Balance Sheet Hindi Meaning | बैलेंस शीट कैसे पढ़ें?

शेयर बाजार में किसी भी शेयर में निवेश करने पहले आपको उस कंपनी की बैलेंस शीट (Balance Sheet) पढ़ना जरुरी होता हैं। बैलेंस शीट को पढ़कर हम कंपनी की वित्तीय हालत को अच्छे से समझ सकते हैं।

बैलेंस शीट में कई महत्वपूर्ण डाटा होता हैं जो कि आपको कंपनी में निवेश को लेकर काफी सहायता करता हैं। कुल मिलाकर शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट में Balance Sheet का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता हैं। इसलिए आपको इसकी अच्छी जानकारी होनी जरुरी हैं।

तो आज हम इस आर्टिकल में बैलेंस शीट को विस्तार से समझेंगे जिसमें Balance Sheet Hindi Meaning, बैलेंस शीट कैसे पढ़ें आदि को अच्छे से समझेंगे।

Balance Sheet Hindi Meaning

Balance Sheet Hindi Meaning

हिंदी में बैलेंस शीट को चिट्टा या तुलन पत्र कहा जाता हैं। बैलेंस शीट किसी भी कंपनी की वित्तीय स्थिति को बताता हैं। मतलब की इसे पढ़कर आप कंपनी की मौजूदा स्थिति को समझ सकते हैं जिसमें आपको इक्विटी, डेब्ट, एसेट और लायबिलिटीज की जानकारी मिल जाती हैं।

कंपनी की बैलेंस शीट को आमतौर पर वित्त वर्ष की समाप्ति पर बनाया जाता हैं। 

बैलेंस शीट क्या होती हैं? (What is Balance Sheet in Hindi)

बैलेंस शीट एक फाइनेंसियल स्टेटमेंट होता हैं जो कि एक निश्चित तारीख को कंपनी की वित्तीय हालत को बताता हैं। बैलेंस शीट में कंपनी की एसेट और लायबिलिटीज की आपस में तुलना की जाती हैं। इस तरह यदि कोई शेयर होल्डर किसी कंपनी में निवेश करना चाहता हैं तो बैलेंस शीट कंपनी का स्नेपशॉट प्रदान करता हैं जिससे वो अपना निवेश निर्णय ले सकें।

Takeaways of Balance Sheet:

  • बैलेंस शीट कंपनी के तीन प्रमुख फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स में से एक हैं।
  • यह एक स्टेटमेंट होता हैं न की कोई अकाउंट।
  • बैलेंस शीट में कंपनी की एसेट और लायबिलिटीज साइड का एक ही जोड़ आता हैं।
  • फाइनेंसियल रेश्यो निकालने के लिए बैलेंस शीट का उपयोग किया जाता हैं।

किसी भी कंपनी के तीन प्रमुख फाइनेंसियल स्टेटमेंट होते हैं –

  1. इनकम स्टेटमेंट
  2. बैलेंस शीट
  3. कैश फ्लो स्टेटमेंट

Balance Sheet Hindi Meaning with Example

हमें बैलेंस शीट के अर्थ को समझने के लिए किसी कंपनी की बैलेंस शीट देखनी होगी। लेकिन मैंने यहाँ बैलेंस शीट का एक परफॉर्मा तैयार किया हैं जो आपको बैलेंस शीट को समझने में मदद करेगा।

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Balance Sheet Hindi Meaning

लायबिलिटीज (Liabilities Side)

यदि आप बैलेंस शीट के ऊपर की ओर देखेंगे तो आपको Liabilities सेक्शन दिखाई देगा। इस सेक्शन में कंपनी के सभी दायित्व शामिल रहते हैं।

करंट लायबिलिटीज (Current Liabilities) – इस सेक्शन में कंपनी की वो लायबिलिटीज आती हैं जो उसे एक वर्ष के अंदर भुगतान करनी होती हैं।

  • Trade Payable
  • Short Term Loans
  • Other Current Liabilities

नॉन करंट लायबिलिटीज (Non-current liabilities) – इस सेक्शन में कंपनी के वो सभी दायित्व आते हैं जिनका भुगतान एक साल के बाद करना होता हैं। इसे लॉन्ग टर्म लायबिलिटीज भी कहा जाता हैं।

  • Long Term Liabilities
  • Deferred Income Tax

ओनर्स इक्विटी (Owners Equity) – इस सेक्शन में कंपनी की इक्विटी शामिल रहती हैं।

  • Equity Share Capital
  • Reserves and Surplus

बैलेंस शीट पर लिस्टेड एसेट्स का योग को बैलेंस शीट की कुल लाइबिलिटीज़ और इक्विटी के बराबर होना चाहिए। एसेट निकालने के लिए हम निम्न सूत्र भी प्रयोग कर सकते हैं –

Assets = Liabilities + Equity

एसेट (Asset Side)

दूसरी ओर अगर आप बैलेंस शीट देखेंगे तो नीचे की ओर आपको एसेट दिखाई देगी। इसमें बैलेंस शीट आपको एसेट, करंट एसेट और नॉन करंट एसेट में विभाजित दिखाई देगी।

करंट एसेट (Current Asset) – इस सेक्शन में वो सभी आइटम्स आते हैं जिन्हें एक साल के अंदर आसानी से कैश (liquidate) में बदला जा सकें।

इसमें निम्न आइटम्स शामिल होते हैं –

  • Trade receivables
  • Inventory
  • Cash and cash equivalents
  • Bank balances
  • Other financial assets

नॉन करंट एसेट (Non Current Asset): इसमें आपको ऐसी एसेट दिखाई देगी जिन्हें एक साल के पीरियड के अंदर लिक्विड नहीं करवाया जा सकता। मतलब की कैश के फॉर्म में नहीं किया जा सकता।

इसमें निम्न आइटम्स शामिल होते हैं –

  • Property
  • Plant and equipment
  • Capital work-in-progress
  • Other Intangible assets
  • Other non-current assets

फिक्स्ड एसेट (Fixed Asset) – इसमें वो सभी एसेट आती हैं जो की कंपनी की लॉन्ग टर्म एसेट होती हैं।

  • Plant & Machinery
  • Other Long Term Asset

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बैलेंस शीट क्यों बनाई जाती हैं?

बैलेंस शीट को इसलिए बनाया जाता है ताकि किसी बिज़नेस या संगठन की वित्तीय स्थिति को समझने में मदद मिल सके। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण होते हैं:

  • वित्तीय प्रबंधन: बैलेंस शीट बिज़नेस के वित्तीय प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसके माध्यम से कंपनी के एसेट, लोन, निवेश, आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
  • एसेट एंड लायबिलिटीज – कंपनी की समस्त एसेट और लायबिलिटीज का पता लगाने के लिए भी बैलेंस शीट बनाई जाती हैं।
  • लिक्विडिटी का अंदाजा – बैलेंस शीट देखकर हम कंपनी में लिक्विडिटी का अंदाजा लगा सकते हैं। मतलब की कंपनी के पास कितना कैश या इक्वीलेंट हैं।
  • लीगल आवश्यकता: लिस्टेड कंपनियों के लिए बैलेंस शीट तैयार करना कानूनी आवश्यकता होती है।

किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट ऑडिटर के द्वारा अप्रूव करने के बाद ही प्रकाशित की जाती हैं।

बैलेंस शीट को कैसे पढ़ें (How to Read Balance Sheet in Hindi)

जब भी आप किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना चाहते हैं तो आपको उसकी Balance Sheet पढ़ना बहुत जरुरी हो जाता हैं। बैलेंस शीट से आप कंपनी की सम्पूर्ण वित्तीय स्थिति का पता लगा सकते हैं बशर्तें आपको बैलेंस शीट पढ़नी आनी चाहिए।

चलिए मैं आपको बिलकुल आसान भाषा में समझता हूँ की आप बैलेंस शीट कैसे पढ़ें या आपको बैलेंस शीट पढ़ते समय क्या-क्या देखना चाहिए?

रिज़र्व एंड सरप्लस (Reserve and Surplus) – जिस भी कंपनी में आप निवेश करना चाह रहें हैं आप उसके पिछले 4-5 के रिज़र्व एंड सरप्लस की हिस्ट्री देखिए। अगर रिज़र्व एंड सरप्लस साल दर साल बढ़ रहा हैं तो ये कंपनी के लिए अच्छा सिग्नल होता हैं।

आपको रिज़र्व एंड सरप्लस की हिस्ट्री और हिस्टोरिकल बैलेंस शीट का डाटा स्क्रीनर की वेबसाइट से मिल जायेगा।

डेब्ट (Borrowing) – आपको कंपनी के Short Term Borrowing और Long Term Borrowing दोनों देखनें चाहिए। यह दोनों जितने कम से कम हो उतने अच्छा माना जाता हैं। यदि लॉन्ग टर्म ऋण साल दर साल कम हो रहें हैं तो यह बहुत बड़ा पॉजिटिव माना जाता हैं।

फिक्स्ड एसेट (Fixed Asset) – कंपनी की बढ़ती हुई फिक्स्ड एसेट अच्छी मानी जाती हैं। लेकिन घटती हुई फिक्स्ड एसेट थोड़ी चिंता का विषय जरूर हो सकती हैं। फिक्स्ड एसेट में आपको लैंड, प्लांट एंड मशीनरी देखने को मिल जाएगी।

साथ ही बैलेंस शीट में आपको CWIP भी देखने को मिल जायेगा। CWIP में वो एसेट आती हैं जिनमें अभी काम चल रहा होता हैं (Work in progress) जब इनका काम पूरा हो जाता हैं तो इसे एसेट अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता हैं।

कंटिंजेंट लायबिलिटीज (Contingent Liabilities) – किसी भी कंपनी के लिए कंटिंजेंट लायबिलिटीज अच्छी नहीं मानी जाती। यदि किसी कंपनी की बैलेंस शीट में कंटिंजेंट लायबिलिटीज दिखाई दे रही हैं तो आपको उसका कारण भी समझना चाहिए।

आमतौर पर कंटिंजेंट लायबिलिटीज कंपनी के कोई ऐसे दायित्व को दर्शाती हैं जिसका भुगतान उसे आने वाले कुछ समय में करना पड़ सकता हैं। जैसे की deferred tax liability या कोई कोर्ट केस। वैसे ये लायबिलिटी फिक्स नहीं होती।

इनके अलावा कई महत्वपूर्ण रेश्यो भी होते हैं जो की बैलेंस शीट की मदद से निकाले जाते हैं। कंपनी एनालिसिस में इन Ratios को देखना भी काफी जरुरी होता हैं।

ट्रेड पेयबल (Trade Payable) – जब कंपनी उधार पर कुछ खरीदती हैं और उसका भुगतान आमतौर पर एक वर्ष के भीतर करना होता हैं तो वो ट्रेड पेयबल के अंतर्गत आते हैं। इन्हें अकाउंट पेयबल के नाम से भी जाना जाता हैं।

ट्रेड रिसीवएबल (Trade Receivable) – जब कंपनी उधार पर कुछ माल बेचती हैं और उसका भुगतान उसे एक वर्ष के भीतर प्राप्त होने वाला होता हैं तो वो ट्रेड रिसीवएबल के अंतर्गत आते हैं। इन्हें अकाउंट रिसीवएबल के नाम से भी जाना जाता हैं।

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बैलेंस शीट फॉर्मूला क्या है?

बैलेंस शीट फॉर्मूला एक बेसिक अकाउंटिंग फॉर्मूला है जिसमें एसेट = लायबिलिटी + इक्विटी को बैलेंस शीट का फॉर्मूला बताया गया हैं। यह फॉर्मूला हमें बताता हैं कि कंपनी की कुल एसेट हमेशा अपनी कुल देयताओं (liabilities) प्लस शेयरधारकों की इक्विटी के बराबर होनी चाहिए।

दूसरी ओर यदि हम कंपनी की एसेट में से इक्विटी को घटा दे तो हमें कंपनी की लायबिलिटी प्राप्त हो जाएगी। इसमें बैलेंस शीट फॉर्मूला लायबिलिटी = एसेट – इक्विटी निकलकर आएगा।

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बैलेंस शीट फॉर्मूला कंपनी के लिए फाइनेंशियल स्टेटमेंट तैयार करने का आधार होता है।

Consolidated Balance Sheet Meaning in Hindi

कई बार आपको फाइनेंसियल स्टेटमेंट देखते समय कंसोलिडेटेड बैलेंस शीट भी देखने को मिलती होगी। इसके अलावा आपको स्टैंडअलोन बैलेंस शीट भी दिखाई देगी।

जब कोई कंपनी किसी दूसरी कंपनी में 51% या अधिक का स्टेक होल्ड करती हैं तो उस दूसरी कंपनी के स्टेटमेंट आपको कंसोलिडेटेड बैलेंस शीट में दिखाई देते हैं।

जैसे की ABC लिमिटेड एक बड़ी कंपनी हैं जो की स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। जबकि एक XYZ कंपनी हैं जिसकी 51% होल्डिंग ABC लिमिटेड कंपनी के पास हैं। 

अब जब बैलेंस शीट बनाई जाएगी तो स्टैंडअलोन बैलेंस शीट में आपको सिर्फ ABC लिमिटेड का डाटा देखने को मिलेगा। जबकि कंसोलिडेटेड बैलेंस शीट में आपको ABC लिमिटेड प्लस XYZ लिमिटेड दोनों का डाटा एक साथ देखने को मिलेगा।

इस प्रकार इन दोनों स्टेटमेंट्स की महत्वतता होती हैं। इसलिए आपको इन दोनों स्टेटमेंट्स को देखना चाहिए।

FAQ’s on Balance Sheet Hindi Meaning

  1. बैलेंस शीट क्या होती है?

    बैलेंस शीट एक वित्तीय स्टेटमेंट होता है जो किसी कंपनी, संगठन, या व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को एक निश्चित समय पर दर्शाती है। इसमें एसेट और लायबिलिटीज की पूरी जानकारी होती हैं।

  2. बैलेंस शीट का उपयोग क्यों किया जाता है?

    बैलेंस शीट का उपयोग कंपनी की वित्तीय स्थिति को मापने, विश्लेषण करने, और समझने के लिए किया जाता है, जिससे निवेशकों और उधारदाताओं को कंपनी के ऊपर विश्वास पैदा होता है।

  3. बैलेंस शीट कैसे तैयार किया जाता है?

    ट्रायल बैलेंस की मदद से बैलेंस शीट को तैयार किया जाता हैं। इसमें एसेट, लायबिलिटीज और इक्विटी का इस्तेमाल करके बैलेंस शीट बनाई जाती हैं।

  4. कंपनी की बैलेंस शीट कहाँ से पढ़ें?

    आप कंपनी की एनुअल रिपोर्ट से बैलेंस शीट पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप स्क्रीनर, मनीकण्ट्रोल जैसी वेबसाइट से भी किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट को पढ़ सकते हैं।

Conclusion on What is Balance Sheet in Hindi

बैलेंस शीट किसी भी कंपनी के एनालिसिस के लिए बहुत ही मददगार होती हैं। इसलिए आपको शेयर मार्केट में निवेश शुरू करना हैं तो आपको बैलेंस शीट की अच्छी जानकारी होनी आवश्यक हैं। 

तो दोस्तों, आज आपने इस पोस्ट में Balance Sheet Hindi Meaning, बैलेंस शीट को कैसे पढ़ें की जानकारी ली। यदि आपको जानकारी पसंद आई हो तो इसे सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर जरूर शेयर करें। 

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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