8 Types of Mutual Funds in Hindi -म्यूच्यूअल फंड के प्रकार
वर्तमान में म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) सबसे लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक है। भारत में म्यूचुअल फंड आने वाले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से ग्रो करने की संभावना है। तो आज हम समझेंगे कि म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते हैं – Types of Mutual Funds in Hindi और म्यूच्यूअल फंड को किस-किस केटेगरी में बांटा जा सकता है।
म्यूच्यूअल फंड के प्रकार (Types of Mutual Funds)
Mutual fund types in India – Mutual Funds को हम मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। पहला Asset Class के आधार पर दूसरा संरचना (structure) के आधार पर।
Asset Class के आधार पर म्यूच्यूअल फंड
इस प्रकार के म्यूच्यूअल फंड में किसी एक या एक से अधिक ही प्रकार की asset में निवेश किया जाता है। ऐसेट क्लास के आधार पर mutual फंड को हम निम्न भागों में बांट सकते हैं।
डेट फंड (Debts Funds)
Debts Funds ऐसे म्यूच्यूअल फंड होते हैं जो एक निश्चित आय (इनकम) रिटर्न देते हैं। Debts Funds कमर्शियल पेपर, ट्रेजरी बिल, कॉर्पोरेट बांड्स और अन्य कई मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। इन सभी सिक्योरिटीज में एक निश्चित ब्याज की दर होती है। इनकी परिपक्वता तिथि (Maturity date ) भी निश्चित होती है। निश्चित रिटर्न की वजह से डेट फंड को fixed income सिक्योरिटीज भी कहा जाता है। डेट फंड कम रिस्क कम रिटर्न की अवधारणा पर कार्य करते हैं।
लिक्विड फंड्स (Liquid Funds)
लिक्विड फंड जैसा नाम से ही पता चल रहा है यह म्यूच्यूअल फंड किसी भी समय निकलवायें (redeem) जा सकते हैं। अप्लाई करने के 24 घंटे के भीतर पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है।
Liquid Funds डेट फंड का ही एक प्रकार है। लिक्विड फंड में आप न्यूनतम 3 दिन के लिए भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। लिक्विड फंड्स जिन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं उनकी परिपक्वता 91 दिन तक की होती है। लिक्विड फंड डेट फंड की केटेगरी में सबसे कम रिटर्न देते हैं परंतु यह सुरक्षित भी होते हैं। लिक्विड फंड सेविंग अकाउंट और बैंक एफडी का सर्वोत्तम विकल्प है।
इक्विटी फंड (Equity Funds)
ये म्यूचुअल फंड में सबसे लोकप्रिय फंड है। इक्विटी फंड में लोग ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न की आशा में निवेश करते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर द्वारा लगभग पूरा निवेश स्टॉक मार्केट में किया जाता है। इक्विटी म्यूच्यूअल फंड को भी आगे अलग-अलग स्कीम में बांटा जा सकता है जो निम्न प्रकार से है –
लार्ज कैप फंड (Large Cap/Bluechip Fund)
दोस्तों यहां कैपिटल (Cap) का मतलब होता है किसी कंपनी का मार्केट केपीटलाइजेशन अर्थात उस कंपनी की साइज/वैल्यू। लार्ज कैप कंपनी की मुख्य विशेषताएं होती है – भरोसेमंद ,प्रतिष्ठित एवं उस सेक्टर में अग्रणी कंपनी।
लार्ज कैप फंड (Large Cap/Bluechip Fund) वो म्यूच्यूअल फण्ड होते है जो अपना पैसा बड़े बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी में लगाते हैं। लार्ज कैप कंपनी पहले से अपनी ग्रोथ प्राप्त कर चुकी होती है अतः यहां रिटर्न बाकी फंड्स की अपेक्षा कम मिलते है परंतु रिटर्न में निरंतरता ज्यादा होती है। लार्ज कैप फंड में स्माल एंड मिडकैप की जगह कम रिस्क होता है। जिन लोगो को कम रिस्क के साथ निवेश करना होता है ये स्कीम उसके लिए बेस्ट होती है।
लार्ज कैप कंपनियां पहले से बेहतर तरीके से स्थापित होती है। भारत में कुछ लार्ज कैप कंपनियों के उदाहरण है- रिलायंस, ब्रिटानिया, आईटीसी, एचयूएल।
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मिड कैप फंड (Mid Cap Funds)
जो म्यूच्यूअल फंड स्कीम मिड कैप वाली कंपनियों में निवेश करती है वो मिड कैप म्यूच्यूअल फंड्स कहलाते है। मिड कैप वाली कंपनी मध्यम श्रेणी की मार्केट की सूचीबद्ध (Listed) कंपनी होती है। यह वह कंपनियां होती है जिन्होंने अपने व्यापार को स्थापित कर लिया है एवं आगे ग्रोथ के लिए प्रयासरत है।
इस प्रकार मिड कैप फंड लार्ज कैप फंड्स की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं। वही थोड़ी कम रिस्क के साथ स्मॉल कैप फंड से कम रिटर्न देते हैं।
जिस निवेशक को moderate रिस्क के साथ अच्छा रिटर्न चाहिए वो मिड कैप म्यूच्यूअल फंड्स चुनाव कर सकता है।
स्मॉल कैप फंड (Small Cap Funds)
जो म्यूच्यूअल फंड्स, स्मॉल कैप वाली कंपनियों में निवेश करते हैं स्मॉल कैप फंड कहलाते हैं। स्मॉल कैप फंड वाली कंपनियां मार्केट में नए बिज़नेस के साथ स्थिरता प्राप्त करने का प्रयास करती है। इनमें रिटर्न देने की उच्च क्षमता होती है परंतु उसके साथ बहुत ज्यादा रिस्की भी होती है। साथ ही Small Cap Funds में रिस्क फैक्टर अन्य स्कीमों के मुकाबले सर्वाधिक होता है। यह म्यूचुअल फंड स्कीमें सर्वाधिक परिवर्तनशील मानी जाती है
मल्टी कैप फंड (Multi Cap Funds)
जैसा कि इस म्यूच्यूअल फंड के नाम से ही अंदाजा हो रहा है यह म्यूच्यूअल फंड एक से अधिक प्रकार के स्टॉक में निवेश करता है। मल्टी कैप फंड स्कीम के अंतर्गत लार्ज कैप, मिड कैप एवं स्मॉल कैप कंपनियों में एक निश्चित अनुपात में निवेश किया जाता है। अपनी इसी विशेषता के कारण मल्टीकैप फंड म्यूच्यूअल फंड निवेशकों में काफी लोकप्रिय है। यह moderate रिस्क और return पर आधारित है।
ELSS म्यूच्यूअल फंड
ELSS का अर्थ है इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। ELSS इक्विटी में निवेश करने वाली स्कीम ही होती है। यह स्कीम इक्विटी ओरिएंटेड होती है। पिछले कुछ समय में लोगों में टैक्स सेविंग के लिए ELSS स्कीम का प्रचलन बढ़ा है।
ELSS में निवेश किए गए पैसे में 3 साल का लॉक इन होता हैं। ELSS में किए गए निवेश पर हमें इनकम टैक्स की धारा 80 सी के अंतर्गत डेढ़ लाख रुपए तक की छूट मिलती है।
हाइब्रिड फंड (Hybrid Funds)
जो म्यूच्यूअल फंड स्कीम अपना पैसा डेट (debt) एवं इक्विटी दोनों में लगाती है वह हाइब्रिड फंड की श्रेणी में आती है। प्रत्येक हाइब्रिड फंड में इक्विटी एवं debt का हिस्सा अलग-अलग होता है।
हाइब्रिड फंड का उद्देश्य एक बैलेंस पोर्टफोलियो बनाकर अपने निवेशकों को रेगुलर इनकम देना होता है। Debt फंड की तुलना में हाइब्रिड फंड ज्यादा रिस्की होता है परंतु इक्विटी फंड की तुलना में कम रिस्की होते हैं।
हाइब्रिड फंड को भी अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जा सकता है जैसे कि Equity Oriented hybrid fund, Debt Oriented hybrid fund, Balanced fund, Monthly income plans, arbitrage fund.
Equity Oriented hybrid fund-
Debt Oriented hybrid fund-
Balanced fund-
Monthly Income plans-
Arbitrage fund-
संरचना के आधार पर – Types of Mutual Funds – Structure Basis
संरचना के आधार पर Mutual Funds को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
Open Ended schemes
लगभग सभी प्रकार की mutual funds स्कीम्स इस कैटेगरी में आती है। इस प्रकार की स्कीम में कभी भी buy एवं sale किया जा सकता है। इसमे कंपनी बिना किसी सीमा के अपने निवेशकों को शेयर/यूनिट जारी कर सकती है।
Close Ended schemes
इस प्रकार की श्रेणी के बहुत ही कम फंड्स होते हैं। इनमें यूनिट/शेयर्स की संख्या भी निश्चित होती है। ओपन एंडेड स्कीम की भांति आप इसमें कभी भी buy एवं sale नहीं कर सकते। Sale करने हेतु आपको maturity तक इंतजार करना होता है। कम लिक्विडिटी के कारण यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं है।
Index Funds
Index funds वो फंड्स है जो स्टॉक मार्केट के इंडेक्स में निवेश करते है, जैसे कि- BSE, NSE, निफ़्टी, निफ़्टी बैंक। यहां फण्ड मैनेजर को कोई खास रणनीति नही बनानी होती है। इसलिए इसमें बहुत कम expenses ratio होता है।
इन्वेस्टर उतना ही रिटर्न बनाता है जितना रिटर्न इंडेक्स ने दिया है। इंडेक्स फंड में ग्रोथ के अवसर कम हो जाते हैं। अगर इंडेक्स कम वैल्यू पर ट्रेड कर रहा है तो इसमें निवेश किया जा सकता है।
Sector Funds
ये फंड भी इंडेक्स फंड की तर्ज पर ही कार्य करते हैं। बस अंतर यह होता है कि सेक्टर फंड किसी विशेष सेक्टर के बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले स्टॉक में निवेश करते हैं। सेक्टर जैसे कि बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर आदि।
Mutual funds के प्रकार – निष्कर्ष
दोस्तों आज आपको समझ में आया होगा कि म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते हैं और किस म्यूच्यूअल फंड की क्या विशेषता है। आप भी अपनी जरूरत एवं रिस्क के हिसाब से इन बातों को ध्यान में रखते हुए अपने लिए बेस्ट म्यूच्यूअल फंड का चुनाव कर सकते हैं।
यदि आपको Types of Mutual Funds in Hindi के बारे में कोई भी सवाल हो तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।
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