पोर्टफोलियो क्या हैं | Portfolio Meaning in Hindi

पोर्टफोलियो का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में निवेश की छवि उत्पन्न हो जाती हैं। तो आज इसी पोर्टफोलियो को हम विस्तार से समझने वाले हैं।

जिसमें हम Portfolio Meaning in Hindi या पोर्टफोलियो क्या है, शेयर मार्केट में पोर्टफोलियो क्या होता हैं और सभी जानकारियां शामिल करेंगे। तो दोस्तों, अपने सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिये।

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Portfolio Meaning in Hindi

पोर्टफोलियो का हिंदी में अर्थ निवेश सूची होता हैं। निवेश सूची का मतलब होता हैं आपके द्वारा निवेश किये गए आइटम्स की लिस्ट। इस तरह पोर्टफोलियो आपके वित्तीय निवेशों (Investment) का एक संग्रह होता है जो बताता है कि आपने किस निवेश विकल्प में कितना पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है।

निवेश विकल्पों में स्टॉक, बांड, म्यूचुअल फंड, फ्यूचर एंड ऑप्शन, कमोडिटीज, कैश आदि शामिल हो सकते हैं।

पोर्टफोलियो शब्द का मीनिंग या अर्थ है आपके सम्पूर्ण निवेशों का समूह। आसान भाषा में समझें तो आपके द्वारा खरीदें गए शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी, बॉन्ड के समूह को पोर्टफोलियो कहा जाता हैं। यदि आपके पास 10 कंपनियों के शेयर हैं तो वो भी पोर्टफोलियो ही कहलाता है। वैसे ही यदि आपके पास में सिर्फ म्यूचुअल फंड हैं तो वो भी आपका पोर्टफोलियो होगा।

इस तरह हम कह सकते हैं जिन निवेश विकल्पों में आपने निवेश किया हुआ हैं उनकी लिस्ट ही आपका पोर्टफोलियो होती हैं।

  • आपके पोर्टफोलियो में स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बांड्स सभी सम्मिलित रूप में भी हो सकते हैं।
  • मार्केट के प्रदर्शन के आधार पर आपके पोर्टफोलियो की वैल्यू निरंतर बदलती रहती हैं।
  • यदि आपके स्टॉक पोर्टफोलियो में अच्छे शेयर मौजूद हैं तो बुल मार्केट में आपके पोर्टफोलियो में अच्छा इजाफ़ा देखने को मिल सकता हैं।

यदि आपका सिर्फ स्टॉक का पोर्टफोलियो हैं तो उसमें ब्लू चिप कंपनी, मिड कैप कंपनी और स्मॉल कैप कंपनी शामिल हो सकती हैं। सब प्रकार की सिक्योरिटीज का मिश्रण ही पोर्टफोलियो कहा जाता हैं।

पोर्टफोलियो क्या है | शेयर बाजार में पोर्टफोलियो क्या है?

Portfolio Meaning in Hindi

अब Portfolio in Hindi के टॉपिक में कई निवेशक सामान्य पोर्टफोलियो और शेयर बाजार पोर्टफोलियो में भी असमंजस में रहते हैं। यदि शेयर मार्केट पोर्टफोलियो मीनिंग की बात की जाएं तो इसमें अलग-अलग स्टॉक्स का मिश्रण होता हैं।

इस तरह अलग-अलग शेयर्स से मिलकर एक शेयर मार्केट पोर्टफोलियो बनता हैं।

“यहां पर ये बात ध्यान रखें की एक निवेशक का पोर्टफोलियो अलग होता हैं तो दूसरे का अलग। एक पोर्टफोलियो किसी एक निवेशक से सम्बंधित ही हो सकता हैं।”

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आजकल पोर्टफोलियो कागजी फॉर्म में न होकर डिजिटल फॉर्म में होता हैं। 

Portfolio Meaning in Finance या शेयर मार्केट को समझने के लिए हम एक उदाहरण देखते हैं:

मिस्टर रॉकी जो शेयर मार्केट में निवेश करता हैं। उसने कुछ अलग-अलग शेयर में निवेश किया हुआ हैं।

शेयरवर्तमान मूल्य
SBI Cards₹50,000
बजाज फाइनेंस₹1,00,000
टाइटन₹30,000
HDFC बैंक₹50,000
पिडिलाइट₹70,000
कुल₹3,00,000 

तो यहां पर मिस्टर रॉकी के पोर्टफोलियो में कुल 5 शेयर हैं जबकि उसके पोर्टफोलियो की वर्तमान वैल्यू 3 लाख रूपये हैं। यदि वो इस पोर्टफोलियो में म्यूचुअल फंड, बॉन्ड्स ओर जोड़ता हैं तो ये फिर उसका Combined Portfolio कहलाएगा।

उम्मीद हैं की आपको Portfolio in Hindi का मतलब यहां तक समझ में आया होगा।

अपना शेयर मार्केट पोर्टफोलियो कैसे बनायें?

अपना शेयर मार्केट पोर्टफोलियो बनाना आपके वित्तीय निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। एक अच्छा स्टॉक पोर्टफोलियो आपको निवेश के लक्ष्यों, वित्तीय स्थिति और रिस्क के आधार पर सही संतुलन प्रदान करता है।

नीचे दिए गए स्टेप्स के द्वारा आप अपना शेयर बाजार पोर्टफोलियो बना सकते हैं:

  • लक्ष्य निर्धारित करें: सबसे पहले आपको अपने निवेश के लक्ष्यों को समझना चाहिए। अच्छा स्टॉक पोर्टफोलियो लॉन्ग टर्म के लिए बनाया जा सकता हैं।
  • अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश करें: आप अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग शेयर शामिल करें। ताकि आपका निवेश विभिन्न शेयरों, क्षेत्रों और कंपनियों में फैला हो। अलग-अलग शेयर्स में निवेश करने से आपके रिस्क की मात्रा काफी कम हो जाती हैं।
  • रिसर्च और विश्लेषण करें: आप शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें। सिर्फ टिप्स के आधार पर पोर्टफोलियो न बनाये। इसके लिए आप वारेन बफेट के निवेश मंत्र भी फॉलो कर सकते हैं।
  • रिस्क मैनेज करें: आपको अपने पोर्टफोलियो की रिस्क को मैनेज करना चाहिए। एक मिश्रित पोर्टफोलियो बनाएं। जिसमें किसी एक स्टॉक में अधिकतम 10% तक निवेश हो। ये रेश्यो ज्यादा भी हो सकता हैं बशर्ते आपको उस स्टॉक में विश्वास हो।
  • पोर्टफोलियो को रिव्यु करें: शेयर मार्केट पोर्टफोलियो बनाने के बाद आपको उसे समय-समय पर संशोधित करना चाहिए। मतलब की निवेश के प्रदर्शन का मूल्यांकन करें और आवश्यक हो तो स्टॉक्स में बदलाव करें।

ये तो बात हो गई शेयर मार्केट पोर्टफोलियो कैसे बनाते हैं की। यदि आप म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो आप ये पोस्ट पढ़ें – म्यूचुअल फण्ड पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?

साथ ही ऐसा नहीं हैं की आपको सिर्फ एक बार शेयर मार्केट पोर्टफोलियो बनाने के बाद उसे छोड़ देना हैं। आपको समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो को रिव्यु करते रहना चाहिए और उसमें आवश्यक बदलाव करने चाहिए।

पोर्टफोलियो के प्रकार (Types of Portfolio in Hindi)

चलिए ऊपर हमनें ये तो समझ लिया की पोर्टफोलियो का अर्थ क्या होता हैं (Portfolio Meaning in Hindi)। अब हम बात करते हैं की पोर्टफोलियो कितने प्रकार का होता हैं।

शेयर मार्केट पोर्टफोलियो कई प्रकार के हो सकते हैं। ये विभिन्न निवेशकों की आवश्यकताओं और लक्ष्यों के आधार पर विभाजित हो सकते हैं।

portfolio ke prakar in hindi

1. इनकम बेस्ड पोर्टफोलियो (Income Based Portfolio)

इस प्रकार का पोर्टफोलियो इनकम पर आधारित पोर्टफोलियो होता हैं। इनकम पोर्टफोलियो से निवेशक एक रेगुलर इनकम प्राप्त करना चाहता हैं। इसके लिए वो बॉन्ड्स, डिविडेंड देने वाले शेयर और म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान में निवेश कर सकता हैं।

इनकम पोर्टफोलियो के लिए सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है। यानि की इनकम पोर्टफोलियो में कम जोखिम उठाया जाता हैं। इस इसमें इनकम प्राप्ति के साथ-साथ पूंजी की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाता है।

जैसे की आप सिर्फ स्टॉक में निवेश करते हैं। जिसमें आप एक इनकम पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो आपको डिविडेंड देने वाले शेयर्स में निवेश करना होगा जो की आपको नियमित अंतराल पर डिविडेंड का भुगतान रहे।

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2. लिक्विड पोर्टफोलियो (Liquid Portfolio)

इस प्रकार का पोर्टफोलियो उच्च नकदी प्रवाह और लिक्विडिटी को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है। मतलब की आप इस तरह के पोर्टफोलियो को शॉर्ट टर्म के हिसाब से बनाते हैं।

लिक्विड पोर्टफोलियो में विभिन्न नकदी आधारित संपत्तियों शामिल होती हैं जैसे कि मनी मार्केट निवेश, फिक्स्ड डिपॉज़िट और लिक्विड फंड्स। इस प्रकार की सम्पतियों को आप कभी भी कैश में कन्वर्ट कर सकते हैं।

3. डिफेंसिव पोर्टफोलियो (Defensive Portfolio)

डिफेंसिव पोर्टफोलियो में वो निवेश शामिल होते है जो निवेशकों को बाजार की उथल-पुथल से बचाते हैं। इसलिए इसे सुरक्षित पोर्टफोलियो भी कहा जाता हैं।

ये पोर्टफोलियो उन निवेशकों के लिए बेहतर होता हैं जो की कम रिस्क लेना पसंद करते हैं। डिफेंसिव पोर्टफोलियो की कुछ विशेषताएं होती हैं:

  • इसमें स्थिर आय वाली संपत्तियाँ शामिल होती हैं जैसे की सरकारी बॉन्ड्स, कम रिस्क वाली कंपनिया, डिविडेंड स्टॉक्स और नकदी आधारित संपत्तियाँ।
  • डिफेंसिव पोर्टफोलियो में नकदी और लिक्विड निवेश को महत्व दिया जाता है। इस प्रकार के निवेश को आवश्यकता होने पर आसानी से निकाला जा सकता हैं।
  • इसमें कम बीटा वाले स्टॉक्स में निवेश किया जाता हैं। कम बीटा वाले स्टॉक्स वो होते हैं जिनमें मार्केट उथल-पुथल अधिक नहीं होती।

डिफेंसिव निवेश के कुछ उदाहरण:

  • इंडेक्स फण्ड
  • लार्ज कैप फंड्स
  • डिविडेंड देने वाले शेयर
  • सरकारी बॉन्ड्स

डिफेंसिव पोर्टफोलियो में आपका पैसा बहुत तेज गति से तो नहीं बढ़ता हैं लेकिन सुरक्षित अवश्य रहता हैं। ऐसा पोर्टफोलियो अधिक उम्र वाले व्यक्ति और कम रिस्क उठाने वाले निवेशक के लिए सही माना जाता हैं। 

4. अग्ग्रेसिव पोर्टफोलियो (Aggressive Portfolio)

एक अग्रेसिव पोर्टफोलियो वो पोर्टफोलियो होता है जिसमें अधिक रिस्क उठाकर निवेश किया जाता हैं ताकि अधिक मुनाफा हो सके। ऐसे निवेशक जो हाई रिस्क उठाकर हाई रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए अग्ग्रेसिव पोर्टफोलियो बढ़िया माना जाता हैं।

अग्रेसिव पोर्टफोलियो की विशेषताएं:

  • अग्रेसिव पोर्टफोलियो में अधिक मात्रा में निवेश किया जाता है। इससे निवेशकों को अधिक प्रॉफिट होने की संभावना होती है।
  • इसमें रिस्की कंपनीज में, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश किया जाता हैं।
  • इसमें ऐसे सेक्टर्स में निवेश किया जाता हैं जो की आरंभिक स्टेज में हैं जैसे की EV सेक्टर।
  • इस प्रकार के पोर्टफोलियो में बहुत ही ज्यादा रिस्क मौजूद होती हैं।
  • अग्रेसिव पोर्टफोलियो में हाई रिटर्न देने की क्षमता होती हैं।

कुल मिलाकर ये डिफेंसिव पोर्टफोलियो का बिलकुल विपरीत पोर्टफोलियो होता हैं।

अग्रेसिव पोर्टफोलियो में क्या शामिल होता हैं?

  • पैनी स्टॉक
  • स्मॉल कैप स्टॉक
  • मिड कैप और स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड
  • कॉर्पोरेट बॉन्ड्स

यदि आप अधिक रिस्क नहीं उठा सकते हैं तो आपको अग्ग्रेसिव पोर्टफोलियो का निर्माण नहीं करना चाहिए।

5. स्पेक्युलेटिव पोर्टफोलियो (Speculative Portfolio)

स्पेक्युलेटिव पोर्टफोलियो का निर्माण कम समय में हाई रिटर्न प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • इसमें शेयर बाजार की उठा-पटक का फायदा उठाने के लिए हाई रिस्क ली जाती हैं।
  • स्पेक्युलेटिव पोर्टफोलियो में मार्केट में नए अवसरों की तलाश की जाती हैं जहां से अधिक से अधिक प्रॉफिट कमाया जा सकें।
  • इसमें शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग की जाती हैं जिसमें F&O ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग शामिल होती हैं।
  • हाई वोलैटिलिटी की मात्रा मौजूद रहती हैं।

स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग बहुत ही ज्यादा जोखिम भरी होती हैं इसलिए इसे बिना रिसर्च और एनालिसिस के नहीं करना चाहिए। विशेषतौर पर एक नए निवेशक को स्पेक्युलेटिव पोर्टफोलियो का बिलकुल भी निर्माण नहीं करना चाहिए।

6. हाइब्रिड पोर्टफोलियो (Hybrid Portfolio)

एक हाइब्रिड पोर्टफोलियो अलग-अलग निवेश विकल्पों से बना होता हैं। इसमें हर तरह की सिक्यूरिटी शामिल हो सकती हैं। साथ ही ये एक संतुलित जोखिम को ध्यान में रखकर बनाया गया पोर्टफोलियो हो सकता हैं।

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एक हाइब्रिड पोर्टफोलियो में लार्ज कैप और स्माल कैप एक अच्छा संतुलन हो सकता हैं।

ये एक संतुलित पोर्टफोलियो माना जाता हैं जिसमें रिस्क को कम करने का प्रयास किया जाता हैं। साथ ही अपेक्षा की जाती हैं की ये पोर्टफोलियो रिटर्न्स भी अच्छे बनाकर देगा।

इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो (Types of Investment Portfolio in Hindi)

  1. Stock Portfolio
  2. Mutual Fund Portfolio
  3. Index Fund Portfolio
  4. Debt Fund Portfolio
  5. Commodities Portfolio
  6. Real Estate Portfolio

इन सबको मिलाकर एक मिश्रित पोर्टफोलियो भी बनाया जाता हैं।

पोर्टफोलियो का उदाहरण (Example of Portfolio in Hindi)

पोर्टफोलियो के प्रकार जानने के बाद अब हम पोर्टफोलियो का उदाहरण देखते हैं।

मान लेते हैं की आज की तारीख में रॉकी के पास 2 लाख रूपये हैं और वो इन्हें इस प्रकार निवेश करता हैं –

  • ₹1,00,000 के स्टॉक खरीद लिए।
  • ₹50,000 म्यूचुअल फंड में निवेश कर दिए।
  • ₹30,000 बॉन्ड्स में डाल दिए।
  • ₹20,000 को PPF में निवेश कर दिया हैं।

इस तरह आपने पुरे ₹2 लाख निवेश कर दिए हैं। अब आपका आज की तारीख में ₹2 लाख का पोर्टफोलियो तैयार हो चुका हैं।

लेकिन जब 2 साल बाद आपने अपने पोर्टफोलियो को वापस देखा तो आपके पोर्टफोलियो की वैल्यू इस प्रकार थी –

  • ₹1,30,000 के स्टॉक।
  • ₹65,000 म्यूचुअल फंड।
  • ₹35,000 बॉन्ड्स।
  • ₹23,000 को PPF में निवेश कर दिया हैं।

इस प्रकार आपका पोर्टफोलियो 2 वर्ष के भीतर बढ़कर ₹2,53,000 हो गया हैं। इस 2 वर्ष के दौरान आपके 12.47% के CAGR रिटर्न्स निकलकर आये हैं।

रॉकी का ये पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो कहलायेगा। क्योंकि इसमें अलग-अलग प्रकार की सिक्योरिटीज का मिश्रण हैं जैसे की स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड और PPF.

उम्मीद हैं की ये पोर्टफोलियो का उदाहरण आपको समझ में आया होगा।

पोर्टफोलियो में क्या-क्या शामिल होता हैं?

एक पोर्टफोलियो में अनेक निवेश विकल्प शामिल हो सकते हैं:

  • स्टॉक्स (स्मॉल कैप, मिड कैप, लार्ज कैप)
  • म्यूचुअल फंड
  • गोल्ड
  • फिक्स्ड डिपाजिट
  • बॉन्ड्स

इन सबको मिलाकर एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाया जा सकता हैं।

पोर्टफोलियो बनाते समय किन बातों का ध्यान रखें?

किसी भी निवेशक को पोर्टफोलियो बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होता है:

1. निवेशक के लक्ष्य: पहले से ध्यान रखें कि आप एक निवेशक के तौर पर क्या लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं। जैसे की आपको लॉन्ग टर्म का पोर्टफोलियो बनाना हैं या रिटायरमेंट के लिए पोर्टफोलियो बनाना हैं। अपने लक्ष्यों के आधार पर पोर्टफोलियो का निर्माण करें।

2. रिस्क को समझे: अपनी रिस्क लेने की क्षमता को ध्यान में रखें। यदि आप कम रिस्क लेना चाहते हैं तो आपको हाई रिस्क वाले निवशों से दूर रहना चाहिए। जितना आप मार्केट में जोखिम लेने को तैयार हैं उसी अनुसार निवेश करें।

3. रिसर्च करें: कभी भी बिना सोचे-समझे किसी की टिप्स के आधार पर पोर्टफोलियो का निर्माण न करें। अपने विवेक और रिसर्च के आधार पर ही एक मजबूत पोर्टफोलियो बनायें। इसके लिए आपको पता होना चाहिए की शेयर मार्केट कैसे सीखें?

4. विविधता: आपको अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का प्रयास करना चाहिए। जैसे की आपने शेयर पोर्टफोलियो बनाया हैं तो उसमें 10-15 स्टॉक शामिल करने चाहिए। इससे किसी विशेष स्टॉक की रिस्क काफी कम हो जाती हैं।

5. निवेश का समय: यदि आप निवेश के द्वारा लॉन्ग टर्म में अच्छी वेल्थ बनाना चाहते हैं तो आपको लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। लंबी अवधि में कम्पाउंडिंग सबसे बढ़िया काम करती हैं। साथ ही लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने से रिस्क की मात्रा भी काफी कम हो जाती हैं।

इस तरह ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखकर आप एक अच्छा पोर्टफोलियो बना सकते हैं।

अपना पोर्टफोलियो कहां और कैसे देखें?

यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं या म्यूचुअल फंड्स में तो आप अपनी इन्वेस्टमेंट एप्प में अपना पोर्टफोलियो देख सकते हैं। जिस भी चैनल के माध्यम से आप निवेश करते हैं वहां पर आपको अपना पोर्टफोलियो देखने की सुविधा दी जाती हैं।

जैसे की आपका Upstox या Zerodha में डीमैट अकाउंट हैं और आप वहां से निवेश करते हैं तो आपको अपने डीमैट अकाउंट में लॉगिन करना होगा। उसके बाद आप होल्डिंग सेक्शन में जाकर अपना पोर्टफोलियो देख सकते हैं।

Portfolio kya hai

इसमें आप अपना म्यूचुअल फंड निवेश भी देख सकते हैं। पोर्टफोलियो देखने की प्रक्रिया लगभग सभी स्टॉक ब्रोकिंग एप्प में एक जैसी ही होती हैं।

Portfolio देखकर क्या पता चलता हैं?

किसी भी पोर्टफोलियो को देखने से निम्न चीजें क्लियर होती हैं:

  • आपका पोर्टफोलियो किस CAGR रेट से बढ़ रहा हैं।
  • आपने अब तक कितना पैसा निवेश किया हैं।
  • किस स्टॉक पर कितना रिटर्न मिल रहा हैं।
  • किसी विशेष सिक्योरिटी में कितना पैसा लगा हैं।
  • आपके पोर्टफोलियो में कौनसे स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड हैं?
  • आपका पोर्टफोलियो रिस्की हैं या संतुलित?
  • आपके पोर्टफोलियो में कितनी लिक्विडटी हैं।

इस तरह आप अपने पोर्टफोलियो को एनालिसिस कर सकते हैं।

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है और पोर्टफोलियो कैसे मैनेज करें?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशकों के लिए एक निवेश पोर्टफोलियो को मैनेज किया जाता है। मतलब की पोर्टफोलियो रिव्यु ही पोर्टफोलियो मैनेजमेंट होता हैं।

इस प्रक्रिया द्वारा आप अपने वितीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में निम्नलिखित शामिल होता हैं:

  • पोर्टफोलियो मैनेजमेंट से आप एक निवेश स्ट्रैटेजी का निर्माण कर सकते हैं।
  • आप समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर सकते हैं।
  • समय-समय पर पोर्टफोलियो रिव्यु करने से रिस्क की मात्रा भी बहुत कम हो जाती हैं।

जैसे की आपके पोर्टफोलियो में सिर्फ दो ही सेक्टर के स्टॉक हैं एक फार्मा और एक आईटी सेक्टर। अब यदि किसी करणवश इन दोनों सेक्टर्स में मंदी आती हैं तो आपका पोर्फोलियो बुरी तरह से गिर सकता हैं।

लेकिन यदि आपने इसमें तो-तीन अन्य सेक्टर भी शामिल किये होते हैं तो आपके पोर्टफोलियो पर इतना बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। क्योंकि अब आपका निवेश कई सेक्टर में विभाजित हैं।

आपको अपने पोर्टफोलियो को वेल डाइवर्सिफाइड रखना चाहिए। इससे आपकी जोखिम काफी हद तक कम हो जाती हैं।

साथ ही अपने पोर्टफोलियो में किसी एक ही सेक्टर की 3-4 कंपनिया शामिल करना भी अच्छा नहीं माना जाता। जैसे की आपने आईटी सेक्टर की इनफ़ोसिस भी खरीद लिया, एचसीएल, विप्रो और LTI Mindtree भी खरीद लिया।

इससे आपका पोर्टफोलियो ओवर डाइवर्सिफाइड हो जायेगा।

साथ ही यदि आप एक लॉन्ग टर्म निवेशक हैं तो भी आपको बहुत ज्यादा पैनी स्टॉक में निवेश करने से बचना चाहिए। क्योंकि लॉन्ग टर्म में आपको मजबूत कंपनियों के शेयर ही अच्छा रिटर्न बनाकर देंगे।

पोर्टफोलियो के लाभ

पोर्टफोलियो बनाने का मतलब हैं की आप निवेश करते हैं। जब आप निवेश करते हैं तो आपके पैसे बचते हैं जो की आपको एक रिटर्न कमाकर देते हैं।

निम्न लाभ आपको पोर्टफोलियो बनाने से हो सकते हैं –

  • पैसों की बचत।
  • अच्छा रिटर्न प्राप्त होना।
  • भविष्य में अच्छी वेल्थ बनना।
  • कम्पाउंडिंग का लाभ।
  • फिजूलखर्च में कटौती।
  • ELSS निवेश द्वारा टैक्स बचाना।

FAQ:

  1. शेयर का पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?

    1. क्वॉलिटी स्टॉक खरीदें।
    2. मजबूत शेयर्स को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करें।
    3. अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करें।
    4. अपनी रिसर्च के आधार पर पोर्टफोलियो बनाए।
    5. पोर्टफोलियो में अलग-अलग सेक्टर के शेयर शामिल करें।

  2. स्टॉक मार्केट में पोर्टफोलियो क्या हैं?

    आपके डीमैट अकाउंट में पड़े अलग-अलग शेयर मिलकर एक पोर्टफोलियो का निर्माण करते हैं। इस तरह खरीदे गए सभी स्टॉक्स का कॉम्बिनेशन स्टॉक मार्केट पोर्टफोलियो कहलाता हैं।

  3. पोर्टफोलियो में कितने शेयर होने चाहिए?

    वैसे ये सीमा निश्चित नहीं हैं। फिर भी एक आदर्श पोर्टफोलियो में 15-20 शेयर तो होने ही चाहिए। साथ ही 25 से ज्यादा शेयर होना अच्छा नहीं माना जाता हैं।

  4. एक अच्छा पोर्टफोलियो क्या है?

    एक अच्छा पोर्टफोलियो सभी प्रकार के स्टॉक्स से बना होता हैं। जिसमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप का एक अच्छा मिश्रण होता हैं। साथ ही एक अच्छे पोर्टफोलियो में क्वालिटी कंपनी के शेयर मौजूद होते हैं।

  5. पोर्टफोलियो कैसे बनाते हैं?

    एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाने के लिए आपको अच्छे स्टॉक खरीदने होंगे। जिसमें आपको अपनी रिस्क लेने की क्षमता को भी ध्यान रखना हैं। इसके अनुसार आप बॉन्ड, गोल्ड जैसे सुरक्षित विकल्प भी चुन सकते हैं।

  6. पोर्टफोलियो के कितने प्रकार होते हैं?

    अग्ग्रेसिव पोर्टफोलियो, हाइब्रिड पोर्टफोलियो, डिफेंसिव पोर्टफोलियो, लिक्विड पोर्टफोलियो, स्पेक्युलेटिव पोर्टफोलियो।

निष्कर्ष

तो आज इस आर्टिकल में हमनें विस्तार में पोर्टफोलियो की जानकारी प्राप्त की। जिसमें Portfolio Meaning in Hindi, पोर्टफोलियो क्या है, पोर्टफोलियो कितने प्रकार का होता हैं आदि के ऊपर बात की। 

यदि आपको ये Portfolio in Hindi की जानकारी पसंद आई हो तो इसे सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर जरूर शेयर करें। अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। 

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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