आज के समय में निवेशकों की रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार मार्केट में बहुत से निवेश विकल्प मौजूद हैं। निवेश को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता हैं पहला इक्विटी जिसमें अधिक जोखिम होता हैं दूसरा डेब्ट जिसमें कम जोखिम होता हैं और तीसरा हाइब्रिड फंड जिसमें मॉडरेट रिस्क होती हैं।
प्रत्येक निवेशक के लक्ष्य और आवश्यकता अलग-अलग होती हैं। उसके अनुसार निवेश सलाहकार उन्हें फंड सजेस्ट करते हैं। अगर आप भी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको हाइब्रिड फंड की पूरी जानकारी इस आर्टिकल में मिल जाएगी। जैसे कि हाइब्रिड फंड क्या हैं, हाइब्रिड फंड कैसे काम करते हैं और हाइब्रिड फंड में किसे निवेश करना चाहिए?
हाइब्रिड फंड क्या हैं (What is Hybrid Fund / Hybrid Fund meaning)
हाइब्रिड फण्ड म्यूच्यूअल फंड का एक प्रकार हैं जो विभिन्न प्रकार की एसेट क्लास में निवेश करते हैं। जैसा कि हाइब्रिड फंड के नाम से पता चल रहा हैं ये इक्विटी और डेब्ट फंड्स के मिश्रण से मिलकर बने होते हैं। यानि की हाइब्रिड फंड के पोर्टफोलियो में इक्विटी और डेब्ट का एक संतुलन होता हैं। इनका अनुपात फंड के लक्ष्यों के अनुसार तय किया जाता हैं।
प्रत्येक हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेब्ट का मिश्रण अलग-अलग होता हैं। सभी हाइब्रिड फंड एक्टिव फंड की श्रेणी में आते हैं।
हाइब्रिड फंड कैसे काम करते हैं (How does Hybrid Fund works)
हाइब्रिड म्यूच्यूअल फंड लंबी अवधि में अच्छी संपत्ति के निर्माण के लक्ष्य के साथ ऑफर किए जाते हैं। इनका उद्देश्य मॉडरेट रिस्क लेने वाले निवेशकों को एक बैलेंस पोर्टफोलियो देना होता हैं। सम्पूर्ण एसेट एलोकेशन इक्विटी में नहीं होने की वजह से हाइब्रिड फंड्स में इक्विटी के मुकाबले कम रिस्क होती हैं।
फंड मैनेजर हाइब्रिड फंड के पोर्टफोलियो का निर्माण इक्विटी और डेब्ट को मिलाकर करता हैं। इक्विटी रिटर्न्स को बूस्ट करता हैं जबकि डेब्ट मार्केट वोलैटिलिटी में स्थिरता प्रदान करता हैं।
साथ ही फण्ड मैनेजर मार्केट मूवमेंट का अधिक फायदा उठाने के लिए पोर्टफोलियो स्टॉक्स ख़रीदता और बेचता हैं।
हाइब्रिड फंड के प्रकार (Types of Hybrid Funds)
हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेब्ट को लेकर अलग-अलग एसेट एलोकेशन हो सकती हैं। हाइब्रिड फण्ड को निम्न भागों में बांटा जा सकता हैं –
(i) Equity oriented Hybrid Fund
इस प्रकार के हाइब्रिड फण्ड में कुल एसेट का न्यूनतम 65% हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता हैं। जबकि बचा हुआ 35% डेब्ट फण्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में एलोकेट किया जाता हैं। इसमें इक्विटी, हाइब्रिड फण्ड को ग्रोथ प्रदान करता हैं और डेब्ट स्थायित्व प्रदान करता हैं।
(ii) Debt oriented Hybrid Fund
डेब्ट ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड कुल एसेट का लगभग 65% फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जैसे की बॉन्ड्स, डिबेंचर्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। बाकी बचा हुआ पैसा इक्विटी में निवेश किया जाता हैं।
(iii) Monthly Income Plans
मंथली इनकम प्लान ऐसे हाइब्रिड फंड होते हैं जो कुल एसेट का बहुत ही कम भाग इक्विटी (15 से 20%) में निवेश करते हैं। बाकी बची सम्पूर्ण एसेट डेब्ट फंड्स में निवेश की जाती हैं। इसकी वजह से ये pure debt fund की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं।
निवेशक मंथली इनकम प्लान में रेगुलर इनकम प्राप्त करने के लिए निवेश करते हैं। ये रेगुलर इनकम डिविडेंड के रूप में प्राप्त होती हैं।
(iv) Arbitrage Funds
इस प्रकार के फंड्स में स्टॉक्स को कम प्राइस में एक मार्केट में खरीदा जाता हैं और ज्यादा प्राइस में दूसरे मार्केट में बेचा जाता हैं। फंड मैनेजर निरंतर ऐसी Arbitrage opportunities की तलाश में रहते हैं जिससे फंड के रिटर्न मैक्सिमाइज किये जा सके।
लेकिन जब कोई आर्बिट्रेज अपॉर्चुनिटी उपलब्ध नहीं होती तो फंड को डेब्ट सिक्योरिटीज में निवेश कर दिया जाता हैं।
(v) Balance Arbitrage Funds
इस प्रकार के फंड में लगभग 60% इक्विटी और बचा हुआ फंड डेब्ट फंड्स में निवेश किया जाता हैं। टैक्स ट्रीटमेंट के लिए ये फंड इक्विटी फंड के जैसे ही ट्रीट किए जाते हैं जिनके ऊपर आप ₹1,00,000 तक के कैपिटल गैन टैक्स की छूट ले सकते हैं।
बैलेंस फंड अपने निवेशकों को एक संतुलित पोर्टफोलियो प्रदान करता हैं।
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हाइब्रिड फंड में इन्वेस्ट करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
किसी भी निवेश प्लान में निवेश करने से पहले आपको उस प्लान की सही तरीके से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जिससे वह प्लान आपकी उम्मीदों पर खरा उतर सके।
(i) रिस्क और रिटर्न का आकलन
हाइब्रिड फंड में इक्विटी के एलोकेशन की वजह से इन्वेस्टमेंट रिस्क हमेशा बनी रहती हैं। इसलिए यहां महत्वपूर्ण हो जाता हैं की आप स्कीम के साथ जुड़ी रिस्क को अच्छी तरह से समझ ले।
उदाहरण के लिए आप एक इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड में इन्वेस्ट कर रहे हो तो आप उस फंड के इक्विटी स्टॉक्स को देखना चाहिए कि वे लार्ज कैप के अधिक हैं या स्मॉल कैप के या मिड कैप के? ऐसे में आप इक्विटी की वास्तविक रिस्क का अंदाजा लगा सकते हैं।
इससे आपको रिटर्न का अनुमान लगाने में भी आसानी रहेगी। यदि आप मॉडरेट रिस्क उठाने को तैयार हैं तभी आपको हाइब्रिड फंड में निवेश करना चाहिए।
(ii) रिटर्न
हाइब्रिड फंड आपको कोई निश्चित रिटर्न की गारंटी नहीं देते हैं। इनका प्रदर्शन पर उन एसेट पर निर्भर करता हैं जिनमें ये फंड निवेश करते हैं।
(iv) समय अवधि (Time Horizon)
हाइब्रिड मीडियम टर्म जैसे 3 से 5 वर्ष के लिए बढ़िया विकल्प माने जाते हैं। आप जितना लंबा निवेशित रहेंगे उतना आपको अच्छे रिटर्न प्राप्त होंगे।
(v) लागत (Cost)
एक्सपेंस रेश्यो हाइब्रिड फण्ड से जुड़ी मुख्य लागत होती हैं। इसलिए किसी भी हाइब्रिड म्यूच्यूअल फंड को चुनने से पहले आपको उसके एक्सपेंस रेश्यो के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
हाइब्रिड फंड के फायदे (Benefits of Hybrid Funds)
हाइब्रिड फंड में निवेश करने से आपको एक से अधिक एसेट क्लास का फायदा मिलता हैं जैसे कि इक्विटी, डेब्ट, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स।
इस प्रकार के फंड्स में आपको एक्टिव रिस्क मैनेजमेंट की सुविधा मिल जाती हैं। फण्ड मैनेजर इक्विटी और डेब्ट के सांमजस्य द्वारा रिस्क को मैनेज करने की कोशिश करता हैं।
मात्र एक हाइब्रिड फण्ड में निवेश करना भी आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफिकेशन प्रदान करता हैं। हाइब्रिड फंड में निवेश करने से आपको लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और डेब्ट फंड सभी का एक्सपोजर एक साथ मिल जाता हैं।
अलग-अलग रिस्क प्रोफाइल वाले निवेशकों के लिए यहां अलग-अलग प्रकार की स्कीम मौजूद हैं। जैसे कि रिस्क उठाने वालों के लिए इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड और कम रिस्क लेने वालों के लिए डेब्ट ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड।
हाइब्रिड फंड पर टैक्स (Tax on Hybrid Funds)
हाइब्रिड फंड पर कितना टैक्स लगेगा यह हाइब्रिड फंड के पोर्टफोलियो के इक्विटी एक्सपोजर पर निर्भर करता हैं। यदि हाइब्रिड फंड में इक्विटी का एक्सपोज़र 65% या अधिक हैं तो इसे इक्विटी स्कीम की तरह माना जाएगा।
अगर इक्विटी का हिस्सा कम हैं तो इसका डेब्ट फंड की तरह टैक्स ट्रीटमेंट किया जायेगा।
इस प्रकार हाइब्रिड फंड में निवेश करने से पहले आपको देख लेना चाहिए कि क्या आपकी स्कीम इक्विटी स्कीम हैं या डेब्ट स्कीम? इस टेबल की मदद से आप हाइब्रिड फंड पर टैक्स ट्रीटमेंट को समझ सकते हैं –
STCG | LTCG | |
होल्डिंग पीरियड | एक वर्ष या कम | एक वर्ष से अधिक |
इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स | 15% + Cess + Surcharge | 10% + Cess + Surcharge (₹1 लाख तक कैपिटल गेन कर मुक्त) |
होल्डिंग पीरियड | 3 वर्ष या कम | 3 वर्ष या अधिक |
डेब्ट ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स | निवेशक की टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल | 20% + Cess + Surcharge |
हाइब्रिड फंड में किसे निवेश करना चाहिए (Who should invest in Hybrid Funds)
किसी फंड में निवेश करना या नहीं करना पूर्णतया प्रत्येक निवेशक की प्रोफाइल पर निर्भर करता हैं। ऐसे निवेशक जो pure equity की रिस्क नहीं उठाना चाहते उनके लिए हाइब्रिड फण्ड एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं।
हाई रिस्क उठाने वाले निवेशक जिनका अधिकांश निवेश इक्विटी में हैं वे अपने पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करने के लिए हाइब्रिड म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
ऐसे निवेशक जो रिटायरमेंट के करीब हैं या रिटायर हो चुके हैं उनके लिए भी हाइब्रिड फण्ड सजेस्ट किया जा सकता हैं।
साथ ही ऐसे निवेशक जो अच्छे रिटर्न प्राप्त करने के लिए लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं हाइब्रिड फंड चुन सकते हैं। यह बात ध्यान रखें कि अगर आप छोटी अवधि के लिए हाइब्रिड फण्ड में निवेश करना चाह रहे हैं तो आप गलत हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Hybrid Fund meaning in Hindi)
अगर सारांश में बात की जाए तो हाइब्रिड फंड ऐसे म्यूच्यूअल फंड होते हैं जो अलग-अलग प्रकार की एसेट क्लास में इन्वेस्ट करते हैं। इसमें डेट फंड, इक्विटी फंड मुख्य रूप से शामिल होते हैं।
इस प्रकार के फंड्स में मॉडरेट रिस्क होती हैं। साथ ही इक्विटी फंड के मुकाबले रिटर्न देने की क्षमता भी कम होती हैं। परंतु अगर आप एक ऐसे निवेशक है जो कम रिस्क लेना चाहते हैं साथ में थोड़ा रिटर्न के साथ में समझौता कर सकते हैं तो हाइब्रिड फंड आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं।
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