी का वास्तविक मूल्यांकन होती है, जो विभिन्न आंकड़ों, आँकड़ीय परिप्रेक्ष्य, और मूल्यनीतियों की मदद से गणना की जाती है। यह कंपनी के वास्तविक मूल्य को प्रकट करती है।मार्केट वैल्यू किसी कंपनी के वर्तमान बाजार मूल्य (CMP) को कहा जाता है। मार्केट वैल्यू बाजार परिस्थितियों, आपूर्ति और मांग, निवेशकों की संवेदना और अन्य कई पैरामीटर्स पर निर्भर करता है।
गणना की प्रक्रियाइन्ट्रिंसिक वैल्यू की गणना अनुपातों, आर्थिक आँकड़ों, फ्यूचर कैश फ्लो, अध्ययनों और अन्य मानकों के साथ की जाती है।मार्केट वैल्यू केवल वर्तमान में बाजार में उपलब्ध विनियमित मूल्य पर आधारित होती है।
प्रयोगइन्ट्रिंसिक वैल्यू निवेशकों को यह जानने में मदद करती है कि कंपनी का स्टॉक ओवरवैल्यूड हैं या अंडरवैल्यूड। इससे वो सही निवेश निर्णय ले पाते हैं।मार्केट वैल्यू निवेशकों को बताती है कि वर्तमान में बाजार में कंपनी का शेयर कितने प्राइस पर बिक रहा है, लेकिन क्या यह वास्तविक मूल्य है, यह नहीं बताती।
निवेश के अवसरों की पहचानइन्ट्रिंसिक वैल्यू अनुभवी निवेशकों के बीच ज्यादा लोक्रप्रिय होती है क्योंकि यह उन्हें अच्छे निवेश के अवसर की पहचान में सहायता करती है।मार्केट वैल्यू कंपनी की परिस्थितियों, समय के साथ बदलते आकलनों, और अन्य कारकों के परिणामस्वरूप विपरीत प्रतिक्रियाओं के साथ परिवर्तन होती रहती है। इसका मतलब यह अस्थिर रहती हैं।
परफेक्ट वैल्यूएक बिलकुल यूनिवर्सल इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालना बहुत मुश्किल हैं।इसमें मूल्य डिमांड और सप्लाई के आधार पर बदलता रहता हैं।

उम्मीद हैं की आपको इन्ट्रिंसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू में अंतर समझ में आया होगा।

इन्ट्रिंसिक वैल्यू के लाभ (Benefits of Intrinsic Value in Hindi)

शेयर आंतरिक मूल्य के निम्न लाभ होते हैं –

  • जब आप शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालकर शेयर में निवेश करते हैं तो आप उस स्टॉक के लिए सही मूल्य का भुगतान कर रहे होते हैं।
  • इन्ट्रिंसिक वैल्यू को ध्यान में रखकर शेयर में निवेश करने से मार्जिन ऑफ़ सेफ्टी बढ़ जाती हैं।
  • स्टॉक में इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने के बाद निवेश करने से नुकसान होने की संभावना कम हो जाती हैं।
  • अंडरवैल्यूड स्टॉक में निवेश करने का विकल्प मिल जाता हैं। 

इस प्रकार किसी भी कंपनी के शेयर को सही मूल्य पर ख़रीदने के लिए Intrinsic Value का महत्वपूर्ण रोल होता हैं।

इन्ट्रिंसिक वैल्यू की सीमाएं (Limitations of Intrinsic Value in Hindi)

ऐसा नहीं हैं की Intrinsic Value ही सर्वोपरी हैं इसकी कुछ सीमाएं भी होती हैं जो की आपको ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं।

  • कमाई में वृद्धि: इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालने का मूल घटक कंपनी की कमाई (earning) होती है। कमाई की वृद्धि के साथ, इन्ट्रिंसिक वैल्यू भी बढ़ सकती है।
  • कैश फ्लो: कंपनी के नकद प्रवाह भी इन्ट्रिंसिक वैल्यू को प्रभावित कर सकते हैं। यदि कंपनी का स्थिर और सकारात्मक कैश फ्लो है, तो इससे इन्ट्रिंसिक वैल्यू में वृद्धि हो सकती है।
  • आर्थिक आंकड़े: आर्थिक आंकड़ों में बदलाव भी इन्ट्रिंसिक वैल्यू को प्रभावित कर सकता है। यदि कंपनी के आर्थिक आंकड़े सुधर रहे हैं, तो यह शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू को बढ़ा सकता है।
  • रेश्यो: इन्ट्रिंसिक वैल्यू की गणना में अनुपातों का महत्वपूर्ण रोल होता है। जैसे की P/E अनुपात भी इन्ट्रिंसिक वैल्यू की गणना को बदल सकता हैं।
  • समय का प्रभाव: इन्ट्रिंसिक वैल्यू में समय का भी प्रभाव होता है। लंबे समय तक कंपनी की सफलता और विकास के साथ इन्ट्रिंसिक वैल्यू में बदलाव हो सकता हैं।
  • कठिन कैलकुलेशन: एक निवेशक के लिए इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकालना बहुत ही मुश्किल काम हैं।
  • परिणामों में अंतर: यदि कुछ मार्केट एक्सपर्ट मिलकर किसी एक कंपनी का आंतरिक मूल्य निकालेंगे तो सभी के परिणामों में जरूर अंतर होगा।

कुल मिलाकर इन्ट्रिंसिक वैल्यू में अनेक कारक शामिल रहते हैं इसकी वजह से आसानी से बिलकुल सही इन्ट्रिंसिक वैल्यू प्राप्त करना बहुत मुश्किल काम होता हैं।

FAQ’s on Intrinsic Value Meaning in Hindi

  1. आंतरिक मूल्य से आप क्या समझते हैं?

    किसी कंपनी के शेयर का वास्तविक मूल्य ही उसका आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) होता हैं। इसमें फ्यूचर कैश फ्लो के आधार पर कंपनी की Intrinsic Value निकाली जाती हैं।

  2. अच्छा आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) क्या है?

    सभी शेयर्स के लिए इन्ट्रिंसिक वैल्यू अलग-अलग हो सकती हैं। यदि करंट मार्केट प्राइस और इन्ट्रिंसिक वैल्यू में ज्यादा अंतर नहीं हैं तो वो स्टॉक निवेश के लिए स्टडी किया जा सकता हैं।

  3. आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) क्यों महत्वपूर्ण है?

    इन्ट्रिंसिक वैल्यू का पता लगाने से हमें जानकारी मिल जाती हैं की अभी शेयर निवेश के लायक हैं या नहीं। इन्ट्रिंसिक वैल्यू किसी शेयर की वास्तविक कीमत दर्शाता हैं जिससे हम निवेश निर्णय ले सकते हैं।

  4. Intrinsic Value और Book Value में क्या अंतर है?

    Book Value केवल कंपनी की पूर्व वित्तीय प्रक्रियाओं के आधार पर निकाला जाता है। जबकि Intrinsic Value उसकी वास्तविक वित्तीय स्थिति, आगामी कैश फ्लो और वित्तीय प्राप्तियों को ध्यान में रखकर निकाला जाता हैं।

  5. Intrinsic Value की गणना में उपयोग होने वाले प्रमुख मॉडल्स कौन-कौन से हैं?

    डिस्काउंटेड कैश फ़्लो मॉडल (DCF), पी/ई मॉडल, गोर्डन ग्रोथ मॉडल, और फ्यूचर कैश फ्लो आदि ऐसे तरीके हैं जिनका उपयोग Intrinsic Value की गणना में किया जा सकता है।

निष्कर्ष – आंतरिक मूल्य क्या होता है?

किसी भी कंपनी के शेयर को वैल्यू करने के लिए अनेक पैरामीटर्स होते हैं उन्हीं में से एक इन्ट्रिंसिक वैल्यू होता हैं। वास्तव में इन्ट्रिंसिक वैल्यू बहुत महत्वपूर्ण होता हैं लेकिन इसकी कैलकुलेशन की जटिलता की वजह से अधिकांश निवेशक इसका उपयोग नहीं करते हैं। 

आप स्टॉक का चयन करने के लिए केवल आंतरिक मूल्य पर निर्भर नहीं रह सकते। आपको इसके साथ कंपनी के अन्य सभी महत्वपूर्ण पैरामीटर्स देखने होते हैं। 

तो दोस्तों, आज आपने इस पोस्ट में समझा की इन्ट्रिंसिक वैल्यू क्या होता हैं (What is Intrinsic Value in Hindi), Intrinsic Value Meaning in Hindi और इन्ट्रिंसिक वैल्यू कैसे कैलकुलेट करते हैं। 

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