डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड क्या हैं | कम रिस्क के साथ रेगुलर इनकम

डेब्ट मार्केट एक बहुत बड़ा मार्केट हैं जिसमें लोग प्रॉफिट कमाने के लिए अपनी कमाई को लगाते हैं। Debt Fund में आपको बहुत ही मामूली रिस्क पर 7 से 8% का रिटर्न मिल जाता हैं वो भी हाई लिक्विडिटी के साथ में। डेब्ट फण्ड को आप बिना पेनल्टी के कभी भी रीडम करवा सकते हैं। ऐसे निवेशक जो कम रिस्क के साथ में प्रॉफिट कमाना चाहते हैं उनके लिए डेब्ट फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं। हालांकि डेब्ट फंड इक्विटी फंड के मुकाबले कम रिटर्न देते हैं।

इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि डेब्ट म्यूचुअल फंड क्या होते हैं (Debt Fund meaning), डेब्ट म्यूचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं और डेट फंड के बारे में संपूर्ण जानकारी।

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड क्या हैं (What is Debt Mutual Fund)

Debt Mutual Fund meaning in Hindi

डेट म्यूचुअल फंड के बारे में बात करने से पहले हम जान लेते हैं की डेब्ट इंस्ट्रूमेंट क्या होते हैं। अगर बिल्कुल आसान भाषा में समझे तो डेब्ट फण्ड में किसी व्यक्ति को पैसा उधार दिया जाता हैं। जिसके बदले वह व्यक्ति उधार देने वाले को एक डेब्ट इंस्ट्रूमेंट जारी करता हैं। उधार लेने वाला व्यक्ति एक निश्चित समय के बाद में एक निश्चित ब्याज दर के साथ पैसा वापस कर देता हैं। पैसा वापस लौटने पर उधार देने वाला डेब्ट इंस्टूमेंट ऋणी को वापस कर देता हैं।

इन्हें डेब्ट फंड इसलिए कहा जाता हैं कि इंस्ट्रूमेंट को जारी करने वाला उधारदाता से ऋणपत्र (instrument) के बदले उधार लेता हैं।

डेब्ट म्युचुअल फंड वह फंड होते हैं जो अपना पैसा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, कमर्शियल पेपर, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD), ट्रेजरी बिल्स और अन्य मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं।

वे सभी सिक्योरिटीज जिसमें डेब्ट फंड इन्वेस्ट करते हैं उनमें एक निश्चित ब्याज की दर होती हैं। इसकी वजह से इन्हें फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज भी कहा जाता हैं। साथ ही इन इंस्ट्रूमेंट में पूर्व निर्धारित मेच्योरिटी डेट भी होती हैं। फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट के कारण डेब्ट फंड के रिटर्न मार्केट की अनिश्चिताओं से अप्रभावित रहते हैं।

डेब्ट म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं (How do Debt Funds works)

डेब्ट इंस्ट्रूमेंट मुख्य तौर पर सरकार और कंपनियों के द्वारा जारी किए जाते हैं। डायरेक्ट डेब्ट फंड में निवेश करना एक आम निवेशक के लिए कठिन काम हो सकता हैं। साथ ही डायरेक्ट डेब्ट फंड में इन्वेस्ट करने के लिए बहुत ही बड़ी राशि की भी आवश्यकता होती हैं।

इसलिए डेट फंड में निवेश करने के लिए डेट म्यूचुअल फंड का कांसेप्ट लाया गया। डेट म्यूचुअल फंड डेट फंड में इन्वेस्ट करने का एक इनडायरेक्ट तरीका हैं।

एक निवेशक के तौर पर आप जो पैसा फण्ड हाउस को देते हैं वह पैसा फंड हाउस डेट फंड इंस्ट्रूमेंट खरीदने में लगाता हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड में AMC निवेशकों के पैसों से शेयर खरीदती हैं जबकि डेट फंड में AMC निवेशकों का पैसा फाइनेंसियल इंसीटूशन्स, सरकार और कंपनियों को उधार देती हैं।

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

डेब्ट म्यूच्यूअल फंड के लिए डेब्ट इंस्ट्रूमेंट चुनने का कार्य फंड मैनेजर के द्वारा किया जाता हैं। फण्ड मैनेजर फण्ड के लक्ष्यों के मुताबिक हाई क्वालिटी या लॉ क्वालिटी इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकता हैं।

इन डेब्ट इंस्ट्रूमेंट पर मिलने वाले ब्याज के आधार पर डेब्ट म्यूच्यूअल फंड का रिटर्न तय होता हैं।

डेब्ट म्यूचुअल फंड के फायदे (Benefits of Debt Mutual Fund)

(i) पोर्टफोलियो में विविधता – अगर आप अपने पोर्टफोलियो में डेब्ट म्यूचुअल फंड ऐड करते हैं तो ये आपके पोर्टफोलियो को विविधता (diversification) प्रदान करता हैं। यह आपके पोर्टफोलियो को इक्विटी मार्केट की अस्थिरता से बचाता हैं।

(ii) कोई लॉक-इन-पीरियड नहीं – फिक्स्ड डिपाजिट या ELSS फण्ड जे जैसे डेब्ट फण्ड में कोई लॉक-इन-पीरियड नहीं होता। आप जब चाहे बिना किसी पेनल्टी के अपने पैसे निकाल सकते हैं।

(iii) इमरजेंसी फंड के रूप में – इमरजेंसी फंड के लिए डेट फंड म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प हो सकता हैं। अगर आपको इमरजेंसी फंड के रूप में कुछ पैसा रखना हो वो भी हाई लिक्विडिटी के साथ तो डेब्ट फण्ड, FD का अच्छा अल्टरनेट हो सकता हैं।

(iv) लॉ रिस्क – डेब्ट फण्ड मामूली रिस्क पर निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दे सकते हैं। अन्य निवेश विकल्पों के साथ ये आपकी रिस्क को मैनेज कर सकता हैं।

डेब्ट म्यूचुअल फंड के नुकसान (Drawbacks of Debt Mutual Fund)

(i) कम रिटर्न्स – अपनी सीमाओं के साथ डेब्ट फण्ड निवेशकों के लिए अच्छा रिटर्न नहीं बना पाते। खासतौर पर जब मार्केट में पर ब्याज दर गिरी हुई हो। जब अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं हो तो ये आपको FD से भी कम रिटर्न दे सकते हैं।

(ii) अतिरिक्त लागत – अगर आप डेब्ट फण्ड में म्यूच्यूअल फण्ड के माध्यम से निवेश करेंगे तो म्यूचुअल फंड हाउस (AMC) कुछ एक्सपेंस रेशों चार्ज करते हैं। इसकी वजह से Debt Fund के रिटर्न थोड़े कम हो जाते हैं।

(iii) गोल आधारित नहीं – डेब्ट फंड के माध्यम से आप अपने अतिरिक्त पैसों को पार्क कर सकते हैं या अपने शॉर्ट टर्म गोल्स को पूरा कर सकते हैं। परंतु लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए ये विकल्प अच्छा नहीं माना जाता।

(iv) क्रेडिट रिस्क – कई बार जिसे पैसा उधार दिया गया हैं वह अपना प्रिंसिपल और ब्याज वापस लौटा नहीं पाता। इसका सीधा नुकसान निवेशकों को होता हैं। ऐसा होने के चान्सेस तब बढ़ जाते हैं जब फण्ड हाउस लॉ क्वालिटी बांड्स में निवेश कर देते हैं।

(v) लिक्विडिटी रिस्क कई बार अधिक रिडेम्पशन रिक्वेस्ट आने की वजह से फण्ड मैनेजर को लिक्विडिटी की समस्या का सामना करना पड़ सकता हैं।

ये भी पढ़े –

Debt Mutual Fund के प्रकार (Types of Debt Mutual Funds)

मार्केट में कई प्रकार के डेब्ट फण्ड मौजूद हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया हैं –

(i) लिक्विड फण्ड – इस प्रकार के फंड अपना पैसा ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी अधिकतम 91 दिन की हो। लिक्विड फण्ड निवेशकों को हाई लिक्विडिटी प्रदान करते हैं। इनका निवेश मुख्यतः ट्रेज़री बिल्स, कमर्शियल पेपर्स और सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉज़िट में होता हैं।

लिक्विड फंड सेविंग अकाउंट और ऑफ शॉर्ट टर्म निवेश का एक अच्छा विकल्प माना जाता हैं। लिक्विड फण्ड क्या हैं की अधिक जानकारी आप यहां पढ़ सकते हैं।

(ii) मनी मार्केट फंड – ये अपना निवेश मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी अधिकतम 1 वर्ष की होती हैं।

(iii) डायनेमिक बॉन्ड फंड – ये फण्ड ऐसे डेब्ट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी ब्याज दरों के साथ में बदलती रहती हैं। इनमें कोई निश्चित मैच्योरिटी नहीं होती हैं।

(iv) अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड – इनका निवेश कम अवधि वाले इंस्ट्रूमेंट में होता हैं। यह मनी मार्केट जैसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। इनकी परिपक्वता अवधि 3 से 6 महीने होती हैं। जो निवेशक short-term के लिए अपना कैश मैनेजमेंट करना चाहते हैं उनके लिए ये बढ़िया माने जाते हैं।

(v) शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स – यह गवर्नमेंट और कॉर्पोरेट बांड्स में निवेश करते हैं जिनकी परिपक्वता अवधि 1 से 3 वर्ष होती हैं।

(vi) गिल्ट फण्ड – गिल्ट फंड मात्र गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जिनकी क्रेडिट रेटिंग हाई हो और क्रेडिट रिस्क कम हो। मात्र गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश करने के कारण इन फंड्स में रिस्क की मात्रा न के बराबर होती हैं।

ऐसे निवेशक जो बिल्कुल रिस्क लेना पसंद नहीं करते उनके लिए गिल्ट फंड बढ़िया चॉइस हो सकता हैं।

(vii) Credit opportunities Funds – तुलनात्मक रूप से नए डेट फंड हैं। इस प्रकार के फंड हाई रिस्क लेकर हाई रिटर्न कमाने की कोशिश करते हैं। इसलिए यह अपना पैसा लॉ रेटेड डेट फंड में इन्वेस्ट करते हैं। ऐसे डेब्ट फंड्स में जोखिम की मात्रा थोड़ी ज्यादा रहती हैं।

(viii) फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स – ये क्लोज एंडेड डेब्ट फंड होते हैं। यह फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि गवर्नमेंट बॉन्ड्स और कॉरपोरेट्स बॉन्ड्स में इन्वेस्ट करते हैं। इस प्रकार के फंड में पैसा एक निश्चित समय के लिए लॉक रहता हैं।

हालांकि इस प्रकार के फंड्स में आप शुरुआती दौर में ही निवेश कर सकते हैं बाद में इनमें नया निवेश नहीं किया जा सकता।

(ix) बैंकिंग एंड PSU फण्ड – ये फंड मुख्य रूप से बैंकिंग, PSU, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और मुंसिपल बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। इस प्रकार के इंस्ट्रूमेंट में इनका निवेश लगभग 80% रहता हैं।

डेब्ट म्यूच्यूअल फंड में कितनी रिस्क रहती है?

जोखिम की मात्रा निर्भर करती हैं कि आप किस प्रकार के डेट फंड में इन्वेस्ट कर रहे हैं। इक्विटी फंड के मुकाबले डेट फंड में काफी कम रिस्क होती हैं। ऐसे डेट फंड जो हाई रेटिंग वाले बॉन्ड्स और गवर्नमेंट बॉन्ड्स में अपना निवेश करते हैं उनमें  बहुत ही मामूली रिस्क होती हैं। क्योंकि यह अपना ऋण वापस चुका ही देते हैं।

लेकिन ऐसे डेट फंड जो अपना निवेश लॉ क्वालिटी बॉन्ड्स में करते हैं जो ब्याज दर भी अधिक ऑफर करते हैं उनमें डिफॉल्ट करने की संभावना भी ज्यादा होती हैं। इसलिए इसमें रिस्क भी ज्यादा होती हैं।

कुल मिलाकर डेट फंड में रिस्क होती जरूर है परंतु निश्चित ब्याज दर के कारण इसकी मात्रा काफी कम होती हैं।

डेब्ट फंड कितना रिटर्न देते हैं?

इक्विटी फंड के मुकाबले डेब्ट फण्ड कम रिटर्न ऑफर करते हैं। साथ में फिक्स रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं हैं। इंटरेस्ट रेट के आधार पर NAV (Net asset value) बदलती रहती हैं। यदि ब्याज दरों में इजाफा होता हैं तो NAV भी बढ़ती हैं और ब्याज दर कम होने पर NAV कम भी होती हैं।

आमतौर पर डेब्ट फण्ड 7 से 8% का रिटर्न ऑफर करते हैं परन्तु ये पूर्णतया बॉन्ड्स की ब्याज दरों पर निर्भर करता हैं। अगर मार्केट में बॉन्ड पर ब्याज दरें कम हैं तो डेब्ट फण्ड पर भी कम रिटर्न मिलेगा।

WhatsApp Join Now
Telegram Join Now

स्टॉक्स और म्यूच्यूअल फण्ड के लिए डीमैट अकाउंट

डेब्ट म्यूच्यूअल फंड एक्सपेंस रेशों

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड चुनते समय एक्सपेंस रेशों (Expense Ratio) एक बहुत ही महत्वपूर्ण पैमाना होता हैं। एक्सपेंस रेशों वो शुल्क होता हैं जो फण्ड हाउस फंड मैनेजमेंट फीस के रूप में वसूल करता हैं। सेबी ने डेब्ट फण्ड पर एक्सपेंस रेश्यो के लिए 2.25% की अधिकतम सीमा लगा रखी हैं।

ऐसे फंड्स के रिटर्न्स वैसे भी हाई नहीं होते इसलिए ज्यादा एक्सपेंस रेशों आपकी earnings को कम कर सकता हैं। इसलिए डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड का चुनाव करते समय एक्सपेंस रेश्यो पर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए।

Debt Mutual Fund Taxation

इस प्रकार के फंड के ऊपर होने वाले कैपिटल गैन पर कैपिटल गैन टैक्स देना होता हैं। यदि आप डेब्ट फण्ड को 3 वर्ष या 3 वर्ष से पूर्व ही बेच देते हैं तो होने वाला लाभ आपकी इनकम में जुड़कर आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता हैं।

डेब्ट फंड को 3 वर्ष के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता हैं। LTCG इंडेक्सेशन के बेनिफिट के बाद 20% की दर से कर योग्य होता हैं।

आपको टैक्स तभी देना होता हैं जब आपने अपने म्यूच्यूअल फण्ड को रीडम करवा लिया हो।

डेट फंड में किसे निवेश करना चाहिए (Who should invest in Debt Funds)

ये फंड उन निवेशकों के लिए सबसे बढ़िया माने जाते हैं जो लॉ से मॉडरेट रिस्क लेने को तैयार हैं। इक्विटी फंड में निवेश की अपेक्षा डेट फंड में कम रिस्क होती हैं।

ऐसे निवेशक जो रक्षात्मक रवैया अपनाकर शॉर्ट टर्म से मिड टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं वे अपने पोर्टफोलियो में डेब्ट फण्ड का एक्सपोजर ले सकते हैं। साथ ही अगर आपके पास में कुछ सरप्लस फंड हैं तो भी डेट फंड में निवेश किया जा सकता हैं।

अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना डेट फंड में निवेश करने का एक अन्य कारण हो सकता हैं। यदि आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का एक्सपोजर ज्यादा हैं तो आप डेट फंड में निवेश करके अपने जोखिम को कुछ कम कर सकते हैं।

डेब्ट फण्ड आपके पोर्टफोलियो की डाउनसाइड रिस्क को थोड़ी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

डेट फंड में कैसे इन्वेस्ट करें (How to invest in Debt Fund)

मुख्य रूप से डेट फंड में दो प्रकार से निवेश किया जा सकता हैं।

  1. Lump Sum
  2. SIP

यदि आपके पास में बहुत बड़ा कॉरपस हैं और आप उसे एक साथ इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आप लम सम कर सकते हैं।  इसमें लम सम करते समय मार्केट की स्थिति देखना इतना महत्वपूर्ण नहीं हैं।

दूसरी ओर अगर आप डेब्ट फंड में नियमित और अनुशासित रूप से निवेश करना चाहते हैं तो आप SIP के माध्यम से निवेश शुरू कर सकते हैं।

निष्कर्ष

अगर सारांश में बात की जाए तो डेब्ट म्यूच्यूअल फंड वो फण्ड होते हैं जो अपना पैसा गवर्नमेंट बॉन्ड्स, कॉरपोरेट बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल्स आदि इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। इन इंस्ट्रूमेंट में एक निश्चित ब्याज की दर होती हैं साथ में निश्चित मेच्योरिटी अवधि होती हैं।

इस प्रकार डेट फंड में पैसा इक्विटी मार्केट में नहीं लगा कर अलग-अलग के व्यक्तियों को उधार दिया जाता हैं जिसके बदले वे निश्चित ब्याज दर का भुगतान करते हैं।

दोस्तों, आज आपने समझा की डेट म्यूचुअल फंड क्या हैं (What is Debt Mutual Fund), डेट म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया नेटवर्क पर जरूर शेयर करें।

5/5 - (1 vote)

नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

Leave a Reply

Punji Guide