स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी में अंतर ?

अगर कोई निवेशक अपने पैसे पर अच्छे रिटर्न कमाना चाहता है तो उसके पास शेयर मार्केट और क्रिप्टो मार्केट दोनों में ही निवेश करने के विकल्प होते हैंलेकिन एक आम निवेशक के मन में ऐसे बहुत सारे सवाल होते हैं जिनके बारे में उसे सही जानकारी नहीं होती है .इसलिए वह सही निर्णय नहीं ले पाता है जैसे

  • स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट में क्या बेहतर है?
  • स्टॉक्स और क्रिप्टो करंसी में से किसमें निवेश करना चाहिए?
  • किस इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा रिटर्न मिलता है?
  • कौन सा इन्वेस्टमेंट ज्यादा सुरक्षित है?
  • कौनसा निवेश ज्यादा प्रॉफिटेबल है?

आज हम आपके इन सभी सवालों के जवाब इस पोस्ट में देने वाले हैं और साथ ही साथ आज हम स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट में (Cryptocurrency vs Stock Market difference in Hindi) कुछ बेसिक अंतर के बारे में बात करेंगे जो एक आम निवेशक को जरूर पता होना चाहिए

Cryptocurrency vs Stock Market in Hindi

स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी के अंतर को समझाने के लिए हमने नीचे आपको कुछ पॉइंट्स बताए हैं जो आपके लिए जानना काफी महत्वपूर्ण है। अगर आप एक नए निवेशक हैं और अपने इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते हैं। लेकिन आपको पता नहीं है कि आखिर आपको निवेश कहां करना चाहिए जिससे आपका पैसा मल्टिप्लाई होकर लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न दे पाए।

Cryptocurrency vs Stock Market difference in Hindi

शेयर मार्किट या क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने से पहले आपको इनकी बेसिक जानकारी या परिभाषा पता होना चाहिए।

शेयर का मतलब होता है कि आप किसी कंपनी में कुछ हिस्सा खरीद रहे हैं। मतलब आपको उस कंपनी में कुछ हिस्सेदारी मिल रही है।

जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो इसका मतलब है कि आपने उस कंपनी का एक छोटा सा हिस्सा खरीद लिया है और जब कंपनी अच्छा व्यापार करती हैं और प्रॉफिट कमाती है तो उस के शेयर की कीमत भी बढ़ती हैं जिससे आपको फायदा मिलता है।

क्रिप्टो करेंसी का मतलब होता है एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी जिसका आज के समय में वर्चुअल तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन फिर भी क्रिप्टो करेंसी को बहुत सारे देशों में मान्यता नहीं मिली है।

यानि की आप क्रिप्टो करेंसी का लेनदेन करने के लिए बाजार में जाएंगे तो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। बिटकॉइन और एथेरियम क्रिप्टोकरेंसी के दो सबसे बड़े उदाहरण है।

स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी में अंतर

अब आपने शेयर और क्रिप्टोकरंसी क्या होते हैं यह तो जान लिया तो आइए अब इन दोनों में निवेश करने के क्याक्या फायदे हैं और क्या क्या नुकसान हैं, की जानकारी प्राप्त करते हैं। 

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(i) बिजनेस (Business) 

Cryptocurrency vs Stock Market के अंतर को समझने के लिए यह पॉइंट आपके लिए जानना सबसे ज्यादा जरूरी है। आपको पता होना चाहिए कि जब आप अपना पैसा शेयर खरीदने में निवेश करते हैं तो आप कंपनी के बिजनेस में निवेश करते हैं। जबकि क्रिप्टो करेंसी में आप किसी भी व्यापार में निवेश नहीं करते

स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हर एक कंपनी कोई ना कोई बिजनेस करती है जबकि क्रिप्टोकरंसी किसी टेक्नोलॉजी पर आधारित होती है जैसे आज के समय में सभी क्रिप्टो करेंसी ब्लॉक्चेन टेक्नोलॉजी पर काम करती हैं लेकिन इनके पीछे कोई बिजनेस नहीं होता है।

जब आप शेयर लेते हैं तो आपको कंपनी के बिजनेस को समझना पड़ता है और यह भी जानना होता है कि वह कंपनी कितना प्रॉफिट कमाती है और कहीं ऐसा तो नहीं है कि कंपनी ने बहुत सारा लोन लिया हुआ है और वह कर्ज में डूबी हुई है।

क्योंकि अगर किसी कंपनी के पास बहुत सारा कर्ज है तो वह कंपनी काफी रिस्की मानी जाती है। कंपनी पर रिसर्च करने की यह प्रक्रिया फंडामेंटल एनालिसिस के अंतर्गत आती है जबकि क्रिप्टो करेंसी में आपको फंडामेंटल एनालिसिस की बजाय टेक्निकल एनालिसिस करना पड़ता है।

जैसे; आपको चार्ट पेटर्न देखकर यह पता लगाना होता है कि किस समय ऑल टाइम हाई प्राइस टच किया था और इसके साथ ही स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस पर फोकस करना पड़ता है।

ऐसा नहीं है कि स्टॉक्स में आपको केवल फंडामेंटल रिसर्च ही करनी पड़ती है अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तो आपको उसमें भी टेक्निकल रिसर्च का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन क्रिप्टो करेंसी में हमेशा आपको टेक्निकल रिसर्च ही काम आती है क्योंकि ज्यादातर क्रिप्टो प्रोजेक्ट बहुत ज्यादा वोलेटाइल होते हैं जिनका प्राइस कभी अचानक से ऊपर तो अचानक से नीचे जा सकता है।

तो अब हम इसी पॉइंट (वोलैटिलिटी) के बारे में बात करने वाले हैं

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(ii) Risk or Volatility

चाहे स्टॉक्स हो या क्रिप्टोकरंसी रिस्क तो दोनों में ही है लेकिन वोलैटिलिटी कि अगर बात करें तो इसका मतलब है कि मार्केट कितना ज्यादा ऊपर नीचे होता है। बेशक क्रिप्टो मार्केट में भयंकर उतारचढ़ाव देखे जाते हैं जो कि कई बार स्टॉक मार्केट से बहुत ही ज्यादा होते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि स्टॉक मार्केट रिस्की नहीं है इसमें सारा खेल स्टॉक्स पर की हुई रिसर्च का होता है चाहे वह टेक्निकल हो या फंडामेंटल। अगर आप पेनी स्टॉक्स में निवेश करते हैं तो पेनी स्टॉक्स भी काफी ज्यादा रिस्की और वोलेटाइल होते हैं जिसमें आपके पैसे के डूबने के बहुत ज्यादा चांस रहते हैं।

अगर देखा जाए तो चाहे शेयर मार्केट हो या क्रिप्टो करेंसी दोनों में ही निवेश करने से पहले आपको अपने रिस्क लेने की क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए। विशेषतौर पर क्रिप्टो करेंसी में आप जितना पैसा गंवाने के लिए तैयार हैं केवल उतना पैसा ही आपको इसमें निवेश करना चाहिए।

इसके अलावा मैं आपको एक सलाह और देना चाहता हूं कि कभी भी डेब्ट या लोन लेकर निवेश नहीं करना चाहिए वरना आपको काफी पछताना पड़ सकता है। क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर आपको अपना निवेश नुकसान में बेचना पड़ सकता हैं। 

(iii) लिक्विडिटी (Liquidity)

लिक्विडिटी का मतलब होता है कितने लोग किसी एक particular चीज में निवेश कर रहे हैं चाहे वह कोई प्रॉपर्टी हो शेयर हो या क्रिप्टोकरंसी हो। अगर किसी इन्वेस्टमेंट के लिए खरीदार और विक्रेता बहुत ज्यादा है तो वह इन्वेस्टमेंट में लिक्विडिटी बहुत ही ज्यादा होगी। ठीक इसके विपरीत अगर किसी इन्वेस्टमेंट के खरीदार और विक्रेता बहुत कम है तो है इसमें कम लिक्विडिटी होगी।

उदाहरण के लिए: ब्लू चिप स्टॉक्स जैसे रिलायंस, डीमार्ट और एशियन पेंट बहुत ज्यादा लिक्विड हैं क्योंकि रोजाना बहुत सारे लोग इन्हें खरीदते और बेचते हैं जबकि वहीं दूसरी और पेनी स्टॉक्स या सस्ते शेयर में लिक्विडिटी बहुत कम होती है क्योंकि उन्हें खरीदने बेचने वाले लोग बहुत कम होते हैं।

क्रिप्टो करेंसी में भी यही होता है बिटकॉइन और एथेरियम जैसे स्टेबल कॉइन में लिक्विडिटी ज्यादा होती है जबकि जो नए कॉइन मार्केट में लॉन्च होते हैं उन्हें आपका पैसा फसने के बहुत चांसेस होते हैं क्योंकि खरीदने बेचने वालों की संख्या बहुत कम होती है।

जितनी ज्यादा लिक्विडिटी होगी आप उतनी आसानी से अपना निवेश बेच सकते हैं जबकि जितनी कम लिक्विडिटी होगी उतना आपको अपना निवेश बेचने में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

(iv) ट्रेडिंग का समय (Trading hours)

इंडिया में स्टॉक मार्केट सोमवार से शुक्रवार तक खुला रहता है जिसका समय सुबह के 9:00 बजे से लेकर 3:30 बजे तक होता है। शनिवार और रविवार के अलावा बाकी हॉलीडे को शेयर मार्केट बंद रहता है जबकि क्रिप्टो मार्केट हर दिन 24 घंटे खुला रहता है

(v)एक्सचेंज (Exchange)

शेयर मार्केट में आप स्टॉक एक्सचेंज (NSE और BSE) के जरिए निवेश करते हैं इसमें आपको कंपनी का शेयर लेने के लिए डिमैट अकाउंट खुलवाना पड़ता है। लेकिन क्रिप्टो करेंसी खरीदने के लिए आपको किसी भी प्रकार के डिमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है बल्कि आप Wazirx और Binance जैसे क्रिप्टो एक्सचेंज पर अकाउंट बनाकर ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं।

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(vi) IPO vs ICO

जब कोई कंपनी पहली बार शेयर मार्केट में लिस्ट होती है तो वह अपने शेयर पब्लिक को बेचने के लिए अपना आईपीओ (initial public offer) लॉन्च करती है उसके बाद वह शेयर द्वितीयक मार्केट (secondary market) में ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट करने के लिए उपलब्ध होता है। 

इसी प्रकार क्रिप्टो मार्केट में जब कोई कॉइन या प्रोजेक्ट नया लांच होता है तो वह ICO (initial coin offer) के जरिए मार्केट में एंट्री करता है जिसमें लोग पैसा लगा सकते हैं। इसको भी आप आईपीओ की तरह ही समझ सकते हैं लेकिन फिर भी इस में कुछ अंतर जरूर होते हैं।

(vii) नियंत्रण (Regulation)

यह पॉइंट जानना काफी जरूरी है जिस पर जगहजगह चर्चा होती रहती है की क्रिप्टोकरंसी को रेगुलेट कर देना चाहिए तो कहीं पर बोला जाता है कि इन्हें बैन कर देना चाहिए।

आपको शेयर मार्केट का तो पता होगा कि इसे SEBI यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इस वजह से इसमें फ्रॉड होने के चांसेस बहुत कम होते हैं।

लेकिन क्रिप्टो मार्केट अभी भी ज्यादातर देशों में रेगुलेटेड नहीं है। इसका एक कारण यह भी बताया जाता है कि क्रिप्टोकरंसी डिसेंट्रलाइज्ड है जिस पर सरकार या फिर किसी रेगुलेटरी बॉडी का कोई कंट्रोल नहीं होता है।

अगर रेगुलेशन की बात की जाए तो सिर्फ EL Salvador एकमात्र देश जिसने क्रिप्टो करेंसी को लीगल टेंडर की मान्यता दी है वरना अन्य किसी देश ने ऐसा नहीं किया है।

भारत में भी क्रिप्टो करेंसी किसी रेगुलेटर के अंतर्गत नहीं आती हैं।

निष्कर्ष 

ऊपर दिए गए सभी पॉइंट से पढ़ने के बाद अब आपके मन में सबसे बड़ा सवाल रहा होगा कि आखिर हमें किसमें निवेश करना चाहिए। अच्छे शेयर ख़रीदना बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे की आप किस कंपनी का स्टॉक ले रहे हैं, उस पर आपको टेक्निकल और फंडामेंटल रिसर्च करनी पड़ती है।

दूसरी ओर अगर आप कोई क्रिप्टो करेंसी खरीद रहे हैं तो आपको उस प्रोजेक्ट पर भरोसा होना चाहिए जिसमें आप निवेश कर रहे हैं। क्रिप्टो करेंसी स्टॉक मार्केट की तुलना में अधिक रिस्की मानी जा सकती हैं। लेकिन इसमें रिटर्न देने की क्षमता भी अधिक होती हैं। 

वैसे तो कुछ चीजें दोनों ही इन्वेस्टमेंट में एक जैसी रहती हैं जैसे डिमांड और सप्लाई, टेक्निकल एनालिसिस, चार्ट पेटर्न्स आदि। फिर भी आपको अपनी वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार ही अपना निवेश विकल्प चुनना चाहिए। 

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इस पोस्ट में मैंने आपको कुछ पॉइंट्स के जरिए स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी के बीच अंतर को समझाने की कोशिश की है। आशा करता हूं आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी उपयोगी लगी होगी। 

अगर आपका इस पोस्ट से संबंधित कोई सवाल है तो आप मुझसे नीचे कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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