SIP के फायदे और नुकसान | SIP के नुकसान जानकर ही निवेश करें

SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का बहुत लोकप्रिय और कारगर तरीका हैं। यदि किसी को लॉन्ग टर्म में नियमित रूप से निवेश करके वेल्थ बनानी हैं तो उसके लिए SIP बहुत ही अच्छा तरीका माना जाता हैं।

लेकिन यदि आप किसी भी इन्वेस्टमेंट विकल्प में निवेश करना चाह रहे हो तो आपको सबसे पहले उसके बारें में सही जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। जिससे आप निवेश को लेकर सर्वोत्तम निर्णय ले पाएं।

तो आज इस आर्टिकल में हम SIP के फायदे और SIP के नुकसान समझेंगे। क्योंकि ऐसा नहीं हैं कि सिर्फ SIP के फायदे ही हैं SIP के कुछ नुकसान भी हैं जो आपको बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं करने चाहिए।

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SIP के फायदे और नुकसान (SIP ke Fayde aur Nuksan)

SIP ke fayde aur nuksan

SIP एक ऐसा तरीका हैं जिसमें आप नियमित रूप से एक निश्चित राशि प्रत्येक महीने निवेश करते रहते हैं। इसमें आपको लॉन्ग टर्म में कम्पाउंडिंग से अच्छा प्रॉफिट प्राप्त होता हैं। SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक बहुत ही अच्छा तरीका हैं।

तो चलिए सबसे पहले हम SIP के नुकसान समझते हैं। उसके बाद हम SIP के फायदे समझेंगे।

SIP के नुकसान (Disadvantages of SIP in Hindi)

वैसे SIP के नुकसान सभी प्रकार के निवेशकों के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए किसी भी SIP के नुकसान को अपने ऊपर लागू करने से पहले स्वयं का विवेक प्रयोग में लीजिए। 

SIP के नुकसान (Disadvantages of SIP in Hindi)

  • SIP में रिटर्न की अनिश्चता का नुकसान
  • एक्सपेंस रेश्यो का नुकसान
  • लॉक-इन-पीरियड से नुकसान
  • एग्जिट लोड से SIP में नुकसान
  • स्वयं का कोई कण्ट्रोल नहीं
  • शेयर मार्केट से कम रिटर्न
  • अधिक डायर्वर्सीफिकेशन से नुकसान
  • SIP पोर्टफोलियो को रिव्यु करना
  • गलत SIP स्कीम में निवेश करने का नुकसान
  • SIP सिर्फ लम्बी अवधि के लिए अच्छी मानी जाती हैं
  • SIP रिटर्न्स पर टैक्स का नुकसान
  • फंड मैनेजर के बदलने से नुकसान

चलिए अब एक-एक करके सभी SIP के नुकसान विस्तार से समझते हैं। 

1. SIP में रिटर्न की अनिश्चता का नुकसान

जैसे की SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक जरिया मात्र हैं। म्यूचुअल फंड अपना अधिकतर पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश करता हैं। लेकिन शेयर मार्केट के रिटर्न बहुत ज्यादा अनिश्चित होते हैं।

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जिसकी वजह से SIP के रिटर्न में भी भारी अनिश्चता पाई जाती हैं।

आपको बाजार में उपलब्ध कई निवेश विकल्प एक निश्चित रिटर्न ऑफर करते हैं। परंतु SIP में ऐसा कोई निश्चित रिटर्न या ब्याज नहीं मिलता है। SIP का प्रॉफिट सीधा शेयर बाजार से जुड़ा हुआ है जहां हमेशा उतार-चढ़ाव लगा रहता है।

जैसे के स्टॉक मार्केट ने पिछले 2 साल में कोई भी रिटर्न बनाकर नहीं दिया हैं तो यही हाल SIP का भी रहेगा। इसलिए कई निवेशकों की SIP लम्बे समय तक नेगेटिव में चलती हैं। 

इतने लम्बे समय तक नुकसान को देखकर अधिकतर रिटेल निवेशक घबरा जाते हैं और अपनी SIP ही बंद करवा देते हैं। इसलिए रिटर्न की अनिश्चता एक बड़े SIP के नुकसान में शामिल हैं।

यदि आप म्यूचुअल फण्ड से शॉर्ट टर्म में अच्छा मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं तो शायद इसमें आपको निराशा हाथ लगे। लेकिन यही SIP निवेश यदि आप धैर्य के साथ लंबे समय तक करते हैं तो आपको निश्चित तौर पर बड़ा हो सकता हैं। क्योंकि मार्केट लॉन्ग टर्म निवेशक को जरूर रिवॉर्ड करता हैं।

इसलिए SIP के इस नुकसान से बचने के लिए आपको इक्विटी म्यूचुअल फंड में कम से कम 3 साल के लिए तो निवेश करना ही चाहिए। 

2. एक्सपेंस रेश्यो का नुकसान

SIP में एक्सपेंस रेश्यो एक बहुत बड़ा नुकसान माना जाता हैं। एक्सपेंस रेश्यो आपकी म्यूचुअल फंड में निवेश करनी की लागत होती हैं।

आपके म्युचुअल फंड को मैनेज करने लिए आपके निवेश में से कुछ पैसा Expense Ratio के रूप में फंड हाउस चार्ज करता हैं। ये एक्सपेंस रेश्यो प्रत्येक दिन के हिसाब से काटा जाता हैं। आमतौर पर एक्सपेंस रेश्यो 1-2% के आस-पास रहता हैं।

यह एक्सपेंस रेश्यो आपको इन्वेस्टमेंट की छोटी अवधि के लिए बहुत कम लगेगा। परन्तु जैसे-जैसे आपका निवेश का समय बढ़ता जाएगा ये एक्सपेंस रेश्यो अमाउंट के रूप में बहुत ज्यादा हो जाता हैं।

यदि आप SIP के डायरेक्ट प्लान में निवेश करते हैं तो आपको थोड़ा कम एक्सपेंस रेश्यो देना होगा। लेकिन यदि आप रेगुलर प्लान में निवेश करते हैं तो आपको ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान करना होगा।

इसलिए जब भी आप किसी SIP स्कीम में निवेश करने के लिए जाएं आपको उस स्कीम से जुड़े खर्चों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

हालाँकि आप SIP में एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान करते हैं लेकिन म्यूचुअल फंड हाउस बदले में आपको अपने प्रोफेशनल की सेवाएं भी देता हैं। ये प्रोफेशनल (फंड मैनेजर) बहुत ही कम लागत पर आपके पैसे मैनेज करते हैं जिससे आपकी रिस्क कम से होती हैं और अधिक से अधिक रिटर्न प्राप्त करने का प्रयास किया जाता हैं।

3. लॉक-इन-पीरियड से नुकसान

अगला SIP का नुकसान हैं लॉक-इन-पीरियड। लॉक-इन-पीरियड का मतलब होता हैं की आप एक निश्चित समय तक अपना पैसा निकाल नहीं सकते।

इसलिए आवश्यकता के समय अपने ही पैसे वापस नहीं निकाल पाने के कारण SIP थोड़ी असुविधाजनक हो सकती हैं।

वैसे अधिकतर म्यूचुअल फंड में कोई लॉक-इन-पीरियड नहीं होता हैं। लेकिन क्लोज एंडेड म्यूचुअल फंड और ELSS स्कीम में लॉक-इन-पीरियड मौजूद होता हैं। ELSS स्कीम में प्रत्येक SIP इन्सटॉलमेंट के लिए 3 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती हैं।

इसलिए आपको लॉक-इन-पीरियड वाली SIP स्कीम्स में सिर्फ उन्हीं पैसो को इन्वेस्ट करना चाहिए जिनकी आवश्यकता आपको उस लॉक-इन-पीरियड की अवधि तक ना हो।

हालांकि इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कोई भी लॉक-इन-पीरियड नहीं होता हैं। वे आपको मामूली एग्जिट लोड पर पैसे निकालने की सुविधा ऑफर करते हैं।

4. एग्जिट लोड से SIP में नुकसान

अगले SIP के नुकसान में एग्जिट लोड शामिल हैं। आमतौर पर अधिकांश म्यूचुअल फंड में निवेश के एक वर्ष के भीतर एग्जिट करने से आपसे एग्जिट लोड चार्ज किया जाता हैं।

अगर आप अपने SIP इन्वेस्टमेंट को निवेश करने के एक वर्ष के भीतर रीडीम करवाते हैं तो आपको सामान्यतः 1% का एग्जिट लोड देना पड़ सकता हैं।

ये एक वर्ष की अवधि प्रत्येक SIP इन्सटॉलमेंट के लिए अलग-अलग कैलकुलेट की जाती हैं। अगर आसान भाषा में समझे तो जिस SIP इन्सटॉलमेंट का भुगतान आपने एक वर्ष पूर्व किया था आप उसे बिना एग्जिट लोड के रीडीम करवा सकते हैं।

वैसे अधिकतर म्यूचुअल फंड में एक साल के बाद कोई भी एग्जिट लोड नहीं लगता। वैसे भी म्यूचुअल फंड SIP हमेशा लॉन्ग टर्म के लिए ही एडवाइस की जाती हैं।

इसलिए जो निवेशक एक वर्ष से कम समय के लिए म्यूचुअल फंड में SIP करने के बारें में सोच रहे हैं तो ये एक अच्छा निर्णय नहीं माना जाएगा।

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5. स्वयं का कोई कण्ट्रोल नहीं

SIP में स्वयं के नियंत्रण की कमी SIP के नुकसान में सबसे बड़ा नुकसान माना जा सकता हैं। जैसे की हम जानते हैं की सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड्स को फंड मैनेजर मैनेज करते हैं। साथ ही फंड मैनेजर की सहायता के लिए कुछ एक्सपर्ट्स की एक टीम भी हो सकती हैं।

एक म्यूचुअल फण्ड पोर्टफोलियो से सम्बंधित सभी निर्णय फण्ड मैनेजर के द्वारा ही लिए जाते हैं। जैसे की कौनसा स्टॉक पोर्टफोलियो में रखना हैं, कौनसा बेचना हैं आदि। SIP निवेशक का इसमें कोई भी रोल नहीं होता।

इसलिए अगर आपको अपने म्यूचुअल फण्ड के पोर्टफोलियो में कोई स्टॉक पसंद नहीं भी हैं तो भी आप कुछ नहीं कर सकते।  जब तक फंड मैनेजर चाहेगा वो उस शेयर में निवेशित रहेगा। लेकिन दूसरी ओर यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आपको ऐसी कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

कुल मिलाकर SIP में आपके रिटर्न्स पूरी तरह से आपके फण्ड मैनेजर की योग्यता पर निर्भर करते हैं। इसमें आप अपना कोई योगदान नहीं दे सकते। इसलिए नियंत्रण की SIP इन्वेस्टर को हतोत्साहित कर सकती हैं।

6. शेयर मार्केट से कम रिटर्न

SIP के नुकसान में अगला पॉइंट हैं SIP आपको स्टॉक मार्केट से कम रिटर्न बनाकर देती हैं।

म्यूचुअल फंड, जो की शेयर मार्केट में निवेश करने का एक इनडायरेक्ट तरीका हैं। इनडायरेक्ट होने की वजह से इसमें फंड हाउस, एजेंट की फीस आदि शामिल हो जाते हैं।

यदि कोई निवेशक सही से रिसर्च और एनालिसिस करके शेयर बाजार में निवेश कर सकता हैं तो वो डायरेक्ट स्टॉक मार्केट में SIP से अधिक रिटर्न बना सकता हैं। यदि आप लॉन्ग टर्म में क्वालिटीज़ कंपनीज में निवेश करते हैं तो आपके रिटर्न SIP की तुलना में अधिक रहते हैं। इसी वजह से SIP की तुलना में स्टॉक्स ज्यादा अच्छे दिखाई देते हैं।

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अनुमानित रूप से आपको स्टॉक मार्केट 20% तक के CAGR रिटर्न बनाकर दे सकता हैं। लेकिन दूसरी ओर म्यूच्यूअल फंड में आपको लम्बी अवधि में 12-13% के आस-पास ही रिटर्न देखने को मिलते हैं।

लेकिन जितना आसान स्टॉक मार्केट दिखाई देता हैं उतना हैं नहीं। इन रिटर्न्स के लिए आपको बहुत अधिक समय देने की आवश्यकता हैं। लेकिन म्यूचुअल फंड में आपको कोई अतिरिक्त समय देने की जरुरत नहीं होती।

SIP में आपका पैसा एक पेशेवर फंड मैनेजर देखता हैं इसलिए इसमें रिस्क की मात्रा शेयर मार्केट की तुलना में कम रहती हैं।

7. अधिक डायर्वर्सीफिकेशन से नुकसान

म्यूचुअल फंड अपना पैसा अलग-अलग एसेट क्लास में लगाता हैं जिसमें बहुत सारे स्टॉक्स भी मौजूद होते हैं। वैसे डायवर्सिफिकेशन को अच्छा माना जाता हैं। लेकिन कई बार ये नुकसान का भी कारण बन सकता हैं।

उदाहरण के लिए जब किसी म्यूचुअल फण्ड पोर्टफोलियो के शेयर का दाम दोगुना भी हो जाता हैं तब भी आपके म्यूचुअल फंड में निवेश की कीमत दोगुनी नहीं हो पाती।

इसका मुख्य कारण हैं की आपका निवेश फंड मैनेजर के द्वारा अलग-अलग स्टॉक में किया जाता हैं। इसकी वजह से जिस स्टॉक का दाम दोगुना होता भी हैं, वह आपके म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट का एक छोटा सा हिस्सा होता हैं जिससे आपके सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

लेकिन यदि आपने स्टॉक मार्केट में डायरेक्ट उस दोगुना होने वाले स्टॉक में निवेश किया होता तो आपको अधिक प्रॉफिट मिलता।

लेकिन इसके बाउजूद भी स्टॉक डायरेक्ट स्टॉक्स में अधिक रिस्क मौजूद होती हैं। यह पूरी स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी यदि उस शेयर में क्रैश होता हैं।

दोस्तों, यदि आपको यहां तक SIP के नुकसान की जानकारी पसंद आई हो तो, इस आर्टिकल को पढ़ना जारी रखें।

8. SIP पोर्टफोलियो को रिव्यु करना

नियमित रूप से अपने SIP पोर्टफोलियो को रिव्यु करना भी SIP का एक नुकसान हैं। फिर चाहे आपके फंड के पोर्टफोलियो को एक प्रोइफशनल फंड मैनेजर मैनेज कर रहा हो। लेकिन फिर भी आपको समय-समय पर अपने SIP पोर्टफोलियो को रिव्यु करना होता हैं।

SIP पोर्टफोलियो को रिव्यु करना इसलिए जरुरी होता हैं की कई बार आपकी स्कीम अंडरपरफॉर्म कर रही होती हैं। जिसे आपको किसी बढ़िया स्कीम से रिप्लेस करना होता हैं।

परन्तु यदि आपको म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को सही तरीके से रिव्यु करने की जानकारी नहीं हैं तो आपके लिए पोर्टफोलियो रिव्यु करना कठिन काम हो सकता हैं। ऐसा होने पर आप किसी गलत स्कीम को लगातार कंटिन्यू कर सकते हैं जिससे आपके रिटर्न आपकी काफी कम हो सकते हैं।

9. गलत SIP स्कीम में निवेश करने का नुकसान

कई बार हम नए निवेशक के तौर पर किसी गलत स्कीम में SIP करना चालू कर देते हैं। अगर ये स्कीम आपके लक्ष्य और आवश्यकता के अनुसार न हो तो आपका SIP करना व्यर्थ हो सकता हैं।

यदि आप भी SIP के नए निवेशक हो या आपको SIP की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं हैं तो आपके लिए बेस्ट म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चुनना एक कठिन काम हो सकता हैं।

इसके अतिरिक्त कुछ निवेशक SIP की अंतिम कुछ वर्षों की परफॉरमेंस या रिटर्न्स को देखकर ही निवेश कर देते हैं। जो की एक गलत तरीका होता हैं।

10. SIP सिर्फ लम्बी अवधि के लिए अच्छी  मानी जाती हैं

SIP में आप थोड़ा-थोड़ा करके प्रत्येक महीने पैसे जमा करते हैं। SIP में लॉन्ग टर्म में ही अच्छे रिटर्न्स प्राप्त किये जा सकते हैं। जैसे की कम से कम 5-10 साल।

इसलिए यदि कोई निवेशक SIP से कम समय में अच्छे रिटर्न प्राप्त करना चाहता हैं तो उसे निराशा हाथ लग सकती हैं।

11. SIP रिटर्न्स पर टैक्स का नुकसान

SIP के नुकसान में टैक्स सबसे अहम माना जाता हैं। जो भी आप SIP पर लाभ कमाते हैं उस पर आपको कुछ टैक्स देना होता हैं। इससे आपका प्रॉफिट कुछ प्रतिशत से घट जाता है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड में 12 महीने से कम अवधि के लिए STCG टैक्स (Short term capital gain) लगता हैं जो की 15% की दर से देना होता हैं। जबकि 12 या अधिक महीनों से अधिक होल्ड करने के लिए आपको LTCG टैक्स 10% से (Long term capital gain) देना होता हैं। लेकिन आपको LTCG टैक्स एक लाख से अधिक के प्रॉफिट पर ही देना होता हैं।

इस प्रकार लम्बी अवधि तक SIP में निवेश करने से आपको अपनी मैच्योरिटी राशि पर भारी टैक्स देना पड़ सकता हैं। लेकिन दूसरी ओर आप ELSS म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करके सेक्शन 80(c) में टैक्स बचा भी सकते हैं।

12. फंड मैनेजर के बदलने से नुकसान

सभी म्यूचुअल फंड स्कीम्स को एक फंड मैनेजर के द्वारा मैनेज किया जाता है और वो ही उस फंड से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। फंड मैनेजर के ऊपर ही म्यूचुअल फंड के रिटर्न पूर्णतया निर्भर करते हैं।

कई बार म्यूचुअल फंड में हो सकता है कि आपकी स्कीम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हो। लेकिन अचानक से ही आपकी स्कीम के रिटर्न्स में गिरावट आ जाती है। लेकिन आपको पता चलता है कि आपकी म्यूच्यूअल फंड स्कीम का तो फंड मैनेजर ही बदल चुका है। इसलिए फंड मैनेजर बदलना किसी भी SIP स्कीम के लिए अच्छा नहीं माना जाता।

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SIP के फायदे (Advantages of SIP in Hindi)

चलिए हमनें SIP के नुकसान तो समझ लिए। अब हम SIP के फायदे डिस्कस करेंगे। ऐसा नहीं हैं की SIP के सिर्फ नुकसान ही हैं। SIP के द्वारा निवेश करने के कई फायदें भी हैं जो की इसे बाकी निवेश विकल्पों से अलग बनाते हैं।

1. हाई रिटर्न्स और कम्पाउंडिंग का फ़ायदा

यदि आप SIP में निवेश करते हैं तो आपको यह स्कीम किसी भी सरकारी स्कीम से अच्छे रिटर्न प्राप्त करके देती है। ये रिटर्न्स लॉन्ग टर्म में ओर भी ज्यादा हो सकते हैं। आमतौर पर आपको एसआईपी में 12 से 15% के रिटर्न्स मिल जाते हैं जो कि अन्य किसी भी स्कीम से बहुत ज्यादा है।

साथ ही SIP में निवेश करने से आपको कंपाउंडिंग का भी बहुत अधिक फायदा मिलता है। जितने लंबे समय के लिए आप SIP में निवेशित रहेंगे आपको उतना ही फायदा होगा।

जैसे कि आप ₹5000 की मासिक SIP शुरू करते हैं जिसमें हम मान लेते हैं कि आपको 12% के रिटर्न्स प्राप्त होंगे। यदि आप अपनी SIP को 25 वर्ष तक करते हैं तो आपकी कॉरपस वैल्यू ₹95 लाख की होगी। 

लेकिन यदि आप इसी SIP को 5 वर्ष ओर यानी कि 30 वर्ष के लिए कंटिन्यू करते हैं तो आपका कॉरपस वैल्यू ₹1.76 करोड़ रुपए हो जाएगा।

तो इस तरह कंपाउंडिंग काम करती है। जैसे-जैसे आपका निवेशित समय बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे आपका प्रॉफिट भी बहुत तेजी से बढ़ने लगेगा। कंपाउंडिंग की वजह से ही SIP बहुत अत्यधिक लोकप्रिय हैं।

2. प्रोफेशनल मैनेजर की सुविधा उपलब्ध

जब भी आप SIP करते हैं तो आपके एसआईपी म्यूचुअल फंड को एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर के द्वारा मैनेज किया जाता है।  वह प्रोफेशनल फंड मैनेजर आपके पोर्टफोलियो को अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मैनेज करता है।

इस तरह वह फंड मैनेजर बहुत कम जोखिम पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न बनाने का प्रयास करता है। इसलिए SIP में आपको बहुत ही कम एक्सपेंस रेशों पर प्रोफेशनल फंड मैनेजर की सुविधा मिल जाती है।

लेकिन यदि आप स्टॉक मार्केट में खुद स्टॉक चुनने जाएंगे तो आपको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन म्यूचुअल फंड में आपके लिए ये काम फंड मैनेजर कर देता है।

3. SIP के लिए ज़्यादा राशि की आवश्यकता नहीं

SIP का अगला फायदा है कि ये आपको बहुत ही कम राशि पर निवेश करने की सुविधा देता है। दूसरी ओर यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हो तो आपको अधिक राशि की आवश्यकता होती है।

लेकिन SIP में आप मात्र ₹500 या ₹1000 से भी एसआईपी की शुरुआत कर सकते हैं। कम पूंजी की जरूरत होने से कोई से भी वर्ग का व्यक्ति आराम से SIP कर सकता हैं।

4. बहुत ही कम लागत पर निवेश की सुविधा

SIP में निवेश करने से आपको मात्र एक्सपेंस रेशों का भुगतान करना होता है। यह एक्सपेंस रेशों बहुत ही मामूली होता है।  जिसके बदले में आपको प्रोफेशनल फंड मैनेजर की सुविधाएं मिल जाती है। इसलिए एसआईपी में निवेश करना आपके लिए बहुत ही सस्ता पड़ता है साथ में फायदेमंद भी होता है।

5. लॉन्ग टर्म गोल्स को प्राप्त करने में सहायक

SIP म्यूचुअल फंड में व्यवस्थित तरीके से निवेश करने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है। जिसकी मदद से आप लॉन्ग टर्म के लक्ष्य आराम से हासिल कर सकते हैं।

जैसे की आपको लॉन्ग टर्म में वेल्थ बनानी है, घर खरीदना है तो आप इसके लिए अपनी सुविधानुसार पोर्टफोलियो का निर्माण कर सकते हैं। साथ ही म्यूचुअल फंड में हजारों स्कीम हैं जिनमें से आप अपने लक्ष्य और आवश्यकता के अनुसार निवेश कर सकते हैं।

6. अलग-अलग प्रकार की कैटेगरी में निवेश की सुविधा

अभी के समय मार्केट में बहुत सारे म्यूचुअल फंड के प्रकार या कैटेगरी उपलब्ध हैं। इनमें से आप अपनी रिस्क प्रोफाइल के अनुसार कोई भी SIP का चुनाव कर सकते हैं।

आप इक्विटी, डेब्ट, हाइब्रिड फंड, इंडेक्स फंड्स जैसी स्कीम्स में SIP कर सकते हैं। जैसे की आपको थोड़ी रिस्क के साथ अच्छे रिटर्न प्राप्त करने हैं तो आप इक्विटी फंड को चुन सकते हैं। वैसे ही ऐसे निवेशक जिन्हें बहुत कम रिस्क उठानी हैं वे डेब्ट फंड का चुनाव कर सकते है।

7. निवेश को विविधता प्राप्त होती हैं

जब भी आप SIP के द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपके निवेश को विविधता प्राप्त होती है। यह SIP के फायदे में सबसे बड़ा फायदा माना जा सकता है। क्योंकि इससे आपके निवेश में अलग-अलग सेक्टर के स्टॉक और एसेट क्लास में निवेश होता है। इससे आपकी रिस्क काफी कम हो जाती है।

जैसे की किसी विशेष सेक्टर में किसी कारणवश मंदी आ भी जाती है तो भी इससे आपके संपूर्ण पोर्टफोलियो पर कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि जिस सेक्टर में मंदी आई है उसमें आपका थोड़ा सा निवेश होगा जिससे कि आपके संपूर्ण SIP पोर्टफोलियो पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।

8. निवेश करने में आसानी

SIP का अगला फायदा हैं की आप इसमें आसानी से निवेश कर सकते हैं। आप फंड हाउस की वेबसाइट, किसी मोबाइल एप्प या एजेंट के माध्यम से SIP में निवेश कर सकते हैं।

वर्तमान में कई ऐसे प्लेटफार्म लॉन्च हो चुके हैं जिनके द्वारा आप बैठे-बैठे कई म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम खरीद सकते हैं। अभी के समय अपस्टॉक्स, ग्रो, माय कैम्स, कुवेरा, कॉइन आदि एप्प्स काफी चल रही हैं।

साथ ही आप अपनी SIP की ग्रोथ, रिटर्न, पास्ट परफॉरमेंस आदि की तुलना और ट्रैकिंग भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं। इस ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट ने SIP को ओर आसान बना दिया है।

9. समय की बचत

SIP में निवेश करने से आपका समय काफी बच जाता है। क्योंकि यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव को लगातार मॉनिटर करना होता है। लेकिन SIP में आपके लिए रिसर्च और एनालिसिस करने के लिए एक टीम होती है।

इसी वजह से आपका अधिकांश समय बच जाता है। साथ ही यह निवेश स्वचालित होता है जिसमें आपको समय-समय पर अलग से पैसा जमा नहीं करना होता हैं।

10. SIP एक सुरक्षित निवेश

भारत में म्यूचुअल फण्ड का नियामक या रेगुलेटर सेबी (SEBI) है। सेबी फंड हाउसेस पर कड़ा नियंत्रण रखता है और उसके नियमों की पालना करने हेतु बाध्य करता है।

जैसे सभी बैंको का रेगुलेटर RBI होता है ठीक वैसे ही म्यूचुअल फंड्स का रेगुलेटर सेबी होता है। सेबी एक सरकारी संस्था है जो सभी Mutual fund Houses को अपने अधीन रजिस्टर करता है। इसलिए SIP में आपका निवेश सुरक्षित माना जा सकता हैं।

11. SIP से पैसा निकालना आसान

कई बार ऐसा हो सकता है कि आप निवेश तो कर देते हैं लेकिन कुछ कारणों से आपको बीच मे ही पैसों की जरूरत पड़ जाती है। जिससे आप अपना निवेश किया हुआ पैसा निकालना चाहते है।

मार्केट में कई निवेश विकल्पों में लॉक-इन-अवधि रहती है। इस वजह से आप उनमें से पैसा बिना लॉक-इन-अवधि के समाप्त हुए नहीं निकाल पाते हैं।

परन्तु SIP में ऐसी कोई समस्या नहीं होती। आप जब चाहे अपना निवेशित पैसा निकाल सकते हैं। आपकी Withdrawal request की तारीख से अमूमन 2 से 3 दिन के भीतर पैसा आपके लिंक्ड बैंक अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है।

हालांकि म्यूच्यूअल फण्ड टैक्स सेवर फंड्स या ELSS में 3 वर्ष का लॉक-इन-पीरियड रहता हैं। SIP में लिक्विडिटी का फायदा इसे ओर आकर्षक बनाता हैं।

FAQ’s on SIP ke Nuksan aur Fayde

  1. एसआईपी के नुकसान क्या है?

    SIP के रिटर्न्स स्टॉक मार्केट पर आधारित होती हैं। रिटर्न्स में काफी ज्यादा अनिश्चता देखी जा सकती हैं।

  2. SIP पर कितना ब्याज मिलता है?

    इसमें आपको कोई निश्चित ब्याज नहीं मिलता। बल्कि रिटर्न्स मिलते हैं जो की शेयर मार्केट पर आधारित होते हैं। ये रिटर्न्स लॉन्ग टर्म में आमतौर पर 12-15% के हो सकते हैं।

  3. क्या मैं SIP में प्रति माह 500 का निवेश कर सकता हूं?

    हाँ, निश्चित तौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स मात्र 500 रूपये प्रति माह से SIP की सुविधा ऑफर करती हैं।

निष्कर्ष “SIP के फायदे और नुकसान”

अगर निष्कर्षतः बात की जाए तो SIP के बहुत सारे फायदे हैं और कुछ नुकसान भी है। लेकिन अगर मेरी व्यक्तिगत राय में पूछा जाए तो SIP लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए एक बहुत ही अच्छा तरीका है। SIP में आप प्रत्येक महीने थोड़ा-थोड़ा धन जमा करके अच्छा प्रॉफिट बना सकते हैं।

SIP स्टॉक मार्केट की तुलना में इसलिए भी बढ़िया माना जाता है क्योंकि इसमें आपको अतिरिक्त दिमाग नहीं लगाना होता। न ही रेगुलर शेयर मार्केट को मॉनिटर करना होता। इसलिए यदि आप लॉन्ग टर्म में अच्छी वेल्थ बनाना चाहते हैं तो आप निश्चित तौर पर SIP की ओर जा सकते हैं।

तो आज आपने जाना की SIP के फायदे और नुकसान क्या हैं या SIP के नुकसान।  यदि ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें और यदि आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो मुझे कमेंट करके जरूर बताएं।

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नमस्कार दोस्तों ! मैं राज कुमार बैरवा पूंजी गाइड ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मैं पूंजी गाइड ब्लॉग पर शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारियां शेयर करता हूँ।

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