Liquid Funds क्या हैं | Liquid Funds vs FD

म्यूच्यूअल फंड्स कई प्रकार के होते हैं। उनमें से ही एक होता हैं Liquid Fund. अधिकांश फण्ड हाउस अपने निवेशकों को Liquid Funds में निवेश करने की सुविधा भी उपलब्ध करवाते हैं। Liquid Fund Investment कम अवधि के निवेश के लिए एक बेहतर विकल्प माना जाता हैं।

अपने अतिरिक्त कैश को सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपाजिट की बजाय लिक्विड फण्ड में डालना एक बेहतर विकल्प होता हैं। 

इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम बात करेंगे की Liquid Fund क्या होते हैं (Liquid Fund meaning in Hindi) और लिक्विड फंड्स और फिक्स्ड डिपाजिट में क्या अन्तर हैं?

Liquid Fund क्या हैं – What is Liquid Fund in Hindi

liquid fund meaning in hindi

Liquid Funds डेब्ट फंड्स का ही एक प्रकार हैं। लिक्विड फण्ड का निवेश म्यूच्यूअल फण्ड की तरह इक्विटी या स्टॉक मार्केट में नहीं किया जाता हैं बल्कि बॉन्ड्स में किया जाता हैं। ये बांड्स अल्पकालीन बॉन्ड होते हैं जिनकी परिपक्वता (maturity) 91 दिन से कम होती हैं।

इन बॉन्ड्स की ब्याज दर के आधार पर ही Liquid Funds का रिटर्न तय होता हैं।

Liquid Funds meaning in Hindi

जैसे की Liquid Fund के नाम से ही पता चल रहा हैं, इस प्रकार के फंड्स में Liquidity की मात्रा अत्यधिक होती हैं। इसमें आप कभी भी निवेश कर सकते हो और कभी भी अपना पैसा वापस निकाल सकते हो। इस प्रकार लिक्विड फण्ड आपके अतिरिक्त कैश को पार्क करने का एक विकल्प हैं।  

Liquid Fund को सेविंग अकाउंट और बैंक फिक्स्ड डिपाजिट का एक अच्छा अल्टरनेटिव माना जाता हैं।

Liquid Funds किसमें इन्वेस्ट करते हैं?

लिक्विड फंड्स द्वारा सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता हैं। ये फंड्स अपना पैसा बॉन्ड्स, Govt. Securities, डिबेंचर्स और ट्रेज़री बिल्स में निवेश करते हैं। इस प्रकार के बांड्स में पूर्व निर्धारित ब्याज दर होती हैं।

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

इन बांड्स की maturity 91 दिन तक की ही होती हैं। इस प्रकार ये बांड्स 91 दिनों के भीतर मैच्योर हो जाते हैं।

Liquid Funds Returns

इन फंड्स का रिटर्न्स 6 से 8% के बीच रहता हैं। Liquid Fund return पूर्णतया बॉन्ड्स और अन्य सिक्योरिटीज की ब्याज दर पर निर्भर करता हैं। अगर बॉन्ड्स की ब्याज दर ज्यादा हैं तो Liquid Fund return भी ज्यादा रहते हैं।

कोरोना वायरस लॉक डाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती की वजह से बॉन्ड्स की ब्याज दर में भी गिरावट देखी गई। इस दौरान लिक्विड फंड्स के रिटर्न्स 4 से 5% के आस -पास ही रहे।

अगर बाजार में सस्ती ब्याज दर पर पैसा उधार मिल रहा हैं तो फलस्वरूप बॉन्ड पर भी ब्याज की दर कम होगी। इसका सीधा असर लिक्विड फण्ड के रिटर्न पर पड़ता हैं। 

Liquid Funds में कितना रिस्क रहता हैं – Risk in Liquid Funds

लिक्विड फंड बिलकुल रिस्क फ्री नहीं माने जाते हैं। इनमें रिस्क होता हैं परन्तु इसकी मात्रा बहुत ही कम होती हैं। जैसा की Liquid Funds डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, इस वजह से ब्याज दर के उतार-चढ़ाव का जोखिम हमेशा बना रहता हैं। इसी वजह से लिक्विड फण्ड की NAV (Net Asset Value) में भी उतार-चढ़ाव रहता हैं।

इन फंड्स में दूसरी रिस्क क्रेडिट रिस्क होती हैं। कई बार हो सकता हैं की बॉन्ड्स का पैसा वापस न आये। आसान भाषा में समझे तो फण्ड हाउस ने जिसे अपना पैसा उधार दिया हैं, वह पार्टी वापस पैसा लौटा न पाए।

ऐसा अधिकतर कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में देखा जाता हैं। कई बार कंपनियां अपना उधार चुकाने में अक्षम रहती हैं। Govt. Bonds लगभग सुरक्षित माने जाते हैं। इन सब के बावजूद फण्ड मेनेजर के पोर्टफोलियो diversification के कारण Liquid Fund Investment में जोखिम प्रबंधनीय (manageable) होती हैं।

Exist Load in Liquid Funds

Liquid Funds में एंट्री लोड तो नहीं लगता परन्तु Exist Load जरूर होता हैं। सेबी के नए दिशा निर्देशानुसार अगर आप Liquid Fund में अपना निवेश 7 दिन के बाद बेचते हो तो आपको कोई भी एग्जिट लोड नहीं देना होता हैं।

परन्तु निवेश के 7 दिन के अंदर अपने इन्वेस्टमेंट को बेचने पर आपको मामूली सा Exist Load देना होता हैं। जिसे आप नीचे दी गई इमेज से समझ सकते हैं। 

exist load in liquid fund india

Liquid Fund कैसे काम करते हैं?

आप जब भी किसी लिक्विड फण्ड में पैसा जमा कराते हैं तो उस लिक्विड फण्ड का फण्ड मैनेजर आपका पैसा बांड्स, सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर देता हैं। पुराने बॉन्ड्स के परिपक्व होते ही वह नए बॉन्ड्स खरीद लेता हैं। यह एक नियमित प्रोसेस होती रहती हैं जो लगातार चलती रहती हैं। 

इन बांड्स की ब्याज दर के आधार पर ही लिक्विड फण्ड की NAV निकाली जाती हैं। प्रत्येक कार्य दिवस पर NAV की गणना की जाती हैं। बांड्स के फिक्स रिटर्न के कारण लिक्विड फण्ड की वैल्यू में ज्यादा fluctuation नहीं होता।

Expense Ratio in Liquid Funds

लिक्विड फंड्स में इक्विटी फंड्स के मुकाबले एक्सपेंस रेश्यो थोड़ा कम रहता हैं। सेबी ने Liquid Funds पर एक्सपेंस रेश्यो की अधिकतम सीमा 2.25% तय कर रखी हैं।

कुछ लोकप्रिय Liquid Funds के एक्सपेंस रेश्यो के उदाहरण – (As on 31-Aug-2021)

ICICI Prudential Money Market Fund – Direct Plan – 0.21%

Kotak Money Market Fund – Direct Plan – 0.26%

Quant Liquid – Direct Plan – 0.55%

Liquid Fund में कितना टैक्स लगता हैं?

Liquid Funds में डिविडेंड नार्मल टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता हैं। जबकि लिक्विड फण्ड रिटर्न दो प्रकार से टैक्सेबल होता हैं।

STCG – जब लिक्विड फण्ड को 3 वर्ष तक या पहले बेच दिया जाये तो उस पर होने वाले लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता हैं। STCG होने पर मुनाफे को निवेशक की वार्षिक आय में जोड़ दिया जाता हैं। इसमें निवेशक की टैक्स स्लैब के अनुसार ही टैक्स लगता हैं।

LTCG – यदि लिक्विड फण्ड को तीन वर्ष बाद बेचा जाये तो होने वाले लाभ पर LTCG टैक्स लगता हैं। वर्तमान में LTCG की दर 20% हैं। LTCG टैक्स एक लाख से अधिक हुए मुनाफ़े ही लगता हैं।

माना की महेश को ₹1,50,000 का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ। इस केस में महेश को ₹1,50,000- ₹1,00,000 =  ₹50,000 पर ही कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। यहां कुल LTCG होगा = ₹50,000 × 20% =  ₹10,000

आप इस जानकारी को वीडियो के रूप में भी नीचे दिए गए वीडियो में भी देख सकते हैं –

लिक्विड फण्ड के फायदे – Benefits of Liquid Funds

1. अच्छा रिटर्न – बैंक की ब्याज दरों में गिरावट के बाद लिक्विड फंड्स का रिटर्न सेविंग अकाउंट और अधिकांश Fixed Deposit के मुकाबले बेहतर रहता हैं। ज्यादा मुद्रास्फीति के समय व्यक्तिगत निवेश के लिए Liquid Fund सबसे अच्छा रिटर्न देने वाला विकल्प हो सकता हैं।

2. कम जोखिम – Liquid Funds के अल्पकालीन बॉन्ड्स में निवेश के कारण ब्याज दरों में आने वाले परिवर्तनों के जोखिम से निवेशक को सुरक्षा रहती हैं। इस प्रकार इनमें बहुत ही मामूली रिस्क होती हैं।

3. Liquidity – लिक्विड फंड में आसानी से कभी भी पैसा डाला जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर कभी भी निकाला जा सकता है।  इसमें कोई भी लॉक-इन-पीरियड नहीं होता हैं।

4. कोई Exist Load नहीं – अगर आप लिक्विड फंड में 7 दिन तक निवेशित रहते हैं और उसके बाद अपना पैसा रिडीम करते हैं तो आपको कोई भी एग्जिट लोड नहीं देना होता हैं। निवेश के 7 दिन के अंदर पैसा वापस निकालने पर मामूली एग्जिट लोड देना पड़ता हैं।

5. Diversification – अगर आप इक्विटी फंड्स में निवेश करते हैं तो आप थोड़ा निवेश लिक्विड फंड में भी कर सकते हैं जिससे आपके निवेश में विविधता बनी रहती हैं।

सेविंग अकाउंट और लिक्विड फण्ड में कौन बेहतर हैं – Saving Account vs. Liquid Funds

अभी के समय में लगभग सभी बड़े बैंकों द्वारा अपनी सेविंग अकाउंट ब्याज दर को काफी घटा दिया गया हैं। सेविंग अकाउंट पर ब्याज की दर 3.5 से 4% के आस-पास रहती हैं।

अगर मुद्रास्फीति की औसत दर को 6% भी माना जाए तो आपके पैसे की वैल्यू सेविंग अकाउंट में रहते हुए भी सालाना 2 से 2.5 प्रतिशत तक कम हो जाती हैं। अगर बात की जाए लिक्विड फंड की तो यह सेविंग अकाउंट से ज्यादा रिटर्न देते हैं साथ ही आपको मुद्रास्फीति से भी निपटने में मदद करते हैं।

WhatsApp Join Now
Telegram Join Now

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता हैं की सेविंग अकाउंट से लिक्विड फंड्स बहुत बेहतर विकल्प हैं। आप चाहे तो अपनी अतिरिक्त नकदी को लिक्विड फण्ड में निवेश कर सकते हैं।

फिक्स्ड डिपाजिट और लिक्विड फण्ड में कौन बेहतर हैं – Fixed Deposit vs. Liquid Funds

कई निवेशकों के मन में हमेशा एक सवाल रहता है की अतिरिक्त कैश को कहां पार्क किया जाए? अगर आपके पास में फिक्स डिपॉजिट और लिक्विड फंड का विकल्प है तो आप किस विकल्प के साथ जाएंगे। इसका जवाब आपको इस Fixed Deposit और Liquid Fund के अंतर से मिल जायेगा। 

फिक्स डिपाजिट और लिक्विड फंड के बीच में अंतर –

1. रिस्क या जोखिम –

Fixed Deposit – FD मुख्यतः बैंक्स या NBFC द्वारा ऑफर की जाती हैं। इसलिए इसमें लगभग न के बराबर रिस्क होती हैं।

Liquid Fund – लिक्विड फण्ड का मुख्य निवेश फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में होता हैं। इन सिक्योरिटीज की ब्याज दर मार्केट की volatility और अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती हैं। इसलिए इनमें कुछ रिस्क अवश्य होता हैं।

Winner – Fixed Deposit

2. रिटर्न्स 

Fixed Deposit – FD पर एक निश्चित ब्याज की दर होती हैं। यह RBI रेगुलेशन के दायरे में आती हैं। वर्तमान में लगभग सभी FD में 6% से कम की ब्याज दर हैं। FD पर ब्याज की दर वित्तीय व्यवस्था और देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती हैं। FD रिटर्न सेविंग अकाउंट से ज्यादा रहता हैं परन्तु लिक्विड फण्ड के मुकाबले कम रहता हैं।

Liquid Fund – FD की तरह लिक्विड फंड्स कोई Guaranteed रिटर्न ऑफर नहीं करते परन्तु फिर भी इनके रिटर्न्स FD की तुलना में ज्यादा रहते हैं।

Winner – Liquid Fund

3. Liquidity 

Fixed Deposit – FD को आप समयपूर्व रिडीम नहीं करवा सकते हैं। अगर आप समयपूर्व FD को भुनाते हैं तो आपको कुछ पेनल्टी देनी होती हैं। यह पेनल्टी आमतौर पर रिटर्न्स का 1% होती हैं।

Liquid Fund – इन्वेस्टमेंट के सातवें दिन के बाद आप जब चाहे लिक्विड फंड को रिडीम करवा सकते हैं। 7 दिन से पूर्व रिडीम करवाने पर एग्जिट लोड देना होता है। किसी वर्किंग डे पर लिक्विड फण्ड रिडेम्पशन रिक्वेस्ट करने पर आमतौर पर अगले वर्किंग डे पर आपका पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाता हैं।  

Winner – Liquid Fund

4. Taxation

Fixed Deposit – फिक्स डिपाजिट का रिटर्न या इंटरेस्ट निवेशक की आय में जुड़ जाता हैं। रिटर्न निवेशक की टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होते हैं। अगर इंटरेस्ट इनकम ₹40,000 से ज्यादा है तो बैंक फिक्स डिपाजिट की मैच्योरिटी पर 10% TDS काटकर निवेशक को देता हैं।

Liquid Fund – अगर लिक्विड फंड को 3 वर्ष से ज्यादा रखकर बेचा जाए तो 20% से LTCG टैक्स लगता है। 3 वर्ष से कम रखकर बेचने पर  रिटर्न वार्षिक आय में जुड़कर टैक्सेबल होता हैं।

Winner – कोई स्पष्ट विजेता नहीं

5. Top-up सुविधा

Fixed Deposit –  Recurring Deposit के अलावा समान्य FD में कोई भी अतिरिक्त निवेश की सुविधा उपलब्ध नहीं होती हैं। अगर आपको नया निवेश करना हैं तो आपको एक नयी FD करवानी पड़ेगी।

Liquid Fund – लिक्विड फंड्स में आप जब चाहे अतिरिक्त निवेश कर सकते हैं। आप लिक्विड फण्ड में SIP के द्वारा भी निवेश कर सकते हैं। 

Winner – Liquid Fund

6. टैक्स बेनिफिट्स

Fixed Deposit –  अगर आप 3 या 5 वर्ष के लॉक-इन-पीरियड वाली FD में निवेश करते हैं तो आपको इनकम टैक्स की धारा 80(C) में छूट मिल जाती हैं।

Liquid Fund – लिक्विड फंड्स में कोई टैक्स बेनिफिट उपलब्ध नहीं हैं।

Winner – Fixed Deposit

निष्कर्ष

मेरी राय में अगर आप अपने अतिरिक्त पैसे को कहीं निवेश करना चाहते हैं वो भी बिना किसी रिस्क के तो आप फिक्स डिपाजिट में निवेश कर सकते हैं।

यदि आप मामूली रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए लिक्विड फंड बेस्ट विकल्प हो सकता है। यह दोनों विकल्प अपने-अपने फायदे और नुकसान के साथ आते हैं। आप अपनी जरूरत के अनुसार किसी का भी चयन कर सकते हैं।

दोस्तों, आज आपने जाना की Liquid Fund क्या हैं, (What are Liquid Funds) और Benefits of Liquid Fund.  

अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिए। आप अपने सवाल कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

ये भी पढ़े –

FAQ 

  1. क्या लिक्विड फण्ड रिस्क फ्री होते हैं?

    लिक्विड फण्ड में बहुत ही कम रिस्क की मात्रा होती हैं। यह बांड्स के ब्याज दरों और क्रेडिट रिस्क पर आधारित होती हैं।

  2. क्या लिक्विड फंड्स से जब चाहे पैसा निकाल सकते हैं?

    जी हां, आप जब चाहे लिक्विड फण्ड से पैसा निकाल सकते हैं।

  3. क्या लिक्विड फण्ड में SIP की जा सकती हैं?

    आप लिक्विड फण्ड में लम सम और SIP दोनों प्रकार के निवेश कर सकते हैं?

  4. क्या लिक्विड फण्ड नेगेटिव रिटर्न दे सकते हैं?

    बहुत ही कम समय के निवेश में लिक्विड फण्ड नेगेटिव रिटर्न दे सकते हैं। परन्तु थोड़े लम्बे समय में लिक्विड फण्ड में नेगेटिव रिटर्न होना लगभग असंभव हैं।

  5. क्या लिक्विड फण्ड और डेब्ट फण्ड एक ही होते हैं?

    डेब्ट फण्ड म्यूच्यूअल फण्ड का एक प्रकार होते हैं। वही लिक्विड फण्ड डेब्ट फंड्स का एक प्रकार होता हैं। डेब्ट फण्ड में लिक्विड फण्ड के मुकाबले रिस्क थोड़ी ज्यादा होती हैं।

5/5 - (1 vote)

नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

Leave a Reply

Punji Guide