स्टॉक मार्केट में किसी शेयर को खरीदते समय अनेक पैरामीटर्स देखने होते हैं जैसे कि P/E रेश्यो, ईपीएस, फाइनेंसियल स्टेटमेंट, बुक वैल्यू आदि। यदि आप ये सब महत्वपूर्ण पैरामीटर्स देखकर शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आप बिल्कुल सही राह पर हैं और स्टॉक मार्केट से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
शेयर फंडामेंटल एनालिसिस पर हमने कई आर्टिकल्स लिखे हैं। आज हम इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बुक वैल्यू की बात करेंगे। जिसमें हम समझेंगे की बुक वैल्यू क्या होती है, बुक वैल्यू का महत्व, P/B Ratio क्या होता हैं और इसका उपयोग कैसे करें।
बुक वैल्यू क्या होती है | What is Book Value in Hindi
किसी कंपनी की कुल सम्पतियों (Assets) में से कुल दायित्व (Liabilities) घटा देने पर कंपनी की बुक वैल्यू निकल कर आती है।
कहने का मतलब है कि कंपनी के कुल दायित्वों को चुकाने के बाद कंपनी के पास अपने शेयर होल्डर्स के लिए जो एसेट या पैसा बचता है, वह कंपनी की बुक वैल्यू होती है। बुक वैल्यू को शेयरहोल्डर इक्विटी (Shareholders Equity) भी कहा जाता है।
Book Value Formula:
Book Value meaning in Hindi
यदि बिलकुल आसान भाषा में समझे तो यदि कोई कंपनी अपनी पूरी एसेट्स को बेच दें और पूरी देनदारियां चुका दें। इसके बाद जो कंपनी के पास बचता है वह कंपनी की बुक वैल्यू होती है।
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बुक वैल्यू को कैसे निकालते हैं, इसे हम एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं:
ABC Ltd | |||
Assets | Figures in Crores | Liabilities | Figures in Crores |
Current Assets | Current Liabilities | ||
Cash | 100 | Account Payable | 60 |
Account Receivable | 30 | Accrued Expenses | 20 |
Inventory | 20 | ||
Non-Current Assets | Non-Current Liabilities | ||
Land & Buiding | 200 | Long Term Debt | 80 |
Other Non CA | 100 | Other Long-Term Liab. | 40 |
Total Assets | 450 | Total Liabilities | 200 |
Total Number of Shares | 1 Crore |
इस उदाहरण में एबीसी लिमिटेड की बुक वैल्यू होगी:
Book Value = 450 – 200 = 250 करोड़ |
कंपनी की बुक वैल्यू और कुल आउटस्टैंडिंग इक्विटी शेयर्स की मदद से बुक वैल्यू पर शेयर निकाली जाती है। यदि कंपनी की बुक वैल्यू में कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयर्स का भाग लगा दिया जाए तो कंपनी की बुक वैल्यू पर शेयर निकल कर आ जाएगी।
Book Value Per Share ये बताता है कि यदि आज कंपनी को बेच दिया जाए तो प्रत्येक शेयरहोल्डर को कितनी वैल्यू प्राप्त होगी।
जैसे की हमारे ABC Ltd के ऊपर वाले उदाहरण में BVPS होगी –
Book Value Per Share = 250 करोड़ ÷ 1 करोड़ = ₹ 250 |
बुक वैल्यू का महत्व
किसी कंपनी की बुक वैल्यू आपको उस कंपनी के फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स में मिल जाएगी। साथ ही आप स्टॉक रिसर्च वाली वेबसाइट्स पर भी किसी कंपनी की बुक वैल्यू चेक कर सकते हैं।
किसी स्टॉक को वैल्यू करते समय आपको बुक वैल्यू जरूर देखनी चाहिए। यदि ऊपर वाले उदाहरण में एबीसी लिमिटेड की बुक वैल्यू पर शेयर ₹ 250 है तो अगर इस कंपनी के शेयर का मूल्य ₹250 से नीचे आता हैं तो ये उस कंपनी के शेयर को खरीदने का सही समय हो सकता है। बशर्ते कंपनी अन्य सभी पैरामीटर्स पूरा करती हो।
Price To Book Value या P/B Ratio क्या हैं?
Price To Book Value एक फाइनेंसियल रेशों है जो कंपनी का मूल्यांकन करते समय देखा जाता है। P/B रेश्यो हमें बताता है कि कंपनी की बुक वैल्यू के मुकाबले उस कंपनी के शेयर का वास्तविक दाम कितना कम है या कितना ज्यादा हैं।
P/B Ratio Formula:
यदि P/B रेश्यो एक से कम आता है तो यह माना जा सकता है कि कंपनी अपनी बुक वैल्यू के मुकाबले सस्ती है। यदि ये रेश्यो एक से अधिक है तो यह माना जाएगा कि कंपनी का स्टॉक अपनी बुक वैल्यू के मुकाबले महंगा है।
यदि हमारे ऊपर वाले उदाहरण में एबीसी लिमिटेड के शेयर का मूल्य वर्तमान में ₹300 चल रहा है तो इस कंपनी का P/B रेश्यो होगा:
P/B Ratio = ₹ 300 ÷ ₹ 250 = 1.2 |
इस कंपनी का P/B रेश्यो एक से अधिक है इसका मतलब हुआ कि कंपनी का शेयर अपनी बुक वैल्यू के मुकाबले अधिक मूल्य पर मार्केट में ट्रेड हो रहा है।
दूसरे शब्दों में आप यह भी समझ सकते हैं कि आप ₹ 250 के शेयर के लिए ₹ 300 दे रहे हैं। अच्छी कंपनियों में अधिकतर समय आपको ये P/B Ratio एक से अधिक देखने को मिलेगा।
P/B Ratio का उपयोग
अगर P/B Ratio 1 से कम है तो स्टॉक अंडरवैल्यूड और 1 से अधिक है तो स्टॉक ओवरवैल्यूड माना जा सकता है। जैसा के हमने ऊपर जाना की बुक वैल्यू बैलेंस शीट के अनुसार निकाली जाती है।
यदि बैलेंस शीट में बिल्कुल सही आंकड़े हैं तो आपकी कैलकुलेशन भी सही हो सकती है। परंतु यदि बैलेंस शीट में कुछ गलत जानकारी हो तो आपकी P/B रेश्यो की कैलकुलेशन गलत हो सकती हैं और यहां पर P/B रेशों आपको गलत पिक्चर दे सकता है।
इसलिए यदि P/B Ratio एक से कम आ रहा है तो आपको आगे की जानकारी के लिए बैलेंस शीट को चेक करना चाहिए की क्या बुक वैल्यू सही निकाली गई हैं या नहीं।
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बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू में अंतर
स्टॉक एनालिसिस करते समय आपको बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू में अंतर समझना भी आवश्यक होता है।
बुक वैल्यू | मार्केट वैल्यू |
कंपनी के एसेट के वास्तविक मूल्य को दर्शाता हैं | ये अनुमानित मूल्य बताता हैं |
बुक वैल्यू अधिक स्थिर होती हैं | मार्केट वैल्यू प्रत्येक ट्रेडिंग डे पर बदलती हैं |
कंपनी की वास्तविक अधिग्रहण (acqusition) लागत को बताता हैं | मार्केट वैल्यू बाजार रुझान को दर्शाती हैं |
निष्कर्ष
स्टॉक मार्केट में शेयर चुनते समय सिर्फ एक पैरामीटर के आधार पर हम किसी स्टॉक को चुन नहीं सकते। इसके लिए हमें अनेक पैरामीटर देखने होते हैं। इन्हीं में से एक पैरामीटर होता है बुक वैल्यू। इसलिए यदि आप केवल बुक वैल्यू को देखकर किसी शेयर को खरीदना चाहते हैं तो मेरी राय में यह बिल्कुल गलत निर्णय होगा।
आपको सभी पैरामीटर्स जैसे कि पीई रेश्यो, ईपीएस, डेब्ट, कंपनी के फाइनेंसियल स्टेटमेंट, कंपनी के मैनेजमेंट की जानकारी जैसे पॉइंट्स जरूर देखने चाहिए।
तो दोस्तों, आज आपने इस आर्टिकल में जाना की बुक वैल्यू क्या होती हैं, P/B क्या होता हैं।
यदि आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरूर करें और यदि आपके कोई सवाल है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।
FAQ
शेयर मार्केट में बुक वैल्यू क्या होती हैं?
यदि कोई कंपनी अपनी पूरी सम्पतियाँ बेच दें और पूरी देनदारियां चुका दें उसके बाद जो वैल्यू बचेगी वो बुक वैल्यू होगी।
पीबी अनुपात का अर्थ क्या हैं?
ये रेश्यो Price to Book वैल्यू होता हैं। ये रेश्यो बताता हैं की बुक वैल्यू के मुकाबले स्टॉक की मार्केट वैल्यू क्या हैं।
बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में क्या अंतर होता हैं?
बुक वैल्यू किसी कंपनी की वास्तविक कीमत होती हैं ,जबकि फेस वैल्यू कंपनी की टोटल इक्विटी की वैल्यू होती हैं।
बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू में क्या अंतर होता हैं?
बुक वैल्यू कंपनी का वास्तिवक मूल्य होता हैं जबकि मार्केट वैल्यू वो मूल्य होता हैं जो प्रत्येक मार्केट ट्रेडिंग डे पर निकलकर आता हैं। मार्केट वैल्यू रोज़ बदलती हैं।