दोस्तों, अगर आप म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करते हो या निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको Expense Ratio की जानकारी जरूर होनी चाहिए। आज हम समझेंगे की Expenses Ratio क्या होता हैं (Expense Ratio Meaning in Hindi) और Expenses Ratio की कैलकुलेशन कैसे होती हैं।
एक्सपेंस रेश्यो क्या होता हैं | Expense Ratio Meaning in Hindi
यदि Expense Ratio Meaning in Hindi की बात की जाए तो इसे हिंदी में व्यय अनुपात के रूप में जाना जाता हैं। जैसा की आप जानते हैं की एक म्यूच्यूअल फण्ड अनेक निवेशकों के जमा धन से मिलकर बना होता हैं। आपकी जमा राशि को कहां-कहां निवेश करना हैं, ये मैनेज करने के लिए एक फण्ड मैनेजर होता हैं। यह फण्ड मैनेजर फण्ड हाउस (AMC) द्वारा नियुक्त होता हैं।
इस फण्ड मैनेजर और फण्ड हाउस के खर्चों के लिए जो शुल्क आपसे लिया जाता हैं, वही Expenses Ratio होता हैं। इसका सीधा सा मतलब हैं की म्यूच्यूअल फण्ड हाउस अपनी सेवाओं के बदले निवेशक से कुछ शुल्क चार्ज कर रहा हैं।
Mutual Fund Expense Ratio में बहुत से शुल्क शामिल होते हैं, जो निम्न प्रकार हैं –
- Fund Management Expenses
- Distribution Commission
- Registration Fee
- Advertisement Expenses
- Legal & Audit Expenses
Expense Ratio Meaning in Hindi– चलिए, एक्सपेंसेस रेश्यो को थोड़ा और आसान भाषा में समझने का प्रयास करते हैं। Expenses Ratio को Total Expenses Ratio (TER) भी कहा जाता हैं।
Total Expense Ratio वह होता हैं जो आप एक वर्ष में अपनी निवेशित राशि को मैनेज करने के लिए चुकाते हैं।
अगर आपने किसी म्यूच्यूअल फण्ड में ₹10,000 निवेश किये हैं और इस स्कीम का Expenses Ratio 1.5% हैं। इस केस में आप अपने पैसे को मैनेज करने के लिए साल भर का ₹150 का एक्सपेंस रेश्यो दे रहे हो।
वैसे ही अगर आप SIP करते हैं तो आपके करंट पोर्टफोलियो पर एक्सपेंस रेश्यो देय होता हैं।
Expenses Ratio किस प्रकार वसूल किया जाता हैं?
आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा की आखिर फण्ड हाउस आपसे Expense Ratio किस प्रकार वसूल करती हैं। आपने देखा होगा की अगर आपने ₹1,000 म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश किये हैं तो AMC द्वारा आपको पूरे ₹1,000 की यूनिट्स आवंटित कर दी जाती हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड हाउस आपसे आपके रिटर्न्स में से Expense Ratio वसूल करता हैं। किसी भी म्यूच्यूअल फण्ड की NAV रोज ट्रेडिंग डे की समाप्ति पर निकाली जाती हैं। यह NAV, म्यूच्यूअल फण्ड के पोर्टफोलियो के दिन भर के प्रदर्शन के आधार पर निकाली जाती हैं।
फाइनल NAV की कैलकुलेशन से पहले ही Expense Ratio काट लिया जाता हैं। इस प्रकार एक्सपेंस रेश्यो आपके सीधा आपके रिटर्न्स में से काट लिया जाता हैं।
Expense Ratio Calculation कैसे होती हैं?
Expense Ratio एक प्रतिशत के रूप में इंगित किया जाता हैं जो की वार्षिक (annual) होता हैं। परन्तु यह एक दिन के हिसाब से ही कैलकुलेट किया जाता हैं।
यानी की यह प्रत्येक दिन काटा जाता हैं। अगर आपके म्यूच्यूअल फण्ड का Expense Ratio 1% हैं तो आपके एक दिन का एक्सपेंसेस रेश्यो होगा = 1% ÷ 365 days
इस टेबल के माध्यम से आप इसे आसानी से समझ सकते हैं।
अगर अरुण ने 01 मार्च को किसी Mutual Fund स्कीम में 1 लाख रूपये निवेश किये हैं और इसका expenses ratio 1% हैं।
Date | Current Investment Value (A) | Expense Ratio (B) | Net Portfolio value (A-B) |
02 March | ₹ 1,00,500 | (1% × 1,00,500) ÷ 365 = 2.75 Per Day | ₹ 1,00,497.25 |
03 March | ₹ 1,03,000 | (1% × 1,03,000) ÷ 365 = 2.82 Per Day | ₹ 1,02,997.18 |
अगर आपका म्यूच्यूअल फण्ड का पोर्टफोलियो 15% का वार्षिक रिटर्न दे रहा हैं और आपके फण्ड का Expense Ratio 2% हैं। इस स्थिति में आपके फण्ड का नेट रिटर्न 13% ही होगा।
क्या नेगेटिव रिटर्न्स पर भी Expense Ratio देना पड़ता हैं?
पॉजिटिव रिटर्न या नेगेटिव रिटर्न का एक्सपेंसेस रेश्यो से कोई लेना-देना नहीं हैं। जैसा की आपने ऊपर पढ़ा, Expense Ratio फण्ड हाउस द्वारा आपके फण्ड को मैनेज करने के लिए लिया जाता हैं। तो आपका पोर्टफोलियो नेगेटिव रिटर्न भी दे रहा हैं तब भी आपसे फण्ड हाउस द्वारा Expense Ratio चार्ज किया जायेगा।
चलिए इसे एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं।
अगर वरुण ने 01 मार्च को किसी Mutual Fund स्कीम में 1 लाख रूपये निवेश किये हैं और इसका expenses ratio 1% हैं।
Date | Current Investment Value (A) | Expense Ratio (B) | Net Portfolio value (A-B) |
02 March | ₹ 99,000 | (1% × 99,000) ÷ 365 = 2.71 Per Day | ₹ 98,997.29 |
03 March | ₹ 97,000 | (1% × 97,000) ÷ 365 = 2.66 Per Day | ₹ 96,997.34 |
अगर आपका म्यूच्यूअल फण्ड 10% का नेगेटिव वार्षिक रिटर्न दे रहा हैं और आपके फण्ड का Expense Ratio 2% हैं। इस स्थिति में आपके फण्ड का नेट रिटर्न नेगेटिव में 12% होगा।
Direct Plan और Regular Plan के Expense Ratio में अंतर
किसी भी म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान में कोई अंतर नहीं रहता, सिवाय Expense Ratio के। रेगुलर प्लान का Expenses Ratio हमेशा डायरेक्ट प्लान से ज्यादा होता हैं।
रेगुलर प्लान में डिस्ट्रीब्यूशन एजेंट के कमिशन के कारण एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा रहता हैं।
एक्सपेंसेस रेश्यो का रिटर्नस पर प्रभाव
इक्विटी फंड्स के मामले में Expense Ratio उतना मायने नहीं रखता जितना की यह Debt Funds में रखता हैं। इसलिए Debts Funds हमेशा वही चुने जिसका Expense Ratio कम से कम हो।
Expense Ratio जितना कम होगा, रिटर्न उतने ज्यादा होंगे। लॉन्ग टर्म में एक्सपेंस रेश्यो रिटर्न्स पर बहुत प्रभाव डालता हैं। एक्सपेंस रेश्यो के मामले में एक निवेशक के तौर पर आप ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकते।
परन्तु अगर आप रेगुलर प्लान की बजाय डायरेक्ट प्लान में निवेश करते हैं तो आपके रिटर्न्स लॉन्ग टर्म में रेगुलर प्लान से बहुत ज्यादा हो सकते हैं।
इसलिए म्यूच्यूअल फण्ड का चुनाव करते समय Expense Ratio का जरूर ध्यान रखे।
क्या हमें ज्यादा Expenses Ratio वाले म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश नहीं करना चाहिए?
यह कहना उचित नहीं होगा की जिस फण्ड का Expense Ratio ज्यादा हैं उसमे हमें निवेश नहीं करना चाहिए।
अगर किसी फण्ड का Expense Ratio ज्यादा हैं तो हो सकता हैं की वह फण्ड aggressively managed फण्ड हो, जिसमें रिटर्न देने की उच्च क्षमता हो।
इसलिए म्यूच्यूअल फण्ड सेलेक्ट करते समय सभी पैरामीटर्स का ध्यान रखना चाहिए जिसमे रिटर्न सबसे महत्वपूर्ण होता हैं।
Expense Ratio Limit by SEBI
निवेशकों के हितो की रक्षा के लिए सेबी द्वारा रेगुलेशन 52 के तहत म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों पर Expense Ratio चार्ज करने के ऊपर कुछ लिमिट लगाई गई हैं।
सेबी द्वारा लगाई गई इस लिमिट के दायरे में ही फण्ड हाउसेस को एक्सपेंस रेश्यो रखना होता हैं।
Maximum Total Expenses Ratio | ||
AUM Slab | इक्विटी ओरिएनिटेड स्कीम्स | अन्य स्कीम्स (ETF और इंडेक्स फण्ड के अलावा) |
0-500 Cr. | 2.25% | 2.00% |
500-750 Cr. | 2.00% | 1.75% |
750-2000 Cr. | 1.75% | 1.50% |
2000-5000 Cr. | 1.60% | 1.35% |
5000-10000 Cr. | 1.50% | 1.25% |
10000-50000 Cr. | प्रत्येक 5000 करोड़ या इसके कोई पार्ट के AUM बढ़ने के साथ 0.05% से TER घटाना | प्रत्येक 5000 करोड़ या इसके कोई पार्ट के AUM बढ़ने के साथ 0.05% से TER घटाना |
50000 Cr. से ज्यादा | 1.05% | 0.80% |
अन्य स्कीम्स (स्रोत – सेबी प्रेस रिलीज़)
Type of scheme | Maximum Total Expenses Ratio |
Equity-oriented close-ended or interval schemes | 1.25% |
Other than equity-oriented close-ended or interval schemes | 1.00% |
Index Funds / Exchange Traded Funds (ETFs) | 1.00% |
Fund of Funds investing in actively managed Equity-oriented schemes | 2.25% |
Fund of Funds investing in actively managed other than Equity-oriented schemes | 2.00% |
Fund of Funds investing in liquid, Index and ETFs | 1.00% |
ऊपर दी गई पहली टेबल से आपको समझ में आया होगा की जैसे-जैसे फण्ड का AUM (Asset under Management) बढ़ता जाता हैं फण्ड का Expense Ratio कम होता जाता हैं।
आप एक्सपेंस रेश्यो के बारे में हमारा ये वीडियो भी देख सकते हैं –
AUM और Expenses Ratio का सम्बन्ध
अगर कोई फण्ड हाल ही में लांच हुआ हैं और उसका AUM कम हैं तो उसका Expenses Ratio ज्यादा होगा। AUM बढ़ने के साथ-साथ Expenses Ratio कम होता जाता हैं।
केस -1
- फण्ड की कुल एसेट या AUM = 5 करोड़
- Administrative Expenses = 5 लाख
- अन्य खर्चे = 1 लाख
यहां TER होगा = Total Expenses / Total Asset (Expense Ratio Formula)
6 लाख ÷ 5 करोड़ = 1.20 %
केस -2
- फण्ड की कुल एसेट या AUM = 10 करोड़
- Administrative Expenses = 5 लाख
- अन्य खर्चे = 1 लाख
यहां TER होगा = Total Expenses / Total Asset
6 लाख ÷ 10 करोड़ = 0.60 %
यहां केस 1 में AUM 5 करोड़ ही था इसलिए एक्सपेंस रेश्यो 1.20% आ रहा था। परन्तु जब यहीं AUM बढ़कर 10 करोड़ हुआ तो यही एक्सपेंस रेश्यो घटकर 0.60% पर आ गया।
निष्कर्ष – What is Expense Ratio in Hindi
अगर देखा जाये तो Expense Ratio बहुत महत्वपूर्ण होता है परन्तु किसी Mutual fund को चुनने का Expense Ratio एकमात्र पैमाना नहीं होता।
इसलिए हमेशा सही तरीके से और पूर्ण रिसर्च के बाद ही अपना निवेश करे।
तो दोस्तों, आज आपने इस आर्टिकल के माध्यम से सीखा की Expense Ratio Meaning in Hindi और Expense Ratio Calculation.
अगर आपको ये जानकरी अच्छी लगी हो तो, कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे।
ये भी पढ़े –