चाहें एकाउंटिंग हो या शेयर मार्केट उसमें रेवेन्यू (Revenue) का बहुत अधिक प्रयोग होता हैं। इसलिए आपको रेवेन्यू का सही अर्थ और उसकी अच्छी जानकारी होनी जरुरी हैं।
शेयर बाजार में रेवेन्यू का इस्तेमाल अलग-अलग तरीक़े से किसी कंपनी का एनालिसिस करने में किया जाता हैं।
चलिए दोस्तों, आज इस पोस्ट में हम रेवेन्यू के बारें में विस्तार से बात करेंगे। जिसमें शामिल होगा रेवेन्यू क्या होता हैं (Revenue Meaning in Hindi), रेवेन्यू के प्रकार और रेवेन्यू का इस्तेमाल कैसे करें।
Revenue Meaning in Hindi
यदि Revenue का हिंदी में मतलब समझा जाएं तो रेवेन्यू वह पैसा होती हैं जो कंपनी व्यापार करके कमाती हैं। मतलब की किसी कंपनी द्वारा अपना माल या स्टॉक बेचकर जो पैसा आता हैं उसे ही Revenue कहा जाता हैं। रेवेन्यू को हिंदी में राजस्व भी कहा जाता हैं। Revenue को एक निश्चित अवधि के लिए निकाला जाता हैं जो की आमतौर पर वार्षिक या तिमाही के लिए होता हैं।
जैसे की कोई कंपनी सिर्फ एक प्रोडक्ट बनाती हैं और वो कंपनी ₹100 प्रति प्रोडक्ट मार्केट में बेचती हैं। यदि इस कंपनी ने एक साल में 100 प्रोडक्ट बेचे तो इस कंपनी की एक वर्ष की रेवेन्यू ₹10,000 ( ₹100 x 100 ) होगी।
रेवेन्यू की परिभाषा या रेवेन्यू क्या होती हैं?
पारिभाषिक तौर पर रेवेन्यू (Revenue) एक व्यापारी या कंपनी की आय को दर्शाती है। यह उन सभी बताती है जिसे एक कंपनी अपने व्यापारिक गतिविधियों से प्राप्त करती है।
कोई भी कंपनी Sales करके जो कमाई करती हैं वो उसकी रेवेन्यू होती हैं। मतलब की कंपनी की ऑपरेटिंग एक्टिविटीज से जो कमाई होती हैं उसे ही रेवेन्यू कहा जाता हैं।
रेवेन्यू को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे कि उत्पाद बिक्री, सर्विस, रेंटल इत्यादि।
Revenue से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- इसकी कैलकुलेशन में कोई भी खर्चें नहीं घटाए जाते हैं।
- रेवेन्यू को सेल्स (Sales) या टॉप लाइन भी कहा जाता हैं।
- यदि कंपनी के व्यापार में कोई एडवांस पैसा आता हैं तो भी इसे रेवेन्यू नहीं माना जाता।
“यदि कंपनी की रेवेन्यू में से बिज़नेस के खर्चें निकाल दे तो कंपनी का Gross Profit बचता हैं। वही ग्रॉस प्रॉफिट में टैक्स निकाल देने के बाद Net Profit बचता हैं।”
Revenue इनकम स्टेटमेंट में सबसे टॉप में दिखाई जाती हैं। इसलिए इसे टॉप लाइन भी कहा जाता हैं।
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Revenue निकालने का फॉर्मूला
कंपनी के बिज़नेस के अनुसार राजस्व की गणना के लिए उपयोग किया जाने वाला सूत्र सरल या कठिन हो सकता है।
यदि हम प्रोडक्ट सेल की गणना करना चाहते हैं, तो वस्तुओं की Average Sales Price और बेची गई वस्तुओं की संख्या को गुणा करना चाहिए। इससे हमें रेवेन्यू प्राप्त हो जाएगी।
Revenue = Price of Goods * Number of Goods sold |
साथ ही एक कंपनी जो अपने ग्राहकों को सेवाएं (services) प्रदान करती है, उसके रेवेन्यू की गणना ग्राहकों की संख्या से सेवाओं के मूल्य को गुणा करके की जाएगी।
Revenue = Number of Customers * Price of Services |
रेवेन्यू का उदाहरण । Example of Revenue in Hindi
चलिए अब हम रेवेन्यू को एक उदाहरण की मदद से समझते हैं।
मान लेते हैं की एक ABC लिमिटेड कंपनी हैं। ये कंपनी लैपटॉप बनाती हैं और बेचती है। ABC लिमिटेड प्रत्येक लैपटॉप को ₹50,000 में बेचती हैं। अंतिम वर्ष 2022 में इस कंपनी ने कुल 100 लैपटॉप बेचे।
तो फाइनेंसियल ईयर 2022 के लिए कंपनी की Revenue इस प्रकार होगी –
Revenue = 100 * ₹50,000 = ₹50 लाख |
“आपको यहाँ पर ध्यान देना हैं की यह ₹50 लाख इस कंपनी का रिवेन्यू है ना की प्रॉफिट। प्रॉफिट निकालने के लिए हमें इस कंपनी के लैपटॉप बनाने से सम्बंधित सभी खर्चें घटाने होंगे। “
आगे हम मान लेते हैं की यही ABC लिमिटेड लैपटॉप बेचने के साथ-साथ ग्राहकों को लैपटॉप सर्विसिंग और रिपेरिंग की सुविधा भी ऑफर करती हैं। इसके लिए कंपनी ₹1000 प्रति सर्विस चार्ज करती हैं।
अंतिम वित्तीय वर्ष में कंपनी ने कुल 500 सर्विसेज की। इस तरह सर्विस से कंपनी को ₹5 लाख ( 500 * ₹1000 ) प्राप्त हुए।
इस तरह यदि हम लैपटॉप सेल्ल और सर्विस चार्ज दोनों की combined revenue निकाले तो ये इस प्रकार होगी –
Revenue = लैपटॉप बिक्री ₹50 लाख + सर्विस चार्ज ₹5 लाख = ₹55 लाख |
कोई भी कंपनी का मकसद अपनी रेवेन्यू को अधिकतम करना होता हैं जिससे वो अधिक लाभ कमा सके। साथ ही अधिक रेवेन्यू होने से मार्जिन में भी बढ़ोत्तरी होती हैं और निवेशकों को डिविडेंड मिलने की संभावना भी बढ़ जाती हैं।
रेवेन्यू के प्रकार । Types of Revenue in Hindi
रेवेन्यू मीनिंग जानने के बाद हम रेवेन्यू के प्रकार को समझते हैं। आमतौर पर रेवेन्यू को दो भागों में बांटा जा सकता हैं।
- ऑपरेटिंग रेवेन्यू (Operating Revenue)
- नॉन ऑपरेटिंग रेवेन्यू (Non Operating Revenue)
ऑपरेटिंग रेवेन्यू
Operating Revenue एक कंपनी या व्यापार की मुख्य इनकम को दर्शाने वाली रेवेन्यू होती है। यह इनकम कंपनी की मूल गतिविधियों, उत्पादों या सेवाओं से प्राप्त होती है। साथ ही ये कंपनी के रेगुलर आपरेशन्स से संबंधित होती है।
ऑपरेटिंग रेवेन्यू के उदाहरण:
- उत्पाद बिक्री: कंपनी द्वारा निर्मित प्रोडक्ट की बिक्री से प्राप्त राशि।
- सेवा लाभ: कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए प्राप्त होने वाली आय।
कुल मिलाकर कंपनी के मैन बिज़नेस से जो इनकम आती हैं वो ही ऑपरेटिंग इनकम कहलाती हैं।
नॉन ऑपरेटिंग रेवेन्यू
नॉन-ऑपरेटिंग रेवेन्यू (Non-Operating Revenue) कंपनी के सेकेंडरी सोर्स से प्राप्त होने वाली इनकम होती है। यह रेवेन्यू कंपनी के मूल गतिविधियों या नियमित व्यापार से सीधे संबंधित नहीं होती है।
मतलब की कंपनी के मैन बिज़नेस के अतिरिक्त जो आय होती हैं वो नॉन-ऑपरेटिंग रेवेन्यू कहलाती हैं।
नॉन-ऑपरेटिंग रेवेन्यू के उदाहरण:
- प्रॉपर्टी किराया: कंपनी को किसी प्रॉपर्टी से किराया आना।
- इन्वेस्टमेंट इनकम: कंपनी को निवेश करके उस पर ब्याज या इनकम।
- एसेट सेल: किसी एसेट को बेचकर इनकम होना।
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रेवेन्यू और प्रॉफिट में क्या अंतर होता हैं?
अब कई लोग रेवेन्यू और प्रॉफिट को भी एक ही समझते हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हैं।
पैरामीटर | रेवेन्यू | प्रॉफिट |
---|---|---|
परिभाषा | कंपनी द्वारा प्राप्त हुई आय | कंपनी की आय और व्यय का अंतर |
स्रोत | उत्पादों या सेवाओं की बिक्री | रेवेन्यू में खर्चे घटाने के बाद |
प्रयोग | कंपनी की व्यापारिक गतिविधियों का मापदंड | कंपनी की वित्तीय स्थिति का मापदंड |
रेवेन्यू सिर्फ कंपनी की इनकम को दर्शाता हैं।
परन्तु प्रॉफिट कंपनी की आय और व्यय के बीच का अंतर होता है। प्रॉफिट निकालने के लिए रेवेन्यू में से सभी खर्चें, डेप्रिसिएशन, टैक्स घटाए जाते हैं।
चलिए प्रॉफिट और रेवेन्यू के बीच अंतर को एक आसान उदाहरण से समझते हैं।
एक XYZ लिमिटेड कंपनी हैं उसने साल भर में 100 प्रोडक्ट ₹100 प्रति प्रोडक्ट की रेट में बेचे। तो इस तरह कंपनी की रेवेन्यू हुई ₹10,000.
इस वर्ष में कंपनी ने निम्न खर्चे किये –
- प्रोडक्ट निर्माण की लागत – ₹4,000
- कर्मचारी वेतन – ₹1,000
- अन्य खर्चे – ₹500
इस केस में कंपनी का प्रॉफिट इस तरह निकाला जाएगा –
रेवेन्यू | ₹10,000 |
प्रोडक्ट निर्माण की लागत | – ₹4,000 |
कर्मचारी वेतन | – ₹1,000 |
अन्य खर्चे | – ₹500 |
Gross Profit | ₹4,500 |
टैक्स | – ₹500 |
Net Profit | ₹4,000 |
इस तरह XYZ लिमिटेड की रेवेन्यू ₹10,000 की होगी जबकि इसका प्रॉफिट ₹4,000 का होगा।
कंपनी की Revenue जानना जरुरी क्यों हैं?
यदि आप किसी कंपनी के स्टॉक में निवेश कर रहे हैं तो आपको कंपनी कि रेवेन्यू जानना बहुत आवश्यक हैं। निम्नलिखित कारणों की वजह से कंपनी की रेवेन्यू जानना जरूरी है:
1. वित्तीय स्थिरता की जांच: कंपनी की रेवेन्यू रिपोर्ट उसकी वित्तीय स्थिति की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। इसके द्वारा आप देख सकते हैं कि कंपनी कितनी आय प्राप्त कर रही है, कितना खर्च कर रही है, और कंपनी की लागतों और प्रॉफिट मार्जिन के बारे में पता चलता है।
इस तरह रेवेन्यू आपको वित्तीय स्थिरता की जांच करने और संभावित समस्याओं का पता लगाने में मदद करती है।
2. कंपनी की ग्रोथ: रेवेन्यू रिपोर्ट बिज़नेस प्रोग्रेस का मापदंड होती है। आपको देखना चाहिए कि कंपनी की रेवेन्यू कितने सालों में कितनी तेजी से बढ़ रही है। यदि Revenue में लगातार गिरावट हो रही हैं तो ये कंपनी के लिए ख़तरे की घंटी माना जाता हैं।
3. निवेशकों की सुरक्षा: रेवेन्यू रिपोर्ट कंपनी के निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। जो निवेशक ये जानना चाहते हैं कि कंपनी कितना कमा रही है और कितना खर्च कर रही है, वे रेवेन्यू रिपोर्ट से मालूम कर सकते हैं। स्टॉक एनालिसिस में ये महत्वपूर्ण होता हैं।
इसलिए यदि आप निवेशक हैं तो आपको कंपनी का इनकम स्टेटमेंट जरूर पढ़ना चाहिए। इनकम स्टेटमेंट से आपको कंपनी की आय और खर्चों के बारें में जानकारी मिलती हैं। साथ ही आप रेवेन्यू ट्रेंड का भी पता लगा सकते हैं।
Land Revenue Meaning in Hindi
लैंड रेवेन्यू यानी कि जमीन से मिलने वाली आय। जब कोई व्यक्ति या संगठन किसी जमीन का मालिक होता है, तो उसे अपनी जमीन से कुछ इनकम होती है। इसी इनकम को लैंड रेवेन्यू कहा जाता हैं।
ये लैंड रेवेन्यू उस जमीन को किराए पर देने या उसे बेचने से आती है। इसके अतिरिक्त धार्मिक या सरकारी उपयोग, कमर्शियल रेंट या अन्य संपत्ति संबंधित लेन-देन से भी यह इनकम मिलती है।
लैंड रेवेन्यू सरकारी कार्यों में कुछ अलग अर्थ में उपयोग किया जाता हैं।
इसमें Land Revenue का अर्थ होता है भू – राजस्व। जिसे मालगुजारी भी कहा जाता है। भू राजस्व एक कर (Tax) होता है जिसे किसानों और जमींदारों को भूमि का उपयोग करने के एवज में सरकार को भुगतान करना होता है।
यह कर वह व्यक्ति सरकार को देता है जिसका भूमि पर मालिकाना हक होता हैं।
Company Revenue Meaning in Hindi
कंपनी रेवेन्यू का अर्थ होता है – किसी कंपनी या संगठन द्वारा किसी निश्चित समय में कमाए गए सम्पूर्ण आय की मात्रा।
यह इनकम प्रोडक्ट या सेवाओं की बिक्री, सर्विस चार्ज, सहयोगी व्यापारियों से प्राप्त धन, इन्वेस्टमेंट, ब्याज, आर्थिक संबंधों से प्राप्त लाभ और अन्य स्रोतों से प्राप्त हो सकती है।
कंपनी की रेवेन्यू उसके फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स में दिखाई जाती हैं। ये कंपनी के व्यापारिक प्रदर्शन को मापने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
किसी भी कंपनी रेवेन्यू को देखकर कंपनी की मौजूदा हालत और फ्यूचर का अनुमान लगाया जा सकता हैं।
Gross Revenue क्या होती हैं?
ग्रॉस रेवेन्यू को हिंदी में ‘सकल राजस्व’ कहा जाता हैं। यह वह इनकम या आय होती है जो कंपनी के किसी भी प्रकार के खर्चे को घटाने से पहले प्राप्त होती है।
आसान शब्दों में समझे तो Gross Revenue वह इनकम होती है जो कंपनी अपने मुख्य माल को बेचकर प्राप्त करती हैं।
Net Revenue क्या होती हैं?
नेट रेवेन्यू को हिंदी में ‘कुल राजस्व’ कहा जाता है। यह वो आय होती हैं जो कंपनी के सभी प्रकार के खर्चे निकालने के बाद निकलकर आती हैं। इसमें निम्न खर्चें शामिल हो सकते हैं-
- प्रोडक्ट की निर्माण लागत
- मार्केटिंग एक्सपेंसेस
- वेतन के खर्चें
- ब्याज और टैक्स
नेट रेवेन्यू को नेट इनकम या नेट प्रॉफिट भी कहा जाता है। किसी कंपनी की नेट रेवेन्यू को देखकर ही कंपनी की फाइनेंसियल परफॉर्मेंस का अंदाजा लगाया जा सकता है।
लेकिन अच्छे निवेशक की भांति आपको किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसके ग्रॉस रेवेन्यू और नेट रेवेन्यू दोनों को देखना चाहिए।
कंपनी की रेवेन्यू में क्या देखना चाहिए?
अब मुख्य मुद्दें की बात आती हैं कि आखिर हमें कंपनी की रेवेन्यू में क्या देखना चाहिए। कंपनी की रेवेन्यू आपको कंपनी के इनकम स्टेटमेंट में मिल जाएगी।
- आपको प्रत्येक वर्ष के हिसाब से देखना चाहिए की क्या कंपनी अपनी रेवेन्यू बढ़ा पा रही हैं या नहीं। यदि बढ़ा रही है तो कितने प्रतिशत से रेवेन्यू बढ़ा रही हैं।
- यदि रेवेन्यू में साल दर साल गिरावट आ रही हैं तो ये चिंता का विषय हैं।
- आपको ये भी देखना चाहिए की रेवेन्यू के अनुपात में प्रॉफिट भी बढ़ रहा हैं या नहीं।
- साथ ही आपको ये भी पता करना चाहिए की कंपनी की रेवेन्यू में वृद्धि किस कारण हो रही हैं।
इस तरह आप कंपनी कि रेवेन्यू का सही उपयोग कर पाएंगे।
क्या पॉजिटिव रेवेन्यू के बावजूद कंपनी लॉस में हो सकती हैं?
यदि कोई कंपनी जो अच्छा रेवेन्यू बनाती है लेकिन राजस्व की मात्रा से अधिक खर्च करती है, तो वो कंपनी लॉस में रहेगी।
ये हाई ऑपरेटिंग कॉस्ट, हाई इंटरेस्ट और टैक्स की वजह से हो सकता हैं। इसलिए कई कंपनिया अच्छा रेवेन्यू बनाने के बावजूद नुकसान में रहती हैं।
FAQ on Revenue in Hindi
रेवेन्यू को हिंदी में क्या बोलते हैं?
रेवेन्यू को हिंदी में “राजस्व” कहा जाता हैं। मतलब की कंपनी की इनकम को रेवेन्यू कहा जाता हैं।
रेवेन्यू को कैसे कैलकुलेट किया जाता हैं?
Revenue = Price of Goods * Number of Goods sold – इसमें समस्त प्रोडक्ट्स की वास्तविक बिक्री मूल्य आता हैं।
क्या रेवेन्यू और Sales एक ही होते हैं?
हाँ, कंपनी के संदर्भ में दोनों को एक ही माना जा सकता हैं।
हम किसी कंपनी की रेवेन्यू को कहा देख सकते हैं?
आप कंपनी के इनकम स्टेटमेंट या P & L में कंपनी की रेवेन्यू देख सकते हैं।
क्या कोई कंपनी अपनी रेवेन्यू बढ़ा सकती हैं?
कोई भी कंपनी सेल्स में वृद्धि करके, अच्छी मार्केटिंग करके, प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता सुधारके अपनी रेवेन्यू बढ़ा सकती हैं।
निष्कर्ष
किसी भी स्टॉक का एनालिसिस करते समय Revenue काफी महत्वपूर्ण होती हैं। इसलिए आपको कंपनी की रेवेन्यू के बारें में सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
रेवेन्यू की गणना करने के लिए, आपको कंपनी के सभी इनकम स्रोतों को एकत्रित करना चाहिए और उन्हें मापने के लिए उचित तरीकों का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, रेवेन्यू भी अनेक प्रकार की होती हैं जैसे कि ग्रॉस रेवेन्यू, नेट रेवेन्यू, ऑपरेशनल रेवेन्यू आदि।
तो दोस्तों, आज आपने इस आर्टिकल में जाना की रेवेन्यू क्या होती हैं – Revenue Meaning in Hindi. यदि ये जानकारी आपको उपयोगी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।