“इस पोस्ट में हम विस्तार से समझेंगे की Call और Put ऑप्शन क्या हैं? कॉल और पुट ऑप्शन में क्या अंतर है? साथ ही हम कॉल और पुट को उदाहरण सहित आसान भाषा में समझेंगे।”
स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने के अनेक तरीके हैं उन्हीं तरीकों में से एक हैं ऑप्शन ट्रेडिंग। आपने ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन के बारें में अवश्य सुना होगा।
लेकिन मुख्य सवाल यह हैं की आखिर में कॉल और पुट का मतलब क्या होता हैं। ये कैसे काम करते हैं और ऑप्शन ट्रेडिंग में इनका इस्तेमाल कैसे करें। तो यदि आप भी कॉल और पुट से सम्बंधित सही जानकारी ढूंढ रहे हैं तो आज आपको इस आर्टिकल में अपने सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा।
इस पोस्ट में हम निंम्न जानकारी हांसिल करेंगे:
- कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन क्या होता हैं?
- कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन में क्या अन्तर हैं?
- कॉल और पुट ऑप्शन का चुनाव कैसे करें?
- ऑप्शन ट्रेडिंग करके पैसे कैसे कमाए?
कम अवधि में शेयर मार्केट से पैसा कमाने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग एक बहुत ही अच्छा तरीका माना जाता हैं। लेकिन अधिकतर लोग ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा कमाने में नाकामयाब हो जाते हैं। क्योंकि वे कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन को सही से समझते नहीं हैं और सीधा ट्रेडिंग करने मार्केट में उतर जाते हैं।
इसलिए सबसे पहले आपको कॉल और पुट ऑप्शन की सही से जानकारी जुटानी चाहिए और उसके बाद ही ट्रेडिंग करने के बारें में सोचना चाहिए। अपनी जानकारी को पुख्ता करने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढियेगा।
कॉल और पुट ऑप्शन क्या हैं (Call and Put Option in Hindi)
कॉल और पुट ऑप्शन को समझने से पहले हमें ऑप्शन क्या होता हैं, समझना जरुरी हो जाता हैं।
आपके पास ऑप्शन ट्रेडिंग में एक निश्चित तारीख पर एक निश्चित प्राइस पर शेयर या अंडरलाइंग एसेट ख़रीदने या बेचने का ऑप्शन होता हैं। इसमें ट्रेडर के पास विकल्प होता हैं की वह अपने ऑप्शन को एक्सरसाइज करें या नहीं।
इस तरह ऑप्शन एक कॉन्ट्रेक्ट होता है जो की एक Underlying Asset से जुड़ा हुआ होता है। यह Underlying Asset कोई स्टॉक या इंडेक्स हो सकती। एक ऑप्शंस कॉन्ट्रेक्ट निर्धारित समय अवधि के लिए ही मान्य होता हैं, जो की आमतौर पर सप्ताह से लेकर महीनों तक का हो सकता है।
Options का मुख्य फायदा यह है कि आपको अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए पूरा पैसा नहीं देना होता। इसकी जगह आपको एक छोटा सा प्रीमियम देना होता है।
जैसे की आप कोई Option खरीदते हैं, तो आपके पास उस शेयर को ख़रीदने या बेचने का (जैसे भी हो) अधिकार आ जाता है, लेकिन आप इसे एक्सीक्यूट करने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। आप अगर ऑप्शन की तारीख पर अपना ट्रेड एक्सीक्यूट नहीं करते तो इसे “ऑप्शन का प्रयोग” करना कहा जाएगा।
- ऑप्शन ट्रेडिंग सामान्य ट्रेडिंग की तुलना में थोड़ी अधिक कॉम्प्लेक्स होती हैं ।
- यदि स्टॉक की प्राइस प्राइस ऊपर की ओर जाती है, तो आप ऑप्शन के द्वारा अधिक प्रॉफिट कमा सकते हैं। क्योंकि आपको ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के लिए पूरा पैसा एक साथ नहीं चुकाना पड़ता। बल्कि आपको केवल प्रीमियम ही देना पड़ता है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग में आपका लॉस भी सीमित हो जाता है। यदि सिक्योरिटी या शेयर की प्राइस कम होती है तो आपके पास अधिकार होता हैं की आप उस सिक्योरिटी/शेयर को न ख़रीदे, इसे हेजिंग (hedging) करना कहा जाता है।
ऑप्शन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं पहला कॉल ऑप्शन और दूसरा पुट ऑप्शन। इनको हम आगे विस्तार से समझने वाले हैं।
कॉल ऑप्शन क्या है (What is Call Option in Hindi)
कॉल ऑप्शन इस प्रकार का कॉन्ट्रेक्ट होता हैं जो की buyer को खरीदने का अधिकार देता हैं। इस तरह ऑप्शन बायर के पास में यह सुविधा होती हैं की वो उस शेयर या सिक्योरिटी को एक निश्चित प्राइस में ख़रीद सकें। सबसे महत्वपूर्ण हैं की कॉल ऑप्शन एक एक्सपायरी डेट के साथ आते हैं। लेकिन ऑप्शन बायर के लिए यह ऑब्लिगेशन नहीं होता की उसे वो सिक्योरिटी खरीदनी ही हैं। वह चाहे तो खरीद सकता हैं या नहीं।
यहां पर ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल ऑप्शन CE के नाम से भी जाना जाता हैं।
Call Option से सम्बंधित मुख्य पॉइंट्स:
- एक अंडरलाइंग एसेट कुछ भी हो सकती हैं जैसे कोई स्टॉक, इंडेक्स, बॉन्ड या कोई कमॉडिटी।
- कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने की अंतिम तारीख को ही Expiry Date कहा जाता हैं।
- कॉल ऑप्शन लॉट में ही ख़रीदा जा सकता हैं।
- आपको कॉल ऑप्शन ख़रीदने पर तब फायदा होगा जब उस अंडरलाइंग एसेट की कीमत बढ़ती हैं।
- जिस प्राइस पर आप कॉल ऑप्शन खरीदते हैं उसे स्ट्राइक प्राइस कहते हैं।
- किसी ऑप्शन को खरीदने के लिए जो अमाउंट आपको देना होता हैं उसे ही प्रीमियम कहा जाता हैं। ऑप्शन बायिंग में आप प्रीमियम जितना ही प्रत्येक शेयर पर नुकसान उठा सकते हैं।
- स्टॉक्स के ऑप्शन की एक्सपायरी डेट मंथली होती हैं जो की हर महीने के अंतिम गुरुवार को होती हैं।
- इंडेक्स की एक्सपायरी डेट वीकली होती हैं जो की हर हफ्ते गुरुवार को होती हैं।
ये भी पढ़ें:
कॉल ऑप्शन का उदाहरण (Example of Call Option in Hindi)
एक आसान उदाहरण से हम कॉल ऑप्शन को समझते हैं –
जैसे मान लेते हैं की SBI बैंक एक शेयर की प्राइस वर्तमान में ₹600 चल रही हैं। आपने इस शेयर का अच्छे से टेक्निकल एनालिसिस किया हैं जिससे आपको उम्मीद हैं कि कुछ समय में इस शेयर की कीमत बढ़ने वाली हैं।
इस तरह आपने अपने एनालिसिस के हिसाब से SBI बैंक का कॉल ऑप्शन ख़रीद लिया।
अब इस स्थिति में दो चीजें हो सकती हैं-
- एक्सपायरी डेट से पहले SBI बैंक के शेयर्स की कीमत बढ़ जाएं – यदि आपके कॉल ऑप्शन की एक्सपायरी से पहले SBI बैंक के स्टॉक्स की कीमत में इजाफ़ा होता हैं तो आपको प्रॉफिट होगा। क्योंकि इससे आपके प्रीमियम की कीमत बढ़ जाएगी।
- एक्सपायरी डेट से पहले SBI बैंक के शेयर्स की कीमत घट जाएं – अगर आपके कॉल ऑप्शन की एक्सपायरी से पहले तक SBI बैंक की शेयर प्राइस गिर जाती हैं तो आपको नुकसान हो जाएगा। क्योंकि ऐसा होने से प्रीमियम की कीमत घट जाएगी।
आपको जो भी लाभ या नुकसान होगा वो प्रीमियम प्रति शेयर के हिसाब से होगा।
जैसे की ऊपर वाले उदाहरण में आपने ₹5 प्रति शेयर प्रीमियम पर कॉल ऑप्शन ख़रीदा था। इसमें आपका 600 का लॉट था। तो कॉल ऑप्शन की एक्सपायरी या ऑप्शन का इस्तेमाल करते समय जो भी प्रीमियम चल रहा हैं उस प्रीमियम के अनुसार आपको प्रॉफिट या लॉस होगा।
जैसे की एक्सपायरी पर प्रीमियम बढ़कर ₹6 हो जाता हैं। तो आपको 600 शेयर पर ₹1 प्रति शेयर का लाभ प्राप्त हो जाएगा।
कॉल ऑप्शन कैसे काम करता है (How does Call Option work in Hindi)
शेयर मार्केट में एक कॉल ऑप्शन डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के रूप में कार्य करता हैं। शेयर मार्केट में जब कॉल ऑप्शन बायर और सेलर आपस में कॉन्ट्रैक्ट करते हैं तो कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का निर्माण होता हैं।
यहां, ऑप्शन सेलर खरीदार को एक निर्दिष्ट मूल्य पर सिक्योरिटी या शेयर प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। हालाँकि, ऑप्शन बायर के लिए यह ऑब्लिगेशन नहीं होता है।
जब आप किसी भी स्टॉक का कॉल ऑप्शन खरीदते हैं तो इसका मतलब हैं की आप शेयर प्राइस बढ़ने पर दांव लगा रहे हैं। जब उस स्टॉक की शेयर प्राइस बढ़ेगी तो आपको फायदा होगा जबकि गिरेगी तो नुकसान।
दूसरी ओर, जो ट्रेडर कॉल ऑप्शन खरीदता है, उसे ऑप्शन प्रीमियम का भुगतान करना आवश्यक होता है। ये भुगतान ऑप्शन सेलर को किया जाता हैं। हालाँकि आजकल ये सब एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता हैं इसकी वजह से आपको अतिरिक्त कुछ नहीं करना होता।
कृपया ध्यान दें कि खरीदार और विक्रेता ही ऑप्शन मूल्य की प्राइस को तय करते हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग काफी ज्यादा एनालिसिस मांगती हैं और इसमें रिस्क भी बहुत ज्यादा होता हैं। इसलिए आपको बिना टेक्निकल एनालिसिस के कभी भी ऑप्शन ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए।
शेयर मार्केट में कॉल ऑप्शन कब खरीदना चाहिए?
आपको कभी भी हवा में कॉल ऑप्शन नहीं खरीदना चाहिए।
- जब आप अपनी रिसर्च से पूरी तरह संतुष्ट हैं तब आप कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं।
- अधिकतर बुल मार्केट में कॉल ऑप्शन सही काम करता हैं।
- वोलेटाइल मार्केट में कॉल ऑप्शन अच्छा विकल्प नहीं रहता।
जितना अच्छे से आप टेक्निकल एनालिसिस करेंगे और सही से रिसर्च करेंगे उतना आपका कॉल ऑप्शन सटीक रहेगा। इसलिए आपको कॉल ऑप्शन अपनी सही से रिसर्च करने के बाद ही खरीदना चाहिए।
कॉल ऑप्शन के फायदे (Benefits of Call Option in Hindi)
कॉल ऑप्शन खरीदने के कुछ फ़ायदे इस प्रकार हैं-
- आपको कॉल ऑप्शन खरीदने के लिए सम्पूर्ण स्टॉक की राशि का भुगतान नहीं करना होता। इसमें आपको सिर्फ प्रीमियम देना होता हैं। इससे आप कम पैसे से भी ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
- ट्रेडर को अधिकतम प्रीमियम की राशि तक ही नुकसान हो सकता हैं। इस तरह ट्रेडर का नुकसान लिमिट हो जाता हैं।
- लिवरेज का प्रयोग करके अधिक लाभ कमाया जा सकता हैं।
ये भी पढ़ें:
पुट ऑप्शन क्या है (What is Put Option in Hindi)
पुट ऑप्शन, कॉल ऑप्शन के बिलकुल विपरीत होता हैं। पुट ऑप्शन एक फाइनेंसियल कॉन्ट्रैक्ट होता हैं जो की आपको एक निश्चित तारीख तक कोई सिक्योरिटी या शेयर बेचने का अधिकार देता हैं। लेकिन यह आपके लिए कोई ऑब्लिगेशन नहीं होता हैं। सिक्योरिटी में स्टॉक, कमॉडिटी या करेंसी शामिल रहते हैं। पुट ऑप्शन PE के साइन से इंगित होता हैं।
जब भी स्टॉक की कीमत गिरती हैं और यदि आप अपने ऑप्शन का इस्तेमाल करते हैं तो इसे स्ट्राइक प्राइस कहा जाता हैं। आप इसे केवल एक निश्चित तिथि तक ही बेच सकते हैं। ये तिथि एक्सपायरी डेट के रूप में जानी जाती हैं।
पुट ऑप्शन का उदाहरण (Example of Put Option in Hindi)
चलिए अब पुट ऑप्शन को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं।
मान लेते हैं कि आपके एनालिसिस से आपको उम्मीद हैं की आने वाले समय में बैंक निफ़्टी में गिरावट आने वाली हैं।
तो इसके लिए आपको बैंक निफ़्टी का पुट ऑप्शन buy करना होगा। यदि बैंकिंग सेक्टर में गिरावट आती हैं तो आपको फायदा होगा। लेकिन यदि गिरावट की जगह बैंक निफ़्टी ऊपर की ओर भागना शुरू करता हैं तो आपको नुकसान हो सकता हैं।
इसी तरह आप किसी भी स्टॉक का पुट ऑप्शन भी ख़रीद सकते हैं। लेकिन पुट ऑप्शन बहुत ज़्यादा महंगे होते हैं इसलिए शुरुवाती ट्रेडर्स के लिए इनमें ट्रेड करना थोड़ा मुश्किल हो सकता हैं।
पुट ऑप्शन कैसे काम करता है (How does Put Option work in Hindi)
शेयर बाजार में पुट ऑप्शन भी एक तरह से डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के जैसे काम करता हैं। जब एक ट्रेडर को लगता हैं किसी शेयर या सिक्योरिटी की कीमत नीचे जा सकती हैं तो वो पुट ऑप्शन खरीदकर पैसा बना सकता हैं।
पुट ऑप्शन का ख़रीददार तब अपने ऑप्शन का प्रयोग कर सकता हैं जब स्पॉट प्राइस स्ट्राइक प्राइस से नीचे ट्रेड करती हैं। इसमें उसको फायदा होता हैं।
जब आप किसी भी स्टॉक का पुट ऑप्शन खरीदते हैं तो इसका मतलब हैं की आप स्टॉक प्राइस घटने का दांव लगा रहे हैं। जब उस शेयर की प्राइस घटेगी तो आपको फायदा होगा जबकि बढ़ेगी तो नुकसान।
आपका ख़रीदा हुआ पुट ऑप्शन एक्सपायरी पर समाप्त हो जाता हैं चाहे फिर आप उसका इस्तेमाल करें या नहीं। आप स्टॉक के अलावा निफ़्टी या बैंक निफ़्टी का भी पुट ऑप्शन ख़रीद सकते हैं।
शेयर मार्केट में पुट ऑप्शन कब खरीदना चाहिए?
- जब आप अपनी रिसर्च और टेक्निकल एनालिसिस से पूरी तरह संतुष्ट हैं तब ही आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।
- अधिकतर समय बेयर मार्केट में पुट ऑप्शन सही माना जाता हैं।
- वोलेटाइल मार्केट में पुट ऑप्शन अच्छा विकल्प हो सकता हैं।
कुल मिलाकर जब आपको मार्केट में गिरावट का अंदेशा हो तो पुट ऑप्शन लिया जा सकता हैं।
पुट ऑप्शन के फायदे (Benefits of Put Option in Hindi)
पुट ऑप्शन के कुछ फायदे होते हैं जो की निम्न हैं –
- शेयर मार्केट क्रैश में भी प्रॉफिट कमाने का अवसर देता हैं।
- नुकसान को सीमित करता हैं।
- पुट ऑप्शन का उपयोग आपको हेजिंग करने में मदद कर सकता है।
ऑप्शन कितने प्रकार के होते हैं (Type of Options in Hindi)
ऊपर आपने जाना की ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं-
- कॉल ऑप्शन (Call Option)
- पुट ऑप्शन (Put Option)
Call option को CE कहा जाता हैं जबकि Put option को PE कहते हैं। CE की फुल फॉर्म Call European हैं और PE की फुल फॉर्म Put European होती हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय आपके अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शंस मौजूद होते हैं जो इस प्रकार हैं–
- इन द मनी ऑप्शन (ITM)
- एट द मनी ऑप्शन (ATM)
- आउट द मनी ऑप्शन (OTM)
कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन को कैसे समझें?
अगर देखा जाए तो कॉल और पुट ऑप्शन की स्वयं की कोई वैल्यू नहीं होती हैं, बल्कि यह ऑप्शन अपनी वैल्यू किसी अन्य इंस्ट्रूमेंट से derive करते हैं। इसी वजह से इनको डेरिवेटिव बोला जाता हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दो तरह के विकल्प मौजूद हैं। कॉल ऑप्शन का प्रयोग तब किया जाता हैं जब हमें लगता हैं की स्टॉक की कीमतों में वृद्धि होगी। जबकि पुट ऑप्शन का प्रयोग तब किया जाता हैं जब हमें शेयर की कीमतों में गिरावट की उम्मीद होती हैं।
कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन इनकी स्वयं की कोई वैल्यू नहीं होती हैं। यह बस प्रीमियम के आधार पर चलते हैं।
ऑप्शन में स्ट्राइक प्राइस क्या होती हैं?
एक ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस (Stike Price) वह मूल्य होता हैं, जिस प्राइस पर एक कॉल या पुट ऑप्शन का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। स्ट्राइक प्राइस को एक्सरसाइज प्राइस के रूप में भी जाना जाता हैं।
अगर आसान भाषा में समझे तो स्ट्राइक प्राइस वह मूल्य होता हैं जिस पर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट पूरा किया जाता हैं।
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करना क्या होता हैं?
इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण देखते हैं।
मान लीजिये आपने HDFC बैंक का कॉल ऑप्शन ₹1600 की प्राइस पर खरीद रखा है। यदि एक्सपायरी के दिन इस स्टॉक की कीमत ₹1750 चल रही है तो हम उस ऑप्शन को Exercise कर लेंगे। क्योंकि इसमें हमकों फायदा हो रहा हैं।
वही HDFC बैंक का शेयर प्राइस एक्सपायरी के दिन ₹1500 पर ट्रेड हो रहा हैं। तो यहां पर दांव उल्टा हो गया हैं इसकी वजह से हम अपने ऑप्शन को एक्सरसाइज नहीं करेंगे।
इसी तरह यदि आपने पुट ऑप्शन ख़रीदा हो तो आप प्राइस घटने पर अपने ऑप्शन को एक्सरसाइज करेंगे। न की तब जब स्टॉक की कीमत बढ़ जाए।
कॉल और पुट में क्या अंतर है (Call and Put Option Difference in Hindi)
निम्नलिखित टेबल में कॉल और पुट ऑप्शन के बीच अंतर (Call and Put Option Difference in Hindi) को समझाया गया है-
पॉइंट | कॉल ऑप्शन | पुट ऑप्शन |
---|---|---|
विकल्प अधिकार | खरीदारीकर्ता को शेयर को खरीदने का अधिकार होता है | खरीदारीकर्ता को शेयर को बेचने का अधिकार होता है |
वायदा | Buyer एक निश्चित समय तक के अंदर शेयर खरीद सकता है | Seller एक निश्चित समय के अंदर शेयर बेच सकता है |
कब खरीदना चाहिए | शेयर की क़ीमत में बढ़ोत्तरी की उम्मीद होने पर | शेयर की क़ीमत में कमी होने पर |
लाभ कब होता हैं | कॉल ऑप्शन खरीदकर शेयर की क़ीमत बढ़ने पर लाभ कमाया जा सकता है | पुट ऑप्शन खरीदकर शेयर की क़ीमत कम होने पर लाभ कमाया जा सकता है |
नुकसान कब होता हैं | कॉल ऑप्शन खरीदकर शेयर की क़ीमत कम होने पर नुकसान हो सकता है | पुट ऑप्शन खरीदकर शेयर की क़ीमत बढ़ने पर नुकसान हो सकता है |
दायित्व | कोई दायित्व नहीं होता | कोई दायित्व नहीं होता |
ट्रेडर कॉल और पुट दोनों को एक साथ भी खरीद सकता हैं। इसमें स्प्रेड (spread) स्ट्रेटेजी बनाकर जोखिम कम की जा सकती हैं।
कॉल और पुट ऑप्शन में रिस्क और रिवॉर्ड
नीचे दी गई टेबल आपको कॉल और पुट ऑप्शन में रिस्क और रिवॉर्ड को समझने में मदद करेगी।
Call Option:
Call Buyer | Call Seller | |
अधिकतम लाभ | असीमित | प्रीमियम प्राप्त हुआ |
अधिकतम हानि | प्रीमियम तक लिमिट | असीमित |
कोई लाभ या नुकसान नहीं | स्ट्राइक मूल्य + प्रीमियम | स्ट्राइक मूल्य + प्रीमियम |
क्या करना चाहिए | एक्सरसाइज | समाप्त |
Put Option:
Put Buyer | Put Seller | |
अधिकतम लाभ | स्ट्राइक कीमत – प्रीमियम | प्रीमियम |
अधिकतम हानि | प्रीमियम तक लिमिट | स्ट्राइक कीमत– प्रीमियम |
कोई लाभ या नुकसान नहीं | स्ट्राइक मूल्य + प्रीमियम | स्ट्राइक मूल्य + प्रीमियम |
क्या करना चाहिए | एक्सरसाइज | समाप्त |
यदि आप इस टेबल को ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चल जायेगा की किस स्थिति में किस ट्रेडर को क्या करना चाहिए।
ऑप्शन ट्रेडिंग करके पैसे कैसे कमाए?
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट का प्रयोग करके पैसा कमाया जा सकता हैं। लेकिन मैं आपको सलाह दूंगा की कभी भी सिर्फ टिप्स के आधार पर ट्रेडिंग न करें। बल्कि इसे सीखना और समझना चाहिए।
आप ऑप्शन ट्रेडिंग ब्लॉग्स, यूट्यूब और ऑप्शन ट्रेडिंग बुक्स की मदद से सीख सकते हैं। बेस्ट ऑप्शन ट्रेडिंग बुक्स की जानकारी के लिए आप यह आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग की अच्छी जानकारी हांसिल कर लेंगे तब आप कॉल ऑप्शन, पुट ऑप्शन या स्प्रेड का प्रयोग करके पैसा कमा सकते हैं।
FAQ’s on Call and Put Option in Hindi
शेयर मार्केट में कॉल और पुट का क्या मतलब है?
शेयर मार्केट में कॉल और पुट ऑप्शन डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। यह ऑप्शन ट्रेडिंग का हिस्सा होते हैं। ट्रेडर प्रीमियम में इनका ट्रेड करते हैं जो की प्रति शेयर होता हैं।
कॉल और पुट ऑप्शन कब खरीदें?
जब मार्केट के बढ़ने की गुंजाईश होती हैं तो उस समय कॉल ऑप्शन खरीदने की सलाह दी जाती हैं। जबकि जब मार्केट में ज्यादा वोलैटिलिटी होती हैं और मार्केट नीचे की ओर जा रहा होता हैं तो पुट ऑप्शन ज्यादा बेहतर होता हैं।
कॉल ऑप्शन कब बेचना चाहिए?
कॉल ऑप्शन शेयर की कीमत में इजाफ़े की उम्मीद से ख़रीदा जाता हैं। यदि स्टॉक की कीमत आपके प्रीमियम को जोड़ने के बाद अधिक हो गई हैं और आपने अपना टारगेट प्राप्त कर लिया हैं तो कॉल ऑप्शन बेचा जा सकता हैं।
कॉल और पुट ऑप्शन की समाप्ति के बाद क्या होता है?
पुट ऑप्शन और कॉल ऑप्शन की एक्सपायरी डेट के बाद ट्रेडर ने जो ऑप्शन खरीदा था उसकी वैल्यू जीरो हो जाती हैं। इसीलिए ट्रेडर को एक्सपायरी डेट से पहले ही खरीदे गए सभी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बेच देने चाहिए।
ऑप्शन की एक्सपायरी कब होती हैं?
शेयर ऑप्शन की एक्सपायरी डेट मासिक होती हैं। यह हर महीने के अंतिम गुरुवार को होती हैं। जबकि इंडेक्स की एक्सपायरी डेट साप्ताहिक होती हैं जो की हर हफ्ते गुरुवार को होती है।
कॉल और पुट ऑप्शन के उदाहरण दे कर समझाएं।
उदाहरण के लिए, यदि रॉकी को ABC लिमिटेड के मूल्य में इजाफ़े की उम्मीद है, तो वो कॉल ऑप्शन ख़रीदेगा। वही सनी को लगता हैं की ABC लिमिटेड की प्राइस गिरने वाली हैं तो वो पुट ऑप्शन खरीद सकता है।
क्या मैं कॉल और पुट से पैसा कमा सकता हूँ?
शेयर मार्केट में कई तरह से पैसा कमाया जा सकता हैं उसी में से एक हैं पुट और कॉल ऑप्शन। लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग काफी ज्यादा रिस्की होती हैं इसलिए इसे करने से पहले आपको इसे सीखना चाहिए।
क्या हम कॉल ऑप्शन को एक्सपायरी तक होल्ड कर सकते हैं?
कॉल ऑप्शन को एक्सपायरी तक होल्ड किया जा सकता हैं। लेकिन इसमें रिस्क बढ़ जाता हैं। इसलिए एक ट्रेडर आमतौर पर एक्सपायरी से पहले ही ऑप्शन सेल कर देता हैं।
Call and Put Option kya hai in Hindi – ‘Conclusion’
स्टॉक मार्केट से पैसा कमाने के लिए कॉल और पुट बहुत ही एडवांस तरीका हैं। इसमें कई ट्रेडर्स काफी अच्छा पैसा कमा रहे है तो कई नए ट्रेडर्स गंवा भी रहे हैं। इसलिए बिना सही जानकारी के और बिना सीखें आपको ऑप्शन ट्रेडिंग में Put and Call करने से बचना चाहिए।
तो आज आपने इस पोस्ट में जाना की कॉल और पुट ऑप्शन क्या होते हैं और कॉल और पुट में क्या अंतर है। यदि आपको इस जानकारी से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हैं तो आप मुझे कमेंट करके बता सकते हैं।
ये भी पढ़ें: