यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं या स्टॉक मार्केट की जानकारी रखते हैं तो आपने स्टॉक स्प्लिट का नाम तो सुना ही होगा। एक शेयर मार्केट निवेशक के तौर पर आपको कुछ महत्वपूर्ण शेयर मार्केट टर्म्स की जानकारी होनी आवश्यक है। उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण टर्म है स्टॉक स्प्लिट या शेयर स्प्लिट।
कई निवेशक अपने किसी निवेश किए गए शेयर में स्टॉक स्प्लिट होने पर चिंतित हो जाते हैं और उन्हें समझ में नहीं आता कि आखिर स्टॉक स्प्लिट क्या हैं (Share Split Meaning in Hindi) और उन्हें करना क्या होता है? जैसा कि हाल ही में IRCTC के स्टॉक स्प्लिट में हुआ था।
दोस्तों, इस आर्टिकल में हम स्टॉक स्प्लिट के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल करेंगे जिसमें शामिल होगा स्टॉक स्प्लिट क्या होता है (Stock Split Meaning in Hindi), रिवर्स स्टॉक स्प्लिट क्या होता है और स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है।
स्टॉक स्प्लिट क्या होता है | Stock Split Meaning in Hindi
स्टॉक स्प्लिट मीनिंग को हिंदी में समझे तो जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा हैं यह किसी कंपनी के स्टॉक्स के विभाजन की प्रक्रिया है। स्टॉक स्प्लिट एक Corporate Action होता है जिसमें कंपनियां अपने स्टॉक्स को एक निश्चित अनुपात में डिवाइड कर देती है।
शेयर स्प्लिट या स्टॉक स्प्लिट के अनुपात में उस कंपनी के शेयर के टुकड़े हो जाते हैं और प्रत्येक टुकड़ा एक नया शेयर बन जाता है। स्टॉक स्प्लिट होने की वजह से कंपनी के शेयर मार्केट में बढ़ (increase) जाते है।
इसके साथ ही कंपनी की शेयर प्राइस और फेस वैल्यू उसी अनुपात में कम हो जाते हैं जिसमें स्टॉक स्प्लिट होता हैं।
दोस्तों, इस उदाहरण से आपको आसानी से Stock Split meaning in Hindi समझ में आ जायेगा –
मान लेते है कि हमारे पास एबीसी लिमिटेड के 10 शेयर हैं जिसकी शेयर प्राइस ₹1,000 है। जबकि इसकी फेस वैल्यू ₹10 है। इस प्रकार हमारे कुल इन्वेस्टमेंट की वैल्यू ₹10,000 (₹1,000×10) हुई।
एबीसी लिमिटेड अपने शेयर को 2:1 में स्प्लिट करने का निर्णय करती है। इसका मतलब हुआ कि इस कंपनी का 1 शेयर 2 शेयर्स में बदल जाएगा। इसके साथ ही शेयर प्राइस और फेस वैल्यू आधे हो जायेंगे (2:1 में होने के कारण दो का भाग लगेगा)
स्टॉक स्प्लिट के बाद हमारे 10 शेयर, 20 शेयर में बदल जाएंगे। जबकि शेयर प्राइस ₹1,000 से ₹500 हो जाएगी। साथ ही फेस वैल्यू ₹10 से ₹5 हो जाएगी।
इस स्थिति को आप निम्न टेबल से समझ सकते हैं –
2:1 | Before Stock Split | After Stock Split |
कुल शेयर | 10 शेयर | 20 शेयर |
शेयर प्राइस | ₹1,000 | ₹500 |
फेस वैल्यू | ₹10 | ₹5 |
कुल इन्वेस्टमेंट वैल्यू | ₹10,000 | ₹10,000 |
स्टॉक स्प्लिट होने से टोटल इन्वेस्टमेंट वैल्यू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
दोस्तों, अगर एबीसी लिमिटेड ने 5:1 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट करने का निर्णय लेती तो इसका मतलब हैं कि एबीसी लिमिटेड का 1 शेयर, 5 शेयर में बदल जाएगा। यानि कि जिस शेयर होल्डर के पास में एक शेयर है उसे 5 शेयर मिलेंगे।
साथ ही शेयर प्राइस और फेस वैल्यू 1/5 हो जाएगी। इस प्रकार हमारे पास एबीसी लिमिटेड के 50 शेयर हो जाएंगे। शेयर प्राइस ₹200 हो जाएगी और फेस वैल्यू ₹2 हो जाएगी।
5:1 | Before Stock Split | After Stock Split |
कुल शेयर | 10 शेयर | 50 शेयर |
शेयर प्राइस | ₹1,000 | ₹200 |
फेस वैल्यू | ₹10 | ₹2 |
कुल इन्वेस्टमेंट वैल्यू | ₹10,000 | ₹10,000 |
स्टॉक स्प्लिट करने से कुल इन्वेस्टमेंट वैल्यू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसके अतिरिक्त शेयर स्प्लिट होने से कंपनी के बाजार पूंजीकरण पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। कंपनी का पूंजीकरण (capitalisation) जो पहले था वही रहता है। उम्मीद हैं की यहां तक आपको Share Split Meaning in Hindi समझ में आया होगा।
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कंपनी स्टॉक स्प्लिट क्यों करती है?
अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर कोई कंपनी स्टॉक स्प्लिट क्यों करती है? स्टॉक स्प्लिट करने का मुख्य कारण होता है किसी कंपनी का शेयर प्राइस बहुत अधिक हो जाना।
दूसरा कारण हो सकता है कि कंपनी की अपने पियर्स (peers) के मुकाबले शेयर प्राइस बहुत अधिक हो जाना। जैसे कि ऑटो सेक्टर में सभी कंपनियों के दाम ₹300 से ₹500 के बीच चल रहे हैं जबकि एक ऑटो सेक्टर की कंपनी के 1 शेयर का मूल्य ₹2,000 तक पहुंच गया है।
ऐसी स्थिति में अधिकतर निवेशक उस कंपनी में निवेश करना पसंद नहीं करेंगे। ऐसे में वह कंपनी Stock Split लाकर अपने स्टॉक प्राइस को ₹300 से ₹500 के बीच सेटल कर सकती हैं।
एक अन्य कारण में कंपनी लिक्विडिटी (liquidity) की मात्रा बढ़ाने के लिए भी Stock Split कर सकती है। स्टॉक स्प्लिट होने से छोटे निवेशक सोचते हैं कि पहले के मुकाबले कंपनी का शेयर अधिक सस्ता हो गया है और इस प्रकार शेयर्स की डिमांड में इजाफा होता है।
Key Takeaways :
- स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयर्स की संख्या बढ़ जाती है।
- कंपनी के मार्किट कैप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- स्टॉक स्प्लिट के अनुपात में स्टॉक प्राइस और फेस वैल्यू कम हो जाती है।
Stock Split के फायदे
निवेशकों को फायदें :
पुराने निवेशक जिनके पास कंपनी के शेयर पहले से मौजूद है, उनके पास शेयर्स की संख्या में इजाफा होता है। शेयर्स की संख्या बढ़ने से उनको अधिक डिविडेंड प्राप्त होता है।
शेयर का मूल्य कम हो जाने की वजह से छोटे निवेशक भी आसानी से कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं।
कंपनी को फायदा :
स्टॉक स्प्लिट होने की वजह से शेयर का दाम कम हो जाता हैं जिससे कंपनी के शेयर में लिक्विडिटी की मात्रा बढ़ जाती है।
Reverse Stock Split क्या होता है?
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट, बिल्कुल स्टॉक स्प्लिट का विपरीत होता है। रिवर्स स्टॉक स्प्लिट करके कंपनियां अपने शेयर मार्केट में कम करती है जिससे कि कंपनी के स्टॉक प्राइस में इजाफा होता है।
जब किसी कंपनी को लगे कि उसके शेयर की प्राइस उसके कॉम्पिटिटर्स की तुलना में काफी कम हो गई है तो वे रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का उपयोग करके स्टॉक प्राइस को बढ़ाती है। रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में भी हमारी इन्वेस्टमेंट वैल्यू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं।
चलिए Revers Share Split को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं –
मान लेते हैं की हमारे पास एबीसी लिमिटेड के 100 शेयर हैं। जिसके एक शेयर का प्राइस ₹10 है और फेस वैल्यू ₹2 है। इस प्रकार हमारी टोटल इन्वेस्टमेंट वैल्यू हुई ₹1,000.
यदि एबीसी लिमिटेड 1:5 में रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का निर्णय लेती है तो इसका मतलब हुआ कि एबीसी लिमिटेड के प्रत्येक 5 शेयर मिलकर 1 शेयर में कन्वर्ट हो जाएंगे। साथ ही शेयर प्राइस और फेस वैल्यू 5 गुना हो जाएगी।
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के बाद हमारे पास 20 शेयर (100 शेयर / 5) हो जाएंगे। शेयर प्राइस ₹50 (₹10×5) और फेस वैल्यू ₹10 (₹2×5) हो जाएगी। जबकि इन्वेस्टमेंट वैल्यू ₹1,000 ही रहेगी।
1:5 | Before Reverse Stock Split | After Reverse Stock Split |
कुल शेयर | 100 शेयर | 20 शेयर |
शेयर प्राइस | ₹10 | ₹50 |
फेस वैल्यू | ₹2 | ₹10 |
कुल इन्वेस्टमेंट वैल्यू | ₹1,000 | ₹1,000 |
Stock Split Vs Bonus issue
इन दोनों मेथड्स का उपयोग करके कंपनियां अपने शेयर होल्डर्स को रिवॉर्ड करती हैं। शेयर स्प्लिट और बोनस शेयर दोनों में शेयर होल्डर को अपनी तरफ से कुछ भी नहीं करना होता हैं।
बोनस इशू | स्टॉक स्प्लिट | |
अर्थ | बोनस इश्यू में शेयरधारकों को मुफ्त में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं। | स्टॉक स्प्लिट में कंपनी के मौजूदा शेयर धारकों के शेयरों को एक निश्चित अनुपात में विभाजित किया जाता है। |
उदाहरण | 4:1 बोनस इश्यू के लिए, शेयरधारकों को प्रत्येक शेयर के लिए चार शेयर निःशुल्क प्राप्त होंगे। | 1:2 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट में, प्रत्येक 1 शेयर के लिए, 2 शेयर दिए जायेंगे। |
फेस वैल्यू | कोई परिवर्तन नहीं होता है। | स्टॉक स्प्लिट में घटती हैं। |
उद्देश्य | लाभांश के रूप में देना। | शेयर प्राइस घटाना, लिक्विडिटी बढ़ाना। |
बोनस शेयर क्या होता है की अधिक जानकारी के लिए आप ये पोस्ट पढ़ सकते हैं।
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FAQ : Stock Split Meaning in Hindi
निष्कर्ष
दोस्तों, आज आपने इस आर्टिकल में जाना कि स्टॉक स्प्लिट क्या होता है – Stock Split Meaning in Hindi और स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर में क्या अंतर होता है।
अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया नेटवर्क पर जरूर शेयर करें और अगर आपके कोई सवाल है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।
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शेयर स्प्लिट का मतलब क्या होता है?
शेयर स्प्लिट का मतलब होता हैं शेयर को डिवाइड कर देना। इसमें स्टॉक्स को एक निश्चित अनुपात में विभाजित कर दिया जाता हैं।
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बोनस शेयर और स्प्लिट शेयर में क्या अंतर है?
बोनस इश्यू में शेयर होल्डर्स को फ्री में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं।
जबकि शेयर स्प्लिट में कंपनी के मौजूदा शेयर होल्डर्स के शेयर्स को एक निश्चित अनुपात में विभाजित किया जाता है। -
क्या मुझे स्टॉक स्प्लिट से पहले खरीदना चाहिए?
अगर संक्षेप में बात की जाए तो स्टॉक स्प्लिट से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। आपको स्प्लिट की जगह कंपनी का बिज़नेस मॉडल और फाइनेंसियल देखने की आवश्यकता हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों, आज आपने इस आर्टिकल में जाना कि स्टॉक स्प्लिट क्या होता है – Stock Split Meaning in Hindi और स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर में क्या अंतर होता है।
अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया नेटवर्क पर जरूर शेयर करें और अगर आपके कोई सवाल है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।