अगर आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं तो आपने कई बार देखा होगा कि किसी शेयर में Upper Circuit और Lower Circuit लग जाने की वजह से ट्रेडिंग बंद हो जाती हैं।
आज हम इसी रोचक टॉपिक पर चर्चा करेंगे जिसमें शामिल होगा अपर सर्किट क्या होता है और लोअर सर्किट क्या होता हैं, ये कैसे काम करता हैं और इससे जुड़े हर सवाल का जवाब।
Upper Circuit and Lower Circuit Meaning
भारतीय स्टॉक मार्केट में सर्किट लिमिट सेबी के द्वारा पहली बार 2001 में लाई गई थी। सर्किट फिल्टर का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को किसी ट्रेडिंग डे पर स्टॉक में होने वाली उठा-पटक के नुकसान से बचाना हैं।
स्टॉक मार्केट में दो प्रकार के सर्किट होते हैं एक Upper Circuit और दूसरा Lower Circuit.
प्रत्येक इंडेक्स और स्टॉक का एक प्राइस बैंड होता हैं जिसमें एक ट्रेडिंग डे की ऊपर और नीचे की अधिकतम प्राइस तय होती हैं। कहने का मतलब हैं की प्रत्येक शेयर की एक दिन की अधिकतम और न्यूनतम रेंज तय कर ली जाती हैं। उस विशेष दिन को वो शेयर इस रेंज के बाहर नहीं जा सकता।
Upper Circuit और Lower Circuit क्या होता हैं?
सेबी ने अलग-अलग प्रकार के सर्किट लेवल तय किये हैं जो आमतौर पर 2%, 5%, 10% और 20% होते हैं। ये सर्किट फ़िल्टर उस मूल्य पर लागू किये जाते हैं जिस प्राइस पर स्टॉक अंतिम ट्रेडिंग डे पर बंद हुआ था।
चलिए Upper Circuit और Lower Circuit को एक उदाहरण से समझते हैं –
मान लेते हैं कि एक स्टॉक XYZ लिमिटेड हैं जो कि कल ₹100 पर बंद हुआ था। अगर इस शेयर पर 10% की सर्किट लिमिट हैं तो आज के दिन इसका प्राइस बैंड होगा ₹90 – 110.
यानी के आज के दिन ये शेयर न तो ₹90 से नीचे जा सकता हैं न ही ₹110 से ऊपर। यदि XYZ लिमिटेड का शेयर ₹90 या ₹110 पर पहुंचता हैं तो XYZ लिमिटेड पर ट्रेडिंग रोक दी जाएगी।
यदि स्टॉक ऊपर की प्राइस यानी कि ₹110 पर पहुंचता हैं तो इसे Upper Circuit कहा जाएगा।
वैसे ही अगर शेयर नीचे की प्राइस पर पहुंचता हैं जो की इस उदाहरण में ₹90 हैं तो इसे Lower Circuit कहा जाएगा।
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Upper Circuit Meaning in Hindi
जब किसी शेयर की कीमत सर्किट लेवल के ऊपरी स्तर पर पहुँच जाती हैं तो उसे Upper Circuit कहां जाता हैं। Upper Circuit में मात्र Buyers मौजूद होते हैं।
Lower Circuit Meaning in Hindi
जब किसी शेयर की कीमत सर्किट लेवल के निचले स्तर पर पहुँच जाती हैं तो उसे Lower Circuit कहां जाता हैं। Lower Circuit में मात्र Sellers मौजूद होते हैं।
शेयर पर सर्किट क्यों लगता हैं?
किसी स्टॉक पर सर्किट लगने के अनेक कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी शेयर में कोई पॉजिटिव खबर हैं जिससे उस शेयर की हाई डिमांड की वजह से शेयर में अप्पर सर्किट लग सकता हैं।
इसके विपरीत यानी कि स्टॉक संबंधित कोई खराब न्यूज़ होने की वजह से स्टॉक में लोअर सर्किट भी लग सकता हैं।
- स्टॉक की सप्लाई की अपेक्षा डिमांड ज्यादा होना – Upper Circuit
- स्टॉक की डिमांड कम होना और सप्लाई ज्यादा होना – Lower Circuit
Circuit Filters कौन तय करता हैं?
स्टॉक्स और Indices के लिए सर्किट फिल्टर्स मार्केट रेगुलेटर सेबी के द्वारा तय किया जाते हैं। यह सर्किट फिल्टर स्टॉक की मार्केट वोलेटिलिटी को ध्यान में रखते हुए या स्टॉक में कोई असामान्य गतिविधि (unusual activity) को रोकने हेतु तय किए जाते हैं।
समय-समय पर मार्केट गतिविधियों के आधार पर स्टॉक फिल्टर revise किए जाते हैं। यदि कोई स्टॉक में किसी ट्रेडिंग डे पर कोई सर्किट लगा हैं तो उस सर्किट की लिमिट को उसी दिन बदला भी जा सकता हैं।
- ऐसे स्टॉक जिनमें अच्छी लिक्विडिटी देखी जाती हैं उनमें सर्किट फिल्टर बढ़ा दिया जाता हैं।
- ऐसे शेयर जिसमें लिक्विडिटी की मात्रा कम होती हैं उसके सर्किट फ़िल्टर को कम किया जा सकता हैं।
सेबी के द्वारा इस प्रकार के एडजस्टमेंट निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए जाते हैं।
F&O (Futures & Options) में ट्रेड होने वाले शेयर्स में Upper circuit और Lower circuit नहीं लगता। इनमें मात्र टेम्पररी फ्रीज होता हैं।
क्या इंडेक्स में भी सर्किट लगता हैं?
स्टॉक्स में तो सर्किट लगता ही हैं साथ में इंडेक्स भी सर्किट फिल्टर के दायरे में आता हैं। इंडेक्स जैसे कि सेंसेक्स, निफ़्टी, बैंक निफ़्टी।
इंडेक्स में सर्किट लगने की शर्तों को आप इस टेबल से समझ सकते हैं –
TRIGGER LIMIT | TRIGGER TIME | MARKET HALT DURATION | PRE-OPEN CALL AUCTION SESSION POST-MARKET HALT |
---|---|---|---|
10% | Before 1:00 pm. | 45 Minutes | 15 Minutes |
At or after 1:00 pm up to 2.30 pm | 15 Minutes | 15 Minutes | |
At or after 2.30 pm | No halt | Not applicable | |
15% | Before 1 pm | 1 hour 45 minutes | 15 Minutes |
At or after 1:00 pm before 2:00 pm | 45 Minutes | 15 Minutes | |
On or after 2:00 pm | Remainder of the day | Not applicable | |
20% | Any time during market hours | Remainder of the day | Not applicable |
Lower और Upper सर्किट लगने पर क्या होता हैं?
अगर किसी स्टॉक पर ट्रेडिंग डे के दौरान कोई भी सर्किट लगता हैं तो उस दिन पर स्टॉक ट्रेडिंग बंद हो जाती हैं।
यदि किसी शेयर पर upper सर्किट लगता हैं तो इसका मतलब हैं कि उस शेयर के लिए Buyers बहुत ज्यादा हैं। लेकिन sellers मौजूद नहीं हैं। इसकी वजह से हाई डिमांड और लॉ सप्लाई की वजह से Upper circuit हिट होता हैं।
यदि Upper सर्किट में कोई निवेशक शेयर बेचना चाहता हैं तो वह अपने शेयर बेच सकता हैं। क्योंकि Upper circuit में बहुत सारे buyers मौजूद होते हैं।
उसी प्रकार कोई शेयर लोअर सर्किट हिट करता हैं तो उसमें बहुत सारे sellers मौजूद होते हैं। लॉ डिमांड और हाई सप्लाई की वजह से शेयर पर लोअर सर्किट लगता हैं।
Lower Circuit में बहुत सारे sellers होते हैं इसलिए अगर किसी को लोअर सर्किट पर शेयर खरीदना हैं तो वो शेयर खरीद सकता हैं।
अपर सर्किट और लोअर सर्किट से संबंधित महत्वपूर्ण पॉइंट्स
- सर्किट फिल्टर स्टॉक की प्रीवियस क्लोजिंग प्राइस पर लागू होते हैं। इसका मतलब हैं की मार्केट प्राइस के अनुसार सर्किट प्राइस बैंड रोज बदलता हैं।
- सर्किट फिल्टर्स की जानकारी आप स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट और मनीकंट्रोल से प्राप्त कर सकते हैं।
- Upper सर्किट लगने पर सिर्फ buyers मौजूद होते हैं जबकि Lower सर्किट लगने से सिर्फ सेलर मौजूद होते हैं।
सर्किट ब्रेकर के फायदे और नुकसान
Pros :
- सर्किट ब्रेकर का सबसे बड़ा फायदा हैं कि इससे ट्रेडिंग कुछ समय के लिए हॉल्ट हो जाती हैं। इससे निवेशक शेयर ट्रिगर के बारे में बेसिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपना इन्वेस्टमेंट निर्णय ले सकते हैं।
- यह निवेशकों को speculative ट्रेडिंग से बचाता हैं जिससे कि निवेशक को भारी नुकसान हो सकता हैं।
- जिन स्टॉक्स में कम लिक्विडिटी होती हैं उनमें सर्किट फ़िल्टर बहुत उपयोगी होते हैं।
Cons :
- सर्किट के दौरान स्टॉक की रियल प्राइस मूवमेंट बंद हो जाती हैं।
- जिन निवेशकों को मार्केट न्यूज़ का पता होता हैं वे इसका फायदा ले सकते हैं। इसके विपरीत जिन निवेशकों को इस मार्केट न्यूज़ का पता नहीं होता वे अधिक नुकसान उठा सकते हैं।
निष्कर्ष
किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले आपको उसकी समस्त जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। अगर आप एक long-term निवेशक हैं तो आपको लोअर सर्किट और अपर सर्किट से कोई खास फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
लेकिन जो ट्रेडर्स होते हैं उनके लिए लोअर सर्किट और अपर सर्किट काफी महत्वपूर्ण होता हैं। अगर वे इसका सही इस्तेमाल करते हैं तो वे काफी अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आपको अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता हैं (Upper Circuit and Lower Circuit meaning) की जानकारी अच्छी लगी होगी। यह जानकारी आप अपने सोशल मीडिया नेटवर्क से अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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