शेयर मार्केट में किसी भी शेयर को खरीदने से पहले हमें कई चीजें देखनी होती हैं। इनमें से ही एक महत्वपूर्ण पॉइंट हैं P/E Ratio (पीई रेश्यो)।
जब आप बाजार में कोई सामान खरीदने जाते हैं तो आप उस सामान की वैल्यू के मुताबिक ही उसका मूल्य देते हैं। साथ ही आप उस सामान के मूल्य को उसके अन्य विकल्पों से तुलना भी करते हैं। जिससे आपको पता चल जाता हैं की कहीं आप उस सामान का ज्यादा मूल्य तो नहीं दे रहे।
तो क्या शेयर बाजार में भी हम पता लगा सकते हैं कि कोई शेयर सस्ता हैं या महंगा? कहीं हम किसी स्टॉक को बहुत ज्यादा दाम पर तो नहीं खरीद रहे हैं। इसी का पता लगाने के लिए P/E Ratio का प्रयोग किया जाता हैं।
आज हम एक अच्छा शेयर कैसे चुने के इस आर्टिकल में PE Ratio in Hindi के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इस आर्टिकल में आपको पीई रेश्यो से सम्बंधित सभी सवालों का जवाब मिल जायेगा।
साथ ही आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद पीई रेश्यो का सही तरीके से इस्तेमाल भी कर सकेंगे। इस आर्टिकल में शामिल होगा पीई रेश्यो क्या होता हैं (PE Ratio kya hota hai), पीई रेश्यो कैलकुलेशन, पीई रेश्यो का उपयोग कैसे करें और PE Ratio कितना होना चाहिए।
P/E रेश्यो क्या होता हैं | What is P/E Ratio in Hindi
PE Ratio Meaning in Hindi
P/E Ratio सबसे प्रचलित फाइनेंशियल रेशों हैं। P/E Ratio का अर्थ प्राइस टू अर्निंग रेशों (Price to earning Ratio) होता हैं। पीई रेश्यो हमें बताता हैं की किसी कंपनी का शेयर अपने EPS के मुकाबले शेयर मार्केट में कितने गुना मूल्य पर ट्रेड हो रहा हैं।
इस प्रकार प्राइस टू अर्निंग रेशों कंपनी की स्टॉक प्राइस और EPS में संबंध बताता हैं। चलिए एक आसान उदाहरण की सहायता से P/E Ratio Meaning in Hindi को समझते हैं –
मान लीजिए कोई कंपनी हैं जो एक साल में ₹100 कमाती हैं। मान लेते हैं की मार्केट में उसका एक ही शेयर हैं जिसे आपने खरीद लिया हैं। उसकी करंट मार्केट प्राइस ₹1,000 हैं और P/E रेश्यो 10 हैं।
इसका मतलब हुआ की आपने वर्ष भर के ₹100 कमाने के लिए ₹1,000 दिए हैं। यहां आपको P/E रेश्यो की 10 गुना कीमत अदा करनी पड़ी हैं। दूसरे शब्दों में आप एक रुपया कमाने के लिए 10 रूपये दे रहे हैं।
पीई रेश्यो फॉर्मूला और कैलकुलेशन
दोस्तों, आपने ये तो समझ लिया की PE Ratio क्या होता है। अब बात करते हैं की P/E Ratio को कैसे कैलकुलेट किया जाता हैं।
पीई रेश्यो को कंपनी की करंट शेयर प्राइस में EPS का भाग लगाकर निकाला जाता हैं। करंट शेयर प्राइस पर निकालें जाने के कारण PE रेश्यो लगातार बदलता रहता हैं।
मान लीजिये किसी कंपनी का करंट शेयर प्राइस ₹90 हैं और EPS ₹10 हैं। अब इस कंपनी का पीई रेश्यो क्या होगा –
पीई रेश्यो = ₹90 ÷ ₹10 = 9 |
इसका मतलब हुआ की आपको इस कंपनी का एक रुपया प्रॉफिट के रूप में कमाने के लिए ₹9 देना होगा। सीधी भाषा में शेयर अर्निंग की तुलना में 9 गुना मंहगा हैं।
EPS क्या होता हैं?
अब बात आती हैं की ये EPS क्या होता हैं। EPS यानि की Earning per share. ये कंपनी की नेट इनकम में कुल आउटस्टैंडिंग शेयर्स का भाग लगाकर निकाला जाता हैं। इस प्रकार EPS एक शेयर की earning बताता हैं।
EPS हमें बताता हैं की कोई कंपनी किसी एक शेयर के पीछे कितना मुनाफा कमा रही हैं। ईपीएस जितना ज्यादा होता हैं उतना बढ़िया माना जाता हैं।
चलिए EPS की कैलकुलेशन के साथ पीई रेश्यो को समझते हैं –
मान लीजिये एक कंपनी हैं जिसके कुल 1,000 शेयर हैं और कंपनी एक वर्ष में 2 लाख रूपये कमाती हैं। इस केस में इस कंपनी का EPS (Earning per Share) होगा = 2 लाख ÷ 1000 शेयर = ₹200 प्रति शेयर।
यदि कंपनी का करंट मार्केट प्राइस ₹2,000 चल रहा हैं तो यहां पीई रेश्यो होगा = 10 (₹2,000 ÷ 200)
यहां एक शेयर वर्ष भर में ₹200 कमाता हैं और इस ₹200 को कमाने के लिए आपको 10 गुना कीमत देनी होगी।
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P/E Ratio के प्रकार | Types of Price to Earning Ratio
मुख्य रूप से पीई रेश्यो दो प्रकार के होते हैं। ये दोनों कंपनी की आय की प्रकृति पर निर्भर करते हैं।
(i) Forward P/E Ratio – जैसा की इस रेश्यो के नाम से ही पता चल रहा हैं ये पीई रेश्यो कंपनी की Future earning के अनुमान के आधार पर निकाला जाता हैं। इस पीई को कंपनी की शेयर प्राइस में कंपनी की भविष्य की अनुमानित आय (Estimated earning) का भाग देकर निकाला जाता हैं।
कंपनी की अनुमानित ग्रोथ और अनुमानित आय का प्रयोग किये जाने के कारण ये पीई रेश्यो इतना विश्वसनीय नहीं होता।
(ii) Trailing P/E Ratio – इस पीई रेश्यो को किसी कंपनी की Past Earnings के आधार पर निकाला जाता हैं। ये पीई रेश्यो अधिक सटीक होता हैं जो कंपनी की वास्तविक स्थिति बताता हैं। इस कंपनी की करंट मार्केट प्राइस में पास्ट अर्निंग का भाग लगाकर ज्ञात किया जाता हैं।
P/E Ratio और वैल्यू इन्वेस्टिंग
आपने सुना होगा की ज्यादा पीई रेश्यो वाले शेयर महंगे होते हैं जबकि कम पीई रेश्यो वाले शेयर सस्ते होते हैं। अगर वास्तव में ऐसा हैं तो सभी व्यक्ति जो स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं आज कम पीई रेश्यो वाले स्टॉक्स में निवेश करके बहुत अमीर होते।
यह बात सही है कि जितना ज्यादा प्राइस टू अर्निंग रेश्यो होगा शेयर उतना ही महंगा होगा लेकिन यह वैल्यू इन्वेस्टिंग पर खरा नहीं उतरता। आपको कई ओर पैमाने देखने होते हैं जिस पर आपको कंपनी को परखना होता हैं।
अगर किसी स्टॉक का पीई रेश्यो काफी ज्यादा हैं तो वह दर्शाता है कि कंपनी के EPS के मुकाबले शेयर की करंट मार्केट प्राइस ज्यादा हैं। वैल्यू इन्वेस्टर इस प्रकार के शेयर को खरीदने से बचते हैं जो कुछ हद तक ठीक भी हैं।
वहीं दूसरी ओर ऐसी कंपनी जिसका पीई रेश्यो काफी कम हैं वह बताता हैं की कंपनी अपने EPS के मुकाबले कम मार्केट प्राइस पर ट्रेड कर रही हैं। कम पीई रेश्यो वाले शेयर में बढ़ोतरी की गुंजाइश रहती हैं, इस कारण वैल्यू इन्वेस्टर इस प्रकार के स्टॉक को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं।
लेकिन वास्तव में देखा जाए तो वैल्यू इन्वेस्टिंग तब मानी जाती हैं जब आप अच्छे स्टॉक्स को लंबे समय के लिए होल्ड करते हो।
चाहें आज आपने किसी शेयर को हाई पीई रेश्यो पर ही क्यों न खरीदा हो अगर वह कंपनी भविष्य में अपनी अर्निंग्स को बढ़ाने में सक्षम हैं तो आप स्टॉक को हाई P/E Ratio पर भी खरीद सकते हैं।
पढ़ें – शेयर मार्केट में अकाउंट कैसे खोलें
P/E Ratio का उपयोग कैसे करें?
आपने PE Ratio meaning in Hindi तो समझ लिया लेकिन अब अगला सवाल आता हैं की P/E रेश्यो का उपयोग कैसे करें। P/E रेश्यो एक बहुत महत्वपूर्ण फाइनेंशियल रेश्यो होता हैं जिसका उपयोग आपको शेयर चुनते समय जरूर करना चाहिए।
निम्न पॉइंट्स की मदद से आप P/E रेश्यो का बेस्ट उपयोग कर सकते हैं –
(i) मान लीजिये SBI बैंक जिसका वर्तमान में P/E रेश्यो 50 हैं और HUL जिसका P/E रेश्यो 100 हैं। अब आपको यहां पीई रेश्यो के अनुसार SBI बैंक का शेयर HUL के मुकाबले सस्ता लगेगा।
परन्तु क्या वास्तव में ऐसा हैं? SBI जो की एक बैंकिंग सेक्टर की कंपनी हैं और HUL जो की एक FMCG कंपनी हैं। इन दोनों अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों में तुलना कैसे की जा सकती हैं।
तो आखिर पीई रेश्यो का उपयोग कैसे किया जाये?
कभी भी पीई रेश्यो का इस्तेमाल अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों के बीच तुलना करने में नहीं किया जा सकता।
अगर आपको एसबीआई बैंक का वैल्यूएशन करना है तो आपको बैंकिंग सेक्टर की किसी कंपनी से इसकी तुलना करनी होगी या सम्पूर्ण बैंकिंग सेक्टर से। जैसे की किसी एक कंपनी का पीेई रेश्यो होता है ठीक वैसे ही संपूर्ण इंडस्ट्री का भी पीई रेश्यो होता है।
Industry PE Ratio in Hindi
इंडस्ट्री PE एक ही सेक्टर की सभी कंपनियों के औसत PE के आधार पर निकाला जाता हैं।
बैंकिंग सेक्टर का पीई रेश्यो सभी बैंकों के पीई रेश्यो के औसत से मिलकर बना होता हैं। मान लेते हैं कि वर्तमान में बैंकिंग सेक्टर का पीई रेश्यो 65 हैं। इसका मतलब हुआ की एसबीआई बैंक जिसका पीई रेश्यो 50 है अपने सेक्टर के पीई रेश्यो से कम पर ट्रेड कर रहा है। इस प्रकार एसबीआई आपको सेक्टर के औसत पीई रेश्यो के मुकाबले सस्ता मिल रहा है।
दूसरी ओर अगर FMCG सेक्टर जिसका पीई रेश्यो 80 है। वही HUL का पीई रेश्यो 100 है इसका मतलब हुआ कि एचयूएल अपने सेक्टर के औसत पीई रेश्यो से ज्यादा भाव पर चल रहा है।
HUL शेयर का पीई, इंडस्ट्री पीई रेश्यो से ज्यादा ट्रेड करने के कारण इस कंपनी को ओवरवैल्यूड कहा जा सकता है।
(ii) ऐसा नहीं है कि कोई शेयर अपने इंडस्ट्री के पीेई से महंगा है तो वो करेक्ट होगा ही। अगर उस शेयर में इनकम कमाने की अच्छी क्षमता है तो निवेशक उसे ऊंचे दाम पर भी खरीदने को तैयार होंगे। जिससे उसका प्राइस टू अर्निंग रेश्यो बढ़ता रहेगा।
(iii) पीई रेश्यो का उपयोग करने का दूसरा तरीका है एवरेज मेथड। आपको जिस भी स्टॉक का विश्लेषण करना है उसके लगभग 5 वर्ष का एवरेज पीई रेश्यो चेक कीजिए।
यदि उस स्टॉक का एवरेज पीई रेश्यो वर्तमान पीेई रेश्यो से ज्यादा है तो वह स्टॉक अपने औसत पीई से कम प्राइस पर ट्रेड कर रहा है।
ये आपके लिए उस शेयर को खरीदने का संकेत हैं। जैसे की ICICI बैंक का 5 वर्ष का पीई रेश्यो 50 है और वो अभी 40 के पीई रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है तो इसे अपने हिस्टोरिकल पीई रेश्यो से सस्ता कहा जाएगा।
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क्या ज्यादा पीई रेश्यो वाले शेयर को नहीं खरीदना चाहिए?
आपने ये तो समझ लिया की P/E रेश्यो क्या होता हैं लेकिन अब बात करते हैं की क्या ज्यादा पीई रेश्यो वाले शेयर को नहीं खरीदना चाहिए।
ये बात सही हैं की किसी स्टॉक का पीई रेश्यो जितना ज्यादा होगा वो उतना महंगा होगा। लेकिन किसी शेयर को बस उसके पीई के आधार पर ही ख़रीद लेना सही नहीं हैं। चलिए इसके लिए कुछ उदाहरण देखते हैं –
ABC कंपनी | Year – 1 | Year – 2 | Year – 3 |
EPS | 10 | 11 | 12 |
Market Price per Share | 100 | 110 | 120 |
P/E Ratio | 10 | 10 | 10 |
XYZ कंपनी | |||
EPS | 10 | 20 | 40 |
Market Price per Share | 150 | 500 | 1600 |
P/E Ratio | 15 | 25 | 40 |
आप ऊपर दी गई दोनों कंपनी में से किस कंपनी को चुनना पसंद करोगे? कंपनी ABC जो अपनी अर्निंग को हर साल 10% से बढ़ा रही है और उसका P/E भी 10 पर मेंटेन है। या कंपनी XYZ जो हर साल अपनी अर्निंग को दुगना कर रही है जिसकी वजह से उसका पीई 15 से बढ़कर 40 तक पहुंच गया है।
P/E रेश्यो चाहे दूसरी कंपनी का ज्यादा हैं परन्तु इसने ग्रोथ भी बहुत बढ़िया दिखाई हैं जो इसके हाई पी ई को जस्टिफाई करता हैं।
निष्कर्षतः देखा जाए तो अर्निंग बढ़ने के कारण PE रेश्यो में इजाफा एक अच्छा संकेत माना जाता हैं।
चलिए इसे एक दूसरे उदाहरण से देखते हैं –
ABC कंपनी | Year – 1 | Year – 2 | Year – 3 |
EPS | 100 | 80 | 50 |
Market Price per Share | 2000 | 1200 | 500 |
P/E Ratio | 20 | 15 | 10 |
XYZ कंपनी | |||
EPS | 10 | 30 | 70 |
Market Price per Share | 100 | 450 | 1400 |
P/E Ratio | 10 | 15 | 20 |
इसमें कंपनी ABC का PE Ratio 20 से घटकर 10 पर पहुंच गया है। PE घटने का मुख्य कारण कंपनी की इनकम में गिरावट हैं। इसलिए PE Ratio कम होने के बावजूद भी ये कंपनी न तो बिल्कुल आकर्षक हैं न ही अंडरवैल्यूड है।
दूसरी ओर कंपनी XYZ जिसकी अर्निंग काफी ज्यादा बढ़ रही है परंतु उसके मुकाबले उसका शेयर प्राइस नहीं बढ़ रहा है। इसमें EPS 7 गुना तक पहुंच गया हैं परन्तु P/E Ratio मात्र 2 गुना हुआ हैं।
कम P/E Ratio होने के अनेक कारण हो सकते हैं। ये कंपनी निवेश के लिए अच्छी कंपनी हो सकती हैं बशर्ते ये बाकी पैरामीटर्स पर खरी उतरे। यहाँ XYZ कंपनी हाई ग्रोथ और मॉडरेट पीई वाली कंपनी है।
Low P/E Ratio होने के कारण
- स्टॉक अंडरवैल्यूड हो सकता हैं।
- कंपनी की Low ग्रोथ और कम प्रॉफिट।
- भविष्य में अच्छे प्रदर्शन की संभावना नहीं।
PE रेश्यो के कम होने का एक कारण या उपरोक्त सभी कारण एक साथ भी हो सकते हैं।
High P/E Ratio होने के कारण
- स्टॉक ओवरवैल्यूड हो सकता हैं।
- कंपनी की हाई ग्रोथ।
- भविष्य में बहुत ज्यादा ग्रोथ की गुंजाइश।
PE Ratio कितना होना चाहिए | What is a good P/E Ratio in Hindi
अब बात आती हैं की PE रेश्यो कितना होना चाहिए। वैसे P/E रेश्यो का कोई मानक (standard) तय नहीं है। लेकिन आप कंपनी के PE को उसके सेक्टर PE से तुलना कर सकते हैं।
साथ ही आप कंपनी के PE की तुलना उसके प्रतिद्वंद्वी कंपनी के PE से कर सकते हैं। इससे आपको अंदाजा लग जाएगा की आपको जो PE मिल रहा है वह कम है या ज्यादा।
इसके अतिरिक्त आप शेयर के पिछले 2-3 वर्ष का औसत P/E Ratio से भी अनुमान लगा सकते हैं, की कंपनी का शेयर अभी सस्ता हैं महंगा। आप एवरेज PE रेश्यो को स्क्रीनर की वेबसाइट से देख सकते हैं।
हालांकि आपको अच्छे क्वॉलिटी शेयर्स का PE हमेशा हाई ही मिलेगा। इसका ये मतलब कतई नहीं हैं की हमें ऐसी कंपनियों को कभी नहीं खरीदना चाहिए। आप ऐसी कंपनियों को धीरे-धीरे करके SIP मोड में खरीद सकते हैं।
TTM PE क्या होता हैं | TTM PE Meaning in Hindi
TTM का फुल फार्म होता है Trailing Twelve Months. एकाउंटिंग में वित्तीय आंकड़ों की रिपोर्टिंग के लिए पिछले 12 महीनों के डाटा के लिए TTM शब्द का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार TTM P/E शेयर के पिछले एक साल का PE Ratio होता हैं। TTM पीई को करंट शेयर प्राइस को पिछले 4 क्वार्टर्स के ईपीएस से विभाजित करके निकाला जाता है। TTM पीई की गणना करना आसान कार्य है, क्योंकि सभी कंपनियां हर तिमाही में ईपीएस सहित वित्तीय परिणाम घोषित करती हैं।
PE Ratio की सीमाएं | Limitations of P/E Ratio
हालाँकि पी ई रेश्यो किसी कंपनी को जज करने का बहुत ही अच्छा तरीका है परंतु अकेले PE को देखकर कभी भी शेयर नहीं खरीदा जा सकता। P/E रेश्यो की कुछ सीमाएं जिनका आपको ध्यान रखना आवश्यक है।
- प्राइस टू अर्निंग रेश्यो केवल अर्निंग्स के आधार पर निकाला जाता है। इसमें कंपनी के डेब्ट को इग्नोर किया जाता है। कोई कंपनी आपको अच्छे P/E रेश्यो पर मिल सकती है। परंतु उस कंपनी में बहुत ज्यादा ऋण हो सकता है जो किसी भी कंपनी के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता।
- P/E रेश्यो यह मानता है कि कंपनी की अर्निंग स्थिर रहेगी परंतु ऐसा नहीं होता। कंपनी की अर्निंग बदलती रहती हैं। कंपनी की अर्निंग अन्य कई फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है।
- सामान्यतः कोई कंपनी जिसका P/E रेश्यो 15 है और एक कंपनी जिसका P/E रेश्यो 10 है। इसमें 10 के PE वाली कंपनी सस्ती मानी जाएगी। परंतु PE रेश्यो आपको ये नहीं बताएगा की कौनसी कंपनी क्वालिटी अर्निंग कर रही है।
- P/E रेश्यो स्टॉक की करंट मार्केट प्राइस के आधार पर निकाला जाता है जो ट्रेडिंग डे को रोज बदलती रहती है। इस वजह से आपको PE गलत पिक्चर दे सकता है।
किसी कंपनी का पीई रेश्यो कैसे देखे?
आप किसी भी कंपनी का PE रेश्यो मनीकंट्रोल की वेबसाइट, स्क्रीनर की वेबसाइट या इनकी मोबाइल एप्प के माध्यम से देख सकते हैं। यहां आपको कंपनी का PE, कंसोलिडेटेड PE और सेक्टर PE की जानकारी एक साथ मिल जाती है।
इनके अतिरिक्त आप टिकरटेप, मॉर्निंग स्टार, वैल्यू रिसर्च आदि वेबसाइट भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
किसी भी एक अच्छे शेयर को परखने के लिए कई पैरामीटर होते हैं। उसमें से ही एक पैरामीटर है P/E रेश्यो। ऐसा नहीं है कि आप मात्र P/E रेश्यो के आधार पर बेस्ट स्टॉक चुन सकते हैं। हां, बेकार स्टॉक्स को फ़िल्टर करने के लिए PE रेश्यो आपकी बहुत मदद करता हैं।
इसलिए अकेले PE रेश्यो के आधार पर शेयर नहीं ख़रीदे जा सकते हैं। ये स्टॉक रिसर्च में मात्र एक छोटी सी सीढ़ी हैं।
आज आपने इस पोस्ट में सीखा की PE रेश्यो क्या होता है, (PE Ratio in Share Market in Hindi), पीई रेश्यो कितना होना चाहिए
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FAQ
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P/E Ratio की फुल फॉर्म क्या होती हैं?
P/E Ratio का मतलब होता हैं Price to Earning रेश्यो।
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पीई रेश्यो कितना होना चाहिए?
पीई रेश्यो का कोई स्टैंडर्ड नहीं है। आप कंपनी के पीई को उसके सेक्टर पीई से तुलना कर सकते हैं या कंपनी के PE की तुलना उसके प्रतिद्वंद्वी कंपनी के PE से कर सकते हैं।
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क्या केवल P/E Ratio द्वारा ही अच्छे शेयर का चुनाव सही है?
बिलकुल नहीं, आपको अन्य पैरामीटर्स भी देखने होते हैं। पीई रेश्यो मात्र एक डाटा हैं जिससे कंपनियां नहीं चुनी जा सकती।
P/E रेश्यो को काफी अच्छा समझाया गया है जो की नए निवेशकों के लिए काफी उपयोगी है।
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