म्यूचुअल फंड में निवेश करने के नुकसान

“आज हम बात करेंगे म्यूचुअल फंड के नुकसान के बारें में। साथ ही हम बात करेंगे की क्या आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए या नहीं।” 

पिछले कुछ वर्षों में भारत में निवेश को लेकर काफी अधिक सजगता बढ़ गई हैं। अब लोग अपना पैसा निवेश करना चाहते हैं और ये काफी बढ़िया भी हैं। आज के समय में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं जैसे की स्टॉक, म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड, बॉन्ड्स आदि।

यदि आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं या निवेश करना चाहते हैं तो आप भी जरूर म्यूचुअल फंड के नुकसान जानना चाहेंगे। आपको अपने निवेश का सही फायदा तभी मिलेगा जब आप अपने निवेश के सभी पहलुओं के बारें में अवगत होंगे।

म्यूचुअल फंड के फायदें और नुकसान दोनों होते हैं जिनकी एक सजग निवेशक के नाते आपको जानकारी होनी आवश्यक हैं। इस आर्टिकल में हम म्यूचुअल फंड के नुकसान के बारें में बात करेंगे, जिससे आप सही निवेश निर्णय ले सकें।

म्यूचुअल फंड के नुकसान | Mutual Fund ke Nuksan Hindi me

Mutual Fund ke Nuksan Hindi

ऐसा नहीं हैं की किसी भी निवेश के केवल फ़ायदे ही होते हैं बल्कि उसके नुकसान भी हो सकते हैं। 

म्यूच्यूअल फंड में भी ऐसा ही हैं। इसमें भी कुछ नुकसान हैं जो की ख़ासतौर पर एक नए निवेशक को तो पता होने ही चाहिए।

चलिए हम म्यूच्यूअल फण्ड के नुकसान निम्न पॉइंट्स के माध्यम से समझते हैं –

1. रिटर्न की अनिश्चितता 

यदि सबसे पहले म्यूचुअल फंड के नुकसान की बात की जाएं तो इसमें भी रिटर्न की अनिश्चतता रहती हैं।  

बाजार में मौजूद कई इन्वेस्टमेंट विकल्प आपको एक निश्चित रिटर्न ऑफर करते हैं। परंतु म्यूच्यूअल फण्ड में ऐसा नहीं हैं। म्यूचुअल फंड्स का मुनाफा सीधा स्टॉक मार्केट से जुड़ा हुआ हैं जहां हमेशा उतार-चढ़ाव लगा रहता हैं।

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म्यूचुअल फंड में पैसा कई अलग-अलग शेयर्स में लगाया जाता हैं। यदि मार्केट में गिरावट आती हैं तो इन शेयर्स का मूल्य भी गिरता हैं जिसकी वजह से म्यूचुअल फंड में भी रिटर्न गिरते हैं। 

स्टॉक मार्केट हमेशा अपने साथ वोलेटिलिटी लेकर चलता है। इसी वजह से म्यूच्यूअल फंड्स का मुनाफा भी लगातार ऊपर-नीचे होता रहता हैं। म्यूच्यूअल फण्ड में किसी वर्ष में तो आपको नेगेटिव रिटर्न्स भी प्राप्त हो सकते हैं।

साथ ही म्यूच्यूअल फंड कई बार तो 2-3 साल लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। इसलिए जो व्यक्ति कम समय के लिए निवेश करना चाहते हैं उनके लिए तो इक्विटी म्यूच्यूअल फंड बिलकुल भी सही नहीं हैं। 

यदि आप रिस्क लेना पसंद नहीं करते या आपकी उम्र रिटायरमेंट के करीब हैं तो इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड आपके लिए अच्छा विकल्प नहीं माने जा सकते।

हालांकि कम उम्र वाले निवेशक जो हाई रिस्क लेना पसंद करते हैं और लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो उनके लिए म्यूचुअल फण्ड बहुत अच्छा निवेश विकल्प हो सकता हैं।

अगर आप म्यूच्यूअल फण्ड से कम समय में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो शायद इसमें आपको निराशा हाथ लगे। लेकिन यही निवेश आप धैर्य के साथ लंबे समय तक कर सकते हैं तो आपको निश्चित तौर पर बड़ा मुनाफा होगा।

इक्विटी मार्केट का इतिहास रहा हैं की 5 वर्ष के निवेश के बाद इक्विटी मार्केट ने प्रॉफिट ही बनाया हैं।

2. एक्सपेंस रेश्यो का म्यूचुअल फंड के नुकसान

जब भी आप म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करते हैं तो आपके रिटर्न का कुछ हिस्सा Expense Ratio के रूप में फंड हाउस को चला जाता हैं। अब ये एक्सपेंस रेश्यो क्या होता हैं

एक्सपेंस रेश्यो फण्ड मैनेजर की सैलरी, फण्ड हाउस के खर्चों के लिए निवेशक से वसूल किया जाता हैं। ये एक्सपेंस रेश्यो 1-2% तक हो सकता हैं। चाहे आपको प्रॉफिट हो या नुकसान ये एक्सपेंस रेश्यो फंड हाउस द्वारा वसूल किया ही जाता हैं। 

यह खर्चा आपको निवेश की छोटी अवधि के लिए बहुत कम लगेगा परंतु लंबे समय में यह बहुत अधिक हो जाता हैं। जब म्यूच्यूअल फण्ड की अपेक्षा सीधे स्टॉक्स में निवेश करते हैं तो आपको एक्सपेंस रेश्यो जैसा कोई चार्ज नहीं देना होता।

परन्तु, आप अच्छे स्टॉक चुनना नहीं जानते तो म्यूच्यूअल फण्ड के लिए आप जो एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान करते हैं वो बुरा विकल्प नहीं होगा। म्यूच्यूअल फंड में आपको एक रेडीमेट पोर्टफोलियो मिल जाता हैं जो की आपको बहुत ही कम लागत पर प्राप्त होता हैं। 

जब भी आप किसी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में निवेश करने के लिए जाएं उससे पहले उसके खर्चों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लें।

यहां आपको ध्यान देना आवश्यक हैं की डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड की तुलना में कम एक्सपेंस रेश्यो होता हैं। इसलिए आपको जहां तक हो सके डायरेक्ट प्लान में ही निवेश करना चाहिए।

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3. लॉक-इन-पीरियड का नुकसान

वैसे अधिकांश म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स में कोई लॉक-इन-पीरियड नहीं होता। परंतु म्यूचुअल फंड के क्लोज एंडेड स्कीम्स और ELSS स्कीम में लॉक-इन-पीरियड होता हैं। ELSS म्यूचुअल फंड में प्रत्येक SIP इन्सटॉलमेंट के लिए 3 वर्ष का लॉक-इन पीरियड होता हैं।

अतः आपको लॉक-इन-पीरियड वाली स्कीम्स में उन्हीं पैसो को निवेश करना चाहिए जिन की आवश्यकता आपको उस लॉक-इन-पीरियड की अवधि तक ना पड़े। अन्यथा आपको पैसों की आवश्यकता पड़ने पर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं।

4. एग्जिट लोड का नुकसान

अगले म्यूचुअल फंड के नुकसान में एग्जिट लोड आता हैं। आमतौर पर म्यूचुअल फंड में एक वर्ष के भीतर एग्जिट करने से आपको Exist Load देना होता हैं। 

यदि आप अपने म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट को एक वर्ष के भीतर रीडीम करवाते हैं तो आपको सामान्यतः 1% का Exist Load देना होता हैं।

हालाँकि अधिकतर म्यूच्यूअल फंड में एक वर्ष के बाद कोई शुल्क नहीं लगता। इसलिए म्यूच्यूअल फण्ड में आपको कम से कम 3 से 5 वर्ष के लिए तो निवेश करना ही चाहिए।

जो निवेशक एक वर्ष से कम अवधि के लिए म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के बारें में सोच रहे हैं तो ये एक अच्छा निर्णय नहीं होगा। 

5. स्टॉक मार्केट से कम रिटर्न

म्यूचुअल फंड का अगला नुकसान हैं ये आपको शेयर मार्केट से कम रिटर्न बनाकर देता हैं। 

म्यूचुअल फंड, स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने का एक इनडायरेक्ट तरीका हैं। अगर आप सही रिसर्च और एनालिसिस करके स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकते हैं तो आप डायरेक्ट स्टॉक मार्केट में म्यूच्यूअल फंड से कहीं अधिक रिटर्न बना सकते हैं।

लंबी अवधि में समझदारी से किए गए स्टॉक मार्केट रिटर्न से म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न कम रह जाते हैं। इसकी वजह से म्यूच्यूअल फंड थोड़ा कम आकर्षक हो जाता हैं।

जहां सही डंग से किया गया स्टॉक मार्केट निवेश 20% तक के रिटर्न बनाकर दे सकता हैं लेकिन म्यूच्यूअल फंड में आपको लम्बी अवधि में 12% के आस-पास ही रिटर्न बनते हैं। 

लेकिन आप एक ऐसे निवेशक हैं जिसे स्टॉक मार्केट की अच्छी जानकारी नहीं हैं, न ही रिसर्च के लिए समय हैं तो म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट आपके लिए बेस्ट विकल्प हो सकता हैं।

म्यूच्यूअल फण्ड में आपके निवेश किये हुए पैसों को एक प्रोफेशनल फण्ड मैनेजर मैनेज करता हैं जिससे गलती होने की संभावनाएं काफी कम होती हैं।

दोस्तों, म्यूचुअल फंड के नुकसान का आर्टिकल अच्छा लग रहा हो तो इसे पढ़ना जारी रखें। 

6. अधिक डायवर्सिफिकेशन 

वैसे डायवर्सिफिकेशन से म्यूचुअल फंड में अधिकतर मौकों पर फायदा ही होता हैं। लेकिन कई बार इससे आपका प्रॉफिट जरूर कम हो सकता हैं।

उदाहरण के लिए जब किसी म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो के स्टॉक का दाम दोगुना हो जाता हैं तब भी आपके म्यूच्यूअल फंड में निवेश की कीमत दोगुनी नहीं होती हैं। 

इसका कारण हैं की आपका निवेश फंड मैनेजर के द्वारा अलग-अलग स्टॉक में विभाजित किया जाता हैं। इससे जिस स्टॉक का दाम दोगुना होता हैं, वह आपके म्यूचुअल फंड के निवेश का एक छोटा हिस्सा होता हैं जिससे आपके सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

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वही अगर आपने स्टॉक मार्केट में डायरेक्ट इस स्टॉक में निवेश किया होता तो आपको अधिक लाभ प्राप्त होता। लेकिन दोस्तों, इसमें रिस्क की मात्रा भी काफी अधिक होती हैं। यह पूरी स्थिति एक दम बदल जाएगी यदि उस स्टॉक में क्रैश होता हैं।

यदि आप म्यूचुअल फंड के नुकसान को वीडियो फॉर्म में देखना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। 

7. म्यूचुअल फंड के नुकसान में नियंत्रण की कमी 

नियंत्रण की कमी म्यूचुअल फंड के नुकसान में सभी बड़ा माना जा सकता हैं। सभी प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड फण्ड मैनेजर्स के द्वारा मैनेज किये जाते हैं। साथ ही फण्ड मैनेजर के साथ एक्सपर्ट्स की एक टीम भी हो सकती हैं।

म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो से सम्बंधित सभी निर्णय फण्ड मैनेजर के द्वारा ही लिए जाते हैं। निवेशक का इसमें कोई रोल नहीं होता। क्या बेचना हैं, क्या ख़रीदना हैं सभी निर्णय फण्ड मैनेजर ही तय करता करता हैं।

यदि आपको अपने म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो में कोई स्टॉक पसंद नहीं हैं तो भी आप कुछ नहीं कर सकते। आपका पैसा उस स्टॉक में भी निवेश होगा। लेकिन स्टॉक मार्केट में ऐसा कुछ नहीं होता। 

कुल मिलाकर आपके रिटर्न्स पूर्णतया फण्ड मैनेजर की योग्यता पर निर्भर करते हैं। इसमें आपका कोई हस्तक्षेप नहीं होता। 

8. नियमित पोर्टफोलियो को रिव्यु करना 

चाहे आपके म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को एक पेशेवर फंड मैनेजर मैनेज कर रहा हो। परन्तु एक जागरूक निवेशक के तौर पर आपकी भी जिम्मेदारी बनती हैं कि आप अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर रिव्यू करें।

अगर आपकी कोई म्यूच्यूअल फंड स्कीम अंडरपरफॉर्म कर रही हैं तो आप उसे रिव्यू करके किसी बढ़िया स्कीम से रिप्लेस कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक हैं की अपनी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम को रिव्यु कैसे करें। म्यूच्यूअल फण्ड रिव्यु करना आप इस आर्टिकल से सीख सकते हैं –

लेकिन एक ऐसा इन्वेस्टर जिसने म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट तो कर दिया हैं लेकिन उसे जानकारी नहीं हैं की म्यूच्यूअल फण्ड को रिव्यु कैसे करें तो उसके लिए ये समस्याजनक हो सकता हैं।

इसलिए हो सकता हैं कि वह ऐसी स्कीम के साथ ही लगातार बना रहे जो निरंतर रूप से अंडरपरफॉर्म कर रही हैं। इससे निवेशक को वो रिटर्न नहीं मिल पाते जिनकी वो आशा करता हैं।

9. गलत म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चुनना 

एक नए निवेशक के तौर पर हो सकता है कि आप म्यूच्यूअल फंड की किसी गलत स्कीम में निवेश कर दें जो आपके लक्ष्य और आपकी आवश्यकता के अनुसार नहीं हो। अगर आप एक नए निवेशक हो या आपको म्यूच्यूअल फण्ड की जानकारी नहीं हैं तो बेस्ट म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चुनना एक कठिन काम हो सकता हैं।

साथ ही कुछ निवेशक म्यूच्यूअल फण्ड की लास्ट कुछ वर्षों की परफॉरमेंस को देखकर ही निवेश कर देते हैं। म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम के चुनाव के लिए पास्ट परफॉर्मन्स ही एकमात्र पैमाना नहीं होता हैं। इसके लिए आपको अन्य कई बातों का ध्यान रखना होता हैं जिसे आप इस आर्टिकल से सीख सकते हैं –

10. सिर्फ लॉन्ग टर्म के लिए फायदेमंद

यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको अच्छे रिटर्न्स के लिए इसे कम से कम 3 से 5 साल का समय तो देना ही पड़ेगा। 

यदि कोई निवेशक शॉर्ट टर्म में म्यूचुअल फंड से अधिक रिटर्न कमाना चाहता हैं तो शायद उसे निराशा हाथ लगे। 

इसलिए सिर्फ लॉन्ग टर्म के लिए निवेश म्यूचुअल फंड के नुकसान में शामिल हैं।  

11. म्यूच्यूअल फण्ड रिटर्न पर टैक्स 

आप जो भी म्यूच्यूअल फंड पर प्रॉफिट कमाते हैं उस पर आपको टैक्स देना होता हैं। इससे आपका मुनाफा कुछ प्रतिशत से घट जाता है।

इक्विटी में 12 महीने से कम अवधि के लिए STCG टैक्स (Short term capital gain) 15% की दर से देना होता हैं। जबकि 12 या अधिक महीनों के लिए आपको LTCG टैक्स 10% से (Long term capital gain) देना होता हैं। हालाँकि LTCG एक लाख से अधिक हुए प्रॉफिट पर ही देना होता हैं।

इस तरह लम्बी अवधि तक म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने से आपको मैच्योरिटी राशि पर भारी टैक्स देना पड़ सकता हैं। लेकिन आप ELSS म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करके सेक्शन 80(c) में टैक्स बचा भी सकते हैं। 

12. इकोनॉमिक स्लो डाउन से समस्या

जैसा की हम जानते हैं की म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न सीधे शेयर मार्केट से जुड़े हैं। कई बार इकोनॉमिक स्लोडाउन की वजह से कई समय तक शेयर बाजार अंडर परफॉर्म करता हैं। 

स्लो डाउन की वजह सी मंदी छा जाती हैं और मुद्रास्फीति बढ़ने लगती हैं। इस वजह से लम्बे समय तक म्यूच्यूअल फंड भी रिटर्न बनाकर नहीं दे पाते हैं। 

इसलिए आपको म्यूचुअल फंड में अच्छे रिटर्न्स के लिए लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ सकता हैं।  

13. फंड मैनेजर के बदल जाने से नुकसान

प्रत्येक म्यूच्यूअल फंड को एक फंड मैनेजर के द्वारा हैंडल किया जाता है और वो उस म्यूच्यूअल फंड से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न फंड मैनेजर के ऊपर पूर्णतया निर्भर करते हैं। 

कई बार ऐसा हो सकता है कि कोई म्यूच्यूअल फंड बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा हो लेकिन अचानक से उस फंड का फंड मैनेजर बदल दिया गया हो। इससे हो सकता है कि वह म्यूच्यूअल फंड अब अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए। 

इसलिए यदि म्यूच्यूअल फंड में फंड मैनेजर बदलता हैं तो वो अच्छा साइन नहीं माना जाता।

क्या आपको म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना चाहिए?

वैसे किसी भी निवेश विकल्प में निवेश करना या न करना पूर्णतया आपकी आवश्यकता और लक्ष्यों पर निर्भर करता हैं। फिर भी अगर आप लॉन्ग टर्म में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं और एक अच्छी वेल्थ बनाना चाहते हैं तो आप म्युचुअल फंड में निश्चित तौर पर निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड के नुकसान से अधिक म्यूचुअल फंड के फायदे हैं। अगर आप लंबी अवधि जैसे कि 5 से 10 वर्ष के लिए निवेश करना चाह रहे हैं तो आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि आप सही म्यूच्यूअल फंड का चुनाव करें और फिर म्यूचुअल फंड में निवेश करें।

अगर आप म्यूचुअल फण्ड में निवेश करना चाहते हैं तो आप Upstox के द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर आप अपना अकाउंट खुलवा सकते हैं।

FAQ :

  1. म्यूच्यूअल फण्ड के क्या नुकसान हैं?

    अनिश्चित रिटर्न, टैक्स, ओवर डायवर्सिफिकेशन, नियंत्रण की कमी कुछ म्यूच्यूअल फण्ड या SIP के नुकसान हैं।

  2. म्यूच्यूअल फण्ड में कितना रिटर्न मिलता है?

    म्यूच्यूअल फण्ड में कोई निश्चित रिटर्न नहीं प्राप्त होता। लेकिन लॉन्ग टर्म में आप 12-14% के रिटर्न्स की आशा कर सकते हैं।

  3. म्यूचुअल फंड के क्या फ़ायदे हैं?

    वेल्थ का निर्माण, विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं, प्रोफेशनल मैनेजमेंट की सुविधा, पॉवर ऑफ़ कम्पाउंडिंग आदि कुछ म्यूच्यूअल फण्ड के फ़ायदे हैं।

  4. म्यूचुअल फंड कौन सा सही हैं?

    सभी निवेशकों की आवश्यकता और टारगेट के अनुसार उनकों अलग-अलग म्यूच्यूअल फण्ड सजेस्ट किये जा सकते हैं।

निष्कर्ष | म्यूचुअल फंड के नुकसान

अगर आप म्यूचुअल फंड में लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। लेकिन आपको धीरे-धीरे अपने म्यूचुअल फंड के ज्ञान को बढ़ाना होगा जिससे कि आप अपने वांछित रिटर्न्स को प्राप्त कर सकें।

दोस्तों, आज आपने इस आर्टिकल में जाना कि म्यूचुअल फंड के नुकसान क्या हैं और उन म्यूचुअल फंड के नुकसान के क्या समाधान हैं। आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ में शेयर करके उनकी मदद जरूर करें। अगर आपके कोई सवाल हैं तो आप मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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