शेयर मार्केट क्या है | स्टॉक मार्केट की Ultimate Guide 2024

वर्तमान में समय में निवेश बहुत ही महत्वपूर्ण हो चुका हैं और हम सभी किसी न किसी उद्देश्य से निवेश करते हैं। अभी शेयर मार्केट लोगों के बीच काफी लोकप्रिय निवेश विकल्प हैं।

तो यदि आप शेयर मार्केट में बिलकुल नए हैं तो बिलकुल सही आर्टिकल पर हैं। यदि आप ये पोस्ट पूरी पढ़ लेते हैं तो आपको कहीं ओर नहीं जाने की आवश्यकता पड़ेगी। इसमें हम जानेंगे की शेयर मार्केट क्या हैं और बिलकुल आसान भाषा में शेयर मार्केट की पूरी ABCD समझेंगे।

चलिए शेयर मार्केट के एक-एक पॉइंट को क्रम वाइज समझते हैं।

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1 शेयर मार्केट क्या है | What is Share Market in Hindi

शेयर मार्केट क्या है | What is Share Market in Hindi

यदि बिलकुल आसान भाषा में समझें की शेयर मार्केट क्या है तो शेयर मार्केट उस जगह को कहते हैं जहाँ लिस्टेड कंपनीज के शेयर की खरीद और बिक्री की जाती हैं।

स्टॉक्स की ख़रीदारी और बिकवाली किसी स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से की जाती हैं। लिस्टेड कंपनिया वो होती हैं जो किसी स्टॉक एक्सचेंज पर अपने शेयर्स ट्रेड करने के लिए लिस्टेड होती हैं। शेयर बाजार में शेयर्स के अलावा बांड्स, म्यूच्यूअल फंड्स, डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट भी  ट्रेड किये जाते हैं।

वर्तमान समय में भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज कार्यरत हैं –

  1. NSE – National Stock Exchange
  2. BSE – Bombay Stock Exchange

शेयर क्या होता है | Shares Meaning in Hindi

What is Share Market in Hindi

शेयर का अर्थ होता है “हिस्सा” यानि के किसी कंपनी के स्वामित्व का एक हिस्सा जो की एक शेयर (one share) होता हैं। एक शेयर कंपनी की पूंजी का सबसे छोटा भाग होता हैं। शेयर को स्टॉक या इक्विटी भी कहा जाता हैं।

शेयर क्या होता है को सही तरीके से समझने के लिए हम एक उदाहरण देखते हैं –

मान लीजिए AB लिमिटेड की कुल पूंजी ₹1,000 हैं। ये कंपनी अपनी कुल पूंजी को 100 समान भागों में बांट देती है। इस तरह कंपनी के प्रत्येक भाग की वैल्यू ₹10 (1000÷100) हुई। ये ₹10 का भाग ही AB लिमिटेड का सबसे छोटा भाग है। पूंजी का ये सबसे छोटा भाग ही शेयर कहलाता हैं।

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कंपनी की कुल पूंजी को शेयर कैपिटल (Share Capital) भी कहा जाता हैं। कंपनी की शेयर कैपिटल इस फॉर्मूले द्वारा निकाली जाती हैं –

SHARE CAPITAL = Total number of Shares × Share Price

इस उदाहरण में कुल शेयर 100 हैं और शेयर प्राइस ₹10 तो कंपनी की शेयर कैपिटल ₹1,000 हुई।

शेयर क्या होता है – 

  • आपके द्वारा होल्ड किये गए शेयर्स किसी कंपनी में आपकी इक्विटी ओनरशिप को दर्शाते हैं।
  • शेयर मार्केट में प्रचलित टर्म्स शेयर, इक्विटी और स्टॉक एक ही होते हैं।

शेयर ख़रीदने के क्या फायदे हैं?

यदि आपके पास किसी कंपनी के स्टॉक्स है तो आपको शेयर होल्ड करने के कई लाभ प्राप्त होते हैं।

1. लाभांश (Dividend) – यदि किसी कंपनी के शेयर आपके डीमैट अकाउंट में है और वो कंपनी अच्छा मुनाफा कमा रही है तो कंपनी आपको डिविडेंड का भुगतान कर सकती हैं। ये डिविडेंड सीधा आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट होता हैं।

2. शेयर वैल्यू ग्रोथ (Share value growth) – यदि आपके द्वारा खरीदे गए शेयर के मूल्य में वृद्धि होती है तो आप इसे बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हैं। यदि कंपनी का बिजनेस अच्छा चल रहा है और कंपनी लगातार ग्रो कर रही है तो धीरे-धीरे कंपनी के स्टॉक प्राइस में भी वृद्धि होगी।

3. राइट शेयर और बोनस शेयर – कभी-कभी आपकी कंपनी द्वारा बोनस शेयर और राइट इश्यू लाने पर भी आपके शेयर्स की संख्या में इजाफ़ा होता हैं।

आईपीओ क्या होता है | IPO Meaning in Hindi

आईपीओ का मीनिंग Initial Public Offer होता हैं। जिसे हिंदी में सार्वजनिक प्रस्ताव या पब्लिक इशू भी कहा जाता हैं। IPO की प्रक्रिया द्वारा एक प्राइवेट कंपनी या कॉर्पोरेशन अपना कुछ हिस्सा बेचकर पब्लिक कंपनी (सार्वजनिक कंपनी) बन जाती हैं।

किसी नई कंपनी का IPO मार्केट में आने से निवेशकों को उनके शेयर्स खरीदकर उस कंपनी के व्यापार में भागीदार बनने का सुनहरा अवसर होता हैं। आईपीओ क्या होता हैं, समझने के बाद अब बात करते हैं की कंपनी आईपीओ क्यों लाती हैं।

कंपनी IPO के द्वारा अपने शेयर क्यों बेचती हैं?

अब आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर कोई कंपनी अपने शेयर जनता को बेचने के लिए क्यों जारी करती हैं या IPO क्यों लेकर आती हैं।

किसी कंपनी द्वारा IPO लाने के कई कारण हो सकते हैं जो की निम्न हैं –

1. कर्ज का भुगतान करने के लिए – कई बार किसी कंपनी पर बहुत अधिक कर्ज (debt) हो जाता हैं। बैंको से ओर अधिक कर्ज लेने की बजाय ये कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचकर IPO के माध्यम से पैसे जुटाने का प्रयास करती हैं। आईपीओ की वजह से कंपनी के ऊपर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ता। IPO के माध्यम से पैसा जुटाकर कंपनी या तो कर्जमुक्त हो जाती हैं या अपना कर्ज कम कर लेती हैं।

2. व्यापार के विकास एवं विस्तार के लिए – कई बार कंपनी अपने बिज़नेस के विस्तार के लिए जैसे के नई यूनिट लगाना, नई सर्विस, नया प्रोडक्ट लांच करने के लिए पैसों की आवश्यकता पड़ती हैं। इस स्थिति में कंपनी बैंक से डेब्ट लेने के बजाय IPO के माध्यम से फ्रेश कैपिटल जुटाने का प्रयास करती हैं।

3. मार्केट में प्रतिष्ठा के लिए – कोई भी कंपनी स्टॉक मार्केट में रजिस्टर्ड होकर अपनी विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा में वृद्धि करना चाहती हैं। शेयर मार्केट में लिस्ट होने के उस कंपनी की तरलता (Liquidity) में भी इजाफ़ा होता हैं।

आईपीओ में GMP क्या होता हैं?

अब बात करते हैं Grey Market Meaning in Hindi की। आईपीओ के द्वारा शेयर बाजार में लिस्ट होने से पहले कंपनी के शेयर ग्रे मार्केट में ट्रेड होते हैं।

इसी ट्रेडिंग के आधार पर ही IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम निकल कर आता हैं। GMP वह प्राइस होती हैं जो की Buyer को एक शेयर की इशू प्राइस के ऊपर चुकाना होता हैं।

जैसे की किसी IPO का एक शेयर ₹100 की इशू प्राइस के साथ आया हैं। अगर इस शेयर का GMP ₹10 चल रहा हैं तो क्रेता को इसे ग्रे मार्केट में खरीदने के लिए कुल ₹110 देने होंगे। ग्रे मार्केट में GMP हमेशा एक शेयर का ही होता हैं। ये GMP इन्वेस्टर्स को अंदाजा देता हैं की शेयर की लिस्टिंग अच्छी होगी या नहीं।

ग्रे मार्केट प्रीमियम में ग्रे शब्द अनऑफिशियल को बताता हैं। यानि की GMP वैध मार्केट की टर्म नहीं हैं। प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट दोनों सेबी द्वारा रेगुलेटेड होते हैं परन्तु ग्रे मार्केट नहीं।

आईपीओ में कैसे इन्वेस्ट करें?

वर्तमान समय में IPO investment करना बहुत ही आसान हो चुका हैं। आईपीओ में अप्लाई करने के लिए एक बैंक अकाउंट और डीमैट अकाउंट होना जरुरी हैं। किसी भी IPO में ASBA (इंटरनेट बैंकिंग) या UPI के माध्यम से अप्लाई किया जा सकता हैं। एक IPO ऑफर सामान्यतः 3 से 5 दिन के लिए खुला रहता हैं। इस अवधि के दौरान आप आईपीओ में अप्लाई कर सकते हैं।

डीमैट अकाउंट क्या है?

चलिए अब बात करते हैं सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट की डीमैट अकाउंट क्या है

डीमैट अकाउंट एक ऑनलाइन अकाउंट होता हैं जिसे आप अपने बैंक अकाउंट की तरह से समझ सकते। डीमैट अकाउंट आपके ख़रीदे हुए शेयर्स को स्टोर रखने में काम आता हैं। इस तरह डीमैट अकाउंट शेयर्स के लिए लॉकर का कार्य करता हैं।

Dematerialization प्रक्रिया के तहत आपके शेयर फिजिकल फॉर्म के बजाय इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्टोर रखे जाते है। जिन्हें आप आसानी से किसी भी वक़्त कहीं भी एक्सेस कर सकते हैं।

डीमैट अकाउंट का उपयोग शेयर के अलावा म्यूच्यूअल फंड्स, Govt. securities को स्टोर करने में किया जाता हैं। यदि आपके पास अपना डीमैट अकाउंट नहीं हैं तो आप शेयर मार्केट में निवेश नहीं कर सकते।

ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता हैं?

कई निवेशक डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों को एक ही समझते हैं। परंतु वास्तविकता में ऐसा नहीं हैं।

आपके ख़रीदे हुए शेयर डीमैट अकाउंट में स्टोर रहते हैं, जो कि CDSL या NSDL में जमा रहते हैं।

वही ट्रेडिंग अकाउंट शेयर खरीदने या बेचने के लिए काम आता हैं। इस प्रकार ट्रेड (Buy & Sell) करने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट प्रयोग किया जाता हैं। डीमैट अकाउंट के माध्यम से आप शेयर खरीद या बेच नहीं सकते हैं। ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से ख़रीदे गए शेयर डीमैट अकाउंट में क्रेडिट होते हैं।

लेकिन आज के समय सभी स्टॉक ब्रोकर आपको डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ऑफर करते हैं जिससे आपको दोनों को अलग से मेन्टेन नहीं करना होता।

डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए किन डाक्यूमेंट्स की जरुरत होती हैं?

आप निम्न डाक्यूमेंट्स की मदद से डीमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं-

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  • पहचान पत्र (Proof of Identity) – पैन कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइवविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, वोटर कार्ड, नरेगा कार्ड में से कोई एक पहचान पत्र।
  • एड्रेस प्रूफ (Address proof) – पासपोर्ट, आधार, वोटर कार्ड, ड्राइवविंग लाइसेंस, नरेगा, टेलीफोन या बिजली का बिल में से कोई एक एड्रेस प्रूफ।
  • Proof of Bank – कैंसिल चेक या ऑनलाइन बैंक स्टेटमेंट। बैंक अकाउंट आपके खुद के नाम से होना चाहिए।

डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए पैन कार्ड जरुरी हैं। इसके बिना आप अपना डीमैट अकाउंट नहीं खुलवा सकते। पैन कार्ड कैसे बनाएं के लिए आप ये पोस्ट पढ़ सकते हैं।

Demat Account कैसे खोले?

चलिए अब बात करते हैं कि Demat Account कैसे खोलें?

वर्तमान में सभी ब्रोकर Demat and Trading account एक साथ खोलने की सुविधा ऑफर करते हैं। डिमैट अकाउंट ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीके से खोला जा सकता हैं। ऑनलाइन मोड में आपकी ऑनलाइन eKYC कर दी जाती हैं। साथ ही ऑनलाइन तरीके में आपको कोई कागजी कार्रवाई भी नहीं करनी पड़ती हैं।

आप जिस भी स्टॉक ब्रोकर के साथ अपना डीमैट खाता ओपन करवाना चाहते हैं, आपको उसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर सभी स्टेप्स को फॉलो करना होता हैं।

इसमें आमतौर पर एक-दो दिन में आपका अकाउंट एक्टिवेट कर दिया जाता हैं। अकाउंट एक्टिव होने पर आप ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग शुरू कर सकते हैं। साथ ही आपको डीमैट अकाउंट की जानकारी ईमेल और मोबाइल पर भेज दी जाती हैं।

यदि आप ऑफलाइन तरीके से डीमैट खाता खुलवाना चाहते हैं आपको आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी एप्लीकेशन स्टॉक ब्रोकर के ऑफिस में जमा करवानी होती हैं। यदि ब्रोकर सुविधा दे तो आप एप्लीकेशन के साथ डाक्यूमेंट्स को कोरियर भी करवा सकते हैं।

डीमैट अकाउंट कौन खुलवा सकता हैं?

18 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति स्वयं के नाम से डीमैट अकाउंट खोल सकता हैं। जबकि 18 वर्ष से कम उम्र के Minor के लिए उसके पेरेंट्स या क़ानूनी संरक्षक के नाम पर डीमैट खाता खुलवाया जा सकता हैं। 18 वर्ष की उम्र पूरी होने पर उस व्यक्ति के नाम पर डीमैट अकाउंट ट्रांसफर कर दिया जाता हैं।

बेस्ट डीमैट अकाउंट

मार्केट में इतने सारे स्टॉक ब्रोकर हैं की एक नया निवेशक दुविधा में पड़ सकता हैं की किस स्टॉक ब्रोकर के साथ में डीमैट अकाउंट खुलवाए।

लेकिन हम आपको 3 बेस्ट डीमैट अकाउंट बता रहे हैं जो की सबसे बेस्ट डिस्काउंट ब्रोकर हैं।

1. Upstox – Upstox डीमैट अकाउंट RKSV India Pvt. Ltd द्वारा ऑफर किये जाने वाला ऑनलाइन शेयर ब्रोकर हैं। न्यूनतम ब्रोकरेज, एडवांस टेक्नोलॉजी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और हाई मार्जिन्स की वजह से Upstox बेस्ट ब्रोकर्स में से एक हैं।

अपने ग्राहकों को Upstox फ्री में डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की सुविधा ऑफर करता हैं। इस डीमैट अकाउंट में डिलीवरी ट्रांसेक्शन पर जीरो ब्रोकरेज और इंट्राडे के ट्रांसेक्शन पर अधिकतम ₹20 की ही ब्रोकरेज लगती हैं।

आप Upstox क्या है और इसमें अकाउंट कैसे खुलवाए की जानकारी इस पोस्ट से प्राप्त कर सकते हैं।

2. Zerodha – ज़ेरोधा ब्रोकर एक सेबी रजिस्टर्ड डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर हैं जो शेयर्स और म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट ऑफर करता हैं। यदि किसी व्यक्ति कोई शेयर बाजार या म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करना हैं तो वे Zerodha में अकाउंट ओपन करवा सकते हैं।

What is Zerodha in Hindi की विस्तार में जानकारी यहां से ली जा सकती हैं।

3. Angel One – Angel One क्या है, ये एक स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी हैं जो की शेयर और म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश ऑफर करता हैं। एंजेल वन काफी पुराना ब्रोकर हैं जो की 1996 में स्थापित हुआ था।

पहले एंजेल ब्रोकिंग एक फुल सर्विस ब्रोकिंग कंपनी थी लेकिन अब इस कंपनी ने डिस्काउंट ब्रोकिंग में अपने कदम रख दिए हैं। साथ ही ये एडवाइजरी सर्विसेज भी उपलब्ध करवाती हैं।

मार्केट कितने प्रकार का होता है?

सामान्यतः शेयर मार्केट को दो भागों में बांटा जा सकता हैं।

(i) Primary Market – प्राइमरी मार्केट वह मार्केट होता हैं जहां पर शेयर अपने अस्तित्व में आते हैं। इस मार्केट में कंपनी अपने शेयर की प्राइस स्वयं तय करके जनता को ख़रीदने के लिए आमंत्रित करती है। जब कोई कंपनी पहली बार शेयर जनता को बेचने के लिए निकालती हैं तो वह आईपीओ (IPO) कहलाता हैं।

(ii) Secondary Market – प्राइमरी मार्केट (आईपीओ) में शेयर बेचे जाने के बाद में वे शेयर सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हो जाते हैं। सेकेंडरी मार्केट में बिना फर्स्ट issuer के शेयर खरीदे-बेचे जा सकते हैं।

उदाहरण के लिए आपको HDFC बैंक के शेयर खरीदने हैं तो आप सीधे HDFC के पास नहीं जाएंगे। बल्कि आप अपने शेयर ब्रोकर के माध्यम से अपनी बिड (BID) लगाकर शेयर खरीदेंगे।

यदि आपको यहाँ तक शेयर मार्केट क्या है की ये जानकारी अच्छी लग रही हो तो इसे पढ़ना जारी रखें। 

भारत में शेयर मार्केट को कौन रेगुलेट करता हैं?

SEBI यानि की Securities Exchange Board of India भारत में प्रतिभूति एवं कमोडिटी मार्केट का नियामक या रेगुलेटर है। SEBI इन्वेस्टर प्रोटेक्शन और स्टॉक एक्सचेंज रेगुलेटर के रूप में काम करता है। सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी।

सेबी ही शेयर बाजार से सम्बंधित रूल्स और रेगुलेशन बनाता हैं और उनकी पालना सुनिश्चित करता हैं।

शेयर बाजार कैसे काम करता हैं?

शेयर बाजार कैसे काम करता हैं, इसे हम निम्न स्टेप्स से समझ सकते हैं –

  • Share Market में स्टॉक ब्रोकर, निवेशक और स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक मध्यस्थ या इंटरमीडियरी का काम करते हैं। एक निवेशक के तौर पर हम अपने स्टॉक ब्रोकर के प्लेटफार्म के माध्यम से Buy या Sell का ऑर्डर डालते हैं।
  • शेयर ब्रोकर हमारा ऑर्डर एक्सचेंज को भेजता हैं।
  • फिर एक्सचेंज हमारे लिए buyer या seller जैसा भी हो, ढूंढता हैं।
  • इसके बाद एक्सचेंज ऑर्डर को स्टॉक ब्रोकर को कंफर्म कर देता है।
  • इससे आपका ऑर्डर कंप्लीट हो जाता है और buyer और seller में मनी एक्सचेंज हो जाती हैं।

Sensex क्या है?

यदि Sensex Meaning in Hindi की बात की जाए तो सेंसेक्स भारतीय शेयर मार्केट का एक सूचकांक (Index) हैं। सेंसेक्स उन सभी भी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता हैं जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्टेड हैं।

सेंसेक्स इंडेक्स BSE की टॉप 30 कंपनियों से मिलकर बना होता हैं। ये 30 कंपनिया BSE पर लिस्ट होती हैं जो बाज़ार पूंजीकरण के आधार पर देश की सबसे बड़ी कंपनिया होती हैं। जिस तरह किसी व्यक्ति की ब्लड रिपोर्ट  उसकी सेहत का हाल बताती हैं उसी तरह सेंसेक्स भी सम्पूर्ण मार्केट का हाल बताता हैं। इसी वजह से सेंसेक्स को भारतीय घरेलू बाजार की नब्ज भी माना जाता हैं।

यदि सेंसेक्स की इन 30 कंपनियों का मूल्य बढ़ता हैं तो सेंसेक्स भी ऊपर ओर जाता हैं। वैसे ही सेंसेक्स के शेयर के मूल्य में गिरावट आने से सेंसेक्स के मूल्य में भी गिरावट देखी जाती हैं।

सेंसेक्स कैसे गिरता और बढ़ता हैं?

आपने देखा होगा की सेंसेक्स कभी गिरा हुआ (लाल निशान) और कभी बढ़ा हुआ (हरे निशान) में रहता है। लेकिन आख़िर सेंसेक्स क्यों गिरता और बढ़ता है?

जैसा कि आपने ऊपर जाना है कि सेंसेक्स में कुल 30 कंपनियां होती हैं। मान लेते हैं की किसी सोमवार को इन 30 कंपनियों की एवरेज प्राइस ₹100 थी। अब मंगलवार को इनकी प्राइस बढ़कर ₹105 हो गई। तो इस स्थिति में सेंसेक्स भी उसी अनुपात में बढ़ जाएगा। वैसे ही अगर बुधवार को एवरेज प्राइस घटकर ₹95 रह गई तो सेंसेक्स पिछले दिन के मुकाबले घट जायेगा।

इस तरह सेंसेक्स घटेगा या बढ़ेगा ये सेंसेक्स के 30 शेयर के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। सेंसेक्स का मूल्य लगातार ट्रेडिंग डे के दौरान बदलता रहता हैं।

किसी भी कंपनी के शेयर का घटना या बढ़ना कंपनी के फाइनेंसियल और बिज़नेस मॉडल पर निर्भर करता हैं। लगातार प्रॉफिट को बढ़ाने वाली कंपनी के शेयर का प्राइस निरंतर बढ़ता रहता हैं। वही वित्तीय रूप से असक्षम और कमजोर बिजनेस मॉडल वाली कंपनी के शेयर का दाम कम होता रहता हैं।

NIFTY क्या होता हैं?

निफ्टी भी एक स्टॉक मार्केट इंडेक्स ही हैं। Nifty शब्द National Stock Exchange के नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना हुआ है। निफ़्टी इंडेक्स में भारत की टॉप 50 कंपनियां शामिल होती हैं।

ये इंडेक्स भी पूरे शेयर मार्केट का हाल-चाल बताता है। आप निफ्टी इंडेक्स को देखकर बता सकते हैं कि आज शेयर मार्केट ऊपर हैं या नीचे, यानि की शेयर बाजार बढ़ा हुआ है या डाउन हैं। निफ़्टी भी सेंसेक्स की तरह ही चढ़ता और घटता हैं।

इंडेक्स क्या होता हैं?

इंडेक्स को हिंदी – Index in Hindi में “सूचकांक” कहते हैं। शेयर मार्केट में कोई इंडेक्स भिन्न-भिन्न प्रकार की सिक्योरिटीज या कंपनीज से मिलकर बना होता हैं।

इस प्रकार वो इंडेक्स स्वयं में शामिल सभी शेयर्स का प्रतिनिधित्व करता हैं। किसी विशेष सूचकांक में अलग-अलग सेक्टर्स की बहुत सी कंपनिया हो सकती हैं। प्रत्येक इंडेक्स का एक विशेष एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया होता हैं। इस क्राइटेरिया को  पूरा करने के बाद ही वो कंपनी उस इंडेक्स में शामिल हो सकती हैं।

Equity क्या होती हैं?

Equity Meaning in Hindi को समझे तो इक्विटी कंपनी के मालिक की या निवेशक की हिस्सेदारी होती हैं। किसी व्यापार को शुरू करने के लिए जो पैसा मालिक के द्वारा लगाया जाता है वो ही इक्विटी मानी जाती है।

जैसे कि आपने HDFC बैंक के 10 शेयर खरीद रखे हैं और HDFC के मार्केट में कुल 1,000 शेयर मौजूद हैं। इसका अर्थ हुआ कि आपकी HDFC बैंक में 1% की हिस्सेदारी हैं या आपके पास HDFC Bank की 1% इक्विटी हैं। इसका मतलब हुआ की आप HDFC बैंक में एक पर्सेंट के मालिक हैं।

मल्टीबैगर स्टॉक क्या होता है?

चलिए अब समझते हैं Multibagger Stock Meaning in Hindi. मल्टीबैगर स्टॉक को सबसे पहले मिस्टर पीटर लिंच की किताब ‘वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट’ में इस्तेमाल किया गया था।

यदि आसान भाषा में समझा जाएं तो मल्टीबैगर स्टॉक वो शेयर होते हैं जो की निवेश की गई राशि पर 1 गुना या अधिक रिटर्न बनाकर देते हैं। साथ ही ये रिटर्न बहुत ही कम समय में बनता हैं। इसलिए कम समय में अधिक रिटर्न देने वाले स्टॉक्स को मल्टीबैगर रिटर्न स्टॉक कहा जाता है।

उदाहरण के लिए जैसे कि आपने ₹100 का एक शेयर खरीदा जो कि साल भर में बढ़कर ₹300 का हो जाता हैं तो ये स्टॉक  3X मल्टीबैगर माना जाएगा। स्टॉक जितने फोल्ड रिटर्न बनाकर देता है उसके अनुसार स्टॉक के मल्टीबैगर तय होते हैं जैसे कि 2X मल्टीबैगर, 3X मल्टीबैगर, 4X  मल्टीबैगर।

इस प्रकार ऐसे शेयर जो मूल निवेश पर कई गुना रिटर्न बनाकर देते हैं, उसे मल्टीबैगर स्टॉक कहते हैं।

रेवेन्यू क्या होती हैं?

रेवेन्यू वह पैसा होती हैं जो कोई कंपनी व्यापार करके कमाती हैं। मतलब की किसी कंपनी द्वारा अपना माल बेचकर जो पैसा प्राप्त होता हैं उसे ही Revenue कहा जाता हैं। रेवेन्यू को हिंदी में राजस्व कहा जाता हैं। Revenue को एक निश्चित अवधि के लिए निकाला जाता हैं जो की आमतौर पर वार्षिक या तिमाही के लिए होता हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती हैं?

चलिए अब समझते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?

जैसे की हमें इंट्राडे ट्रेडिंग के नाम से ही पता चल रहा हैं ये ट्रेडिंग एक दिन के भीतर ही की जाने वाली ट्रेडिंग होती हैं। मतलब की इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर Buy और Sell दोनों सौदे एक ही ट्रेडिंग दिन में कर दिए जाते हैं।

चलिए इंट्राडे ट्रेडिंग को एक आसान उदाहरण की मदद से समझते हैं –

मान लेते हैं कि आज सुबह 10:00 बजे आपने SBI बैंक के 100 शेयर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए खरीदें। जबकि आपको आज उम्मीद हैं कि SBI का शेयर ऊपर की ओर जाएगा। यदि आप इन खरीदे हुए 100 शेयर्स को उस ट्रेडिंग डे की समाप्ति मतलब के शाम के 3:30 बजे से पहले बेच देते हैं तो इंट्राडे ट्रेडिंग कहलाती हैं।

यदि आप इन स्टॉक्स को बेचना भूल जाते हैं तो ये शेयर आपके स्टॉक ब्रोकर के द्वारा ऑटोमेटिक स्क्वायर ऑफ किए जा सकते हैं। कहने का मतलब हैं की वह खुद आपकी तरफ से ये स्टॉक बेच देगा या आपके शेयर्स को इंट्राडे से बदलकर डिलीवरी में कन्वर्ट कर देगा।

ये ट्रेडिंग काफी अधिक रिस्क होती हैं इसमें आपको बहुत अधिक फायदा तो बहुत अधिक नुकसान भी हो सकता हैं। इसलिए आपको इंट्राडे ट्रेडिंग को सीखने के बाद और पूरी रिसर्च के साथ ही करना चाहिए।


इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम

चलिए अब Intraday Trading Time in Hindi को देखते हैं।

यदि इक्विटी स्टॉक मार्केट की बात की जाएं तो ये मार्केट ट्रेडिंग डे के सुबह 9:15 पर खुलता हैं। जबकि ये शाम को 3:30 तक खुला रहता हैं। इस समय अवधि के दौरान लगभग 6.15 घण्टे का समय रहता हैं। ट्रेडर इस दौरान विभिन्न अवसरों का फ़ायदा उठाने की पूरी जोर आजमाइश करते हैं।

लेकिन वास्तविक रूप में इंट्राडे ट्रेडिंग करने का समय सुबह 9:15 से शुरू होता हैं जो आमतौर पर शाम के 03:20 तक रहता हैं। मतलब की यदि आपने सुबह कोई इंट्राडे सौदा लिया हैं और आपने उसे खुद स्क्वायर ऑफ नहीं किया हैं तो वो सौदा लगभग 03:20 पर कट जायेगा। सभी शेयर ब्रोकर में ऑटो स्क्वायर ऑफ का टाइम अलग-अलग होता हैं। किसी स्टॉक ब्रोकर में ये समय 03:00 बजे का होता हैं तो किसी में 03:10 का।

Short Selling क्या होती हैं?

अगर Short Selling Meaning in Hindi को आसान भाषा में समझे तो यदि किसी ट्रेडर को लगता हैं की किसी विशेष शेयर का मूल्य कम होने वाला हैं तो वह अपने ब्रोकर से वह शेयर उधार ले लेता हैं। इसके बाद वो उन शेयर्स को मार्केट में बेच देता हैं। जब उस स्टॉक का मूल्य गिर जाता हैं तो निवेशक उन शेयर्स को वापस खरीदकर अपने शेयर ब्रोकर को लौटा देता हैं।

सामान्य ट्रेडिंग में आप पहले शेयर खरीदते हैं और बाद में बेचते हैं। परन्तु Short Selling में शेयर पहले बेचे जाते हैं और बाद में ख़रीदे जाते हैं। स्टॉक का possession नहीं होने के बावजूद स्टॉक को बेच देने के कारण इस ट्रेडिंग को Short करना कहा जाता हैं।

मुख्य पॉइंट:

  • Short Seller इस उम्मीद से शेयर को शॉर्ट करता हैं की शॉर्ट करने के बाद शेयर के मूल्य में गिरावट आयेगी।
  • Short Selling में ट्रेडर को फायदा और नुकसान दोनों हो सकता हैं।
  • इस ट्रेडिंग में प्रॉफिट तभी होता हैं जब closing price, आपकी entry price से कम होती हैं।
  • Short Selling को किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग

जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा हैं इस ट्रेडिंग में आपको शेयर खरीदने या बेचने का ऑप्शन होता हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग में आपके पास एक निश्चित तारीख पर एक निश्चित मूल्य पर शेयर ख़रीदने या बेचने का ऑप्शन होता हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास विकल्प होता हैं चाहे वो अपने ऑप्शन को ले या न ले।

अगर आसान भाषा में Option Trading in Hindi को समझे तो ऑप्शंस एक कॉन्ट्रेक्ट होता है जो एक Underlying Asset से जुड़ा होता हैं जैसे की स्टॉक या इंडेक्स। ये कॉन्ट्रेक्ट एक निर्धारित समय अवधि के लिए होते हैं। ये समय अवधि सप्ताह से लेकर महीनों तक की हो सकती है।

जब आप कोई Option खरीदते हैं, तो आपके पास उस स्टॉक को ख़रीदने या बेचने का (जैसे भी हो) अधिकार होता हैं। लेकिन आप इसके लिए बाध्य नहीं होते है। अगर आप ऑप्शन की डेट पर अपना ट्रेड एक्सीक्यूट नहीं करते तो इस “ऑप्शन का प्रयोग” करना कहते हैं।

यदि सिक्योरिटी या शेयर की प्राइस ऊपर जाती है, तो ऑप्शन के द्वारा आप अधिक लाभ कमा सकते हैं। क्योंकि इसमें आपको सिर्फ प्रीमियम ही देना होता है न की पूरा पैसा।

साथ ही ऑप्शन ट्रेडिंग में आपका नुकसान भी सीमित हो जाता है। यदि सिक्योरिटी की प्राइस कम होती है तो आपके पास अधिकार होता हैं की आप उस सिक्योरिटी को न ख़रीदे, इसे हेजिंग कहा जाता है।

ट्रेडिंग कैसे करें

शेयर मार्केट क्या है में अगला टॉपिक हैं ट्रेडिंग कैसे करें – इसके लिए आपको एक डीमैट एंड ट्रेडिंग अकाउंट की जरुरत होती हैं। उसके बाद आप ट्रेडिंग अकाउंट में पाया डालकर ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। 

शेयर कैसे ख़रीदते हैं?

अब बाते करते हैं शेयर कैसे खरीदते हैं? आज के समय में शेयर खरीदने के लिए आपके पास सिर्फ एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए।

आप आसानी से ऑनलाइन अपने लैपटॉप या मोबाइल से डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। जिस भी स्टॉक ब्रोकर के पास अपना डीमैट अकाउंट खुलवाया हैं उसकी मोबाइल एप्प या ट्रेडिंग प्लेटफार्म में आप पैसे ऐड करके शेयर ख़रीद सकते हैं।

बुक वैल्यू क्या होती हैं?

यदि किसी कंपनी की कुल सम्पतियों (Assets) में से कुल दायित्व (Liabilities) घटा दे तो उस कंपनी की बुक वैल्यू निकल कर आती है।

आसान शब्दों में Book Value meaning in Hindi समझा जाए तो कंपनी के कुल दायित्वों को चुकाने के बाद कंपनी के पास अपने शेयर धारकों के लिए जो एसेट या पैसा बचता है, वह कंपनी की बुक वैल्यू मानी जाती है। कंपनी की बुक वैल्यू को शेयरहोल्डर इक्विटी (Shareholders Equity) भी कहा जाता हैं।

Book Value Formula:

Book Value = Total Assets – Total Liabilities

स्टॉक स्प्लिट क्या होता हैं?

स्टॉक स्प्लिट क्या होता है – जैसे की इसके नाम से ही पता चल रहा हैं ये किसी कंपनी के स्टॉक के विभाजन की प्रक्रिया है। स्टॉक स्प्लिट एक Corporate Action होता है जिसमें कंपनियां अपने स्टॉक को एक निश्चित अनुपात में बांट देती है।

शेयर स्प्लिट या स्टॉक स्प्लिट के अनुपात में उस कंपनी के शेयर के टुकड़े हो जाते हैं और प्रत्येक टुकड़ा एक नया शेयर बन जाता है। स्टॉक स्प्लिट होने की वजह से कंपनी के शेयर मार्केट में बढ़ जाते है।

इसके साथ ही कंपनी की शेयर प्राइस और फेस वैल्यू भी उसी अनुपात में कम हो जाते हैं जिसमें स्टॉक स्प्लिट हुआ था।

बोनस शेयर क्या होता हैं?

बोनस इश्यू में कोई कंपनी अपने वर्तमान शेयर धारकों को रिवॉर्ड के रूप में एक निश्चित अनुपात में अतिरिक्त शेयर देने की घोषणा करती हैं। बोनस शेयर पहले से धारित शेयर्स के अलावा दिए जाते हैं।

बोनस अंश क्या है को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं।

यदि कोई कंपनी ने 2:1 में बोनस की घोषणा की हैं तो प्रत्येक शेयरहोल्डर जिसके पास एक शेयर हैं उसे दो अतिरिक्त शेयर मिलेंगे।

अगर किसी के पास उस कंपनी के कुल 100 शेयर हैं तो बोनस इश्यू के बाद उसके पास में कुल 300 शेयर (100 + 200) हो जाएंगे। बोनस शेयर प्राप्त करने के लिए शेयरहोल्डर्स को कोई भी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होता।

बोनस इशू के अनुपात का दूसरा फिगर वर्तमान शेयर्स की संख्या बताता हैं।

बोनस शेयर की पात्रता 

यदि किसी कंपनी ने बोनस देने की घोषणा की हैं और आपके पास उस कंपनी के शेयर हैं तो आप बोनस पाने के हकदार होंगे। बशर्ते आपने उन शेयर्स को बोनस की रिकॉर्ड डेट तक अपने डीमैट अकाउंट में होल्ड रखा हो।

बोनस शेयर इन्वेस्टर के डीमैट अकाउंट में क्रेडिट किए जाते हैं।

Stock Market Crash क्या होता हैं?

वैसे निश्चित तौर पर स्टॉक मार्केट क्रैश को परिभाषित नहीं किया जा सकता हैं। यदि फिर भी आसान भाषा में Stock Market Crash meaning in Hindi को समझा जाए तो अगर पिछले 5 से 10 दिनों में लगभग सभी शेयर्स और इंडेक्स में भारी गिरावट दर्ज की गई हैं तो यह स्टॉक मार्केट क्रैश का सिग्नल माना जाता हैं।

यह गिरावट बहुत ही कम समय में देखी जाती हैं जिससे स्टॉक मार्केट में मंदी सी छा जाती हैं। लगभग सभी शेयर लाल निशान के साथ ट्रेड होने लगते हैं। इन्वेस्टर्स स्टॉक मार्केट में नया पैसा लगाने से दूरी बना लेते हैं जिससे गिरावट में ओर तेजी आती हैं।

इस प्रकार Market Crash के कारण bearish मार्केट की स्थिति हो जाती हैं और मार्केट में शेयर्स के बहुत ही ज्यादा विक्रेता खड़े हो जाते हैं।

मार्केट क्रैश के कारण

  • वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण – (Global Economy Recession)   
  • Bull मार्केट की वजह से bubble बनना
  • राजनीतिक अस्थिरता
  •  युद्ध की स्थिति
  • आर्थिक मंदी
  • प्राकृतिक प्रकोप (Natural Disaster)

डिविडेंड क्या होता हैं?

यदि Dividend in Hindi बात की जाए तो इसे हिंदी में लाभांश कहा जाता हैं। लाभांश यानि की लाभ का अंश या लाभ में से मिलने वाला हिस्सा।

Dividend इनकम वह होती हैं जो कंपनी अपने नेट प्रॉफिट में से अपने शेयरधारकों को बांटती हैं। कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को कंपनी में इन्वेस्ट करने और विश्वास जताने के कारण कंपनी के लाभ में से कुछ हिस्सा देकर रिवॉर्ड करती हैं।

कोई भी कंपनी जो लाभ कमाती हैं उस लाभ में से ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस, ब्याज और टैक्स घटाने के बाद Net Profit बचता हैं। इस तरह सभी ख़र्चे निकालने के बाद जो लाभ बचता हैं कंपनी उसमें से अपने शेयर होल्डर्स को Dividend बाँट सकती हैं।

Dividend कैसे दिया जाता हैं?

शेयरहोल्डर्स को उनके द्वारा धारित शेयर्स के आधार पर Dividend दिया जाता हैं। Dividend की राशि प्रति शेयर घोषित की जाती हैं। जिस इन्वेस्टर के पास जितने शेयर होंगे उसको उतना डिविडेंड मिलेगा।

मान लीजिये SBI बैंक ने प्रति शेयर ₹1 का डिविडेंड देने की घोषणा की। यदि आपके पास SBI बैंक के कुल 1,000 शेयर हैं तो आपको कुल ₹1 × 1,000 =  ₹1,000 का डिविडेंड प्राप्त होगा।

“डिविडेंड उसी शेयरधारक को प्राप्त होता हैं जिसके पास रिकॉर्ड डेट पर कंपनी के शेयर डीमैट अकाउंट में मौजूद रहते हैं।”

स्विंग ट्रेडिंग क्या हैं?

स्विंग ट्रेडिंग भी एक ट्रेडिंग करने की तकनीक होती हैं जिसमें ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को एक दिन से ज्यादा होल्ड करते हैं। ये होल्ड करने का समय दो दिन, सप्ताह भर या कुछ महीनों के लिए हो सकता हैं।

इस ट्रेडिंग में यदि आज आपने शेयर ख़रीदे हैं तो आज आप उन्हें नहीं बेचेंगे। बल्कि कम से कम रात भर के लिए होल्ड करेंगे, जिसे आप अगले दिन या कुछ दिनों बाद बेच सकते हैं।

इस प्रकार Swing Trading किसी शेयर की शॉर्ट टर्म मूवमेंट का फायदा उठाने के लिए की जाती हैं। उम्मीद हैं आपको स्विंग ट्रेडिंग क्या है समझ में आया होगा।

स्टॉप लॉस क्या होता हैं?

स्टॉप लॉस ट्रेडिंग के दौरान मिलने वाली ऐसी सुविधा हैं जो की ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पर ही प्रयोग की जा सकती हैं।

जैसा की Stop Loss के नाम से ही पता चल रहा हैं ये ट्रेडिंग के दौरान होने वाले लॉस को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। ये एक ऐसी तकनीक हैं जिससे ट्रेडर अपने नुकसान को सीमित कर सकता हैं।

Stop Loss का इस्तेमाल करने से ट्रेड में रिस्क काफी हद तक कम हो जाती हैं। ये उन ट्रेडर्स के लिए बेस्ट रहता हैं जो की नियमित रूप से अपने ट्रेड को देख नहीं पाते हैं या ट्रेड लगाकर भूल जाते हैं।

आप Stoploss Meaning और स्टॉप लॉस कैसे लगाए की जानकारी यहां से पढ़ सकते हैं।

फेस वैल्यू क्या हैं?

फेस वैल्यू वह मूल्य होता हैं जो किसी कंपनी के द्वारा शेयर जारी करते समय तय किया जाता हैं। इसे Par Value के नाम से भी जाना जाता हैं। Face Value in Hindi को हिंदी में अंकित मूल्य भी कहा जाता हैं।

जब कोई कंपनी IPO के द्वारा पहली बार अपने शेयर जारी करती हैं तो कंपनी सबसे पहले Face value ही निर्धारित करती हैं। फेस वैल्यू एक शेयर की नाममात्र की वैल्यू होती हैं।

अधिकतर कंपनियां फेस वैल्यू से ज्यादा मूल्य पर ही अपने शेयर ऑफर करती हैं। साथ ही फेस वैल्यू हमेशा फिक्स रहती हैं। फेस वैल्यू का स्टॉक की मार्केट प्राइस से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता। फेस वैल्यू 1, 2, 5, 10 यहां तक की 100 रुपये भी हो सकती हैं।

पोर्टफोलियो क्या होता हैं?

पोर्टफोलियो मीनिंग निवेश सूची होता हैं। निवेश सूची का मतलब होता हैं आपके द्वारा निवेश किये गए आइटम्स की एक  लिस्ट। इस तरह पोर्टफोलियो आपके वित्तीय निवेशों (Investment) का एक कलेक्शन होता है जो की बताता है आपने किस निवेश विकल्प में कितना पैसा निवेश किया हुआ है।

इन्वेस्टमेंट विकल्पों में शेयर, बांड, म्यूचुअल फंड, फ्यूचर एंड ऑप्शन, कमोडिटीज, कैश आदि शामिल हो सकते हैं।

Upper Circuit और Lower Circuit क्या होता हैं?

शेयर बाजर में दो प्रकार के सर्किट होते हैं एक Upper Circuit और दूसरा Lower Circuit.

इसमें प्रत्येक इंडेक्स और स्टॉक का एक प्राइस बैंड होता हैं जिसमें एक ट्रेडिंग डे की ऊपर और नीचे की अधिकतम प्राइस तय होती हैं। मतलब की प्रत्येक शेयर की एक दिन की अधिकतम और न्यूनतम रेंज तय कर ली जाती हैं। उस ट्रेडिंग दिवस को वो शेयर इस रेंज के बाहर नहीं जा सकता।

सेबी ने अलग-अलग प्रकार के सर्किट लेवल तय किये हैं जो आमतौर पर 2%, 5%, 10% और 20% होते हैं। ये सर्किट फ़िल्टर उस मूल्य पर लागू किये जाते हैं जिस प्राइस पर स्टॉक अंतिम ट्रेडिंग डे पर बंद हुआ था।

चलिए Lower Circuit and Upper Circuit meaning in Hindi को एक उदाहरण से समझते हैं –

यदि एक स्टॉक XYZ लिमिटेड हैं जो कि कल ₹100 पर बंद हुआ था। अगर इस स्टॉक पर 10% की सर्किट लिमिट हैं तो आज के दिन इसका प्राइस बैंड होगा ₹90 – 110.

मतलब की आज के दिन ये शेयर न तो ₹90 से नीचे जा सकता हैं न ही ₹110 से ऊपर। यदि XYZ लिमिटेड का शेयर ₹90 या ₹110 पर पहुंचता हैं तो XYZ लिमिटेड पर ट्रेडिंग रोक दी जाएगी।

यदि इस शेयर की ऊपर की प्राइस ₹110 पर पहुंचता हैं तो इसे Upper Circuit कहा जाएगा।

वैसे ही अगर शेयर नीचे की प्राइस पर पहुंचता हैं जो की इस उदाहरण में ₹90 हैं तो इसे Lower Circuit कहा जाएगा।

शेयर Buy Back क्या होता हैं?

यदि Buy Back of Shares Meaning in Hindi समझा जाए तो शेयर बाय बैक एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमें कंपनी खुद के शेयर शेयर धारकों से वापस खरीदती हैं। इस तरह शेयर बायबैक या शेयर को वापस खरीदना एक कॉर्पोरेट एक्शन होता है जिसमें कोई कंपनी अपने शेयर्स वापस शेयर होल्डर्स से खरीदती है।

अधिकतर बायबैक करने वाली कंपनीज करंट मार्केट प्राइस से अधिक प्राइस देकर अपने शेयर वापस खरीदती है। कंपनी अपने अंडरवैल्यूड शेयर की वजह से और ईपीएस में बढ़ोतरी के लिए शेयर बाय बैक करती हैं।

शेयर मार्केट कंपनी लिस्ट

स्टॉक मार्केट में बहुत सी कंपनीज हैं इसलिए एक नए निवेशक को इसकी जानकारी होनी आवश्यक हैं। शेयर मार्केट कंपनी नाम लिस्ट में सेंसेक्स, निफ़्टी, बैंक निफ़्टी जैसे कई इंडेक्स की कंपनियां शामिल हैं।

शेयर मार्केट कैसे सीखे

अब बात करते हैं की शेयर मार्केट कैसे सीखे। आप निम्न तरीकों से शेयर मार्केट सीख सकते हैं-

  • किताबें पढ़े
  • यूट्यूब के द्वारा शेयर मार्केट सीखें
  • ऑनलाइन कोर्स से शेयर मार्केट सीखें
  • सफल निवेशकों को फॉलो करें
  • ब्लॉग्स को फॉलो करें
  • मार्केट को फॉलो करें
  • फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़ना सीखें
  • टेक्निकल एनालिसिस सीखे

Cash Flow Statement क्या होता हैं?

कैश फ्लो स्टेटमेंट एक फाइनेंसियल स्टेटमेंट होता हैं जो कंपनी में आए हुए नगदी पैसों की और कंपनी से बाहर गए नगदी पैसों की जानकारी प्रदान करता है। साथ ही ये हमें बताता है कि उस पीरियड के दौरान कंपनी की कैश पोजीशन में क्या बदलाव आया है।

इस तरह Cash Flow Statement in Hindi को समझे तो ये स्टेटमेंट कैश ट्रांसेक्शन की जानकारी देता हैं।

सामान्यतः कंपनी की एनुअल रिपोर्ट से कैश फ्लो स्टेटमेंट का एनालिसिस किया जाता हैं। इसमें कंपनी के कैश फ्लो स्टेटमेंट की अवधि एक वर्ष की होती है।

Current Ratio क्या होता है?

करंट रेश्यो एक लिक्विडिटी रेश्यो होता हैं जिसे Working Capital रेश्यो भी कहा जाता हैं। Current Ratio in Hindi को चालू अनुपात कहा जाता हैं।

लिक्विडिटी रेश्यो या करंट रेश्यो बताता हैं की कोई कंपनी अपने आने वाले एक वर्ष में अपनी Liabilities (दायित्वों) को चुकाने में कितनी समर्थ हैं। इस तरह करंट रेश्यो कंपनी में शॉर्ट टर्म लिक्विडिटी की पोजीशन की बताता हैं।

करंट रेश्यो को करंट assets में करंट liabilities का भाग लगाकर निकालते हैं।

P/E Ratio क्या होता हैं?

P/E Ratio सबसे प्रचलित फाइनेंशियल रेशों हैं। P/E Ratio का मतलब प्राइस टू अर्निंग रेशों (Price to earning Ratio) होता हैं। पी / ई अनुपात हमें बताता हैं की किसी कंपनी का शेयर अपने EPS के मुकाबले स्टॉक मार्केट में कितने गुना मूल्य पर ट्रेड कर रहा हैं।

इस प्रकार प्राइस टू अर्निंग रेशों कंपनी की स्टॉक प्राइस और EPS में संबंध बताता हैं।

पीई रेश्यो को कंपनी की करंट स्टॉक प्राइस में EPS का भाग लगाकर निकाला जाता हैं। करंट शेयर प्राइस पर निकालें जाने के कारण P E रेश्यो लगातार बदलता रहता हैं।

EBITDA क्या होता हैं?

EBITDA की फुल फॉर्म या मतलब होता है Earning Before Interest Tax Depreciation and Amortization.

इस प्रकार EBITDA meaning in Hindi को समझे तो EBITDA वो प्रॉफिट होता है जो कंपनी Interest, Tax, Depreciation और Amortization को घटाने से पूर्व कमाती हैं।

यदि आसान भाषा में समझे तो EBITDA किसी कंपनी का ऑपरेशनल लेवल का प्रॉफिट होता है यानि कि इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमोरटाइजेशन ना हो तो EBITDA को कंपनी का वास्तविक प्रॉफिट माना जा सकता है।

EPS क्या हैं?

EPS का अर्थ होता हैं Earning Per Share. ये रेश्यो कंपनी के एक शेयर के पीछे की अर्निंग को बताता हैं। EPS हमें बताता हैं की कोई कंपनी एक निश्चित पीरियड में एक कॉमन शेयर पर कितना लाभ कमा रही हैं।

यदि EPS क्या होता है को समझा जाए तो जैसे की आपके पास एक शेयर हैं तो ये एक शेयर आपको एक वर्ष में कितना कमा कर देता हैं ये EPS रेश्यो बताता हैं। इस EPS को बेसिक EPS भी कहा जाता हैं।

EPS जितना अधिक होता हैं उतना ही बढ़िया माना जाता हैं। ज्यादा EPS कंपनी की मजबूत स्थिति को इंगित करता हैं।

ROE क्या होता है?

ROE Meaning in Hindi होता हैं रिटर्न ऑन इक्विटी। ROE एक प्रॉफिटेबिलिटी रेशों होता हैं जो कि बताता हैं की एक कंपनी अपने शेयर धारकों के पैसो (equity) पर कितना लाभ बना रही हैं।

अगर दूसरे शब्दों में बात की जाए तो ROE एक ऐसा वित्तीय अनुपात हैं जो कि शेयर होल्डर्स के निवेश पर कंपनी के प्रॉफिट कमाने की क्षमता को मापता हैं। इस प्रकार रिटर्न ऑन इक्विटी हमें कंपनी के निवेश पर प्रतिशत के रूप में प्रॉफिट बताता हैं।

शेयर खरीदने के नियम

शेयर खरीदने के नियम भी आपको ध्यान रखने की आवश्यकता हैं जो की निम्न हैं –

  • तय करें की आप एक इन्वेस्टर है या ट्रेडर
  • शेयर को सही प्राइस पर ख़रीदने का प्रयास करें
  • अपनी रिसर्च स्वयं करें
  • कमजोर फंडामेंटल वाली कंपनियों से बचें
  • बहुत अधिक क्वांटिटी में शेयर एक साथ न ख़रीदे
  • न्यूज़ देखकर शेयर न ख़रीदे
  • टिप्स और अफवाहों से दूर रहें
  • शेयर ख़रीदने के लिए ऋण न लें
  • जोखिम को ध्यान में रखें

शेयर मार्केट में नुकसान कैसे होता है?

शेयर मार्केट में नुकसान होने का एक कारण नहीं हैं बल्कि अनेक कारण हैं जिसकी वजह से शेयर मार्केट में नुकसान होता हैं। चलिए एक-एक करके शेयर मार्केट में नुकसान कैसे होता है के सभी कारणों को जान लेते हैं –

  • शेयर मार्केट में सीखें बिना निवेश या ट्रेडिंग करना
  • समझ में न आने वाले व्यापार में निवेश करना
  • स्टॉक को उच्चतम प्राइस पर खरीदना
  • टिप्स के आधार पर शेयर खरीदना
  • भावनाओं पर नियंत्रण न रखना
  • लॉस को होल्ड करना जबकि प्रॉफिट को बुक करना

शेयर बाजार के फायदे और नुकसान

चलिए अब शेयर बाजार के फायदे और नुकसान देख लेते हैं –

शेयर बाजार के फायदे:

  • निवेश की शुरुवात
  • Better लॉन्ग टर्म रिटर्न्स
  • छोटी अवधि में हाई रिटर्न्स की संभावना
  • बिज़नेस या कंपनी में हिस्सेदारी
  • डिविडेंड, बोनस की प्राप्ति
  • न्यूनतम निवेश की कोई बाध्यता नहीं
  • वोटिंग का अधिकार
  • हाई लिक्विडिटी
  • मुदास्फीति से सुरक्षा

शेयर बाजार के नुकसान:

  • स्थिरता का अभाव
  • हाई रिस्क
  • ब्रोकरेज
  • कोई निश्चित रिटर्न नहीं

शेयर मार्केट की शब्दावली

शेयर मार्केट की शब्दावली काफी लंबी-चौड़ी हैं। लेकिन आपको शेयर बाजार को सही डंग से समझने के लिए शेयर मार्केट की शब्दावली को सही से समझना बहुत ही आवश्यक हैं।

बेस्ट स्टॉक मार्केट बुक्स हिंदी में

शेयर मार्किट सिखने के लिए आपको किताबों की बहुत आवश्यकता हैं। इसलिए आपको शेयर बाजार की किताबें जरूर पढ़नी चाहिए। Best Stock Market Books in Hindi निम्न हैं –

  • शेयर मार्केट गाइड
  • बफ़े और ग्राहम से सीखें शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना
  • शेयर बाजार में कैसे नुकसान से बचें और धनवान बने 
  • इंवेस्टोनॉमी 
  • धन-सम्पति का मनोविज्ञान
  • टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान 
  • ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाए

Share Market Kya Hai : FAQ

  1. मैं शेयर मार्केट का काम कैसे सीख सकता हूँ?

    आप स्टॉक मार्केट की बुक्स, मैगज़ीन्स, शेयर मार्केट न्यूज़ और ब्लॉग्स की मदद से शेयर मार्केट सीख सकते हैं।

  2. अपना पहला शेयर कैसे खरीदें?

    शेयर खरीदने के लिए एक डीमैट खाते की जरुरत होती हैं। आप पहले शेयर के रूप में देश की कुछ बड़ी कंपनीज के शेयर खरीद सकते हैं।


  3. शेयर बाजार में लोग फेल क्यों होते हैं?

    शेयर मार्केट में फ़ैल होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे की बिना सीखे निवेश करना, शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में टिप्स का इस्तेमाल करना, उधार के पैसों से निवेश करना, टिप्स के आधार पर शेयर खरीदना।

  4. निवेश शुरू करने के लिए आपके पास कितना पैसा होना चाहिए?

    शेयर मार्केट में पैसों की कोई न्यूनतम आवश्यकता नहीं हैं। आप कितनी भी राशि से निवेश की शुरुवात कर सकते हैं।

  5. शेयर मार्केट नॉलेज कैसे ले?

    आप न्यूज़, ब्लॉग्स और यूट्यूब वीडियो देखकर शेयर मार्केट की बेसिक नॉलेज प्राप्त कर सकते हैं।

स्टॉक मार्केट क्या हैं | निष्कर्ष

दोस्तों, इस पोस्ट में एक शेयर मार्केट बिगिनर के लगभग सभी पॉइंट्स कवर कर लिए गए हैं। जिसमें आपने जाना की शेयर मार्केट क्या है (What is Share Market in Hindi).उम्मीद हैं की आपको ये जानकारी पसंद आई होगी। इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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