अगर आपको कम आय से भी वित्तीय रूप से सक्षम बनना हैं तो आपके लिए निवेश करना बहुत जरूरी हो जाता हैं। वर्तमान में निवेश के विकल्पों में से म्यूचुअल फंड बहुत ही लोकप्रिय विकल्प हैं। लेकिन किसी भी निवेश को करने से पहले उसकी सही जानकारी होना आवश्यक हैं।
इस आर्टिकल पर आने से पहले आपने जान ही लिया होगा कि म्यूचुअल फंड क्या हैं। इससे आगे सवाल आता हैं कि म्यूचुअल फंड कैसे काम करता हैं।
तो आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है जिससे आपको म्यूच्यूअल फंड की पूरी प्रक्रिया आसानी से समझ में आ जाएगी।
म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है | How Mutual Fund works in Hindi
म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है जानने से पहले हम संक्षिप्त में जान लेते हैं की म्यूच्यूअल फंड क्या होता है।
म्यूच्यूअल फंड स्टॉक मार्केट में निवेश करने का एक इनडायरेक्ट तरीका होता हैं। एक म्यूच्यूअल फंड में अनेक निवेशक मिलकर पैसा लगाते हैं जो फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता हैं। प्रत्येक म्यूच्यूअल फंड स्कीम अलग-अलग उद्देश्यों के अनुसार लांच की जाती हैं।
इन उद्देश्यों के अनुसार ही म्यूच्यूअल फंड आगे की रणनीति बनाता हैं और उसके अनुसार कार्य करता हैं। स्टॉक मार्केट की तुलना में म्यूच्यूअल फंड में कम रिस्क होती हैं। फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों को सही जगह निवेश करके उनके लिए अच्छा रिटर्न कमाने का प्रयास करता हैं।
म्यूचुअल फंड की प्रोसेस
(1) NFO लांच
म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है, इसमें सबसे पहले NFO समझना होता हैं।
NFO यानि की न्यू फंड ऑफर। NFO निवेशकों को अवसर देता हैं कि वे शुरुआत से ही म्यूच्यूअल फंड स्कीम में निवेशित हो जाए। कोई भी नई म्यूच्यूअल फंड स्कीम NFO के माध्यम से ही लांच की जाती हैं।
म्यूचुअल फंड किन उदेश्यों के साथ कार्य करेगा वो NFO के साथ ही डिसक्लोज किया जाता हैं। Open Ended Mutual Funds में NFO के बंद हो जाने के बाद भी निवेश किया जा सकता हैं। परन्तु क्लोज़ एंडेड म्यूच्यूअल फण्ड में NFO के समाप्त होने के बाद कोई नया निवेश नहीं किया जा सकता।
NFO में निवेश करने से पहले इन्वेस्टर्स को फण्ड हाउस की रेपुटेशन, फण्ड के लक्ष्य, निवेश की लागत, रिस्क और निवेश की अवधि सभी का ध्यान रखना आवश्यक हैं।
(2) इकट्ठा की गई धनराशि को निवेश करना
म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है इसकी दूसरी स्टेप हैं जमा धनराशि को निवेश करना।
एक म्यूचुअल फंड में अनेक निवेशक मिलकर पैसा जमा करते हैं जिससे फंड हाउस के पास एक बहुत ही बड़ी धनराशि इक्कठी हो जाती हैं।
इस जमा राशि को निवेश करने का दायित्व फंड मैनेजर का होता हैं। फंड मैनेजर एक प्रोफेशनल मनी मैनेजर होता हैं जो फण्ड हाउस की तरफ से नियुक्त किया जाता हैं। इन्हीं सेवाओं के बदले फण्ड हाउस निवेशकों से म्यूच्यूअल फण्ड एक्सपेंस रेशों चार्ज करता हैं।
फंड मैनेजर निवेशकों का पैसा शेयर, बांड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज आदि में निवेश करता हैं। जैसे-जैसे फण्ड में ओर पैसा आता रहता हैं फंड मैनेजर वैसे-वैसे निवेश करता रहता हैं।
फंड मैनेजर स्टॉक चुनने में एक्सपर्ट होते हैं और वे इसके लिए लगातार रिसर्च भी करते रहते हैं। अगर फंड मैनेजर को कोई शेयर अंडरपरफॉर्म करता भी नजर आता है तो फंड मैनेजर उस शेयर को किसी दूसरे अच्छे शेयर से रिप्लेस कर देता हैं।
(3) म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश
एक क्लोज एंडेड म्यूचुअल फंड में NFO की अवधि समाप्त होने के बाद नया निवेश नहीं किया जा सकता हैं परंतु ओपन एंडेड म्यूच्यूअल फंड स्कीम में किया जा सकता हैं। निवेशक म्यूचुअल फंड में SIP या Lump Sum दोनों तरीकों से निवेश कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड खरीदने के बहुत से तरीके हैं जिनके माध्यम से निवेशक म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगा सकते हैं जैसे कि डायरेक्ट AMC की वेबसाइट से, किसी मोबाइल ऐप या किसी एजेंट के माध्यम से।
आपने जितनी भी राशि म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में जमा की हैं वो आपके म्यूच्यूअल फण्ड के फोलियो में दिखाई देगी। इसे आप ऑफिसियल फण्ड हाउस की वेबसाइट पर जाकर भी वेरीफाई कर सकते हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड में एक्सपेंस रेश्यो के रूप में निवेश करने की लागत बहुत ही कम होती हैं। एक्सपेंस रेशों आमतौर पर 1 से 2% के आस-पास हो सकता हैं। एक्सपेंस रेश्यो का आपको अलग से कोई भुगतान नहीं करना होता हैं ये सीधे आपके रिटर्न में से काट लिया जाता हैं।
निवेशकों के पास विकल्प होता हैं की वे म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान दोनों में से किसी एक प्लान के साथ में जा सकते हैं। डायरेक्ट प्लान में रेगुलर प्लान की अपेक्षा थोड़ा कम एक्सपेंस रेशों होता हैं। इसकी वजह से लॉन्ग टर्म में डायरेक्ट प्लान में ज्यादा अच्छे रिटर्न देखे जाते हैं।
ये भी पढ़े –
(4) यूनिट का आवंटन किया जाता हैं
यदि कोई निवेशक म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाता है तो उसे अपने निवेश के बदले में यूनिट्स जारी की जाती है। इन यूनिट्स का आवंटन (allotment) करंट NAV (Net Asset value) के आधार पर किया जाता है।
मान लीजिए आज आपने ABC म्यूच्यूअल फंड में ₹1,000 निवेश किए हैं। अगर उस दिन उस म्यूच्यूअल फंड की NAV ₹100 चल रही है तो आपको कुल 10 यूनिट प्राप्त होगी।
SIP के मामले में हर SIP इन्सटॉलमेंट के बाद प्राप्त यूनिट्स आपके म्यूच्यूअल फण्ड फोलियो में क्रेडिट कर दी जाती हैं।
(5) म्यूचुअल फंड में निवेश का रोटेशन
किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में लगातार निवेश होता रहता हैं। जब तक म्यूच्यूअल फंड स्कीम, ओपन एंडेड स्कीम होती हैं यह प्रक्रिया नियमित चलती रहती हैं।
नए निवेश के साथ फण्ड मैनेजर को नए स्टॉक, बॉन्ड्स खरीदने होते हैं। वहीं अगर किसी निवेशक की रिडेम्पशन रिक्वेस्ट आती हैं तो उसको पूरा करने के लिए फण्ड मैनेजर पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा बेच देता हैं।
इस प्रकार म्यूचुअल फंड में नया पैसा स्टॉक्स में निवेश कर दिया जाता हैं। जबकि रिडेम्पशन रिक्वेस्ट्स को स्टॉक्स बेचकर पूरा किया जाता हैं।
आशा करता हूँ की म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है की जानकारी आपको यहां तक समझ में आई होगी।
(6) म्यूच्यूअल फंड रिटर्न्स
फंड मैनेजर म्यूच्यूअल फंड निवेशकों के लिए फंड के गोल के मुताबिक निरंतर रूप से रिटर्न निकालने का प्रयास करते हैं। फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों को जिन सिक्योरिटीज और स्टॉक्स में लगाता हैं उन्हीं के प्रदर्शन के आधार म्यूच्यूअल फण्ड का रिटर्न तय होता है।
म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न NAV के माध्यम से निकाले जाते हैं जिसकी कैलकुलेशन प्रत्येक ट्रेडिंग डे के अंत पर की जाती हैं। अगर किसी दिन जिन स्टॉक्स, बॉन्ड्स में म्यूच्यूअल फंड का निवेश किया गया हैं उनका प्रदर्शन अच्छा है तो NAV भी बढ़ जाती हैं। ऐसे ही किसी दिन पोर्टफोलियो ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हैं तो NAV गिर जाती हैं।
म्यूचुअल फंड के ग्रोथ प्लान (Growth Plan) में आपको होने वाला प्रॉफिट वापस री इन्वेस्ट कर दिया जाता हैं जिससे उस प्रॉफिट पर भी रिटर्न बनना शुरू हो जाता हैं। जबकि म्यूच्यूअल फंड डिविडेंड प्लान (Dividend Plan) में होने वाला प्रॉफिट निवेशकों को एक निश्चित अंतराल में वापस डिविडेंड के रूप में लौटा दिया जाता हैं।
म्यूचुअल फंड में निवेश करके आप कैपिटल अप्प्रेसिअशन और डिविडेंड के रूप में लाभ कमा सकते हैं।
इस प्रकार म्यूचुअल फंड में निवेश एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें निरंतर निवेश, रिडेम्पशन और रिटर्न की साइकिल निरंतर चलती रहती हैं।
(7) म्यूच्यूअल फंड रिडेम्पशन
जब आपको म्यूच्यूअल फंड निवेश के गोल प्राप्त हो जाए या आपको पैसों की आवश्यकता हो तो आप अपने म्यूचुअल फंड को आसानी से रिडीम भी करवा सकते हैं।
अगर आपने अपने म्यूचुअल फंड निवेश को 1 वर्ष के भीतर ही बेचा हैं तो आपको सामान्यतः 1% का एग्जिट लोड देना पड़ सकता हैं। SIP के मामले में प्रत्येक इंस्टॉलमेंट से 12 महीने तक एग्जिट लोड रहता हैं। अगर आपने कोई यूनिट्स 1 जनवरी 2021 को खरीदी है तो वह 31 दिसंबर 2021 तक एग्जिट लोड के दायरे में रहेगी।
जिस प्लेटफार्म के माध्यम से आपने म्यूचुअल फंड में निवेश किया हैं वहां से आप रिडेम्पशन रिक्वेस्ट दे सकते हैं। रिडेम्पशन की राशि आपके म्यूच्यूअल फंड फोलियो से लिंक प्राइमरी बैंक अकाउंट में 2 से 3 दिन के भीतर जमा हो जाती हैं।
आप चाहे तो संपूर्ण पोर्टफोलियो की राशि या आंशिक राशि भी निकाल सकते हैं। जिस दिन आपने रिडेम्पशन रिक्वेस्ट दी हैं उस ट्रेडिंग डे की NAV के अनुसार आपको Maturity की राशि प्राप्त होगी।
उदाहरण के लिए आपके पास कुल 1,000 यूनिट हैं। अगर रिडेम्पशन रिक्वेस्ट के दिन के अंत पर NAV ₹50 रहती हैं तो आपको कुल ₹50,000 (1000×50) प्राप्त होंगे।
म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है की जानकारी यहां समाप्त होती हैं परन्तु म्यूच्यूअल फण्ड से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनका उत्तर आपके लिए जानना बहुत आवश्यक हैं।
म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है – सामान्य प्रश्न
(i) म्यूच्यूअल फंड में कम से कम कितना निवेश किया जा सकता हैं?
म्यूचुअल फंड में एसआईपी के माध्यम से न्यूनतम ₹500 से भी SIP की जा सकती हैं। जबकि लम सम के मामले में कुछ म्यूच्यूअल फंड हाउस ₹1000 से और कुछ फण्ड हाउस ₹5000 से सुविधा देते हैं।
(ii) Mutual Fund में कितनी रिस्क होती हैं?
अधिकतर म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स का पोर्टफोलियो स्टॉक्स से मिलकर बना होता हैं। जिसकी वजह से मार्केट संबंधित रिस्क हमेशा बनी रहती हैं। ये रिस्क काफी ज्यादा हो सकती हैं।
परंतु लंबे समय तक निवेश करके आप जोखिम को न्यूनतम सकते हैं। इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कम से कम 5 वर्ष का टारगेट तो रखना ही चाहिए।
Debt म्यूचुअल फंड के मामले में रिस्क बहुत कम होती हैं। परंतु इसके रिटर्न इक्विटी म्यूच्यूअल फंड की तुलना में बहुत कम होते हैं।
(iii) म्यूच्यूअल फंड को कौन रेगुलेट करता हैं?
म्यूच्यूअल फंड को सेबी द्वारा रेगुलेट किया जाता हैं। सेबी इससे संबंधित सभी नियम बनाता हैं और उसकी पालना सुनिश्चित करता हैं।
(iv) फण्ड हाउस क्या होता हैं?
फण्ड हाउस को ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) भी कहा जाता हैं। म्यूच्यूअल फंड स्कीम जिसके द्वारा लांच की जाती हैं वो फण्ड हाउस होता हैं। जैसे SBI Fund House, Axis Fund House, Nippon AMC आदि।
एक फण्ड हाउस की अनेक म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम्स हो सकती हैं। फण्ड मैनेजर भी फण्ड हाउस के द्वारा ही नियुक्त किए जाते हैं।
(v) क्या म्यूचुअल फंड में पैसा डूब सकता है?
म्यूचुअल फंड में इक्विटी मार्केट की रिस्क मौजूद होती हैं। शॉर्ट टर्म में इक्विटी मार्केट में बहुत ज्यादा रिस्क होती हैं। इसलिए यदि कोई निवेशक छोटी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करता हैं तो वहां पैसा डूबने की संभावना बढ़ जाती हैं।
लेकिन ऐसा भी नहीं हैं की आपका पूरा ही पैसा डूब जाएगा। इसमें आपको थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता हैं। लेकिन लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड में पैसा डूबने की उम्मीद न के बराबर होती हैं।
ये भी पढ़े –
निष्कर्ष – “म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है”
अगर सारांश में बात की जाए तो म्यूच्यूअल फंड आप और मेरे जैसे अनेक निवेशकों के जमा धन से मिलकर बना होता हैं।
इस पैसे को फंड हाउस द्वारा अलग-अलग जगह निवेश किया जाता हैं। इस निवेश के आधार पर ही म्यूच्यूअल फंड का रिटर्न बनता हैं।
यह कुल रिटर्न सभी निवेशकों को उनके निवेश के अनुपात में विभाजित कर दिया जाता हैं।
म्यूच्यूअल फंड से होने वाला लाभ समय के अनुसार काफी तेजी से बढ़ता हैं जिसमें लंबे समय में अच्छी कंपाउंडिंग देखी जाती हैं। इसीलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले म्यूच्यूअल फंड के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर लें। साथ में लंबे समय तक म्यूचुअल फंड में निवेशित रहने का प्रयास करें।
दोस्तों, म्यूचुअल फण्ड कैसे काम करता है (How Mutual Fund works in Hindi) के बारे में यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया नेटवर्क पर जरूर शेयर करें और आपके कोई सवाल यह सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।