भारत में म्यूचुअल फंड के प्रकार | निवेश करने से पहले जान ले

“इस आर्टिकल में हम म्यूचुअल फंड के प्रकार यानि की Types of Mutual Funds in Hindi पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इस म्यूचुअल फंड के प्रकार में हम सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड्स को शामिल करेंगे।”

वर्तमान में म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) ससे लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक है। भारत में म्यूचुअल फंड आने वाले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से ग्रो करने की संभावना है।

पिछले कुछ समय से म्यूचुअल फंड में कैश इनफ्लो लगातार बढ़ रहा हैं। जो की इसकी लोकप्रियता का प्रमाण हैं। 

म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार में काफी विविधता हैं यानि की म्यूच्यूअल फण्ड कई प्रकार के होते हैं। इतनी ज्यादा म्यूच्यूअल फण्ड केटेगरी होने की वजह से निवेशकों को म्यूच्यूअल फण्ड चुनने में समस्या हो सकती हैं।

तो आज इसी समस्या के समाधान के लिए हम समझेंगे की म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते हैं (Types of Mutual Funds in Hindi) और म्यूच्यूअल फंड को किस-किस केटेगरी में बांटा जा सकता है।

म्यूचुअल फंड के प्रकार | Types of Mutual Funds in Hindi

म्यूचुअल फंड प्रकार को हम मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। पहला Asset Class के आधार पर दूसरा संरचना (structure) के आधार पर।

ये म्यूचुअल फंड अलग-अलग प्रकार के निवेशकों के वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं। इसमें आप अपनी आवश्यकतानुसार कोई सा भी म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं। 

Mutual Fund ke prakar types of mutual funds in hindi

भारत में म्यूचुअल फंड के प्रकार

भारत में म्यूचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं, उसको नीचे समझाया गया हैं – 

Asset Class के आधार पर म्यूच्यूअल फंड के प्रकार

इस प्रकार के म्यूच्यूअल फंड में किसी एक या एक से अधिक प्रकार की एसेट में निवेश किया जाता है। सामान्य शब्दों में समझें तो जो पैसा आपने म्यूच्यूअल फण्ड में जमा किया हैं वो किसी एक या एक से अधिक जगह पुनः निवेश किया जाता हैं।

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

ऐसेट क्लास के आधार पर म्यूच्यूअल फंड को हम निम्न भागों में बांट सकते हैं।

1. डेट फंड (Debts Funds)

Debts Funds ऐसे म्यूच्यूअल फंड होते हैं जो एक निश्चित आय (इनकम) रिटर्न देते हैं। Debts Funds कमर्शियल पेपर, ट्रेजरी बिल, कॉर्पोरेट बांड्स और अन्य कई मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं।

डेब्ट इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से कंपनिया या सरकार पैसा उधार लेती हैं और वापस एक निश्चित ब्याज दर के साथ वापस लौटाती हैं।

इन सभी सिक्योरिटीज में एक निश्चित ब्याज की दर होती है। इनकी परिपक्वता तिथि (Maturity date ) भी निश्चित होती है। निश्चित रिटर्न की वजह से डेट फंड को Fixed income सिक्योरिटीज भी कहा जाता है। डेट फंड कम रिस्क कम रिटर्न की अवधारणा पर कार्य करते हैं।

डेब्ट फण्ड को भी आगे तीन केटेगरी में बांटा जा सकता हैं –

  • Gilt Fund
  • Junk Bond Scheme
  • Fixed Maturity Plans

(a) गिल्ट फण्ड – ये फण्ड अपना पैसा मात्र गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में ही निवेश करते हैं। सरकार को पैसा देने की वजह से इस प्रकार के डेब्ट फण्ड में रिस्क की मात्रा बिलकुल नाममात्र की होती हैं।

गिल्ट फण्ड शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म प्रकार के होते हैं।

(b) जंक बांड स्कीम – इस प्रकार के फण्ड में पैसा कॉर्पोरेट बांड्स में निवेश किया जाता हैं। कॉर्पोरेट बांड्स में गवर्नमेंट बांड की अपेक्षा अधिक रिस्क होता हैं। इनमें गिल्ट फण्ड से ज्यादा रिटर्न मिलता हैं जो की ज्यादा रिस्क की वजह से होता हैं।

(c) फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान्स –  ये कम रिस्क वाले प्लान होते हैं जिन्हें आप बैंक FD की तरह समझ सकते हैं। ये एक निश्चित मेच्योरिटी समय के साथ आते हैं जैसे की 3 वर्ष या 5 वर्ष।

फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान्स ज्यादातर सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपाजिट, कमर्शियल पेपर, कॉर्पोरेट बांड्स आदि में निवेश करते हैं। इनका रिटर्न ज्यादातर बैंक FD से ज्यादा होता हैं।

2. लिक्विड फंड्स (Liquid Funds)

लिक्विड फंड जैसा के इसके नाम से ही पता चल रहा है ये म्यूच्यूअल फंड किसी भी समय रीडीम करवाए जा सकते हैं। रिडेम्पशन अप्लाई करने के 24 घंटे के भीतर पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है।

Liquid Funds डेट फंड का ही एक प्रकार है। लिक्विड फंड में आप न्यूनतम 3 दिन के लिए भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। लिक्विड फंड्स जिन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं उनकी परिपक्वता 91 दिन तक की होती है।

लिक्विड फंड डेट फंड की केटेगरी में सबसे कम रिटर्न देते हैं परंतु यह सुरक्षित भी अधिक होते हैं। लिक्विड फंड सेविंग अकाउंट और बैंक एफडी का सर्वोत्तम विकल्प है। इसलिए आप अपने अतिरिक्त पैसों को बैंक अकाउंट की जगह लिक्विड फण्ड में पार्क कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें:

इक्विटी फंड (Equity Funds)

भारत में म्यूचुअल फंड के प्रकार में अगला फंड हैं इक्विटी फंड। ये म्यूचुअल फंड प्रकार के सबसे लोकप्रिय म्यूच्यूअल फंड है। इक्विटी फंड में लोग ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न की आशा में निवेश करते हैं।

इक्विटी म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर द्वारा लगभग पूरा निवेश स्टॉक मार्केट में किया जाता है। इक्विटी म्यूच्यूअल फंड को भी आगे अलग-अलग स्कीम में बांटा जा सकता है जो निम्न प्रकार से है –

1. लार्ज कैप फंड (Large Cap/Bluechip Fund)

दोस्तों, यहां कैप (Cap) का मतलब होता है किसी कंपनी का मार्केट केपीटलाइजेशन अर्थात उस कंपनी की साइज/वैल्यू। लार्ज कैप कंपनी की मुख्य विशेषताएं होती है – भरोसेमंद ,प्रतिष्ठित एवं उस सेक्टर में अग्रणी कंपनी।

लार्ज कैप फंड (Large Cap/Bluechip Fund) वो म्यूच्यूअल फण्ड होते है जो अपना पैसा बड़े बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी में लगाते हैं। लार्ज कैप कंपनी पहले से अपनी ग्रोथ प्राप्त कर चुकी होती है अतः यहां रिटर्न बाकी फंड्स की अपेक्षा कम मिलते है परंतु रिटर्न में निरंतरता ज्यादा होती है। 

लार्ज कैप फंड में स्माल एंड मिडकैप की जगह कम रिस्क होता है। जिन लोगो को कम रिस्क के साथ निवेश करना होता है ये स्कीम उसके लिए बेस्ट होती है।

लार्ज कैप कंपनियां पहले से बेहतर तरीके से स्थापित होती है। भारत में कुछ लार्ज कैप कंपनियों के उदाहरण है- रिलायंस, ब्रिटानिया, आईटीसी, एचयूएल, SBI।

2. मिड कैप फंड (Mid Cap Funds)

जो म्यूच्यूअल फंड स्कीम मिड कैप वाली कंपनियों में निवेश करती है वो मिड कैप म्यूच्यूअल फंड कहलाते है। मिड कैप वाली कंपनी मध्यम श्रेणी की मार्केट की सूचीबद्ध (Listed) कंपनी होती है। यह वह कंपनियां होती है जिन्होंने अपने व्यापार को स्थापित कर लिया है एवं आगे ग्रोथ के लिए प्रयासरत है।

इस प्रकार मिड कैप फंड लार्ज कैप फंड्स की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं। वही थोड़ी कम रिस्क के साथ स्मॉल कैप फंड से कम रिटर्न देते हैं।

जिस निवेशक को मॉडरेट रिस्क के साथ अच्छा रिटर्न चाहिए वो मिड कैप म्यूच्यूअल फंड्स चुनाव कर सकता है। हालांकि मिडकैप फंड में स्टॉक सिलेक्शन के प्रतिबंधों के वजह से स्टॉक ऑप्शन थोड़े कम हो जाते हैं। 

Types of mutual funds chart, mutual fund schemes type, best type of mutual fund to invest in now

3. स्मॉल कैप फंड (Small Cap Funds)

जो म्यूच्यूअल फंड्स, स्मॉल कैप वाली कंपनियों में निवेश करते हैं स्मॉल कैप फंड कहलाते हैं। स्मॉल कैप फंड वाली कंपनियां मार्केट में नए बिज़नेस के साथ स्थिरता प्राप्त करने का प्रयास करती है।

इनमें रिटर्न देने की उच्च क्षमता होती है परंतु उसके साथ बहुत ज्यादा रिस्की भी होती है। इसलिए ये म्यूच्यूअल फंड का सबसे लोकप्रिय प्रकार भी हैं। 

साथ ही Small Cap Funds में रिस्क फैक्टर अन्य स्कीमों के मुकाबले सर्वाधिक होता है। यह म्यूचुअल फंड स्कीमें सर्वाधिक परिवर्तनशील मानी जाती है।

अगर आपको स्मॉल कैप में निवेश करना हैं तो आपको इनकों लंबा समय देना होगा। यदि आप स्मॉल कैप फंड में लम्बे समय के लिए निवेश करते हैं तो समय के साथ आपकी रिस्क कम होती जाती हैं। 

4. मल्टी कैप फंड (Multi Cap Funds)

म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार में मल्टीकैप केटेगरी बहुत ही लोकप्रिय केटेगरी हैं।

जैसा कि इस म्यूच्यूअल फंड के नाम से ही अंदाजा हो रहा है यह म्यूच्यूअल फंड एक से अधिक प्रकार के स्टॉक में निवेश करता है। मल्टी कैप फंड स्कीम के अंतर्गत लार्ज कैप, मिड कैप एवं स्मॉल कैप कंपनियों में एक निश्चित अनुपात में निवेश किया जाता है। अ

WhatsApp Join Now
Telegram Join Now

पनी इसी विशेषता के कारण मल्टीकैप फंड म्यूच्यूअल फंड निवेशकों में काफी लोकप्रिय है। यह मॉडरेट रिस्क और रिटर्न  पर आधारित स्कीम है। 

5. फ्लेक्सी कैप फण्ड (Flexi Cap Funds)

यह म्यूच्यूअल फण्ड की नई कैटेगरी मल्टीकैप स्कीम की तर्ज पर ही निकाली गई है। फ्लेक्सी कैप फण्ड जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है, यह कैटेगरी अपने फंड चुनने के लिए स्वतंत्र या फ्लैक्सिबल रहती हैं।

Flexi Cap Fund कैटेगरी में 65% हिस्सा (allocation) इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड फंड में रहता हैं। इस 65% में बिना किसी पूर्व निर्धारित सीमा के लार्ज कैप, मिड कैप या स्माल कैप में फंड मैनेजर की इच्छा अनुसार निवेश किया जा सकता है। Flexi Cap Fund में multi cap fund जैसे फिक्स्ड एलोकेशन का नियम नहीं हैं।

जो निवेशक स्मॉल कैप, मिड कैप और लार्ज कैप के मिश्रण में निवेश करना चाहते हैं वो फ्लेक्सी कैप फंड का चुनाव कर सकते हैं। 

6. ELSS म्यूच्यूअल फंड

ELSS का अर्थ है इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। ELSS इक्विटी में निवेश करने वाली स्कीम ही होती है। यह स्कीम इक्विटी ओरिएंटेड होती है। पिछले कुछ समय में लोगों में टैक्स सेविंग के लिए ELSS  स्कीम का प्रचलन बढ़ा है।

ELSS में निवेश किए गए पैसे में 3 साल का लॉक-इन-पीरियड होता हैं। ELSS में किए गए निवेश पर हमें इनकम टैक्स की धारा 80 (सी) के अंतर्गत डेढ़ लाख रुपए तक के निवेश पर छूट मिल जाती है।

इस तरह आप ELSS में निवेश करके अच्छा रिटर्न तो कमा ही सकते हैं साथ ही अपना टैक्स भी बचा सकते हैं। 

open free Demat account

7. Thematic Fund

इस प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड किसी विशेष थीम में निवेश करते हैं। उदाहरण के लिए HDFC Housing opportunity fund एक Thematic Fund है, जो कि हाउसिंग थीम में निवेश करता है। इसके लिए ये म्यूचुअल फंड सीमेंट की कंपनी, पेंट की कंपनी, कंस्ट्रशन की कंपनी आदि में अपना निवेश करते हैं।

हाइब्रिड फंड (Hybrid Funds)

जो म्यूच्यूअल फंड स्कीम अपना पैसा डेट (debt) एवं इक्विटी दोनों में लगाती है वह हाइब्रिड फंड की श्रेणी में आती है। प्रत्येक हाइब्रिड फंड में इक्विटी एवं डेब्ट का हिस्सा अलग-अलग होता है।

हाइब्रिड फंड का उद्देश्य एक बैलेंस पोर्टफोलियो बनाकर अपने निवेशकों को रेगुलर इनकम देना होता है। Debt फंड की तुलना में हाइब्रिड फंड ज्यादा रिस्की होता है परंतु इक्विटी फंड की तुलना में कम रिस्की होते हैं।

हाइब्रिड फंड को भी अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जा सकता है जैसे कि Equity Oriented hybrid fund, Debt Oriented hybrid fund, Balanced fund, Monthly income plans, arbitrage fund.

(a) Equity Oriented hybrid fund-

इनमें फण्ड एलोकेशन का लगभग 65% इक्विटी में और बाकी डेब्ट फंड्स में लगाया जाता हैं। इनमें रिस्क लेवल थोड़ा ज्यादा होता हैं। 

(b) Debt Oriented hybrid fund-

इसमें फण्ड एलोकेशन का 60% डेब्ट एवं इक्विटी में रखा जाता है। डेब्ट का हिस्सा ज्यादा होने से रिटर्न थोड़े कम और रिस्क भी कम होती हैं। 

(c) Balanced fund- 

बैलेंस फंड में विभिन्न प्रकार की एसेट क्लास में निवेश किया जाता है, जिसमें इक्विटी, डेब्ट्स, बांड्स एवं अन्य सिक्योरिटी आती है। इस प्रकार बैलेंस्ड फण्ड में इक्विटी और डेब्ट को एक संतुलित रूप में रखा जाता हैं जिससे इनमें मॉडरेट रिस्क होती हैं।  

(d) Monthly Income plans- 

इस प्रकार की स्कीम में लगभग 90% तक debt में इन्वेस्ट किया जाता है जबकि कुछ इक्विटी में। इस प्रकार ये प्लान्स pure debt स्कीम से थोड़ा ज्यादा रिटर्न देते हैं। इसमें इक्विटी का हिस्सा बहुत कम होने की वजह से मामूली रिस्क लेवल होता है।

(e) Arbitrage fund- 

इस प्रकार के फंड्स में एक मार्केट में कम मूल्य पर स्टॉक खरीद कर दूसरे मार्केट में ज्यादा मूल्य पर बेचा जाता है। जैसे की cash मार्केट से खरीद कर derivatives मार्केट में बेचना। इस तरीके से यह फंड इनकम जनरेट करता है।

(B) संरचना के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार

संरचना के आधार पर Mutual Funds को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।

1. Open Ended schemes

लगभग सभी प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम्स Open Ended कैटेगरी में आती है। इस प्रकार की स्कीम में कभी भी buy एवं sale किया जा सकता है। इसमे कंपनी बिना किसी सीमा के अपने निवेशकों को शेयर/यूनिट जारी कर सकती है।

2. Close Ended schemes

इस प्रकार की श्रेणी के बहुत ही कम फंड्स होते हैं। इनमें यूनिट/शेयर्स की संख्या भी निश्चित होती है। ओपन एंडेड स्कीम की भांति आप इसमें कभी भी buy एवं sale नहीं कर सकते। Sale करने हेतु आपको maturity तक इंतजार करना होता है।

कम लिक्विडिटी के कारण यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। क्लोज एंडेड फण्ड NFO (New Fund offer) के माध्यम से लांच किये जाते हैं। NFO के खुले रहने के दौरान ही इन्हें ख़रीदा जा सकता हैं।

3. Index Funds

इंडेक्स फण्ड वो फंड्स है जो स्टॉक मार्केट के इंडेक्स में निवेश करते है, जैसे कि- BSE, NSE, निफ़्टी, निफ़्टी बैंक। यहां फण्ड मैनेजर को कोई खास रणनीति नही बनानी होती है। Passively मैनेज होने के कारण इनमें बहुत कम expenses ratio होता है।

इस प्रकार के फंड में इन्वेस्टर उतना ही रिटर्न बनाता है जितना रिटर्न इंडेक्स ने दिया है। जैसे HDFC Sensex Plan सेंसेक्स इंडेक्स का फण्ड हैं। इस म्यूचुअल फंड में सभी स्टॉक्स सेंसेक्स के ही होंगे। जिस अनुपात में इंडेक्स में स्टॉक होते हैं फण्ड मैनेजर द्वारा उसी अनुपात में म्यूच्यूअल फण्ड का पैसा उन स्टॉक्स में लगा दिया जाता हैं।

इंडेक्स फंड में ग्रोथ के अवसर कम हो जाते हैं। अगर इंडेक्स कम वैल्यू पर ट्रेड कर रहा है तो इसमें निवेश किया जा सकता है।

4. Sector Funds

ये फंड भी इंडेक्स फंड की तर्ज पर ही कार्य करते हैं। बस अंतर यह होता है कि सेक्टर फंड किसी विशेष सेक्टर के बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले स्टॉक में निवेश करते हैं। सेक्टर जैसे कि बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर आदि।

जैसे कोई बैंकिंग सेक्टर का म्यूचुअल फंड हैं जो की HDFC बैंक, SBI बैंक, ICICI बैंक आदि बैंकों से मिलकर बना हो सकता हैं।

हालाँकि सेक्टर फंड थोड़े अधिक रिस्की माने जाते हैं। जब कोई एक पूरा सेक्टर मंदी की चपेट में आता हैं तो उसका पूरा सेक्टर फंड लंबे समय तक अंडर परफॉर्म करता हैं।  

FAQ

  1. म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते हैं?

    म्यूच्यूअल फण्ड मुख्य रूप से इक्विटी फण्ड, डेब्ट फण्ड, ELSS फण्ड, इंडेक्स फण्ड प्रकार के होते हैं।

  2. सबसे बेस्ट म्यूच्यूअल फण्ड का प्रकार कौनसा हैं?

    रिटर्न के मामले में इक्विटी फण्ड सबसे बढ़िया होते हैं परन्तु इनमें रिस्क भी सबसे ज्यादा होती हैं। इक्विटी फण्ड भी आगे अनेक भागों में विभाजित हैं।

  3. बैलेंस्ड फण्ड क्या होते हैं?

    बैलेंस्ड फंड में विभिन्न प्रकार की एसेट क्लास में निवेश किया जाता हैं। बैलेंस्ड फण्ड में इक्विटी और डेब्ट को एक संतुलित रूप में रखा जाता हैं जिससे इसमें मॉडरेट रिस्क के साथ अच्छे रिटर्न देने की क्षमता होती हैं।

  4. म्यूच्यूअल फण्ड में टैक्स सेविंग फण्ड कौनसे होते हैं?

    म्यूच्यूअल फण्ड की ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) केटेगरी वाले फण्ड टैक्स सेवर फण्ड होते हैं।

निष्कर्ष – Mutual funds के प्रकार

दोस्तों, आज आपने समझा की म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते हैं और किस म्यूच्यूअल फंड की क्या विशेषता है। आप अपनी जरूरत एवं रिस्क के हिसाब से इन बातों को ध्यान में रखते हुए अपने लिए बेस्ट म्यूच्यूअल फंड का चुनाव कर सकते हैं।

वैसे तो म्यूचुअल फंड के अनेक प्रकार हैं। लेकिन मुख्य तौर पर लोग लार्ज कैप, स्मॉल कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और फ्लेक्सी कैप को ही अधिक महत्व देते हैं। म्यूचुअल फंड्स का सर्वाधिक कैश इनफ्लो इन फंड्स में ही होता हैं। 

यदि आपको म्यूचुअल फंड प्रकार (Types of Mutual Funds in Hindi) के बारे में कोई भी सवाल हो तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

ये भी पढ़े:

4.6/5 - (9 votes)

नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

1 thought on “भारत में म्यूचुअल फंड के प्रकार | निवेश करने से पहले जान ले”

Leave a Reply

Punji Guide