शेयर Buy Back क्या होता हैं | बायबैक के लिए अप्लाई कैसे करे

यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आपने Share Buy Back का नाम तो सुना ही होगा। शेयर मार्केट में निवेश करने वाले प्रत्येक निवेशक को शेयर बाय बैक के बारें में सही जानकारी होनी चाहिए। जिससे की आपको समय पड़ने पर समस्या का सामना न करना पड़े।

अब यह सवाल खड़ा होता है कि शेयर बाय बैक क्या होता है, शेयर बायबैक कैसे काम करता है और आखिर में कंपनियां अपने शेयर बाय बैक क्यों करती है। तो दोस्तों, आज इन सभी सवालों का जवाब आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगा।

शेयर बायबैक क्या होता है | Buy Back of Shares meaning in Hindi

Share Buy Back kya hai

शेयर बाय बैक एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमें कंपनी खुद के शेयर शेयरहोल्डर्स से वापस खरीदती हैं। इस प्रकार शेयर बायबैक या शेयर को वापस खरीदना एक कॉर्पोरेट एक्शन होता है जिसमें कोई कंपनी अपने शेयर्स वापस शेयर धारकों से खरीदती है।

अधिकतर बायबैक करने वाली कंपनी करंट मार्केट प्राइस से अधिक प्राइस देकर अपने शेयर्स वापस खरीदती है।

शेयर बायबैक कितने प्रकार का होता हैं?

सामान्यतः शेयर बाय बैक दो प्रकार से किया जा सकता हैं पहला टेंडर ऑफर और दूसरा ओपन मार्केट ऑफर। बाय बैक करने वाली कंपनी इन दोनों में से किसी भी एक विकल्प का प्रयोग करके अपने शेयर बायबैक कर सकती है।

टेंडर ऑफर बायबैक (Tender Offer Buyback)

इस प्रकार के बायबैक में कंपनी एक रिकॉर्ड डेट की घोषणा करती हैं। इस रिकॉर्ड डेट पर जिस निवेशक के पास उस कंपनी के शेयर्स डीमैट अकाउंट में पड़े होते हैं वहीं बायबैक के लिए अप्लाई कर सकता हैं।

अगर आपको टेंडर ऑफर बायबैक के तहत अप्लाई करना हैं तो आपको उस कंपनी के शेयर रिकॉर्ड डेट से 3 दिन पहले तक खरीदने होते हैं। इस प्रकार के बायबैक में कंपनी शेयर की करंट मार्केट प्राइस से ज्यादा पर बायबैक ऑफर करती हैं। क्योंकि ज्यादा कीमत देने से ही कोई व्यक्ति अपने शेयर बेचने को तैयार होगा।

टेंडर ऑफर बायबैक में कंपनी आमतौर पर 10 दिन का समय देती हैं जिसमें आपको बायबैक के लिए अप्लाई करना होता हैं। शेयर बायबैक के लिए आप अपने शेयर ब्रोकर के माध्यम से अप्लाई कर सकते हैं।

शेयर बायबैक में आप जितने शेयर के लिए आप अप्लाई करते हैं उतने शेयर आपके कंपनी स्वीकार करेगी या नहीं यह पूर्णतया इस बात पर निर्भर करता है कि शेयर बायबैक के लिए कितने प्रतिशत आवेदन प्राप्त हुए हैं। यदि आवेदन 1 गुना से अधिक हुए हैं तो समान अनुपात (proportionate) में शेयर बायबैक ऑफर को स्वीकार किया जाता है।

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जितने शेयर आपके कंपनी के के द्वारा स्वीकार किये जाते हैं वो आपके डीमैट अकाउंट से डेबिट हो जायेंगे। अगले 10 के अंदर आपके पैसे बायबैक प्राइस के अनुसार आपके डीमैट अकाउंट से लिंक बैंक अकाउंट में क्रेडिट हो जायेंगे।

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ओपन मार्केट ऑफर (Open Market Offer)

जैसा कि इस ऑप्शन के नाम से ही पता चल रहा है की इस विकल्प में कंपनियां नॉर्मल ट्रेडिंग hours के दौरान एक सामान्य निवेशक की भांति ओपन मार्केट से कंपनी के शेयर वापस खरीदती है।

जो कंपनी बायबैक करती है वह पहले तय करती है कि उसे कितने शेयर खरीदने हैं और कितनी प्राइस तक खरीदने हैं। इस प्रकार वह आमतौर पर 6 महीने के अंदर अपने शेयर बायबैक को कंप्लीट कर लेती हैं।

उदाहरण के लिए एबीसी लिमिटेड है जो कि ओपन मार्केट से बाय बैक ऑफर लेकर आती है। इस कंपनी के एक शेयर की कीमत अभी ₹100 चल रही हैं।

कंपनी ₹120 की प्राइस तक अपने एक लाख शेयर वापस बाय बैक करना चाहती हैं। इसके लिए कंपनी प्रत्येक ट्रेडिंग दिवस पर थोड़े-थोड़े शेयर ओपन मार्केट से खरीदती चली जाती हैं।

इस दौरान यदि शेयर की कीमत बढ़कर ₹120 से अधिक हो जाती है तो कंपनी अपने बायबैक को स्टॉप कर देती है। जैसा कि इस ऑप्शन में कंपनी सीधे ओपन मार्केट से शेयर खरीदती है तो इसमें दूसरे निवेशकों के लिए भाग लेने का कोई भी अवसर नहीं होता है।

कंपनी शेयर Buy Back क्यों करती हैं?

अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि कोई कंपनी आखिर में अपने शेयर खुद क्यों बायबैक करती है। इसका पहला कारण है कि कंपनी को ऐसा लगता है कि कंपनी के शेयर का मूल्य अभी अंडरवैल्यूड है। इसलिए कंपनी अपने शेयर वापस खरीदकर कंपनी की ओनरशिप में वृद्धि करना चाहती है।

जैसे कि एक कंपनी है XYZ लिमिटेड जिसकी कुल वैल्यू ₹100 करोड़ है और कंपनी के कुल शेयर 10 करोड़ हैं। इस प्रकार कंपनी के एक शेयर की वैल्यू ₹10 हुई।

यदि कंपनी 1 करोड़ शेयर वापस खरीद लेती हैं तो एक शेयर की वैल्यू बढ़कर लगभग ₹11.11 हो जाएगी। (₹100 / 9 करोड़ शेयर)

शेयर बाय बैक करने का दूसरा कारण होता है कंपनी अपने फाइनेंसियल रेश्यो में सुधार करना चाहती है।

बायबैक ऑफर के बाद मार्केट में शेयर कम होने की वजह से कंपनी के EPS में सुधार होता है। इसके अलावा कंपनी के P/E रेश्यो में भी गिरावट आती है जिससे कि कंपनी थोड़ी सस्ती दिखने लगती है। ऐसा होने से ज्यादा निवेशक कंपनी के शेयर को बाय करते हैं जिससे कंपनी के शेयर का दाम बढ़ जाता हैं।

शेयर बायबैक के फायदे | Benefits of Share Buyback

पहला फायदा यह है कि कंपनी के टेंडर बायबैक ऑफर में यदि हमने शेयर सस्ते दाम पर खरीद रखे हैं और कंपनी ज्यादा प्राइस पर बायबैक ऑफर करती है। तो हम ज्यादा प्राइस में कंपनी के शेयर को बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हैं।

यदि हम बायबैक ऑफर में भाग नहीं लेते हैं तो भी बायबैक के बाद में हमारे शेयर्स की वैल्यू बढ़ जाती है और साथ में हमको अधिक डिविडेंड भी प्राप्त होता है। मार्केट में शेयर्स की संख्या कम होने से प्रॉफिट कम शेयर धारकों में विभाजित होता हैं जिससे प्रत्येक शेयरहोल्डर को अधिक डिविडेंड प्राप्त होता है।

जैसे कि एक्स लिमिटेड के वर्तमान में 20 लाख शेयर मौजूद हैं और वह ₹20 लाख ही डिविडेंड के रूप में बांटती है। इस प्रकार प्रत्येक शेयरहोल्डर को ₹1 का डिविडेंड मिलेगा। वहीं अगर कंपनी दो लाख शेयर बायबैक के द्वारा वापस खरीद लेती है तो अब केवल 18 लाख शेयर बचेंगे।

यदि कंपनी ₹20 लाख ही डिविडेंड के रूप में बांटती है तो अब प्रत्येक शेयरहोल्डर को ₹1.11 का डिविडेंड प्राप्त होगा।

शेयर बायबैक के लिए कैसे आवेदन करें?

शेयर बायबैक क्या होता हैं जानने के बाद अब अगला सवाल आता हैं की शेयर बायबैक के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें। शेयर बायबैक के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको अपने स्टॉक ब्रोकर के डैशबोर्ड में जाना होगा।

उस डैशबोर्ड से आप शेयर बायबैक के लिए अप्लाई कर सकते हैं। एप्लीकेशन में आपको अपने द्वारा बेचे जाने वाले शेयर की संख्या दर्ज करनी होती हैं। शेयर बायबैक के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आप अपने स्टॉक ब्रोकर के कस्टमर सपोर्ट की मदद भी ले सकते हैं।

बायबैक ख़त्म होने के बाद R&T एजेंट के माध्यम से शेयर डीमैट अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं। इसके अगले 10 दिन के भीतर पैसे आपके डीमैट अकाउंट से लिंक बैंक अकाउंट में सीधे क्रेडिट हो जाते हैं।

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निष्कर्ष

अगर सारांश में बात की जाए तो शेयर बायबैक एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें कंपनी स्वयं के शेयर वापस मार्केट से खरीदती हैं।

मैंने ऊपर आर्टिकल में आपको समझाया है कि शेयर बायबैक क्या होता है, शेयर बायबैक कितने प्रकार का होता है और शेयर बायबैक में कैसे अप्लाई करें। इसलिए यदि अगली बार कोई कंपनी शेयर बाय बैक का प्रस्ताव लेकर आती है तो उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद में कोई समस्या नहीं होगी।

आशा करता हूं कि यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा। इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया नेटवर्क पर जरूर शेयर करें और यदि आपके कोई सवाल है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।

FAQ

  1. शेयरों के बायबैक का क्या मतलब है?

    जब कोई कंपनी ओपन मार्केट में अपने उपलब्ध शेयरों की संख्या को घटाने के लिए अपने आउटस्टैंडिंग शेयरों को वापस खरीदती है तो उसे शेयर बायबैक कहा जाता है। बायबैक को शेयर पुनर्खरीद के नाम से भी जाना जाता है।

  2. कंपनी बाय बैक क्यों करती हैं?

    अंडर वैल्यूड शेयर की कीमत बढ़ाने और फाइनेंसियल रेश्यो में सुधार के लिए कंपनी बाय बैक करती हैं।

  3. बायबैक के लिए कैसे आवेदन करें?

    आप अपने स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से बायबैक के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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