आज के समय में म्यूचुअल फंड निवेश के तौर पर काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। कई निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में निवेश करके काफी तगड़ी कमाई की है और काफी अच्छे रिटर्ंस कमाए हैं।
कुछ निवेशक म्यूच्यूअल फंड को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करते हैं तो कुछ निवेशक शॉर्ट टर्म के हिसाब से म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। लेकिन अधिकतर म्यूच्यूअल फंड निवेशक यह नहीं जानते कि उन्हें म्यूच्यूअल फंड पर कितना टैक्स देना होता है।
इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय आपको अपने टैक्स की जानकारी जरूर होनी चाहिए जिससे कि आप सही निर्णय सही समय पर ले सके। साथ ही म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में काफी विविधता होती हैं जिनमें सब में अलग-अलग टैक्स लायबिलिटी बनती हैं।
तो दोस्तों, यदि आप भी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं और म्यूचुअल फंड टैक्स के बारे में जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर हैं। आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे कि म्यूचुअल फंड पर कितना टैक्स लगता है (Mutual Fund Tax) और यदि आप SIP के माध्यम से निवेश कर रहे हैं तो आपको कितना टैक्स देना होगा।
म्यूच्यूअल फण्ड में टैक्स कब लगता है | Tax on Mutual Fund
सामान्यतः दो कंडीशन में म्यूच्यूअल फण्ड पर टैक्स लगता हैं –
- म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर होने वाले कैपिटल गेन पर,
- डिविडेंड पर।
अब इन दोनों कंडीशंस को हम एक-एक करके समझते हैं।
कैपिटल गेन पर टैक्स
म्यूच्यूअल फण्ड पर कैपिटल गैन के स्ट्रक्चर को समझने से पहले हमको यह समझना जरूरी है कि कैपिटल गैन टैक्स म्यूच्यूअल फण्ड के होल्डिंग पीरियड के अनुसार लगता है।
म्यूच्यूअल फण्ड में होल्डिंग पीरियड को दो भागों में डिवाइड किया जा सकता है –
- शॉर्ट टर्म
- लॉन्ग टर्म
अब आप इस टेबल से समझ सकते हैं की कौनसी अवधि के लिए कौनसा टैक्स देना होगा।
म्यूच्यूअल फण्ड का प्रकार | Short-term capital gains | Long-term capital gains |
Equity funds | 12 महीनें से कम | 12 महीनें या ज्यादा |
Debt funds | 36 महीनें से कम | 36 महीनें या ज्यादा |
दोनों शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स अलग-अलग रेट से टैक्सेबल होते हैं।
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Short-Term Capital Gain
इक्विटी फंड्स : यदि आप इक्विटी म्यूचुअल फंड को 12 महीने से कम होल्ड करके ही बेच देते हैं तो आपको होने वाले प्रॉफिट पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होगा।
यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स 15% की रेट से लगता है। फिर चाहे आप कोई सी टैक्स ब्रैकेट में न हो।
जैसे कि आप एबीसी इक्विटी म्यूचुअल फंड में 1 अप्रैल 2022 को ₹10,000 निवेश करते हैं और उन पैसों को आप 20 मार्च 2023 को रिडीम करवा लेते हैं। आपकी रिडेम्पशन सेल वैल्यू ₹12,000 थी।
इस प्रकार आपका इक्विटी म्युचुअल फंड जिसे आपने एक ही वर्ष के भीतर बेच दिया है तो आपको ₹2,000 के प्रॉफिट पर 15% की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
डेब्ट फंड्स : यदि आप डेब्ट फण्ड को 36 महीनों से कम होल्ड करके सेल करते हैं तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होगा। डेब्ट फंड पर यदि आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन होता है तो वह प्रॉफिट आपकी इनकम में जुड़ कर टैक्सेबल होता है।
यदि आपने किसी डेट म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट किया है और आपको उस पर ₹20,000 का शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन हुआ है। उदाहरण के लिए हम मान लेते हैं कि आपकी दूसरी टैक्सेबल इनकम ₹5,00,000 है तो उसमें जो ₹20,000 का शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन हुआ है, उसमें जुड़ जाएगा और आपको ₹5,20,000 के ऊपर टैक्स देना होगा।
इसमें टैक्स रेट आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार ही होगी।
Long-Term Capital Gain
इक्विटी फंड्स : जब इक्विटी म्यूच्यूअल फंड को 12 महीने या उससे अधिक होल्ड करके बेचा जाता है और उसके ऊपर कोई प्रॉफिट होता है तो उसके ऊपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स 10% की रेट से लगता है। हालांकि यदि आपको किसी एक फाइनेंसियल ईयर में ₹1 लाख तक का ही कैपिटल गैन हुआ है तो वह एक्सेम्पट होता है। यानि कि ₹1,00,000 तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन पर कुछ भी टैक्स नहीं देना होता है।
उदाहरण के लिए यदि आपने एक म्यूच्यूअल फंड में 1 अप्रैल 2020 को ₹5,00,000 का लम सम इन्वेस्ट किया। आपने अपने म्यूच्यूअल फण्ड को 31 मार्च 2022 को ₹7,00,000 में बेच दिया तो इस प्रकार आपको ₹2,00,000 का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होगा।
लेकिन इस केस में आपको ₹2,00,000 – ₹1,00,000 मतलब कि ₹1,00,000 के ऊपर ही कैपिटल गैन टैक्स देना होगा जिस पर आपके 10% की दर से टैक्स लगेगा।
डेब्ट फंड्स : यदि डेब्ट म्यूचुअल फंड को 36 महीने या उससे अधिक होल्ड करके बेचा जाता है और उसके ऊपर यदि कोई प्रॉफिट होता है तो वो लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन की श्रेणी में आएगा।
इस प्रकार के लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन पर इंडेक्सेशन (indexation) के बाद 20% की दर से टैक्स देना होता है। इन सभी केसों में जो भी कैपिटल गेन की टैक्स होती है उसमें सरचार्ज और सेस (surcharge & cess) अलग से देने होते हैं।
Fund type | Short-term capital gains | Long-term capital gains |
Equity Funds | 15% + cess + surcharge | ₹ 1 लाख तक कर मुक्त, ₹ 1 लाख से अधिक के गेन पर 10% + cess + surcharge |
Debt Funds | निवेशक की इनकम टैक्स स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगाया जाता हैं | 20% + cess + surcharge |
म्यूच्यूअल फण्ड डिविडेंड पर टैक्स
वित्त अधिनियम, 2020 ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को withdraw कर लिया था। 31 मार्च 2020 से पहले निवेशकों को म्यूच्यूअल फंड से जो भी डिविडेंड प्राप्त होता था वह टैक्स फ्री होता था। डिविडेंड घोषित करने वाले म्यूच्यूअल फंड हाउस द्वारा डिविडेंड का भुगतान करने से पहले ही डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) काट लिया जाता था।
लेकिन अब नए नियमों के अनुसार यदि कोई म्यूच्यूअल फंड हाउस अपने निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान करता है तो उसे 194K के अंतर्गत 10% का टीडीएस (TDS) काटकर निवेशक को भुगतान करना होगा। बशर्ते ये डिविडेंड एक फाइनेंसियल ईयर में ₹5,000 से अधिक हो जाता है।
आप उस TDS को इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय क्लेम कर सकते हैं।
इस प्रकार डिविडेंड से प्राप्त होने वाली इनकम निवेशक की नॉर्मल इनकम में जोड़ दी जाती है और उसकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होती है।
ELSS म्यूच्यूअल फण्ड पर टैक्स
जैसा कि ELSS म्यूच्यूअल फंड अपना अधिकांश पैसा इक्विटी में निवेश करते हैं इसकी वजह से यह म्यूच्यूअल फंड इक्विटी म्यूचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। ELSS म्यूच्यूअल फंड में 3 साल का लॉक-इन-पीरियड होता है तो इन्हें रीडीम करवाने पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स ही देना होगा।
ये लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन ₹1,00,000 तक कर मुक्त होता है और बाकी प्रॉफिट पर आपको 10% की दर से LTCG टैक्स देना होगा।
हालांकि आप ELSS म्यूच्यूअल फंड में इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80(C) के अंतर्गत प्रत्येक फाइनेंसियल ईयर में ₹1.50 लाख तक के निवेश पर छूट प्राप्त कर सकते हैं।
SIP पर टैक्स
SIP में निवेश वन टाइम निवेश न होकर प्रत्येक महीने होने वाला निवेश होता है। यानि कि प्रत्येक महीने आप थोड़ा-थोड़ा करके किसी म्यूच्यूअल फंड स्कीम में निवेश करते हैं।
SIP में प्रत्येक इंस्टॉलमेंट को एक फ्रेश इन्वेस्टमेंट माना जाता है। उसी तारीख से आपकी होल्डिंग पीरियड की गणना की जाएगी जिस तारीख को आपने SIP में निवेश किया है।
इसमें आपको कोई भी मैनुअली गणना करने की आवश्यकता नहीं है। जब भी आप अपने म्यूच्यूअल फंड को बेचते हैं तो आप फण्ड हाउस से अपना कैपिटल गैन स्टेटमेंट निकलवा सकते हैं जिसमें लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म प्रॉफिट अलग-अलग दिखाई देता है।
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म्यूच्यूअल फण्ड में टैक्स कब देना होता हैं?
कई निवेशकों के मन में ये सवाल भी रहता हैं की आखिर उन्हें म्यूच्यूअल फण्ड पर टैक्स कब देना होता हैं।
यदि आप कोई म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते हैं और उस पर प्रॉफिट नज़र आ रहा हैं। लेकिन आपने अपने म्यूच्यूअल फण्ड को बेचा नहीं हैं यानि की होल्ड करके रखा हैं तो आपको उस पर कोई भी टैक्स नहीं होगा।
म्यूच्यूअल फण्ड में टैक्स तभी लगता हैं जब आप अपने म्यूच्यूअल फण्ड को बेचा हो और आपको उस पर कुछ प्रॉफिट हुआ हो।
जिस फाइनेंसियल ईयर में आप म्यूच्यूअल फण्ड को सेल करते हैं उसके अगले फाइनेंसियल ईयर में आपको टैक्स देना होगा।
निष्कर्ष
आपको किसी भी योजना में निवेश करने से पहले उसके टैक्स इम्प्लिकेशन्स के बारे में सही से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। म्यूचुअल फण्ड में भी टैक्स बहुत बड़ा रोल अदा करता हैं।
कई सरकारी योजनाएं हैं जिनमें कोई भी टैक्स नहीं लगता जैसे की PPF, सुकन्या समृद्धि योजना आदि। लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड निवेश में आपको ठीक-ठाक टैक्स देना होता हैं। इसलिए अपनी निवेश की योजना बनाते समय आपको म्यूच्यूअल फण्ड टैक्स को सही से समझना चाहिए।
तो दोस्तों आज आपने इस आर्टिकल में जाना की म्यूच्यूअल फण्ड पर कितना टैक्स लगता है (Tax on Mutual Fund in Hindi) और SIP पर टैक्स। यदि ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो आप मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।