Swing Trading क्या होती हैं | स्विंग ट्रेडिंग की रणनीतियां

स्टॉक मार्केट में कई तरह से ट्रेडिंग की जा सकती हैं जैसे की इंट्राडे ट्रेडिंग, F&O में ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग आदि। अलग-अलग ट्रेडर्स की अपनी खुद की एक स्टाइल होती हैं जिसके अनुसार वे ट्रेड करते हैं। किसी को इंट्राडे करना पसंद हैं, तो किसी की स्विंग ट्रेडिंग।

लेकिन आज इस आर्टिकल में हम केवल Swing Trading के ऊपर विस्तार से बात करने वाले हैं। इसे सही से पूरा पढ़ने के बाद आप अधिक कॉन्फिडेंट महसूस करेंगे। आर्टिकल में हम सभी पॉइंट्स को कवर करेंगे जिसमें की शामिल होगा स्विंग ट्रेडिंग क्या होती हैं (What is Swing Trading in Hindi), स्विंग ट्रेडिंग कैसे काम करती हैं और स्विंग ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान।

स्विंग ट्रेडिंग क्या हैं (What is Swing Trading in Hindi)

स्विंग ट्रेडिंग, ट्रेडिंग करने के एक ऐसी तकनीक होती हैं जिसमें ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को एक दिन से ज्यादा होल्ड करते हैं। ये पोजीशन होल्ड करने का समय दो दिन, सप्ताह भर या कुछ महीनों के लिए भी हो सकता हैं।

अगर बिलकुल आसान भाषा में बात करें तो यदि आज आपने शेयर ख़रीदे हैं तो आज आप उन्हें नहीं बेचेंगे। बल्कि कम से कम रात भर के लिए होल्ड करेंगे, जिसे आप अगले दिन या कुछ दिनों बाद बेच सकते हैं।

इस प्रकार Swing Trading किसी शेयर की शॉर्ट टर्म मूवमेंट का फायदा उठाने के लिए की जाती हैं।

Swing Trading Meaning in Hindi

स्विंग ट्रेडिंग का मतलब होता हैं की स्टॉक के फ्लो के साथ ट्रेडिंग करना। जब आप किसी स्टॉक या सिक्योरिटी का चार्ट पैटर्न देखते हैं और वहां आपको बुलिश पैटर्न नज़र आता हैं तो उस स्टॉक में स्विंग ट्रेडिंग का अवसर हो सकता हैं। 

जब स्टॉक में सेलर्स की अपेक्षा बायर्स हावी रहते हैं तो स्विंग ट्रेडिंग की जा सकती हैं। लेकिन स्विंग ट्रेडिंग में आपकी पोजीशन लंबी भी हो सकती हैं। मतलब की आप अपने टेक्निकल एनालिसिस से यह अंदाजा लगा सकते हैं की आपके टारगेट कब तक अचीव होंगे। 

स्विंग ट्रेडिंग का अर्थ | Swing Trading in Hindi

Swing Trading Kya hai Hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर जिस दिन खरीदें जाते है उसी दिन बेच भी दिए जाते हैं। इसलिए आपको इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में कंफ्यूज नहीं होना हैं।

Swing Trading डिलीवरी का एक छोटा रूप हैं जिसमें की एक छोटी अवधि के लिए ट्रेडिंग की जाती हैं। स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता हैं।

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Swing Trading कैसे काम करती है?

शुरुवात में हमनें समझा की स्विंग ट्रेडिंग क्या है। अब बात करते हैं की स्विंग ट्रेडिंग कैसे काम करती हैं।

स्विंग ट्रेडर किसी भी स्टॉक में स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले निम्न पॉइंट्स का विश्लेषण करता हैं –

  • मार्केट ट्रेंड
  • स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव
  • ट्रेडिंग चार्ट पैटर्न

इन सबके अलावा ट्रेडर यदि आवश्यकता हो तो स्टॉक फंडामेंटल एनालिसिस भी करता हैं।

चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं –

मान लीजिये रॉकी ने SBI शेयर में ₹530 के मूल्य पर शेयर ख़रीदे और अपनी स्विंग पोजीशन बनाई।

Swing Trading in Hindi
Source: Moneycontrol

लगभग एक महीने के बाद SBI के शेयर की कीमत बढ़कर ₹600 हो जाती हैं। रॉकी इस प्राइस पर अपने शेयर बेचकर प्रॉफिट कमा लेता हैं। इस प्रकार रॉकी ने जो ट्रेडिंग की उसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता हैं। यदि रॉकी अपने शेयर्स एक सप्ताह में भी बेच देता तो भी ये ट्रेडिंग स्विंग ट्रेडिंग ही कहलाती।

जैसे की स्विंग ट्रेडिंग डिलीवरी बेस्ड ट्रेडिंग होती हैं इसलिए इसमें वही ब्रोकरेज लगती हैं जो की डिलीवरी ट्रांसक्शन्स में लगती हैं। स्विंग ट्रेडिंग में शेयर्स, ETF और अन्य सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग की जा सकती हैं।

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Swing Trading में कितनी रिस्क होती हैं?

जहां पर भी बात शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग की आती हैं वहां रिस्क जरूर होती हैं। स्विंग ट्रेडिंग में आमतौर पर gap risk शामिल होती है। अगर मार्केट के बंद होने के बाद स्टॉक के लिए कोई अच्छी खबर आती हैं तो अगले दिन स्टॉक की प्राइस मार्केट खुलने के साथ ही बढ़ सकती हैं।

वही अगर इसका उल्टा होता हैं यानि की मार्केट के बंद होने के बाद कोई बुरी खबर आती हैं। तो इस स्थिति में मार्केट खुलने के साथ ही स्टॉक की प्राइस में भारी गैप डाउन देखने को मिल सकता हैं। इस प्रकार की रिस्क को overnight risk भी कहा जाता हैं।

स्विंग ट्रेडिंग की रणनीतियां | Swing Trading Strategies in Hindi

आमतौर पर एक बढ़िया स्विंग ट्रेडिंग सेटअप में, अपेक्षित लाभ 5-10% होता है। ये किसी ट्रेडर के लिए ज्यादा तो किसी के लिए कम भी हो सकता हैं।

यदि आप स्विंग ट्रेडिंग से 7-8% का प्रॉफिट देख रहे हैं तो उसके लिए 2 से 3 % का स्टॉप लॉस भी होना चाहिए। स्टॉप लॉस वो प्राइस होती हैं जिसके नीचे स्टॉक प्राइस जाने पर लॉस बुक करके निकल जाना होता हैं। स्टॉप लॉस नुकसान को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं।

स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ रणनीतियों निम्न प्रकार हैं:

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रिगर्स (Support & Resistance Triggers)

सपोर्ट और रेजिस्टेंस ट्रिगर्स का इस्तेमाल स्विंग ट्रेडिंग के अलावा अन्य सभी ट्रेडिंग में भी किया जाता हैं। सपोर्ट वैल्यू, स्टॉक की करंट वैल्यू से नीचे का लेवल होता है जहां सेलर्स के दबाव की वजह से ज्यादा खरीदारी होती है। जिसकी वजह से सपोर्ट वैल्यू से नीचे स्टॉक प्राइस नहीं जा पाता हैं।

swing trading indicators

इसमें स्विंग ट्रेडर, सपोर्ट लाइन के नीचे एक स्टॉप-लॉस लगाता हैं। इसी प्रकार, Resistance Level स्टॉक की करंट प्राइस से ऊपर का मूल्य होता है। इस लेवल पर खरीदारी से ज्यादा बिकवाली होती है। जिसकी वजह से स्टॉक उस Resistance Level को तोड़ नहीं पाता हैं।

चैनल ट्रेडिंग (Channel Trading)

इस इंडिकेटर का उपयोग तब किया जाता है जब ट्रेडर ट्रेंड (trend) के साथ में स्विंग ट्रेडिंग करना चाहता हैं। Swing Trading में एक चैनल ट्रेंड, मंदी (Bearish) या तेजी (Bullish) के आस-पास होता हैं। जब स्टॉक प्राइस चैनल की टॉप लाइन से उछलती है तब इसमें पोजीशन ली जाती हैं।

इन दोनों तकनीक के अलावा Moving Average और मूविंग एवरेज क्रॉसओवर जैसी रणनीति भी प्रयोग की जाती हैं।

Swing Trading Tips in Hindi

स्विंग ट्रेडिंग करते समय आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता हैं जो की निम्नानुसार हैं –

  • अगर देखा जाये तो स्विंग ट्रेडिंग में मार्केट की ख़बरें बहुत अधिक प्रभाव नहीं डाल पाती। ज्यादातर मार्केट ख़बरें स्टॉक पर बस शॉर्ट टर्म के लिए प्रभाव डालती हैं।
  • स्विंग ट्रेडिंग करने से पहले चार्ट का सही से विश्लेषण करें। क्योंकि कम अवधि में शेयर अधिकतर समय अपने चार्ट पैटर्न को फॉलो करता हैं।
  • हमेशा प्राइस एक्शन पर नज़र रखें।
  • स्टॉक में अच्छा वॉल्यूम होना चाहिए। मतलब की शेयर में ख़रीदें और बेचे जाने वाले शेयर्स की संख्या ज्यादा होनी चाहिए।
  • स्विंग ट्रेडिंग में बिलकुल छोटी कंपनियों में ट्रेड करने से बचना चाहिए।
  • एक निश्चित स्टॉप लॉस जरूर रखें और उसे फॉलो भी करें। 
  • होल्डिंग पीरियड के दौरान कंपनी की घोषणाओं पर जरूर नज़र डालें। जो एक्शन निश्चित तौर पर होने वाला हैं उसका इम्पैक्ट उस शेयर पर क्या होने वाला हैं, जरूर समझे। जैसे की कंपनी के द्वारा तिमाही नतीजों की घोषणा।

इन सबके अतिरिक्त भी कई स्विंग ट्रेडिंग टिप्स होती हैं जो की एक ट्रेडर अनुभव के आधार पर ही सीखता हैं।

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स्विंग ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

सबसे पहले स्विंग ट्रेडिंग के फायदे के बारें में बात करते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

  • Swing Trading के द्वारा कम समय में अधिक प्रॉफिट बनाया जा सकता हैं।
  • इस प्रकार की ट्रेडिंग में ट्रेडर्स साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक रुझानों (news) का लाभ उठा सकते है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में कम रिस्क रहती हैं। साथ ही ये ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग के मुकाबले आसान रहती हैं।
  • स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए लगातार मार्केट को समय देने की जरुरत नहीं होती। कोई व्यक्ति बहुत कम समय लगाकर भी Swing Trading कर सकता हैं।

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

  • शॉर्ट टर्म में स्टॉक से एग्जिट होने की वजह से बड़ा मुनाफा नहीं बना पाते।
  • स्टॉक को लेकर नियमित रूप से अपडेट रहना पड़ता हैं।
  • स्विंग ट्रेडिंग में ओवरनाइट रिस्क शामिल होती हैं।
  • स्विंग ट्रेडिंग में फंडामेंटल और टेक्निकल दोनों प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होती हैं।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग के मुकाबले स्विंग ट्रेडिंग में कम प्रॉफिट बनता हैं।
  • स्विंग ट्रेडिंग में, गैप अप और गैप डाउन की संभावना भी ज्यादा होती है। यदि आपका लिया ट्रेड विपरीत दिशा में है और स्टॉक या इंडेक्स गैप अप या गैप डाउन के साथ खुलता है, तो इसमें आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां स्टॉप लॉस भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं होते।

स्विंग ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में अन्तर

आप स्विंग ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में अंतर निम्न टेबल से समझ सकते हैं –

पैरामीटरस्विंग ट्रेडिंगइंट्राडे ट्रेडिंग
ट्रेडिंग की अवधिकुछ दिनों से सप्ताहों तकएक ही दिन
होल्डिंग अवधिदिनों या सप्ताहों तकएक ही दिन
लक्ष्यबड़े ट्रेंड को पकड़नाछोटा मूवमेंट पकड़ना
एग्जिट निर्णयआराम से लिया जा सकता हैंतत्परता से लेना होता हैं
निवेश की आवश्यकताकमअधिक
तेजी और स्कैलिंगधीरे-धीरे टारगेट की ओर बढ़ता हैंतेजी से मूवमेंट होता हैं

स्विंग ट्रेडिंग क्या हैं का “निष्कर्ष”

स्टॉक मार्केट में किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग क्यों न हो, उसमें रिस्क अवश्य होता हैं। हालांकि कुछ में ये ज्यादा तो कुछ में कम होता हैं। इसलिए किसी ट्रेडर को सिर्फ वही ट्रेडिंग करनी चाहिए जिसमें वो होने वाली रिस्क आसानी से उठा सकें।

कभी भी बिना सोचे-समझे आपको ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इस प्रकार की ट्रेडिंग को सट्टा बाजी कहा जा सकता हैं। इसलिए सबसे पहले सीखें और फिर ट्रेडिंग करने के ऊपर ध्यान दे।

तो आज आपने इस आर्टिकल में समझा की स्विंग ट्रेडिंग क्या होती हैं (Swing Trading in Hindi), स्विंग ट्रेडिंग टिप्स और स्विंग ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान।

दोस्तों, यदि आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे सोशल मीडिया नेटवर्क्स जैसे के फेसबुक, व्हाट्स एप्प पर जरूर शेयर करें। अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो वो कमेंट बॉक्स में आमंत्रित हैं।

FAQ’s on Swing Trading Meaning in Hindi

  1. स्विंग ट्रेडिंग कितने दिनों के लिए किया जाता है?

    स्विंग ट्रेडिंग एक दिन से ज्यादा के लिए होती हैं। ये सप्ताह से लेकर महीनों तक भी हो सकती हैं।

  2. इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर होता हैं?

    इंट्राडे में Buy और Sell के सौदे सिर्फ एक ही दिन में किये जाते हैं। जबकि स्विंग ट्रेडिंग में शेयर या सिक्योरिटी में पोजीशन एक दिन से ज्यादा समय के लिए ली जाती हैं।

  3. स्विंग ट्रेडिंग करते समय कौनसा सेगमेंट सेलेक्ट करना चाहिए?

    स्विंग ट्रेडिंग में शेयर डिलीवरी बेस्ड ख़रीदे जाते हैं। इसलिए इसमें आपको डिलीवरी या CNC विकल्प चुनना होता हैं।

  4. स्विंग ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

    स्विंग ट्रेडिंग में ऐसे ट्रेड किये जाते हैं जो कुछ दिनों से लेकर कई महीनों तक चल सकते हैं। इससे शेयर की कीमतों में प्रत्याशित बदलाव से लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं।

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

2 thoughts on “Swing Trading क्या होती हैं | स्विंग ट्रेडिंग की रणनीतियां”

  1. bohat hi informational tha..is topic pe hindi me baki jo bhi blogs rank kar rahe hai unke mukable apke blogpost ka content bohat aacha tha,.thank you so much

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